जैसा कि हम देख सकते हैं कि भारतीय रुपया के मुकाबले डॉलर मूल्य में स्पष्ट रूप से ऊपर रहा है। सवाल है कि ऐसा क्यों। भारतीय रुपया का मूल्य लगातार कमजोर क्यों हो रहा है, यह अबतक की सबसे कमजोर स्थिति है।

मोदी शासन के तहत रुपये के सफर

कच्चे तेल के दाम चले फिर आसमान छूने, पेट्रोल-डीजल का है यह हाल

Kavita Singh Rathore

Crude Oil Prices : बीते सालों में देश में कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन के समय कच्चे तेल की कीमतों में काफी गिरावट दर्ज की गई थी, लेकिन पिछले साल तेल की कीमतों में काफी बढ़त दर्ज हुई थी। जो दुनियाभर में अपने उच्च स्तर पर जा पहुंच गई थी। वहीं, उस समय कच्चे तेल की कीमतों में दर्ज हुई बढ़त 10 सालों में पहली बार इस कदर दर्ज की गई थी। 10 सालों के उच्चतम स्तर पहुंचने के बाद अब एक बार फिर 6 महीने बाद अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने दरों में बढ़त दर्ज की तो इसका सीधा असर कच्चे तेल की कीमत पर दिखने लगा है और तेल की कीमतें फिर असमान छूती नज़र आरही हैं।

भारतीय रुपये में गिरावट क्यों ?डॉलर की कीमत रुपये के मुकाबले क्यों बढ़ रही है

भारतीय रुपये में गिरावट क्यों ?

16 वीं लोकसभा चुनाव जीतने के बाद, भाजपा के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) 26 मई 2014 को सत्ता में आई। अपने घोषणा पत्र में, भाजपा ने रुपये की गिरावट के लिए यूपीए सरकार की दृढ़ता से आलोचना की थी, क्योंकि अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये के मूल्य में तेजी से गिरावट आई थी।

जब एनडीए सरकार सत्ता में आई तो विनिमय दर 58.66 पर थी। सरल शब्दों में कहें तो 1 डॉलर = 58.66 रुपये। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में रुपये में लगातार बदलाव हुआ है। वर्तमान समय में रुपये की कीमत 70.39 (15 अगस्त 2018 तक) है। आइए मोदी शासन के तहत रुपये के सफर पर एक नजर डालते हैं:

(1 डॉलर में भारतीय रुपये का मूल्य)

रुपये में पाउंड के मुकाबले रिकार्ड गिरावट, विदेशों में पढ़ने वाले छात्रों पर पड़ेगा बुरा असर

मुंबई: 12 दिन में ब्रिटिश पाउंड दो रुपये बढ़ा और रुपया रिकार्ड गिरावट पर पहुंच गया है। बुधवार को पाउंड 102.45 तक पहुंच गया। पाउंड के दाम लगातार बढ़ने से इंग्लैंड में पढ़ने वाले छात्रों पर बुरा असर पड़ने की संभावना है। इसके अलावा विदेशों से आने वाले सामान के महंगे होने की संभावना बढ़ गई है। एक दिसंबर को पांउड का रेट 100.24 रुपये थे। उस वक्त कहा गया था कि अगर पाउंड की कीमत इसी तरह बढ़ती रही तो रुपया काफी नीचे गिर जाएगा और बाजार पर इसका बुरा असर पड़ेगा। 12 दिन बाद पाउंड में दो रुपये से अधिक की उछाल आई। विशेषज्ञों का कहना है कि विदेशी निवेशकों द्वारा भारतीय बाजारों से लगातार बिकवाली करना भी इसके गिरने की बड़ी वजह है।

जबकि, रूस और यूक्रेन के बीच लंबा खिंचता युद्ध और उससे उपजे भू-राजनीतिक हालातों ने भी रुपये पर दबाव बढ़ाया है। भारत तेल से लेकर जरूरी इलेक्ट्रिक सामान और मशीनरी के साथ मोबाइल-लैपटॉप समेत अन्य गैजेट्स के लिए दूसरे देशों से आयात पर निर्भर है। अधिकतर कारोबार डॉलर और पाउंड डॉलर की कीमत रुपये के मुकाबले क्यों बढ़ रही है में होता है। अगर रुपये में इसी तरह गिरावट जारी रही तो देश में आयात महंगा हो जाएगा।

