KFin Tech IPO: देश की सबसे बड़ी रजिस्ट्रार कंपनी का इश्यू आज खुलेगा, क्या इसे सब्सक्राइब करना ठीक है?
KFin Tech IPO: देश की सबसे बड़ी रजिस्ट्रार कंपनी का इश्यू खुला है लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक्सपर्ट्स ने इस इश्यू के बारे में क्या सलाह दी है. अगर आप इस इश्यू को सब्सक्राइब करना चाहते हैं तो पहले जानकारों की राय जरूर जान लें
Kfin Tech एसेट मैनेजर्स और कॉरपोरेट इश्यूअर्स को वित्तीय सेवाएं मुहैया कराने वाली देश की सबसे बड़ी रजिस्ट्रार और ट्रांसफर एजेंसी है
KFin Tech IPO Opening Date: पिछले कुछ दिनों में कई कंपनियों के IPO आए हैं। लेकिन आज जिस कंपनी का इश्यू खुल रहा है उसकी कोई लिस्टेड प्रतिद्वंदी कंपनी नहीं है। इस कंपनी का नाम है केफिन टेक (KFin Tech) । यह देश की सबसे बड़ी रजिस्ट्रार और ट्रांसफर एजेंसी (RTA) है। कंपनी का 1500 करोड़ रुपए का इश्यू 19 दिसंबर को खुलेगा और 21 दिसंबर को बंद होगा। कंपनी का IPO पूरी तरह ऑफर फॉर सेल (OFS) है। यानि इसमें कोई फ्रेश इश्यू जारी नहीं हो रहा है। कंपनी की प्रमोटर कंपनी जनरल अटलांटिक सिंगापुर (General Atlantic Singapore) अपनी हिस्सेदारी बेचने वाली है। IPO खुलने से पहले कंपनी ने 44 एंकर निवेशकों से 675 करोड़ रुपये जुटा लिए हैं और 366 रुपये के भाव पर उन्हें 1.84 करोड़ इक्विटी शेयर जारी हुए हैं। मार्केट एक्सपर्ट्स का रुझान इस इश्यू को लेकर फिलहाल पॉजिटिव नहीं दिख रहा है।
KFin Tech IPO की डिटेल्स
KFin Tech के IPO का इश्यू प्राइस 347-366 रुपए तय किया गया है। इसके इश्यू का लॉट साइज 40 शेयरों का है। इश्यू का 75 फीसदी हिस्सा क्वालिफाईड इंस्टीट्यूशनल बॉयर्स (QIB), 15 फीसदी हिस्सा नॉन-इंस्टीट्यूशनल इंवेस्टर्स (NII) और 10 फीसदी हिस्सा खुदरा निवेशकों के लिए आरक्षित है। आईपीओ की सफलता के बाद शेयरों का अलॉटमेंट 26 दिसंबर को फाइनल होगा और लिस्टिंग 29 दिसंबर को है। इश्यू के लिए रजिस्ट्रार बिगशेयर सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड है।
व्यापारियों को MSME दर्जे का फायदा: जानिए क्या है MSME की परिभाषा? कहां और कैसे करा सकते हैं रजिस्ट्रेशन? मिलेगी क्या-क्या रियायतें?
मोदी सरकार ने शुक्रवार को थोक और खुदरा व्यापारियों को MSME दायरे में लाने का ऐलान किया था। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बताया कि थोक और खुदरा व्यापारी अब प्रायोरिटी सेक्टर लेंडिंग के तहत आसानी से लोन ले सकेंगे। सरकार के फैसले से लगभग ढाई करोड़ खुदरा और थोक व्यापारियों को फायदा होगा।
इस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज ट्वीट करके कहा कि सरकार ने खुदरा और थोक व्यापार को MSME यानी सूक्ष्म, लघु एवं ट्रेडर्स में क्या क्या आता है? मध्यम उद्यमों के दायरे में लाकर बहुत बड़ा काम किया है। इससे करोड़ों व्यापारियों को आसानी से कर्ज मिल सकेगा और वे MSME को मिलने वाली दूसरी सुविधाओं का लाभ उठा सकेंगे। MSME के दायरे में थोक और खुदरा व्यापार को लाने से इनके कारोबार को भी बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि सरकार व्यापारियों को सशक्त बनाने को लेकर प्रतिबद्ध है।
व्यापारियों की संस्था कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल का कहना है कि 2017 में एक ऑफिस आर्डर के जरिए MSME मंत्रालय ने व्यापारियों को MSME की परिभाषा से बाहर कर दिया था। उनके मुताबिक MSME को परिभाषित करने में एंटरप्राइजेज का शब्द इस्तेमाल हुआ है, जिससे उसके दायरे में हर तरह का व्यापार आता है। MSME की परिभाषा के दायरे में लाया जाना व्यापारियों के लिए उत्साह बढ़ाने वाला कदम है। इस बारे में थोड़े विस्तार से जानते हैं।
क्या है MSME की परिभाषा?
