कमाई का मौका! HDFC MF के खुल गए 2 नए फंड, महज ₹500 से शुरू कर सकते हैं निवेश
Mutual fund NFOs: म्यूचुअल फंड कंपनी HDFC म्यूचुअल फंड (HDFC Mutual Fund) ने अपने स्मार्ट बीटा ईटीएफ पोर्टफोलियो का विस्तार किया है. फंड हाउस ने इस कैटेगरी में और 2 NFOs (New Fund Offer) लॉन्च किए हैं.
Mutual fund NFOs: म्यूचुअल फंड कंपनी HDFC म्यूचुअल फंड (HDFC Mutual Fund) ने अपने स्मार्ट बीटा ईटीएफ पोर्टफोलियो का विस्तार किया है. फंड हाउस ने इस कैटेगरी में और 2 NFOs (New Fund Offer) लॉन्च किए हैं. कंपनी के दोनों इंडेक्स फंड HDFC निफ्टी 200 मोमेंटम 30 ईटीएफ (HDFC NIFTY200 Momentum 30 ETF) और HDFC निफ्टी100 लो वॉलेटाइल 30 ईटीएफ (HDFC NIFTY100 Low Volatility 30 ETF) का सब्सक्रिप्शन 26 सितंबर को खुल गया है. निवेशक इसमें 6 अक्टूबर 2022 तक बोली लगा सकते हैं. ये दोनों ओपन एंडेड फंड हैं. यानी, इनमें से निवेश जब चाहें पैसा निकाल सकते हैं.
₹500 से शुरू कर क्या प्लस 500 लंबी अवधि के निवेश के लिए है सकते हैं निवेश
एचडीएफसी म्यूचुअल फंड की दोनों स्कीम में मिनिमम 500 रुपये से निवेश शुरू कर सकते हैं. इसके बाद 1 रुपये के मल्टीपल में पैसा लगाया जा सकता है. HDFC निफ्टी 200 मोमेंटम 30 ईटीएफ का बेंचमार्क इंडेक्स Nifty 200 Momentum 30 TRI और HDFC निफ्टी100 लो वॉलेटाइल 30 ईटीएफ का NIFTY 100 Low Volatility 30 TRI है.
फंड हाउस का कहना है कि स्मार्ट बीटा निवेश में स्टॉक चयन और वेइटिंग शामिल है. स्मार्ट बीटा ईटीएफ - निफ्टी 200 मोमेंटम 30 ईटीएफ और निफ्टी100 लो वॉलेटाइल 30 ईटीएफमें शामिल सूचकांकों ने निफ्टी 200, 100 100 और निफ्टी 50 टीआरआई की तुलना में 1, 3, 5 और 10 साल के लिए हाई एवरेज औसत रोलिंग रिटर्न दिया है.
किसे करना चाहिए निवेश
HDFC AMC के एमडी एंड सीईओ नवनीत मुनोट ने कहा, "स्मार्ट बीटा निवेश ग्लोबल स्तर पर लोकप्रिय है और एयूएम लगातार बढ़ रहा है. एचडीएफसी एएमसी अनुभव आधारित रिसर्च पर आधारित है. स्मार्ट बीटा ईटीएफ कम लागत पर पोर्टफोलियो के वन-शॉट डायवर्सिफिकेशन मिलता है. यह ऐसे निवेशकों के लिए लाभदायक है, जो लंबी अवधि में रिटर्न चाहते हैं. फंड हाउस के पास पैसिव फंड्स के मैनेजमेंट में 20 साल का अनुभव है.
क्या होते हैं स्मार्ट बीटा फंड?
स्मार्ट बीटा फंड दरअसल एक्टिव और पैसिव के बीच का एक फंड होता है. इसमें पैसिव फंड की तरह एक इंडेक्स फंड बनाया जाता है. इसके अलावा, फंड मैनेजर इसमें एक्टिव फंड की तरह शेयरों के वेटेज में बदलाव या किसी तय पैटर्न पर नया इंडेक्स जैसे छोटे-छोटे बदलाव करते रहते हैं. इसका मकसद स्कीम में रिस्क को कम करना और रिवार्ड को बनाए रखना होता है. इसमें एक्टिव फंड्स की तुलना में खर्च कम रहता है. बेंचमार्क इंडेक्स से ज्यादा रिटर्न मिल सकता है.
