पुस्तक समीक्षा: शोर. अंतर्मन का कोलाहल

शोर एक ऐसी पुस्तक है जिसे पढने के बाद हमारे जीवन में पैदा हुए हजारों सवालों के जवाब मिलते हैं। समाज, पैसा और समाज में अमीर और गरीब का फर्क और फिर किसी क्या मुझे इंटरएक्टिव ब्रोकर्स का उपयोग करना चाहिए? गरीब का अमीर की तरह रहने की चेष्टा और कोशिश; ये सब ऐसी बातें है जो बहुत आम सी लगती हैं और इसके बारे में शायद इस समाज में रहने वाला हर चौथा व्यक्ति ज़रूर सोचता है।

शोर भी एक ऐसी ही कहानी है जिसमे बहुत सारे किरदार हैं लेकिन कोई भी किरदार बेकार में नहीं लिया गया है। कहानी एक हॉस्पिटल के बाहर से शुरू होती है; जहाँ एक घायल और बहुत ही बुरी स्थिति में एक आदमी पहुँचता है। उसे लोग हॉस्पिटल में एडमिट करवा तो देते हैं लेकिन वो मर जाता है। उसके पास से एक पर्ची मिलती है.. ताऊ जी की पर्ची। कहानी यहीं एक मोड़ लेती है।

कौन है ताऊ जी? क्यों मारा गया ये आदमी? कौन है ये? किसी के अन्दर इतनी दुश्मनी और नफरत कैसे हो सकती है कि इतनी बुरी तरह से किसी को मार दे? ऐसी बहुत सारी सवालों के साथ शुरू होती है कहानी शोर। सभी किरदार अपनी-अपनी जगह पर हैं और अपनी अपनी बात रखते हैं।

हमारे समाज में हो रहे बलात्कार के केस बढ़ते जाते हैं लेकिन उनमे से कितने केसेस का निवारण समय पर हो पाता है? लेकिन क्या मुझे इंटरएक्टिव ब्रोकर्स का उपयोग करना चाहिए? सोशल मीडिया को अपनी उँगलियों पर चलाने वाले लोग तो अपनी राय पल भर में दे देते हैं। कौन गलत है; कौन सही है; किसे सज़ा दी जानी चाहिए और कितनी सज़ा दी जानी चाहिए; सब कुछ। शोर के लेखक ‘निशांत जी’ ने भी सोशल मीडिया के हो रहे उपयोग और दुरूपयोग को भी क्या ख़ूब लिखा है।

एक बेबस पिता क्या मुझे इंटरएक्टिव ब्रोकर्स का उपयोग करना चाहिए? है जो इंतज़ार कर रहा है और अपनी अकेली बेटी को बिना माँ के पालता है। एक प्रेमी है जो अपनी आधी-कच्ची गर्लफ्रेंड के सिरहाने हॉस्पिटल में बैठा है। एक लड़की है जो गरीब है लेकिन अमीर घर के बच्चों को टक्कर देनी है उसे; जबकि कोई अमीर लड़का या लड़की उसे टक्कर देना भी नहीं चाहते। एक कपल है जो सिर्फ अब अपनी पति-पत्नी का रिश्ता निभा रहा है सिर्फ इस लिए कि समाज क्या कहेगा और वो इज्ज़त समाज में नहीं रहेगी।

ऐसे बहुत सारे बातों और रिश्तों का निचोड़ है ये शोर। शुरू-शुरू में अचानक से कई किरदार के आ जाने से मुझे भी कहानी को समझने में थोड़ी सी परेशानी हुई लेकिन कहानी जैसे-जैसे आगे बढती है तो मज़ा आने लगता है और सवाल पैदा होने लगते हैं; हम पढ़ते हुए रुक-रुक कर सोचने लगते हैं। आपको भी शोर एक बार ज़रूरी से पढनी चाहिए।

लेखक का परिचय:

आधे चार्टर्ड अकाउंटेंट और कभी पूरे स्टॉक ब्रोकर रहे निशान्त, आप सब की ही तरह, परिवार और रिश्तों तो अहमियत देते हैं लेकिन व्यक्तिगत आज़ादी भी इनके लिए उतनी ही महत्वपूर्ण है। इनसे बात करना आपको सुकून देता है लेकिन इनके विचार आपको भीतर तक परेशान कर क्या मुझे इंटरएक्टिव ब्रोकर्स का उपयोग करना चाहिए? सकते हैं, झकझोर सकते हैं। इन्हें शुरु से ही पढ़ने क्या मुझे इंटरएक्टिव ब्रोकर्स का उपयोग करना चाहिए? का काफी शौक है और कुछ-कुछ लिखते भी रहते क्या मुझे इंटरएक्टिव ब्रोकर्स का उपयोग करना चाहिए? हैं। इनकी लिखी कहानी “बायोलॉजिकल मदर” उनकी चर्चित कहानियों में क्या मुझे इंटरएक्टिव ब्रोकर्स का उपयोग करना चाहिए? शुमार है।

