क्रिप्टोकरेंसी बाजार में भारी गिरावट
वर्ष 2018 की शुरुआत में भी आभासी मुद्रा (क्रिप्टोकरेंसी) बाजार बुलबुले की तरह तेजी से फट गया। आभासी मुद्राओं की कीमतें और बाजार पूंजीकरण अपने सर्वोच्च स्तर से दो तिहाई कम हो चुकी है। वहीं, भारत ने यह कहकर इस बुलबुले में एक और पिन चुभा दी कि क्रिप्टोकरेंसी मान्य मुद्रा नहीं है और इसे लेनदेन का माध्यम नहीं बनाया जा सकता। हालांकि प्रमुख बिटकॉइन एक्सचेंजों पर क्रिप्टोकरेंसी की कुल मात्रा को देखने से लगता है कि सिलसिला अभी थमा नहीं है। दिसंबर 2017 में क्रिप्टो करेंसी पर एक अंतिम चेतावनी बिटकॉइन की कीमत लगभग 15 लाख रुपये थी जो मंगलवार दोपहर 4.28 लाख रुपये पर पहुंच चुकी है तथा अंतरराष्ट्रीय बाजार में 6,100 डॉलर के करीब बनी हुई है।
वहीं, कुछ जगह यह 6,000 डॉलर से भी नीचे जा चुकी है। बिटकॉइन का बाजार पूंजीकरण घटकर 108 खरब डॉलर पर क्रिप्टो करेंसी पर एक अंतिम चेतावनी आ गया है। भारत में बजट 2018-19 भाषण के ठीक बाद भारतीय क्रिप्टो एक्सचेंजों पर कुछ देर के लिए तेजी से बिक्री हुई जिससे कीमतें गिर गईं। इस कारण, अनेक निवेशक जो दाम कम होने का इंतजार कर रहे थे, बाजार में आ गए और भारतीय क्रिप्टो एक्सचेंजों पर करेंसी वॉल्यूम तेजी से बढ़ा। सरकारी अधिकारियों का कहना है कि भारत में क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज के लिए नियम अंतिम चरण में हैं और एक्सचेंज भी इनका इंतजार कर रहे हैं।
भारत में बिटकॉइन एक्सचेंज जेबपे के प्रमुख निश्चिंत सांघवी कहते हैं, 'हम बिटकॉइन की कीमतों में अस्थिरता को लेकर अपने उपभोक्ताओं को लगातार क्रिप्टो करेंसी पर एक अंतिम चेतावनी शिक्षित कर रहे हैं और संबंधित चेतावनी भी जारी कर रहे हैं। हम उपयोगकर्ताओं को क्रिप्टोकरेंसी संबंधित तकनीक समझने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। बजट भाषण के 1-2 घंटे बाद क्रिप्टोऐसेट्स की कीमतें स्थिर हो गई थी और अब वैश्विक कारकों से प्रभावित हो रही हैं। इस सप्ताह वैश्विक एक्सचेंजों में क्रिप्टो करेंसी पर एक अंतिम चेतावनी करेंसी वॉल्यूम बढ़ा है और भारत में भी इसी तरह का रुख देखने को मिला। साथ ही, हम चाहते हैं कि इस वर्ष तक आभासी मुद्रा का नियमन हो जाए।'
जेबपे की वेबसाइट पर बताया गया है कि वर्तमान में इसके 30 लाख से अधिक यूजर हैं और इस कारण जेबपे भारत का सबसे बड़ा बिटकॉइन एक्सचेंज होने का दावा करता है। जेबपे ने हाल ही में लाइटकॉइन में भी ट्रेडिंग शुरू की है लेकिन तब से इसकी कीमतें लगाीतार गिर रही हैं। जो निवेशक अक्टूबर-नवम्बर 2017 के समय इस बाजार में आए, वे अभी भी लाभ में हैं लेकिन इसके बाद निवेश करने वालों को बहुत अधिक हानि का सामना करना पड़ रहा है।
भारत के एक दूसरे बिटकॉइन एक्सचेंज यूनोकॉइन के संस्थापक और मुख्य कार्याधिकारी सात्विक विश्वनाथ कहते हैं, 'हम खरीदारों का ऐसा समूह देख सकते हैं जो कम कीमत पर बिटकॉइन खरीदना चाहते थे लेकिन अब तो रोज कीमतें कम हो रही हैं। क्रिप्टो बाजार में इस तरह की अस्थिरता और करेक्शन नए नहीं हैं लेकिन बाजार में आए नए निवेशक इसे पहली बार महसूस कर रहे हैं। इन नए निवेशकों से वॉल्यूम अधिक प्रभावित नहीं हुआ है।'
भारत के अनेक एक्सचेंजों ने अपनी तकनीक में सुधार किया है जिससे तरलता बढ़ी तथा खरीद-बिक्री कीमत के बीच का अंतर 3-4 प्रतिशत से कम होकर लगभग समाप्त हो गया। इस अंतर में कमी से दैनिक रूप से ट्रेडिंग करने वालों को काफी सहायता मिली। बंगलूरु के स्टार्टअप वीलूप नेटवक्र्स अनेक वर्ष से ओवरसीज सेवाओं के लिए बिटकॉइन में शुल्क ले रही है।