(डिस्क्लेमर: म्यूचुअल फंड में निवेश बाजार के जोखिमों के अधीन है. निवेश से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें.)
Investment Tips: उम्र और जरूरत के हिसाब से एसेट एलोकेशन पर करें फोकस, नए साल में अपनाएं ये स्ट्रैटेजी
Investment Tips: बीते साल बाजार में काफी उतार चढ़ाव देखने को मिला है. जियो पॉलिटिकल टेंशन, महंगाई, रेट हाइक, संभावित मंदी जैसे फैक्टर बाजार में हावी रहे. बाजार ने 2022 में मिक्स्ड रिटर्न दिया है. अब जब साल 2023 शुरू होने जा रहा है तो निवेशकों को अपनी क्या स्ट्रैटेजी रखनी चाहिए?
आइडियल एसेट एलोकेशन किस तरह का हो? (Photo- Pixabay)
Investment Tips: साल 2022 अब खत्म होने वाला है और नए साल की शुरुआत ऐसे समय में हो रही है, जब शेयर बाजार अपने रिकॉर्ड हाई के करीब ट्रेड कर रहे हैं. हालांकि बीते साल बाजार में काफी उतार चढ़ाव देखने को मिला है. जियो पॉलिटिकल टेंशन, महंगाई, रेट हाइक, संभावित मंदी जैसे फैक्टर बाजार में हावी रहे. बाजार ने 2022 में मिक्स्ड रिटर्न दिया है. अब जब साल 2023 शुरू होने जा रहा है तो निवेशकों को अपनी क्या स्ट्रैटेजी रखनी चाहिए? आने वाले कुछ सालों में निवेश की कौन सी थीम बेहतर साबित हो सकती है. आइडियल एसेट एलोकेशन किस तरह का हो? आइए जानते हैं इसके बारे में सबकुछ.
ये इन्वेस्टमेंट थीम हो सकती बेहतर
PGIM इंडिया म्यूचुअल फंड के CIO श्रीनिवास राव रावुरी भारत खुद ही वैश्विक परिप्रेक्ष्य से एक उभरती हुई निवेश थीम है. भारत अभी विश्व स्तर पर 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और परचेजिंग पावर पैरिटी (PPP) के मामले में तीसरे नंबर पर है. वैश्विक क्षेत्र में और विशेष रूप से उभरते बाजारों में भारत का महत्व और प्रासंगिकता बढ़ी है. यह ट्रेंड अभी जारी रहने का अनुमान है.
भारत में राजनीतिक स्तर पर स्थिरता दिख रही है, कंजम्पशन मजबूत है और सरकार द्वारा रिफॉर्म जारी है, जिससे बाजार को सपोर्ट मिलता दिख रहा है. ऐसे में अगले दशक में भारत में निवेश में तेजी आएगी. दूसरी थीम भारत में मैन्युफैक्चरिंग (Manufacturing) क्षमता बढ़ना है. अस्थिर जियो पॉलिटिकल स्थिति, कच्चे माल की अनिश्चितता और डाइवर्सिफाइंग सोर्सिंग की आवश्यकता को देखते हुए, चाइना प्लस वन स्ट्रैटेजी में बढ़ोतरी देखी जानी चाहिए.
हमारी GDP का योगदान सर्विसेज की ओर बहुत ज्यादा झुका हुआ है और ग्रोथ का अगला फेज प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) और डोमेस्टिक मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा जैसी योजनाओं द्वारा सहायता प्राप्त मैन्युफैक्चरिंग से आना चाहिए. तीसरी थीम प्रति व्यक्ति आय में बढ़ोतरी के आधार पर कंजम्पशन पर होगा. जैसे-जैसे भारत की अधिक से अधिक आबादी आर्थिक रूप से आगे बढ़ती है, कंजम्पशन की मात्रा और क्वालिटी दोनों में ग्रोथ देखी जाती है. यह ट्रेंड संबद्ध क्षेत्रों जैसे कि फाइनेंशियल, डिजिटलाइजेशन क्या प्लस 500 लंबी अवधि के निवेश के लिए है में भी फ्लो होती है.