सरकार ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत MSME की परिभाषा में बदलाव किया है। इसमें निवेश और टर्नओवर, दोनों को आधार पर बनाया गया है, जबकि पहले सिर्फ पूंजी निवेश का आधार था। अभी एक करोड़ रुपए तक के पूंजी निवेश और पांच करोड़ रुपए तक के टर्नओवर वाले उद्यम उद्यम, सूक्ष्म उद्यम यानी माइक्रो एंटरप्राइज माने जाते हैं।
इसके अलावा 10 करोड़ रुपए तक के पूंजी निवेश और 50 करोड़ रुपए तक के टर्नओवर वाले उद्यम, लघु यानी स्मॉल एंटरप्राइज की गिनती में आते हैं। 50 करोड़ रुपए तक के पूंजी निवेश और 250 करोड़ रुपए तक के टर्नओवर वाले उद्यम, मध्यम यानी मीडियम एंटरप्राइज होते हैं। अब उनको मैन्युफैक्चरिंग और सर्विसेज सेक्टर नहीं बांटा गया है।
पुराने वर्गीकरण के मुताबिक, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 25 लाख रुपए तक की पूंजी वाले उद्यम, सूक्ष्म उद्यम यानी माइक्रो एंटरप्राइज माने जाते थे। ट्रेडर्स में क्या क्या आता है? पांच करोड़ तक की पूंजी वाले उद्यम, लघु यानी स्मॉल एंटरप्राइज की गिनती में आते थे। 10 करोड़ रुपए तक की पूंजी वाले उद्यम, मध्यम यानी मीडियम एंटरप्राइज होते थे।
इसी तरह, सर्विसेज सेक्टर में 10 लाख रुपए तक की पूंजी वाले उद्यम, सूक्ष्म उद्यम यानी माइक्रो एंटरप्राइज की गिनती में आते थे। दो करोड़ तक की पूंजी वाले उद्यम, लघु यानी स्मॉल एंटरप्राइज माने जाते थे। पांच करोड़ रुपए तक की पूंजी वाले उद्यम, मध्यम यानी मीडियम एंटरप्राइज कहलाते थे।
कहां और कैसे करा सकते हैं रजिस्ट्रेशन?
MSME का दर्जा ट्रेडर्स में क्या क्या आता है? पाने के लिए व्यापारी अपना रजिस्ट्रेशन सरकारी पोर्टल udyamregistration.gov.in पर करा सकते हैं। वे नए MSME के तौर पर अपना रजिस्ट्रेशन आधार कार्ड और पैन के साथ करा सकते हैं। रजिस्ट्रेशन का वेरिफिकेशन होने में कुछ दिन लगते हैं, जिसके बाद आवेदक को उद्यम रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट जारी होता है।
MSME को मिलते हैं किस तरह के फायदे?