कंपनी के संस्थापक और बिटकॉइन निवेशक अशरिथ गोविंद कहते हैं, 'हम वर्तमान के औसत पर कीमतें रखेंगें जो बिटकॉइन के सर्वोच्च स्तर से 60 प्रतिशत कम हैं। इससे हम अपना बिटकॉइन पोर्टफोलियो बढ़ाएंगे।' वह कहते हैं, ' कीमतें गिर रही हैं तथा अभी और गिरावट आ सकती है। लेकिन मुझे भरोसा है कि लंबे समय में बिटकॉइन की कीमतों में तेजी आएगी।' कई निवेशक कीमतें कम होने पर खरीदारी करते हैं जिससे उनका पोर्टफोलियो और एक्सचेंज का वॉल्यूम, दोनों बढ़ जाता है। आभासी मुद्रा पर भारत में बजट भाषण तथा जापानी बिटकॉइन एक्सचेंज के हैक होने की खबरों के बाद कीमतें गिरती गईं।
क्रिप्टोकरंसी को लेकर सरकार का महत्वपूर्ण संकेत
भारत में क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध वाले तमाम दावों को बताया अफवाह
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीताराम ने क्रिप्टोकरेंसी के लिए प्रस्तावित मसौदा विधेयक पर आज एक महत्वपूर्ण अपडेट दिया है। निर्मला सीताराम ने राज्यसभा में उन तमाम अफवाहों को गलत बताया कि जिसमें बताया जा रहा था कि भारत में क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा। इस घोषणा के बाद से कि मोदी सरकार संसद में एक क्रिप्टो बिल पेश करेगी, ऐसी खबरें आई हैं कि भारत सरकार देश में क्रिप्टो के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रही है। लेकिन अब वित्त मंत्री सीतारमण का बयान इससे अलग मामला बता रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार जल्द ही क्रिप्टो पर एक नया बिल, "क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल, 2021" पेश करेगी। केंद्रीय मंत्रिमंडल से मंजूरी मिलने के बाद इसे संसद में पेश किया जाएगा। क्रिप्टोक्यूरेंसी पर पिछले बिल में बदलाव किए गए हैं।
आपको बता दें कि वर्तमान सरकार ने क्रिप्टो एक्सचेंजों द्वारा प्रदर्शित विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय नहीं लिया है। बिल पेश होने के बाद आने वाले दिनों में अंतिम फैसला लिया जाएगा। सीताराम ने निवेशकों को क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने की चेतावनी भी दी है और कहा है कि क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करते समय लोगों को सावधान रहना चाहिए। क्रिप्टोकरेंसी के उपयोग से अवांछित गतिविधि का जोखिम होता है और सरकार द्वारा इसकी निगरानी की जा रही है। इस पर कई स्तरों पर बहस हो रही है।
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RBI गवर्नर शक्तिकान्त दास ने क्रिप्टोकरेंसी को बताया स्पष्ट खतरा, 9वीं बार चेताया
भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India - RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने क्रिप्टकरेंसी को लेकर एक बार क्रिप्टो करेंसी पर एक अंतिम चेतावनी फिर आगाह किया है. उन्होंने क्रिप्टोकरेंसी को स्पष्ट खतरा बताया है. बीते कुछ समय में यह 9वीं बार है जब उन्होंने क्रिप्टोकरेंसी को लेकर चेतावनी क्रिप्टो करेंसी पर एक अंतिम चेतावनी दी है. RBI गवर्नर ने मैक्रोइकॉनॉमिक और वित्तीय स्थिरता जोखिमों का हवाला देते हुए क्रिप्टोकरेंसी के बारे में अपनी चिंता व्यक्त की है.
