हिन्दुस्तान 26-11-2022 लाइव हिन्दुस्तान

ये हैं शेयरों में न‍िवेश के 3 तरीके, जानिए इन्‍हें लेकर क्‍या हैं टैक्‍स नियम

इन बातों का ध्‍यान रखने की जरूरत

शेयरों में निवेश करने से पहले कुछ चीजों पर ध्‍यान देना जरूरी है. इनमें कंपनी की पसंद, शेयर की कीमत, निवेश योग्‍य रकम इत्‍याद‍ि शामिल हैं. इसके बाद आप नीचे बताए गए 3 तरीकों की मदद से शेयरों में निवेश कर सकते हैं.

​शेयरों में सीधे निवेश

​शेयरों में सीधे निवेश

इसके लिए आपको कंपनी के बारे में रिसर्च करने की जरूरत पड़ती है. आपको निवेश करने के लिए ब्रोकर के पास ट्रेडिंग अकाउंट के साथ डीमैट अकाउंट खुलवाना होगा. बैंक अकाउंट और केवाईसी कंप्‍लायंस भी अनिवार्य है.

​इक्विटी म्‍यूचुअल फंड

​इक्विटी म्‍यूचुअल फंड

इक्विटी म्‍यूचुअल फंडों में निवेश करने के लिए आपको केवाईसी की जरूरतों को पूरा करना पड़ता है. साथ ही फंड हाउस के एप्‍लीकेशन फॉर्म को भरना निवेश से पहले इन बातों का रखें ध्यान होगा जिसमें आप अपनी पसंद की स्‍कीम के बारे में बताते हैं. एप्‍लीकेशन स्‍वीकार होने के बाद आपको यूनिटें आवंटित हो जाती हैं. निवेश की पोर्टफोलियो वैल्‍यू दिन के अंत में निकाली जाती है. इसका कैलकुलेशन करने के लिए एनएवी के साथ यूनिटों को गुणा किया जाता है.

​पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस

​पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस

शेयर बाजार में बहुत ज्‍यादा पैसा (50 लाख रुपये से अधिक) लगाने की चाहत रखने वाले निवेशकों के पास पोर्टफोलियो मैनेजर्स की सेवाएं लेने का भी विकल्‍प है. इसके लिए पोर्टफोलियो मैनेजमेंट एग्रीमेंट किया जाता है. यह एग्रीमेंट निवेशक और पोर्टफोलियो मैनेजर के बीच होता है. इसमें निवेश का मकसद, जोखिम, पोर्टफोलियो मैनेजमेंट चार्ज की शर्तों के साथ इस बात का भी उल्‍लेख किया जाता है कि पोर्टफोलियो मैनेजर किस तरह की प्रतिभूतियों में निवेश करेंगे. शेयरों का स्‍वामित्‍व निवेशक के पास उसके डीमैट खाते में रहता है. इस तरह निवेशक को अपने खाते में ही डिविडेंड/बोनस एलॉटमेंट का पैसा मिलता है.

​किन बातों का रखें ध्‍यान

​किन बातों का रखें ध्‍यान

1-म्‍यूचुअल फंड पर कैपिटल गेंस टैक्‍स यूनिटों को भुनाने के वक्‍त ही लगता है. म्‍यूचुअल फंड पोर्टफोलियो के भीतर फंड मैनेजर प्रतिभूतियों में जो खरीद-फरोख्‍त करते हैं, उस पर कोई टैक्‍स नहीं लगता है.

2- पोर्टफोलियो मैनेजर जिन शेयरों में निवेश करते हैं, उन पर ट्रांजेक्‍शन के वक्‍त कैपिटल गेंस टैक्‍स लगता है. इस टैक्‍स को भरने की जिम्‍मेदारी निवेशक के पाले में आती है.

3- म्‍यूचुअल फंड स्‍कीम के मुकाबले पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस यानी पीएमएस में पोर्टफोलियो को कस्‍टमाइज करने का खर्च ज्‍यादा आता है. म्‍यूचुअल फंड में स्‍टैंडर्ड पोर्टफोलियो होता है. यह स्‍कीम के निवेश उद्देश्‍यों की तर्ज पर होता है.