व्यापारियों को MSME बनने से कई तरह के फायदे मिलेंगे। वे अब प्रायोरिटी सेक्टर लेंडिंग के हकदार हो गए हैं। इस तरह की लेंडिंग में रेगुलर लोन से एक-डेढ़ पर्सेंट तक कम ब्याज पर लोन मिलता है।
जानकारों के मुताबिक, व्यापारी अब किसी तरह की सिक्योरिटी दिए बिना 'प्रधानमंत्री मुद्रा योजना' के तहत लोन ले सकेंगे। मुद्रा लोन तीन कैटेगरी में से शिशु मुद्रा योजना में 50 हजार रुपए तक, किशोर योजना में 50 हजार रुपए से 5 लाख रुपए और तरुण योजना में 10 लाख रुपए तक दिए जाते हैं।
MSME को प्राइम मिनिस्टर्स एंप्लॉयमेंट जेनरेशन प्रोग्राम के तहत नया उद्यम शुरू करने के लिए बिना सिक्योरिटी लोन मिलता है। इसमें आवेदक को अपनी तरफ से 10% लगाना पड़ता है और शहरी इलाकों के लिए 15% जबकि ग्रामीण इलाके के लिए 25% की सब्सिडी होती है।
MAT क्रेडिट को 10 साल के बजाय 15 साल तक कैरी फॉरवर्ड करने की सुविधा मिलती है। उनको पेटेंट रजिस्ट्रेशन फीस पर 50% की सब्सिडी मिलती है। वे इंडस्ट्रियल प्रमोशन सब्सिडी के भी हकदार बन जाते हैं।
वेंडर से बकाया मिलने में देरी होने पर आरबीआई के इंटरेस्ट रेट का तिगुना चक्रवृद्धि ब्याज वसूल करने का अधिकार मिलता है। उन्हें बिजली बिल में भी रियायत मिलती है। ISO सर्टिफिकेशन चार्ज वापस मिल जाता है। उनको ओवरड्राफ्ट की फैसिलिटी में ब्याज पर एक फीसदी की छूट मिलती है। MSME बनने पर सरकारी टेंडर मिलने में आसानी होती है, क्योंकि उद्यम रजिस्ट्रेशन पोर्टल सरकारी ई-मार्केट और दूसरे सरकारी पोर्टल से इंटीग्रेट होता है।
CGTMSE (क्रेडिट गारंटी फंड्स ट्रस्ट फॉर माइक्रो एंड स्मॉल एंटरप्राइज) के तहत MSME बिना सिक्योरिटी दो करोड़ रुपए तक लोन ले सकते हैं। देनदार के लोन नहीं चुकाने की स्थिति में उसका 85% तक का लोन चुकाने की गारंटी सरकार देती है।
क्या शेयर बाजार में ट्रेडिंग बंद करने से बच जाएंगे रोज डूब रहे पैसे?
कोरोना का सीधा असर दुनिया भर के शेयर बाजार पर भी देखने को मिल रहा है. 18 मार्च को जब भारत का शेयर बाजार करीब 30,000 के नीचे आ गया तो ट्रीटर पर ट्रेंड करने लगा #bandkarobazar.
By: अविनाश राय, एबीपी न्यूज़ | Updated at : 18 Mar 2020 09:19 PM (IST)
पूरी दुनिया इस वक्त खौफजदा है. और इसकी वजह है एक वायरस कोविड 19. दुनिया भर में करीब 2 लाख लोग इस वायरस की चपेट में हैं. 8,000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. इसका सीधा असर दिख रहा है दुनिया के बाजार पर, जो लगातार गिरता जा रहा है. क्या अमेरिका, क्या चीन और क्या जापान, हर जगह मार्केट धराशायी होता जा रहा है. हम भी इससे अछूते नहीं हैं. 18 मार्च को अपने देश के शेयर बाजार का सेंसेक्स 30,000 से नीचे चला गया. और ट्रेडर्स में क्या क्या आता है? फिर ट्वीटर पर ट्रेंड करने लगा बंद करो बाजार. तो क्या सरकार बाजार को बंद कर सकती है और क्या बाजार के बंद होने से लगातार डूब रहे पैसे बच पाएंगे? करीब 40 लाख करोड़ रुपये का हुआ नुकसान भारत का शेयर बाजार हर रोज लगातार नीचे ही गिरता जा रहा है. पिछले एक महीने में बाजार में करीब 26 फीसदी की गिरावट हुई है, जिसकी वजह से निवेशकों को 40 लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा का नुकसान हुआ है. और ये नुकसान लगातार बढ़ता ही जा रहा है. हर रोज हजारों करोड़ रुपये का घाटा हो रहा है. हर रोज अखबारों, टीवी चैनलों और वेबसाइट्स की सुर्खियां बन रही हैं कि शेयर बाजार गिरने से कभी चार लाख करोड़ रुपये डूब गए तो कभी पांच लाख करोड़ और कभी 9 लाख करोड़. ये अलग-अलग दिनों के आंकड़े हैं. और अलग-अलग दिनों पर शेयर बाजार में ये पैसे डूबे हैं. इसी को देखते हुए जब 18 मार्च को शेयर बाजार 1300 पॉइंट से ज्यादा गिरा तो फिर लोगों ने #bandkarobazaar ट्वीट करना शुरू कर दिया और ये इंडिया का टॉप ट्रेंड बन गया. लेकिन क्या बाजार को बंद करना इतना आसान है, इसे समझने की कोशिश करते हैं. सर्किट ब्रेकर लगाकर संभाला गया था कामकाज