उन्होंने गुरुवार को कहा, बिना किसी अंतर्निहित के, विश्वास के आधार पर वैल्यू हासिल करने वाली किसी भी चीज़ को जोड़ना, केवल अटकलें हैं.
RBI की 25वीं वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (Financial Stability Report - FSR) ने कहा कि क्रिप्टो-एसेट इकोसिस्टम के बढ़ते खतरे को राष्ट्रीय अधिकारियों द्वारा कठोर दृष्टिकोण की आवश्यकता है.
भारतीय वित्तीय संस्थानों के लचीलेपन पर बात करते हुए, दास ने कहा कि हमें उभरते जोखिमों से बहुत सावधान रहना चाहिए. रिपोर्ट में कहा गया है, “क्रिप्टो-एसेट्स इकोसिस्टम का बढ़ता खतरा राष्ट्रीय अधिकारियों को चेतावनी दे रहा है कि कठोर रूख रखिए.
केंद्रीय बैंक ने आगे कहा कि क्रिप्टोकरेंसी एसेट मार्केट से जुड़ी कई कमजोरियों को उजागर किया गया है, जैसे कि क्रिप्टोकरेंसी एसेट मार्केट और रेग्यूलेटेड फाइनेंशियल सिस्टम के बीच तालमेल.
RBI क्रिप्टोकरेंसी के बारे में चिंता जताता रहा है. केंद्र विभिन्न हितधारकों और संस्थानों से इनपुट इकट्ठा करने के बाद क्रिप्टोकरेंसी पर एक परामर्श पत्र को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है.
आरबीआई ने कहा, "क्रिप्टो-एसेट्स द्वारा होने वाले जोखिमों की पहचान और मात्रा का निर्धारण डेटा गैप चुनौतियों का सामना करता है."
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है, "मुद्रास्फीति के बढ़ते दबाव के जवाब में मौद्रिक नीति के आक्रामक कड़े होने से वैश्विक तरलता की स्थिति में एक बड़ा बदलाव आया है और पुनर्स्थापन ने वैश्विक वित्तीय प्रवाह को प्रभावित करना शुरू कर दिया है."
आरबीआई ने कहा कि क्रिप्टोग्राफी और डिस्ट्रीब्यूटेड लेजर तकनीक द्वारा संचालित तकनीकी प्रगति ने क्रिप्टो और स्टेबलक्वॉइन जैसी नई डिजिटल एसेट का उदय किया है. यह मुख्य रूप से सट्टा निवेश के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं.
आपको बता दें कि, इससे पहले, फरवरी महीने में, RBI गवर्नर ने कहा था कि क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने वाले लोग अपने जोखिम पर ऐसा करें और उन्हें पता होना चाहिए कि इसके अन्दर कोई अंडरलेइंग एसेट या यूं कहे इसके अन्दर कोई वैल्यू नहीं है. 1600 के दशक में डच ट्यूलिप बल्ब एसेट बबल का जिक्र करते हुए उन्होंने क्रिप्टोकरेंसी की वैल्यू और उसके जोखिम को लेकर आगाह किया था.
सरकार के आधिकारिक समर्थन के बिना क्रिप्टोकरेंसी का भविष्य मूल्य के संदर्भ में अनिश्चित है
दुनिया भर में इसके चलन को देखते हुए भारत सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी को रेगुलेट करने के तरीकों पर चर्चा और बहस करना शुरू कर दिया है. आरबीआई खुद इस साल ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग करके भारत की अपनी सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) को जारी करने पर काम कर रहा है.
रिथवी सोमानी :- क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) के चलन और रेगुलेशन के प्रति भारत का रुख सब की समझ से क्रिप्टो करेंसी पर एक अंतिम चेतावनी बाहर है. 2013 में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने एक एहतियाती प्रेस विज्ञप्ति जारी कर निवेशकों को इस आभासी मुद्रा क्रिप्टोकरेंसी की अस्थिरता और वैधता को लेकर चेतावनी जारी की. क्रिप्टोकरेंसी उसके इस्तेमाल करने वालों के लिए भी गुमनाम जैसा ही होता है, ऐसे में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यूजर्स को इससे नुकसान के बारे में 2013 से लेकर अब तक आगाह करता आ रहा है.