Web Title : these are 3 ways to invest in stocks, know what are the tax rules regarding them
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SIP में करते हैं निवेश तो इन बातों का रखें विशेष ध्यान, होगा ज्यादा फायदा

SIP Scheme : आप अपनी सहूलियत के अनुसार, हर महीने, हर तिमाही या छमाही में निवेश कर सकते हैं. इससे छोटी-छोटी रकम जमा करके आप बड़ा रिटर्न हासिल कर सकते हैं.

SIP में करते हैं निवेश तो इन बातों का रखें विशेष ध्यान, होगा ज्यादा फायदा

Systematic Investment Plan : अगर आप एसआईपी में निवेश करते हैं तो आप अच्छा रिटर्न हासिल कर सकते हैं क्योंकि एसआईपी यानी सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान, जो निवेशकों की पहली पसंद रहती है. कई लोग एकमुश्त निवेश करना ज्यादा पसंद करते हैं, लेकिन वेतनभोगियों की पहली पसंद ज्यादातर सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान ही होती है. इसमें आप अपनी सहूलियत के अनुसार, हर महीने, हर तिमाही या छमाही में निवेध कर सकते हैं. इससे छोटी-छोटी रकम जमा करके आप बड़ा रिटर्न (Big Return) हासिल कर सकते हैं. लेकिन एसआईपी करते समय आपको कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना होता है, जिससे आप और अधिक मुनाफा कमा सकते हैं.

आपको अपने निवेश को मजबूत करने के लिए बीच-बीच में एकमुश्त राशि भी जमा निवेश से पहले इन बातों का रखें ध्यान करना चाहिए. कई बार ऐसा होता है कि आपके पास एडिशनल पैसे आते हैं. जैसे सालाना ब्याज या किसी पॉलिसी की समाप्ति पर मिलने वाला पैसा या फिर कई समय से की गई बचत. इस राशी को आपको एसआईपी के साथ एकमुश्त निवेश करना चाहिए. यानी एक्स्ट्रा यूनिट खरीदनी चाहिए. ये आप उस वक्त कर सकते हैं जब बाजार में गिरावट आ रही है तो ऐसे में मौके का फायदा उठाते हुए म्यूच्यूअल फंड्स की कुछ यूनिट्स खरीदी जा सकती है.

एसआईपी को हर हाल में जारी रखना जरुरी होता है जब तक कि आप अपना फाइनेंशियल लक्ष्य न हासिल कर लें. कई लोग ऐसे होते हैं जो कुछ समय तो अपना निवेश जारी रखते हैं, लेकिन फिर निवेश रोक देते हैं. ऐसे में आपको अपना लक्ष्य हासिल करने में परेशानी का सामना करना पड़ेगा. अच्छे रिटर्न के लिए बाजार में ज्यादा समय तक टिके रहना जरुरी होता है. इसीलिए चाहे कैसी भी परिस्थिति क्यों न हो आपको निवेश जारी रखना ही है.

हर साल बढ़ाते रहें टॉप-अप

यह शायद आप नहीं जानते होंगे, लेकिन अपने एसआईपी को टॉप-अप करना बहुत जरुरी होता है. जैसे हर साल आपका वेतन बढ़ता है वैसे ही हर साल एसआईपी की निवेश राशी भी बढ़ाई जा सकती है ताकि आपको ज्यादा रिटर्न मिले. आपके फायदे के लिए हर सार एसआईपी के अमाउंट को बढ़ाना जरुरी है.

छोटी बचत कभी भी कर सकते हैं शुरू

बता दें कि ऐसे कई लोग भी होते हैं जो काफी देरी से निवेश की शुरुआत करते हैं. मान लीजिये यदि आपकी उम्र 35 साल हो गई है फिर भी आप हर साल केवल 5 हजार निवेश करके लगभग एक करोड़ रिटर्न हासिल कर सकते हैं. इसमें यदि आपको रेट ऑफ रिटर्न 12 प्रतिशत मिलेगा . ऐसे में 60 साल की उम्र में आपको 95 लाख रुपए का रिटर्न मिलेगा. जिसमें 15 लाख आपका कुल इन्वेस्टमेंट होगा और बाकि 80 लाख रिटर्न होंगे.