SIP के जरिए निवेश रखें जारी
किसी भी निवेशक और विशेष रूप से रिटेल निवेशकों के लिए बाजार में समय बिताने की तुलना में टाइमिंग अधिक महत्वपूर्ण है. छोटी अवधि की अस्थिरता से निपटने के लिए SIP सही तरीका है और निवेशकों को SIP के जरिए निवेश जारी रखना चाहिए. छोटी अवधि में बाजार अस्थिर हो सकता है, हालांकि लंबी अवधि में अस्थिरता बहुत कम होती है. अगर आपका लक्ष्य लंबी अवधि का है तो अस्थिरता के दौरान बेहतर यह है कि डेली बेसिस पर पोर्टफोलियो को न देखें. निवेश को पेशेवर फंड मैनेजरों पर छोड़ दें.
निवेशकों को उम्र के हिसाब से एसेट एलोकेशन पर ध्यान देना चाहिए जिससे लक्ष्य आधारित कॉर्पस जमा करने में मदद मिलती है. साथ ही रिटायरमेंट जैसी लंबी अवधि की जरूरतों को पूरा किया जा सकता है. अगर आपके पास विश्वसनीय और सक्षम एडवाइजर है तो वित्तीय चिंता कम हो जाती है. वहीं इससे फाइनेंशियल फ्रीडम भी हासिल करने में मदद मिलती है.
डाइवर्सिफिकेशन के जरिए रिस्क करें कम
भारतीय बाजारों ने पिछले दिनों अन्य ग्लोबल मार्केट की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है. हालांकि वैल्युएशन सस्ते नहीं हैं, लेकिन बहुत हाई भी नहीं हैं, क्योंकि भारत में आय में भी अच्छी ग्रोथ देखी गई है. जियो पॉलिटिकल टेंशन, कमोडिटी की कीमतों में अस्थिरता, सप्लाई चेन को लेकर अनिश्चितता, महंगाई और आगामी रेट हाइक जैसे जोखिम बाजार में बने रह सकते हैं. हालांकि इनमें से अधिकांश वैश्विक या अस्थायी प्रकृति के हैं. फिलहाल, जोखिम इक्विटी निवेश का एक हिस्सा है. हमें इसे स्वीकार करना चाहिए हैं और डाइवर्सिफिकेशन के जरिए उन्हें कम करने का प्रयास करना चाहिए.
PGIM इंडिया म्यूचुअल फंड में, हर फंड मैनेजर को फंड के मैनडेट और उनके विचारों के अनुसार स्वतंत्र निर्णय लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. यह विशेष रूप से पोर्टफोलियो के दोहराव और हमारे द्वारा किसी भी सेक्टर/स्टॉक में अधिक निवेश से बचने के लिए किया जाता है. इसलिए इस सवाल का कोई जवाब नहीं है. हालांकि, सामान्य तौर पर हम फाइनेंशियल (एसेट क्वालिटी में सुधार क्रेडिट ग्रोथ में सुधार) और इंडस्ट्रियल्स (घरेलू मैन्युफैक्चरिंग पुश) पर पॉजिटिव है, जबकि एफएमसीजी, एनर्जी और यूटिलिटीज पर अंडरवेट लेकिन अंडरवेट रहे हैं.
पहली बार निवेश करने वालों के लिए टिप्स
पहली बार निवेश करने वालों के लिए, लंबी अवधि के लक्ष्य के साथ अपेक्षाकृत कम अस्थिरता, डाइवर्सिफाइड प्रोजेक्ट में निवेश करना सही स्ट्रैटेजी होगा. डायवर्सिफाइड/फ्लेक्सी कैप, ELSS और लार्ज कैप फंड सही विकल्प हो सकते हैं. ELSS कटेगिरि को 3 साल के लॉक इन से लाभ मिलता है. उम्र और अन्य प्रतिबद्धताओं के आधार पर, निवेशकों को अपनी जोखिम लेने की क्षमता/उम्र और व्यक्तिगत आवश्यकताओं के अनुसार मिड और स्मॉल कैप फंड या बैलेंस्ड/हाइब्रिड फंड में पैसा लगाना चाहिए.
