Rupee falls 7 paise to all-time low of 80.05 against US dollar in early trade — Press Trust of India (@PTI_News) July 19, 2022
डॉलर के मुकाबले रुपया धड़ाम, रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंचा
भारतीय रुपया 19 जुलाई, मंगलवार को पहली बार 80 रुपये प्रति डॉलर के स्तर तक गिर गया। यह रुपये का सार्वकालिक निचला स्तर है। देश के इतिहास में डॉलर के मुकाबले डॉलर के मुकाबले रुपया धड़ाम रुपया पहले कभी इतने निचले स्तर पर नहीं आया। पिछले कुछ दिनों से रुपये में जैसी लगातार गिरावट देखी जा रही थी, उसके बाद यह आशंका लगभग विश्वास में बदल गई थी कि रुपया 80 डॉलर के पार पहुंच जाएगा।
पिछले सत्र में रुपया 79.97 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर बंद हुआ था। इसके मुकाबले आज यह 79.98 डॉलर प्रति रुपये के मूल्य पर खुला। हालांकि, इसके तुरंत बाद ही गिरकर 80.05 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर आ गया।
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पिछले एक महीने में रुपया 2 फीसदी से भी ज्यादा टूट चुका है वहीं एक साल में रुपया डॉलर के सामने एक साल में 7.4 फीसदी नीचे गिर गया है। बाजार विश्लेषकों ने शॉर्ट टर्म में डॉलर-रुपये का हाजिर भाव 79.79 और 80.20 के दायरे में रहने की उम्मीद जताई है।
Rupee falls 7 paise to all-time low of 80.05 against US dollar in early trade
— Press Trust of India (@PTI_News) July 19, 2022
डॉलर के मुकाबले 80 के स्तर तक गिर सकता है रुपया, क्यों आ रही ये गिरावट और क्या होगा इसका असर?
डॉलर के मुकाबले रुपया 79.11 के अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है.
रुपये की वैल्यू में अप्रैल के बाद से लगातार गिरावट देखी जा रही है. तब से अब तक यह कई बार डॉलर के मुकाबले अपने नए न्यूनत . अधिक पढ़ें
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- Last Updated : July 03, 2022, 14:43 IST
नई दिल्ली. विदेशी निवेशकों के भारतीय बाजार से लगातार बाहर निकलने से रुपया पिछले कुछ महीनों में कई बार अपने रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है. एफपीआई के बाहर निकलने के अलावा रुपये में गिरावट का कारण डॉलर इंडेक्स में बढ़ोतरी और कच्चे तेल का महंगा होना है. विशेषज्ञों ने कहा कि आने वाले कुछ महीनों में रुपया चुनौतियों का सामना करेगा और मध्यम अवधि में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 80 के स्तर को छू सकता है.
रुपया पिछले कुछ महीनों से लगातार गिर रहा है. 12 जनवरी, 2022 को रुपया 73.78 डॉलर प्रति डॉलर पर था और तब से यह छह महीने से भी कम समय में 5 रुपये से अधिक गिर गया है. इसने शुक्रवार को 79.11 के अपने सर्वकालिक निचले स्तर को छुआ. हालांकि, 12 जनवरी से गिरावट लगातार नहीं रही है. पहले यह 12 जनवरी से 8 मार्च के बीच कमजोर होकर 77.13 पर पहुंचा और फिर 5 अप्रैल तक एक महीने के लिए मजबूत होकर 75.23 डॉलर प्रति डॉलर पर पहुंच गया. 5 अप्रैल के बाद से रुपये में लगातार गिरावट देखी गई है और तब से यह कई बार सर्वकालिक निचले स्तर को छू चुका है.