शेयर बाजार में हफ्ते में पांच दिन काम होता है और दो दिन की छुट्टी होती है. शनिवार और रविवार. इसके अलावा बाजार बंद नहीं होता. हां अगर शेयर मार्केट में कुछ ज्यादा ही उथल-पुथल होती है तो पैसे को डूबने से रोकने के लिए कुछ तरीके अपनाए जाते हैं. इसे कहते हैं सर्किट ब्रेकर. जब ये लगता है कि कोई भी ब्रोकर शेयर बाजार को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है और उसकी वजह से अचानक से शेयरों की बिकवाली या खरीदारी तय सीमा से ज्यादा होने लगती है, तो इसे रोकने के लिए सर्किट ब्रेकर का इस्तेमाल किया जाता है. अभी हाल ही में जब 13 मार्च को बाजार अचानक से ओपनिंग के बाद 2534 अंक गिर गया तो सर्किट ब्रेकर लगाकर बाजार को 45 मिनट के लिए बंद कर दिया गया. ये सर्किट ब्रेकर भी दो तरह का होता है. अपर सर्किट और लोवर सर्किट. जब ट्रेडर्स में क्या क्या आता है? बाजार में पैसे ज्यादा हो जाते हैं तो अपर सर्किट लगाकर ट्रेडिंग कुछ देर के लिए रोक दी जाती है, वहीं जब बाजार में पैसे तय सीमा से कम हो जाते हैं तो लोअर सर्किट लगाकर ट्रेडिंग बंद की जाती है. 13 मार्च को लोअर सर्किट लगाकर ट्रेडिंग बंद की गई थी.
सर्किट ब्रेकर के लिए सेबी ने बनाई गाइडलाइंस सेबी की गाइडलाइन्स के मुताबिक अपर या लोअर सर्किट के लिए तीन ट्रिगर लिमिट्स हैं. 10 फीसदी, 15 फीसदी और 20 फीसदी. जब दोपहर 1 बजे से पहले शेयर बाजार 10 फीसदी तक गिरे या चढ़े तो ट्रेडिंग 45 मिनट के लिए रोक दी जाती है. अगर 1 बजे से 2.30 बजे तक बाजार में 10 फीसदी का उतार-चढ़ाव होता है तो ट्रेडिंग को 15 मिनट के लिए रोक दिया जाता है. वहीं अगर बाजार में दोपहर 1 बजे से पहले 15 फीसदी का उतार-चढ़ाव हो तो ट्रेडिंग 1 घंटे 45 मिनट के लिए रोकी जाती है. अगर एक बजे से दो बजे तक के बीच 15 फीसदी का उतार-चढ़ाव हो तो मार्केट में 45 मिनट के लिए ट्रेडिंग रोक दी जाती है. अगर 2 बजे के बाद मार्केट में 15 फीसदी का उतार-चढ़ाव हो तो मार्केट को बंद कर दिया जाता है. अगर ट्रेडिंग के दौरान किसी भी वक्त शेयर बाजार में 20 फीसदी का उतार-चढ़ाव आता है तो बचे हुए पूरे दिन के लिए ट्रेडिंग बंद कर दी जाती है. सोशल मीडिया पर उठ रही बाजार बंद की मांग लेकिन कोई भी निवेशक ये नहीं चाहता कि सर्किट ब्रेकर लगाकर ट्रेडिंग बंद की जाए. और जब निवेशक सर्किट ब्रेकर नहीं चाहते तो वो पूरे बाजार की ट्रेडिंग ही रोकने के लिए कैसे राजी होंगे. हालांकि बाजार के कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि पिछले कुछ दिनों में पूरा मार्केट कैप 26 फीसदी तक कम हो गया है. ऐसे में और नुकसान न हो, इसके लिए ट्रेडिंग को रोकना ही सबसे बेहतर तरीका है. सेबी एक आदेश के जरिए अगले कुछ दिनों के लिए ट्रेडिंग बंद कर दे, तो मार्केट संभल सकता है. वहीं कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर ट्रेडिंग कुछ दिनों के लिए बंद कर दी जाएगी तो बाजार जब भी