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English News Headline :If you invest in SIP keep these things in mind.

Gold Investment: गोल्ड में निवेश करने का है प्लान तो इन बातों का रखें ध्यान, कमाएंगे मोटा मुनाफा

Investment in Gold: सोना (Gold) सस्ता होने पर सोने की चूड़़ियां, हार या दूसरे गहने (Gold Ornaments) खरीद लेना पहले अच्छा विकल्प माना जाता था। लेकिन तब लोगों के पास निवेश के बहुत विकल्प (Investment Options) नहीं थे। मौजूदा समय की बात करें तो अब निवेश के कई विकल्प उपलब्ध हैं। ईटीएफ (ETF) के जरिए सोना यूनिट्स में खरीदते हैं, जहां एक यूनिट एक ग्राम की होती है।

Investment in Gold

म्यूचुअल फंड की तरह गोल्ड में भी सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) शुरू की जा सकती है

गोल्ड SIP के माध्यम से भी इनवेस्टमेंट कर सकते हैं
म्यूचुअल फंड की तरह गोल्ड में भी सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) शुरू की जा सकती है। इससे 500 रुपये की रकम से भी सोने में लंबे समय के लिए निवेश किया जा सकता है। SIP की रकम अपने आप बैंक खाते से कट जाती है। गोल्ड SIP में निवेश करने के लिए डीमैट अकाउंट की जरूरत नहीं पड़ती है। इसमें कई कंपनियां गोल्ड फंड ऑफ फंड्स जारी करती हैं, जिनमें आप SIP के जरिए भी निवेश कर सकते हैं।

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सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में निवेश करें
आप सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (Gold Bond) में भी निवेश कर सकते हैं। केंद्र सरकार सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड जारी करती रहती है। अगर आप इस दिवाली गोल्ड में निवेश करने का प्लान बना रहे हैं तो इसमें निवेश करना आपके लिए फायदेमंद रहेगा। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में इश्यू प्राइस पर हर साल निश्चित ब्याज भी मिलता है। यह पैसा हर 6 महीने में अपने आप आपके खाते में पहुंच जाता है। फिजिकल गोल्ड और गोल्ड ईटीएफ पर आपको इस तरह का फायदा नहीं मिलता।

Invest: कहीं भी करने जा रहे हैं पैसे निवेश, तो पहले जान लें ये चार बातें, बचे रहेंगे नुकसान से

निवेश करते समय किन बातों का ध्यान रखें

हर कोई चाहता है कि वो अपनी कमाई का एक हिस्सा निवेश करे। इसके लिए लोग काफी कुछ करते भी हैं। वहीं, निवेश कितना जरूरी है ये कोरोना काल से लोगों ने काफी सीखा। लोग निवेश इसलिए करते हैं ताकि वो इस पैसे को अपनी जरूरत पर इस्तेमाल कर सके। इसके लिए कई लोग तो बैंक में अपनी कमाई को जमा कराते हैं, ताकि उस पर ब्याज मिल सके। लेकिन ज्यादातर लोग इसके साथ ही कई अन्य स्कीम में भी पैसे निवेश करते हैं, ताकि वो एक बेहतर रिटर्न पा सके। लेकिन कई मर्तबा देखा जाता है कि लोग बिना सोचे समझे और दूसरों की बातों में आकर कहीं ऐसी जगह पर पैसे लगा देते हैं। जहां उन्हें नुकसान उठाना पड़ जाता है। इसलिए जरूरी है कि निवेश करने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखा जाए, ताकि आपका पैसा डूबे नहीं और आपको अच्छा रिटर्न भी मिल सके। तो चलिए हम आपको बताते हैं.