क्यों गिर रहा है रुपया
विदेशी निवेश का बाहर निकलना रुपये में गिरावट का एक प्रमुख कारण है. रूस-यूक्रेन युद्ध और अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा सख्त मौद्रिक नीति के कारण पैदा हुए भू-राजनीतिक संकट से इसमें और तेजी आ गई है. इसके अलावा गिरावट का श्रेय कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि और डॉलर की मजबूती को भी दिया जा सकता है. एफपीआई अक्टूबर 2021 से लगातार भारतीय इक्विटी बाजार से पैसा निकाल रहे हैं. इस साल अब तक इक्विटी बाजार से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) 2.13 लाख करोड़ रुपये निकाल चुके हैं. जून में विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार से 51,000 करोड़ रुपये निकाल लिए. कोटक सिक्योरिटीज के अनिंद्य बनर्जी ने कहा है कि भारत में आर्थिक विकास मजबूत रहा है लेकिन वैश्विक बाजार में उथल-पुथल और फेड की बढ़ोतरी ने भारत में बड़े निवेश को रोक दिया है. साथ ही कच्चा तेल भी 100 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर बना हुआ है.
80 का स्तर छुएगा रुपया
बनर्जी ने कहा कि अगले 6-9 महीनों में रुपये को वैश्विक अर्थव्यवस्था की सुस्ती, अमेरिकी डॉलर की तरलता में कमी और तेल की ऊंची कीमतों से चुनौतियों का सामना करने पड़सकता है. उन्होंने कहा कि अगर वैश्विक स्तर पर डॉलर में तेजी बनी रहती है रुपया गिरकर 80 तक पहुंच जाएगा.
क्या होगा असर
रुपया गिरने से आयात महंगा जिससे वस्तुओं व सेवाएं के दाम में और तेजी आएगी. सरल शब्दों में कहें तो महंगाई बढ़ जाएगी. विदेश में पढ़ाई करने वाले छात्रों पर भी इसका असर पड़ेगा. यहां से जितनी रकम पहले खर्च के लिए भेजी जाती अब वह एक्सचेंज के बाद पहले के मुकाबले कम हो जाएगी. इसके अलावा चालू खाते का घाटा भी बढ़ जाएगा.
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Pakistani rupees: डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया धड़ाम, कर्ज से पाकिस्तान त्राहिमाम
Pakistani rupees: पाकिस्तानी रुपया डॉलर के मुकाबले फ्री फॉल की स्थिति में है. यह 240 के स्तर से नीचे तक फिसल चुका है. उम्मीद की जा रही है कि IMF बेल आउट पैकेज से रुपए में मजबूती आएगी.
पाकिस्तान की वित्तीय हालत बहुत तेजी से बिगड़ रही है. डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपए (Dollar vs Pakistani Rupees) में भारी गिरावट देखी जा रही है. ताजा जानकारी के मुताबिक, डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया 240 के स्तर के नीचे तक फिसल चुका है. यह नया रिकॉर्ड लो स्तर है. मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विसेज और फिच रेटिंग्स ने कहा कि इस बात की उम्मीद है कि इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (IMF) से पाकिस्तान को 1.2 बिलियन डॉलर का बेलआउट पैकेज मिल जाएग. इससे करेंसी को मजबूती मिलेगी.
पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार घट रहा है और महंगाई आसमान छू रही है. यही वजह है कि वह आर्थिक पतन की कगार पर है. पाकिस्तानी रुपए की कीमत हर दिन 3 रुपए से ज्यादा गिर रही है. पिछले 10 दिनों में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया करीब 35 रुपए तक फिसल गया है.
सरकारी रवैया है जिम्मेदार
अंतरराष्ट्रीय बाजार में डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया 239.94 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर बंद हुआ था. इसके बाद एक्सचेंज कंपनीज एसोसिएशन ऑफ पाकिस्तान के महासचिव जफर पराचा ने देश की सियासी हालात और सरकार के लापरवाह रवैये को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है. इस साल में अब तक पाकिस्तानी रुपया 30 फीसदी तक फिसल चुका है. यह जानकारी फॉरन एक्सचेंज एसोसिएशन ऑफ डॉलर के मुकाबले रुपया धड़ाम पाकिस्तान की तरफ से शेयर की गई है.