इक्विटी मार्केट से आपने क्या सीखा?
प्रमुख सीख में से एक है, उत्साह से दूर न होना. यह सामान्य तौर पर किसी भी स्टॉक, सेक्टर या बाजार में हो सकता है. बाजार अत्यधिक आशावाद और निराशावाद की अवधि के बीच स्विंग करता है. उम्मीदों को सामान्य और व्यावहारिक बनाए रखने से इन सीमाओं से लाभ उठाने में मदद मिलती है. दूसरा रीजनेबल प्राइस यानी उचित कीमतों पर ग्रोथ रिस्क रिवार्ड को काफी हद तक बैलेंस करता है और लंबी अवधि के अल्फा बनाने में मदद करता है. ओवर लिवरेज, निवेश की कैश फ्लो पैदा करने की क्षमता की कमी और संदिग्ध कॉर्पोरेट प्रशासन जैसे जोखिमों से बचें. इन जोखिमों को ध्यान में रखते हुए, पोर्टफोलियो में बड़ी गलतियां करने से बचने में मदद मिलती है.
निवेश के लिए कैसा है फ्रेंकलिन इंडिया प्राइमा प्लस फंड?
निवेशकों को म्यूचुअल फंड्स स्कीम की जानकारी देने के लिए ईटी ने वैल्यू रिसर्च के साथ हाथ मिलाया है. आज हम बात करेंगे फ्रेंकलिन इंडिया प्राइमा प्लस फंड की.
कैसा रहा है प्रदर्शन
इस फंड ने पिछले 10 सालों में 10.89 फीसदी का रिटर्न दिया है, जो बेंचमार्क (5.86 फीसदी) और कैटेगरी (8.9 फीसदी) से काफी बेहतर नजर आता है.
10 साल पहले इस फंड में लगाए गए 10,000 रुपये की वैल्यू आज 28,106 रुपये हो जाती. कैटेगरी के औसत के हिसाब से यह 23,447 रुपये और इंडेक्स के लिहाज से 17,675 रुपये ही रहते.
साल-दर-साल का प्रदर्शन
बीते एक साल और तीन साल के अनुसार, फंड का प्रदर्शन फीका रहा है.
वार्षिक प्रदर्शन
साल 2014 और 2015 यह फंड उम्मीद से काफी कमजोर रहा और निवेशकों को निराश किया.
कहां करता है निवेश?
इक्विटी पर दांव खेलने वाला यह फंड क्या प्लस 500 लंबी अवधि के निवेश के लिए है निवेश में लार्जकैप कंपनियों को तरजीह देता है. स्मॉलकैप की हिस्सेदारी बेहद कम है. सेक्टर के आधार पर वित्तीय सेक्टर इसका पसंदीदा सेक्टर है. शेयर की बात की जाए एचडीएफसी, इंफोसिस, भारती एयरटेल, आईसीआईसीआई बैंक और एलएंडटी इसकी चेहते शेयर हैं.
क्या है जोखिम?
बीते कुछ सालों में फंड का रिस्क-रिटर्न अनुपात घटा क्या प्लस 500 लंबी अवधि के निवेश के लिए है है.
मुख्य बातें
शुरुआत की तारीख: 29 सितंबर 1994
कैटेगरी: इक्विटी
प्रकार: मल्टीकैप
औसत एयूएम: 12,265.79 करोड़ रुपये
बेंचमार्क: निफ्टी 500 इंडेक्स
क्या है कीमत (एनएवी)
ग्रोथ विकल्प: 606 रुपये
डिविडेंड विकल्प: 44 रुपये
न्यूनतम निवेश: 5,000 रुपये
न्यूनतम एसआईपी: 500 रुपये
खर्च अनुपात: 2.24 फीसदी
एग्जिट लोड: 1 फीसदी (365 दिनों से पहले बाहर निकलने पर)
नोट: यह जानकारी 9 जनवरी 2018 के आंकड़ों के आधार पर है
फंड प्रबंधक: आर जानकीरमण और आनंद राधाकृष्णन
अवधि: 6 साल, 10 महीने और 10 साल, 7 महीने (क्रमानुसार)
शिक्षा: बीई, पीजीडीएम और बीटेक, सीएफए और पीजीडीएम (क्रमानुसार)
क्या आपको करना चाहिए निवेश?