खुलेगा क्रैश हो जाएगा. कुछ लोग इस बात के लिए भी तैयार हैं कि हर रोज पैसे डुबोने से तो बेहतर है कि एक ही दिन ट्रेडर्स में क्या क्या आता है? नुकसान उठाना पड़े. क्योंकि निवेशक शेयर का प्राइस कम होने पर शेयर खरीद ले रहे हैं. अगले दिन पता चलता है कि वो शेयर और भी ज्यादा गिर गया. ऐसे में उसे खासा नुकसान हो जा रहा है. वहीं सोशल मीडिया पर कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो ये कह रहे हैं कि बाजार बंद करने की बात वो लोग कर रहे हैं, जिन्होंने कभी भी शेयर बाजार से पैसे नहीं बनाए हैं. शेयर बाजार को बंद करवाने की वकालत करने वाले लोगों का ये भी कहना है कि अगर लोग कोरोना के कहर से बचेंगे, तो पैसे भी बना लेंगे. इसलिए सेबी को या तो बाजार बंद कर देना चाहिए या फिर ट्रेडिंग के घंटे कम कर देने चाहिए. हालांकि सोशल मीडिया के इस रिएक्शन पर सेबी का अभी तक कोई बयान नहीं आया है. बाकी शेयर बाजार बंद करने की वकालत करने वालों से एक सवाल है कि आप शेयर मार्केट में रोज का तो लेन-देन बंद कर सकते हैं, लेकिन वायदा कारोबार का क्या होगा. हालांकि हमारे सामने फिलिपिंस का उदाहरण भी है, जिसने अपने शेयर बाजार को अनिश्चित काल के लिए बंद कर दिया है. अमेरिकी सरकार अभी शेयर बाजार बंद करने पर राजी नहीं है और हमारे यहां तो इसपर सरकार की तरफ से कोई बात भी नहीं हो रही है.
Published at : 18 Mar 2020 09:06 PM (IST) हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Explainer News in Hindi
F एंड O बैन पीरियड – F एंड O बैन की गणना के लिए कारणों को जानें
अब यह प्रश्न आता है कि, MWPL क्या है और इसकी गणना कैसे की जा सकती ट्रेडर्स में क्या क्या आता है? है?
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F एंड O बैन की गणना कैसे करें?
बाज़ार की वाइड पोजीशन लिमिट निम्नलिखित क्राइटेरिया का निचला स्तर है:-
- एवरेज शेयर के 30 गुना जो कि पिछले महीने के दौरान एक्सचेंज के कैश सेगमेंट में दैनिक रूप से ट्रेड किये जाते हैं׀
- नॉन-प्रोमोटर्स के द्वारा होल्ड किये गए शेयरों की 20% संख्या अर्थात् किसी विशेष स्टॉक का फ्री फ्लोट׀
तो, आपको आपकी बाज़ार की वाइड-पोजीशन लिमिट मिल गयी है, अब आपको किसी एक विशेष स्टॉक में बाज़ार की वाइड-पोजीशन लिमिट संख्या की ओपन इंटरेस्ट की कुल संख्या के साथ तुलना करनी चाहिए׀
यदि ओपन इंटरेस्ट की कुल संख्या बाज़ार की वाइड पोजीशन लिमिट के 95% से अधिक या उसके बराबर है तो वह स्टॉक बैन पीरियड में प्रवेश करेगा׀
वह स्टॉक तब तक बैन पीरियड में रहेगा जब तक कि स्टॉक का कुल ओपन इंटरेस्ट बाज़ार की वाइड पोजीशन लिमिट से 80% या उससे कम नहीं हो जाता׀
केवल इसके बाद ही सामान्य ट्रेडिंग फिर से शुरू होगी׀
आप स्टॉकएज एप्प का उपयोग करके अगले दिन ट्रेडिंग के लिए स्टॉक को फ़िल्टर करने के लिए ऑप्शन ट्रेडिंग स्कैन का भी उपयोग कर सकते हैं׀
कॉल ऑप्शन- अर्थ, प्रकार और प्राइस इन्फ्लुएंसर्स
Forward Contract Meaning – उदाहरण, बेसिक्स, और रिस्क
Elearnmarkets
Elearnmarkets (ELM) is a complete financial market portal where the market experts have taken the onus to spread financial education. ELM constantly experiments with new education methodologies and technologies to make financial education effective, affordable and accessible to all. You can connect with us on Twitter @elearnmarkets.