निवेश करने से पहले इन तीन बातों का रखें खास ध्यान

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हिन्दुस्तान 26-11-2022 लाइव हिन्दुस्तान

पिछले एक साल से भारत और ग्लोबल लेवल पर इक्विटी मार्केट अस्थिर (volatile) रहे हैं। लगातार बढ़ती मुद्रास्फीति का मुकाबला करने के लिए रेट्स में वृद्धि के कारण विश्व के सेंट्रल बैंक एक बार फिर मार्केट को नियंत्रित कर रहे हैं। भारत एक साल या पांच साल के आधार पर लगभग सभी उभरते मार्केटों से बेहतर प्रदर्शन करते हुए सभी प्रमुख बाजारों में एक अलग मुकाम बनाए हुए है। भारतीय इक्विटी वैल्यूएशन अभी भी उनके लॉंग टर्म एवरेज और दूसरे बाजारों की तुलना में अच्छा रहा है। भारत का सेंट्रल बैंक, भारत सरकार और कॉरपोरेट्स सभी ने मिलकर अब तक स्थिति को बहुत अच्छी तरह से संभाला है। इसके बावजूद, जोखिम के प्रति सचेत रहना समझदारी है क्योंकि मार्केट मूल्यांकन सस्ता नहीं है। ऐसे में निवेशकों के लिए आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड के एमडी निवेश से पहले इन बातों का रखें ध्यान और सीईओ निमेश शाह ने तीन बातों पर जोर दिया है।

तीन फ़ैक्टर्स पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है:

(1) डेट म्यूचुअल फंड में इनवेस्टमेंट करें, यह बहुत आकर्षक हो गया है

निवेश के दौरान हायर यील्ड को देखते हुए, एक एसेट क्लास-डेट-जिसे अब तक लोकप्रियता हासिल नहीं हुई है (पिछले 18-20 महीनों से) फिर से आकर्षक (attractive) लग रहा है। हम उम्मीद करते हैं कि आने वाली बैठकों में रेपो दर में बढ़ोतरी होगी क्योंकि उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतें ऊंची है और इसने लगभग सभी वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के साथ भारत में भी मुद्रास्फीति और आरबीआई के समक्ष चुनौती खड़ी की है। इसलिए भविष्य में ऊंची अक्रूअल स्कीम और डाइनैमिक ड्यूरेशन वाली स्कीम की सिफारिश की जाती है।

(2) समाधान उन्मुख (solution oriented) ऑफर्स से लाभ जो म्यूचुअल फंड प्रदान करते हैं

हम उम्मीद करते हैं कि जब तक यूएस फेड मुद्रास्फीति से निपटने के लिए सभी उपलब्ध सभी उपायों का सहारा लेने के लिए प्रतिबद्ध है, तब तक मार्केट में उतार-चढ़ाव बना रहेगा। इसलिए, इनवेस्टर्स को विशेष रूप से भारत में सावधानी बरतनी चाहिए। आने वाले वर्ष में, निवेशकों को आदर्श रूप से तीन से पांच साल के समय के साथ एसआईपी के माध्यम से इनवेस्टमेंट करना चाहिए।

(3) गोल्ड और सिल्वर ईटीएफ और फंड ऑफ फंड्स में इन्वेस्टमेंट करें

एसेट क्लास में एक विविध (diversified) पोर्टफोलियो यह सुनिश्चित करेगा कि किसी भी एक ही जगह की जोखिम (concentration risk) को कम किया जाए। अनिश्चितता को देखते हुए सोने और चांदी में इन्वेस्टमेंट करने का एक दिलचस्प मौका सामने होता है। वे न केवल मुद्रास्फीति के खिलाफ, बल्कि मुद्रा मूल्यह्रास (currency depreciation) के खिलाफ भी बचाव के रूप में काम करते हैं। इनवेस्टर्स इसमें ईटीएफ के जरिए इनवेस्टमेंट करने पर विचार कर सकते हैं। जिनके पास डीमैट खाता नहीं है, उनके लिए गोल्ड या सिल्वर फंड ऑफ फंड एक इनवेस्टमेंट विकल्प है।

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