करीब छह गुना बढ़ा CAD
पाकिस्तान का करेंट अकाउंट डेफिसिट बीते वित्त वर्ष 2021-22 में बढ़कर चार साल के उच्चस्तर 17.4 अरब डॉलर पर पहुंच गया है. स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (State Bank of Pakistan) ने बताया कि वित्त वर्ष 2021-22 में चालू खाते का घाटा 17.40 अरब डॉलर रहा. वहीं, वित्त वर्ष 2020-21 में यह केवल 2.82 अरब डॉलर था.
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करेंट अकाउंट डेफिसिट रिकॉर्ड स्तर पर
डॉन अखबार के अनुसार, 17.4 अरब डॉलर से अधिक का घाटा ऋण के रूप में कोई अंतर्वाह नहीं होने के कारण अधिक परेशान करने वाला है. दूसरी तरफ वाणिज्यिक बाजार उच्च जोखिम के कारण पाकिस्तान के बॉन्ड को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं. खबर के अनुसार, करेंट अकाउंट डेफिसिट का इतना डॉलर के मुकाबले रुपया धड़ाम ऊंचा स्तर भुगतान संतुलन की गंभीरता को दर्शाता है. चालू खाते का घाटा 2021-22 के लिए एसबीपी के अनुमान से अधिक हो गया है. बीते वित्त वर्ष में यह बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद (डॉलर के मुकाबले रुपया धड़ाम जीडीपी) का 4.6 फीसदी हो गया, जो वित्त वर्ष 2020-21 में जीडीपी का 0.8 फीसदी था.
डॉलर के मुकाबले रुपया धड़ाम, पहली बार पहुंचा 78 के नीचे
प्रजासत्ता नेशनल डेस्क|
रूस और यूक्रेन के बीच तकरीबन 110 दिनों से जारी युद्ध का असर दुनियाभर के अर्थव्यवस्था पर देखने को मिल रही है। इससे भारत भी अछुता नहीं है। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। इस कारोबारी हफ्ते के पहले दिन सोमवार को डॉलर के मुकाबले रुपया अपने ऑल टाइम लो को टच कर गया।
भारतीय इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब डॉलर के मुकाबले रुपया 78 के नीचे आया है। आज डॉलर के मुकाबले रुपया 28 पैसे की कमजोरी के साथ 78.12 रुपये के स्तर पर खुला। इस तरह आज पहली बार रुपया कमजोर होकर 78 रुपये के स्तर को पार कर गया है। वहीं, इससे पहले शुक्रवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 7 पैसे की कमजोरी के साथ 77.83 रुपये के स्तर पर बंद हुआ था।
जानकारों के मुताबिक घरेलू शेयर बाजार में कमजोरी के रुख, विदेशी फंड्स की लगातार निकासी डॉलर के मुकाबले रुपया धड़ाम और अमेरिकी डॉलर में लगातार मजबूती के कारण रुपए में इतनी बड़ी गिरावट आई है। विदेशी निवेशकों की भारी बिकवाली और अमेरिका में महंगाई दर के आंकड़ों से डॉलर के मुकाबले रुपए में इतनी बड़ी गिरावट दर्ज की गई है।
कई जानकारों के मुताबिक आने वाले दिनों में एक डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होकर 80 रुपये प्रति डॉलर तक गिर सकता है। दरअसल अमेरिका में बढ़ती महंगाई के मद्देनजर फेडरल रिजर्व बैंक ब्याज दरें बढ़ाने का फैसला लेता है तो भारत जैसे इमर्जिंग मार्केट से निवेशक पैसा निकाल सकते हैं जिससे रुपया और कमजोर हो सकता है। रुपया इस समय वैश्विक कारणों से साथ घरेलू कारणों से भी गिर रहा है।
शेयर बाजारों में गिरावट तो इसके पीछे है ही, ब्याज दरों में बढ़ोतरी के ग्लोबल रुझान के बीच विदेशी फंडों की ओर से बिकवाली जारी रहने से भी रुपये पर दबाव आया है। कच्चा तेल महंगा होने और अन्य करेंसी के मुकाबले डॉलर के मजबूत होने से रुपया कमजोरी के दायरे में दिखाई दे रहा है।
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