कथित तौर पर ऑर्थोगोनल ट्रेडिंग अनंतिम परिसमापन के तहत है
इस महीने की शुरुआत में, ऑर्थोगोनल ट्रेडिंग को $36 मिलियन के ऋण के लिए डिफ़ॉल्ट का नोटिस जारी किया गया था एम 11 क्रेडिट . लेनदार लोकप्रिय डेफी लेंडिंग प्रोटोकॉल मेपल फाइनेंस पर तीन लेंडिंग पूल का प्रबंधन करता है। 5 दिसंबर को M11 द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, ऑर्थोगोनल ने कथित रूप से अपने वित्तीयों को गलत तरीके से प्रस्तुत किया।
जैसा कि कई क्रिप्टो फर्मों के साथ होता है, यह मुद्दा कुख्यात क्रिप्टो एक्सचेंज FTX के पतन से उपजा है। कथित तौर पर दिवालिया एक्सचेंज में रखे धन के कारण ट्रेडिंग फर्म को बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ और वह दिवालिया हो गई।
हालाँकि, M11 ने आरोप लगाया है कि ऑर्थोगोनल ने जानबूझकर FTX के लिए अपने जोखिम को गलत बताया और आगे के व्यापार में संलग्न होकर अपने नुकसान की भरपाई करने का प्रयास किया जिससे पूंजी का नुकसान हुआ।
ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स कोर्ट ने परिसमापन का आदेश दिया
M11 क्रेडिट लिया ट्विटर अपंग ट्रेडिंग फर्म के साथ स्थिति पर एक अद्यतन प्रदान करने के लिए पहले 23 दिसंबर को। लेनदार, मेपल फाउंडेशन के साथ ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स उच्च न्यायालय में ऑर्थोगोनल पर अनंतिम परिसमापक नियुक्त करने के लिए एक तत्काल पूर्व पक्ष आवेदन लाया।
अपडेट के मुताबिक कोर्ट ने M11 की अर्जी मंजूर कर ली है। M11 क्रेडिट और मेपल फाउंडेशन ने इस मामले में परिसमापक के रूप में काम करने के लिए क्रॉल को बनाए रखा है। “अगला कदम क्रॉल के लिए संपत्ति की जांच शुरू करना और ऑर्थोगोनल खातों का नियंत्रण लेना है।” ट्वीट पढ़ा।
ऑर्थोगोनल ट्रेडिंग में आंतरिक संघर्ष
ट्रेडिंग फर्म, ऑर्थोगोनल क्रेडिट, फर्म की क्रेडिट टीम को जारी किए गए डिफॉल्ट के नोटिस के बाद के घंटों में, एक बयान यह स्पष्ट करते हुए कि उन्हें एफटीएक्स के लिए कंपनी के जोखिम की कथित गलतबयानी के बारे में कोई जानकारी नहीं थी।
मेपल फाइनेंस के समय मामला और बिगड़ गया तोड़ M11 क्रेडिट के खिलाफ बुरे विश्वास वाले कार्यों के कारण ट्रेडिंग फर्म के साथ सभी संबंध। “अब यह स्पष्ट है कि वे प्रभावी रूप से दिवालिया होते हुए काम कर रहे हैं, और उनके लिए बाहरी निवेश के बिना एक व्यापारिक व्यवसाय का संचालन जारी रखना संभव नहीं होगा,” उनका बयान पढ़ा।
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