2017 में एक बीमारी के बाद इन्होनें अपने पारिवारिक प्रकाशन में दिलचस्पी लेनी शुरु की और कम समय में ही उसे एक मुकाम पर स्थापित करने की दिशा में तेज़ी से अग्रसर हैं। जब भी इन्हें फुर्सत मिलती है तो शोर-शराबे से दूर, प्रकृति की एकांत गोद में खुद को महफूज़ रख लेते हैं।

आपको ये किताब क्यों पढ़नी चाहिए?

यदि थ्रिलर जैसी कहानियाँ आपको पसंद हैं तो बिलकुल आपको ये पुस्तक पढनी चाहिए लेकिन आपको मैं बताता चलूँ कि ये शोर पढने के लिए आपको सिर्फ यही एक क्या मुझे इंटरएक्टिव ब्रोकर्स का उपयोग करना चाहिए? कारण नहीं है। जीवन में रिश्तों की महत्व, पिता का प्यार, दोस्त और प्रेम भी बहुत महत्वपूर्ण होते हैं और इन सभी बातों और रिश्तों का ज़िक्र और उनकी व्याख्या भी इसमें ख़ूब मिलती हैं। अमीर, जो गरीब के बारे में सोचता है और गरीब, जो अमीर के बारे में सोचता है; ज़रूरी नहीं कि वैसा ही हो। बहुर संभावना है कि अलग हो सकता है और इस बारे में भी इस पुस्तक में आपको पढने को मिल सकता है; और ये शोर पढ़ते हुए आपको पता चलेगा कि एक पिता का प्यार उसके बच्चों के लिए उससे क्या-क्या करवा सकता है।

आपको किताब में क्या कमी लग सकती है?

मुझे नहीं लगता कि इस शोर में इतनी कुछ ज़यादा बातें हैं जो कमी लगे लेकिन दो बातें मैं ज़रूर लिखूंगा जो आपको कमी लग सकती है। बहुत सारी जगहों पर वर्तनी की त्रुटियाँ आपको रोक देती हैं और आप उलझ से जाते हैं; आपके पढने के लय में एक ठोकर लगता है लेकिन ये बहुत कम जगहों पर हैं और इसमें सुधर की ज़रूरत है।

दूसरा ये कि इसमें कई किरदार हैं जो अचानक से आ जाते हैं तो जब कहानी शुरू होती है और एक साथ कई किरदार आ जाते हैं तो थोडा सा उबाऊ लगने लगता है क्योंकि फिर उन्हें समझने के लिए सोचना पढने लगता है। ऐसा हो सकता था कि सभी किरदार को थोडा-थोडा समय बाद या उनकी व्याख्या के लिए इतना समय दिया जाता कि कहानी पढ़ते समय ही उन्हें अपने ज़ेहन में बिठा सकतें।

इस किताब से कुछ पंक्तियां जो बेहद ख़ूबसूरत हैं.

“कोई आदमी गुस्से में सोचता है कि वो फलां को मर देगा लेकिन जब ऐसा करने की बारी आती है तब अक्सर उस शख्स की अच्छाईयाँ उसे बुरा बनने क्या मुझे इंटरएक्टिव ब्रोकर्स का उपयोग करना चाहिए? से रोकती हैं; उसे उसके भविष्य का वास्ता देती हैं।”

“पता नहीं इन्सान कैसे दूसरों की इज्ज़त से खेल कर अपने मान-सम्मान की बात सोच सकत है।”

“कामयाबी समय के साथ मिल ही जाती है लेकिन वक़्त के साथ कामयाबी हासिल करने के लिए जिस सहनशीलता की ज़रूरत होती है वो आज-कल के लोगों के स्वभाव और व्यक्तिगत में मिल पाना बहुत मुश्किल है।”

“वैश्या वो नहीं होती जो पैसों के लिए सेक्स करती है, वो भी वैश्या ही होती है जो पैसों के अलावा, अपने फायदे के लिए अलग-अलग मर्दों के साथ सेक्स करती है।”

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