2018 में जब क्रिप्टोकरेंसी के बारे में अटकलें सामने आने लगीं तब रिजर्व बैंक ने पहला औपचारिक सर्कुलर जारी किया जिसमें बैंकों और दूसरे वित्तीय संस्थानों को क्रिप्टोकरेंसी में लेनदेन में लगे या शामिल लोगों को किसी भी तरह की सुविधा देने से मना किया. तब नतीजा ये हुआ कि भारत में क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज जैसी सेवा देने वाले स्टार्टअप और कंपनियां बंद होने लगीं. हालांकि आरबीआई ने क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग (Cryptocurrency Trading) पर पूरी तरह से प्रतिबंध नहीं लगाया. इसका मतलब लगाया गया कि आपसी लेनदेन में व्यापारी अपने नेटवर्क में क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग कर सकते थे.
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने रिजर्व बैंक का उलटा रुख अख्तियार कर लिया. इंटरनेट और मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया बनाम भारतीय रिजर्व बैंक (2020 एससीसी ऑनलाइन एससी 275) के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने क्रिप्टोकरेंसी पर पूरी तरह से प्रतिबंध को खारिज कर दिया. कहा गया कि भले ही रिजर्व बैंक को वित्तीय क्षेत्र को रेगुलेट करने का अधिकार है लेकिन आभासी मुद्राओं पर प्रतिबंध लगाना एक शरारती कदम है. इस फैसले के बाद आरबीआई ने बैंकों से क्रिप्टो लेनदेन से संबंधित किसी भी सुविधा के लिए अपने केवाईसी और लोगों की जानकारी को लेकर गंभीरता से सोचने और जांच की एक और परत जोड़ने का आदेश दिया.
सेबी और दूसरे रेगुलेटर क्रिप्टो पर क्या कहते हैं?
भारतीय सुरक्षा और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने क्रिप्टोकरेंसी के किसी भी रूप में लेनदेन करने वाले लोगों और कंपनियों पर परेशानी व्यक्त की. हाल ही में त्योहारों के दौरान और खेल आयोजनों में विभिन्न क्रिप्टोकरेंसी को लेकर आक्रामक केंपेन और विज्ञापन अभियान चलाए गए जिससे क्रिप्टोकरेंसी में रेगुलेशन की परेशानी को हाइलाइट क्रिप्टो करेंसी पर एक अंतिम चेतावनी किया गया. बेहतर टीआरपी (बार्क) वाले टीवी चैनल या ज्यादा सर्कुलेशव वाले अखबार, डिजिटल प्लेटफॉर्म, बॉलीवुड हस्तियां, कुछ मिस करने को लेकर क्रिप्टो से संबंधित क्रिप्टो करेंसी पर एक अंतिम चेतावनी विज्ञापन जिनमें टर्म और कंडिशन काफी छोटे अक्षरों में लिखा होता हो देखने के बाद सेबी, रिजर्व बैंक और एडवरटाइजिंस काउंसिल ऑफ इंडिया समेत इस मामले से जुड़े दूसरे नियामक उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए आगे आए.
केंद्र का रुख अभी स्पष्ट नहीं
कथित तौर पर अत्यधिक लाभ और सुरक्षा के साथ अचानक क्रिप्टो विज्ञापनों की बाढ़ ने खुद प्रधानमंत्री को इस मुद्दे पर बैठक करने को मजबूर कर दिया. बावजूद इसके, क्रिप्टोकरेंसी के प्रति सरकार की धारणा अब भी स्पष्ट नहीं है. सरकार ने “आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विधेयक, 2021 का क्रिप्टोक्यूरेंसी और विनियमन” बिल पेश करने की अपनी योजना को अंतिम समय में बदल लिया. इस बिल में क्रिप्टोकरेंसी में किसी भी तरह के लेनदेन को अवैध बनाने का प्रावधान है. अब तक इस बारे में कोई स्पष्टता नहीं है कि विधेयक को दोबारा अपडेट करके संसद में कब और कैसे पेश किया जाएगा.