दीर्घावधि में इस फंड का रिकॉर्ड शानदार रहा है, मगर बीते कुछ सालों में इस फंड का प्रदर्शन कुछ सुस्त पड़ा है. इस फंड ने 2010 के बाद अपनी कैटेगरी के ज्यादातर फंड्स से बेहतर प्रदर्नन किया है. इसकी वजह यह है कि अन्य फंड्स ने मिडकैप सेक्टर को ज्यादा तवज्जो दी है.
ग्रोथ की ओर नजर रखने वाले इस पंड के प्रबंधक आसानी सेक्टर आधारित दांव खेल सकते हैं. दो सालों में इस फंड ने अपना पोर्टफोलिय हल्का किया क्या प्लस 500 लंबी अवधि के निवेश के लिए है है. यदि लंब समय के लिए दांव खेलना चाहते हैं, तो इस फंड में निवेश किया जा सकता है.
Mutual Fund SIP : हर महीने 500 रुपए जमा क्या प्लस 500 लंबी अवधि के निवेश के लिए है करके लाखों का फंड कैसे बनाएं, पढ़िए निवेश रणनीति
अगर लंबी अवधि के लिए निवेश करना चाहते हैं तो म्यूचुअल फंड एक अच्छा विकल्प नजर आता है. अच्छी बात यह है कि इतने लंबे समय . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : June 01, 2022, 08:10 IST
Mutual Fund SIP : पिछले कुछ सालों से म्यूचुअल फंड पसंदीदा निवेश विकल्पों में से एक बनकर उभरा है. Mutual Fund SIP में निवेश करने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी है. एफडी में घटती ब्याज दर और म्यूचुअल फंड में अच्छा रिटर्न लोगों को इस तरफ आकर्षित कर रहा है. अगर लंबी अवधि के लिए निवेश करना चाहते हैं तो म्यूचुअल फंड एक अच्छा विकल्प नजर आता है.
निवेश अवधि 20 या 25 साल या उससे अधिक की है, तो बेहिचक म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं. अच्छी बात यह है कि इतने लंबे समय में आपकी छोटी-छोटी निवेश राशि एक बड़ा फंड बन जाएगी. यहां हम आपको बताएंगे कि 500 रु का मासिक निवेश 30 साल तक में कितना बन सकता है.
एसआईपी है बेस्ट
म्यूचुअल फंड में एसआईपी निवेश का सबसे अच्छा तरीका माना जाता है. रिटर्न की बात करें तो लंबी अवधि में अधिकतर फंड्स का सालाना एसआईपी रिटर्न 12 फीसदी या इससे ज्यादा रह सकता है. हम यहां इसी रिटर्न के आधार पर निवेश राशि की गणना करेंगे. एसआईपी का फायदा यह भी है कि आपको बाजार में डायरेक्ट निवेश के जोखिम का सामना नहीं करना होता.
20 साल का फंड
यदि आप 500 रुपये की मंथली एसआईपी शुरू करते हैं तो एसआईपी कैलकुलेटर के अनुसार 12 फीसदी सालाना औसत रिटर्न पर करीब 5 लाख रुपये का क्या प्लस 500 लंबी अवधि के निवेश के लिए है फंड बना सकते हैं. इनमें आपका 20 साल में कुल निवेश 1.20 लाख रु होगा. जबकि अनुमानित रिटर्न का राशि 3.79 लाख रुपये होगी. यदि आपको ज्यादा रिटर्न मिला तो ये राशि बड़ी हो सकती है.