लोकसभा में निर्मला सीतारमण बोलीं- बढ़ती अर्थव्यस्था से जल रहे हैं संसद में कुछ लोग

नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को लोकसभा में कुछ विपक्षी सदस्यों को आड़े हाथ लेते हुए कहा है कि संसद में कुछ लोग देश की बढ़ती अर्थव्यवस्था से जल रहे हैं. संसद में एक डॉलर की कीमत रुपये के मुकाबले क्यों बढ़ रही है सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, भारत सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है लेकिन विपक्ष को इससे समस्या है. भारत के विकास पर सभी को गर्व होना चाहिए लेकिन कुछ लोग इसे मजाक के तौर पर लेते हैं.

उन्होंने कहा, जब देश की अर्थव्यवस्था बढ़ रही है तो उस पर जलन नहीं करनी चाहिए और मजाक नहीं बनाना चाहिए, बल्कि गर्व करना चाहिए. सीतारमण कांग्रेस सांसद अनुमुला रेवंत रेड्डी के सवाल का जवाब दे रही थीं, जिसमें उन्होंने पूछा था कि क्या सरकार ने इस तथ्य पर ध्यान दिया है कि इंडियन करेंसी दिन पर दिन कमजोर हो रही है और पहली बार 83 रुपये प्रति अमेरिकी डॉलर पर पहुंच गई है.

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अनुमुला रेवंत रेड्डी ने कहा, जब डॉलर की कीमत 66 रुपए थी, तब इन्होंने कहा था कि रुपया ICU में है, अब रुपये की कीमत 83.20 है. तो क्या हम सीधा मॉर्चुरी जा रहे हैं. उन्होंने सीतारमण से पूछा कि क्या रुपए को मॉर्चुरी से वापस लाने का कोई एक्शन प्लान है? इस पर सीतारमण ने जवाब देते हुए कहा, भारतीय रुपया हर करेंसी के मुकाबले मजबूत रहा है.

रिजर्व बैंक ने विदेशी मुद्रा भंडार का उपयोग किया है कि उसे यह सुनिश्चित करने के लिए बाजार में हस्तक्षेप करना है कि डॉलर-रुपए में उतार-चढ़ाव बहुत अधिक न हो जाए. वहीं उन्होंने पीएम मोदी वाले बयान का जवाब देते हुए कहा कि अगर रेड्डी उस जमाने के कोटेशन के साथ इंडिकेटर्स भी याद दिलाते तो अच्छा होता. उन्होंने बताया कि उस समय पूरी डॉलर की कीमत रुपये के मुकाबले क्यों बढ़ रही है अर्थव्यवस्था आईसीयू में थी. पुरी दुनिया में भारत को फ्रेजाइल फाइव में रखा गया था और फॉरेन एक्जेंड रिजर्व भी नीचे था.

अंतरराष्ट्रीय बाजार में आई मामूली गिरावट

Gold Silver Price Today : बताते चलें कि इंटरनेशनल मार्केट में अभी सोने की कीमतें लाल निशान पर ट्रेंड कर रही हैं डॉलर की कीमत रुपये के मुकाबले क्यों बढ़ रही है और उनमें गिरावट का मामूली सा दौर है। मंगलवार के मुकाबले बुधवार को सोने की कीमतों में 0.04 फीसदी की गिरावट देखी गई, जिसके चलते सोना 1,809 डॉलर प्रति औंस पर बिजनेस करता नजर आया।

Gold Silver Price Today : इसी तरह चांदी के रेट्स में भी पिछले दिन के मुकाबले बुधवार को 0.13 फीसदी की गिरावट देखी गई। बुधवार को चांदी की कीमतें 23.68 डॉलर प्रति औंस के आसपास बनी रहीं। अगर पिछले एक महीने की बात करें तो अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमतें 2.17 प्रतिशत बढ़ गई हैं। वहीं चांदी के रेट्स में भी 9.17 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

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