क्रिप्टोकरेंसी पर आगे क्या?
दुनिया भर में इसके चलन को देखते हुए भारत सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी को रेगुलेट करने के लिए तरीकों पर चर्चा और बहस करना शुरू कर दिया है. आरबीआई खुद इस साल ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग करके भारत की अपनी सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) को जारी करने पर काम कर रहा है. आधारभूत सुरक्षा की परतें होने के बावजूद रिजर्व बैंक की चिंता निराधार नहीं हैं. क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज और वॉलेट या उपयोगकर्ता के खाते हमेशा ब्लॉकचेन लेज़रों की तरह सुरक्षित नहीं होते हैं. यही कारण है कि पहले से बेची गई क्रिप्टोकरेंसी की चोरी की खबर कभी कभी आ जाती है.
मगर इसके साथ ही क्रिप्टोकरेंसी की सुरक्षा और गोपनियता किसी भी तरह की धोखाधड़ी, मनी लॉन्ड्रिंग या टैक्स में चोरी का पता लगाना मुश्किल कर देती है. एक केंद्रीय सर्वर में नहीं रख कर क्रिप्टोकरेंसी को एक विस्तृत गुमनाम नेटवर्क में रखा जाता है. अगर कभी किसी कारण से पर्सनल कंप्यूटर का डाटा मिट जाता है तो उसका कोई बैकअप कंप्यूटर की मेमोरी में नहीं रहता जिससे क्रिप्टोकरेंसी उपयोगकर्ता को परेशानी आती है.
ऐसा कहा जाता है कि कई क्रिप्टोकरेंसी को इस तरह से डिजाइन किया जाता है कि उसकी उपलब्धता (लिक्विडिटी) कम रहे. जटिल कंप्यूटर तकनीक को आगे बढ़ाना आसान नहीं होता और क्रिप्टोकरेंसी के संग्रह में काफी पेचीदगी होती है. इसलिए ऐसी स्थितियां होती हैं कि आपूर्ति मांग से कम रहती है. आम मुद्रा से एक्सचेंज के दौरान क्रिप्टोकरेंसी का भाव इसी कमी के मुताबिक तय होता है. इसी कारण बिटक्वाइन जैसी जानी-मानी क्रिप्टोकरेंसी के रेट में भी काफी तेजी से उतार-चढ़ाव देखने को मिलती है.
अपने पैसे को रखने के लिए ये बड़ी जोखिम वाला साधन है
क्रिप्टो किसी तरह का निवेश नहीं है, यह एक डिजिटल मुद्रा हैं जिसमें भविष्य में नकदी क्रिप्टो करेंसी पर एक अंतिम चेतावनी में बदलने का कोई साधन नहीं है. बगैर आधिकारिक समर्थन के क्रिप्टो जैसी मुद्रा अस्थिर हैं जिनका मूल्य कोई भी वित्तीय प्रणाली या संगठन सुनिश्चित नहीं करता. क्रिप्टो में मूल्य समुदाय निर्धारित करता है ऐसे में आने वाले समय में इसकी कीमत बेतहाशा भी बढ़ सकती है और शून्य भी हो जा सकती है. साफ है, निवेश के लिए क्रिप्टो एक बहुत ही बड़ी जोखिम वाला साधन है. बिटकॉइन, ईथर या डॉगकोइन जैसे क्रिप्टो में भी काफी ज्यादा जोखिम है. उन्हें अब भी खुद को एक औपचारिक मुद्रा के रूप में स्थापित करना है.
इनके अलावा डिजिटल मुद्राओं के पीछे उतने ही मूल्य की सोने, चांदी जैसी संपत्ति या कोई वस्तु नहीं होती जिनसे उनके मूल्य का निर्धारण हो. यह बिल्कुल सट्टे की तरह है और खुदरा निवेशकों को इससे तब तक दूर रहने की सलाह दी जाती है जब तक कि भारत सरकार इन्हें रेगुलेट करने का कोई सिस्टम लेकर सामने नहीं आती. क्रिप्टोकरेंसी क्रिप्टो करेंसी पर एक अंतिम चेतावनी में रातों रात भाव बढ़ने का मामला एक सपने की तरह होता है और जहां तक मूल्य का सवाल है, यह अब तक अनिश्चित है.
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