25 साल का फंड
एसआईपी कैलकुलेटर के मुताबिक 500 रुपये की एसआईपी यदि 25 साल तक जारी रखी जाए तो आप करीब 9.5 लाख रुपये का फंड बना सकते हैं. इसमें आपका 25 साल में कुल निवेश 1.50 लाख रुपये होगा, जबकि अनुमानित रिटर्न की राशि करीब 8.5 लाख रु रुपये होगी.
30 साल का फंड
एसाईपी कैलकुलेटर के मुताबिक 500 रुपये की एसआईपी 30 साल तक जारी रखने पर 17.65 लाख रुपये का फंड बना सकते हैं. इसमें आपका 30 साल में कुल निवेश 1.80 लाख रुपये होगी, जबकि अनुमानित रिटर्न राशि 15.85 रुपये होगी.
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Mutual Fund SIP: इन 7 फंड ने 5 साल में दिया 30% तक रिटर्न, 500 रुपये से कर सकते हैं SIP
अगर आप शेयर बाजार में पैसा लगाना चाहते हैं. लेकिन शेयर बाजार के बारे में आपको पूरी जानकारी नहीं है तो फिर म्यूचुअल फंड के जरिये शेयर बाजार में निवेश कर सकते हैं. नए निवेशकों के लिए इक्विटी म्यूचुअल फंड (SIP) बेहतर विकल्प साबित हो सकता है. पिछले 5 वर्षों में तमाम उतार-चढ़ाव के बावजूद कई म्यूचुअल फंड ने निवेशकों को 30 फीसदी तक सालाना रिटर्न दिया है.
दरअसल, SIP की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसके जरिए इक्विटी म्यूचुअल फंड में एकमुश्त पैसे लगाने के बजाय हर महीने एक छोटी सी राशि निवेश की सुविधा मिल जाती है. आप म्यूचुअल फंड निवेश की समीक्षा भी कर सकते हैं, और उस आधार पर निवेश बढ़ाने या घटाने का फैसला ले सकते हैं. आज हम आपको पिछले 7 ऐसे म्यूचुअल फंड के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसने शानदार रिटर्न दिया है.
Mirae Asset Emerging Bluechip Fund
रिटर्न (1 साल)- 60.53%
रिटर्न (3 साल)- 33.55%
रिटर्न (5 साल)- क्या प्लस 500 लंबी अवधि के निवेश के लिए है 23.94%
कम से कम SIP: 1000 रुपये
PGIM India Midcap Opportunities Fund
रिटर्न (1 साल)- 91%
रिटर्न (3 साल)- 48.47%
रिटर्न (5 साल)क्या प्लस 500 लंबी अवधि के निवेश के लिए है -29.05%
कम से कम SIP: 1000 रुपये
Quant Active Fund
रिटर्न (1 साल)- 90.46%
रिटर्न (3 साल)- 46.32%
रिटर्न (5 साल)- 30.42%
कम से कम SIP: 1000 रुपये
Kotak Small Cap Fund
रिटर्न (1 साल)- 110.99%
रिटर्न (3 साल)- 47.19%
रिटर्न (5 साल)- 27.42%
कम से कम SIP: 1000 रुपये
Axis Small Cap Fund
रिटर्न (1 साल)- 89%
रिटर्न (3 साल)- 41.74%
5 साल का SIP रिटर्न: 28%
कम से कम SIP: 1000 रुपये
SBI Small Cap Fund
रिटर्न (1 साल)- 79.62%
रिटर्न (3 साल)- 38%
रिटर्न (5 साल)- 25.1%
कम से कम SIP: 500 रुपये
HDFC Small Cap Fund
रिटर्न (1 साल)- 106.58%
रिटर्न (3 साल)- 35.89%
रिटर्न (5 साल)- 22.क्या प्लस 500 लंबी अवधि के निवेश के लिए है 26%
कम से कम SIP: 500 रुपये
(नोट: किसी भी म्यूचुअल फंड में निवेश से पहले वित्तीय सलाहकार की मदद जरूर लें, बिना जानकारी निवेश से बचें.)
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