मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज MCX क्या है?
नमस्कार डियर पाठक, आज के इस लेख में हम जानेंगे कि, मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज, MCX क्या है? क्योंकि ट्रेडिंग में एक नाम आपने अक्सर सुना होगा कमोडिटी ट्रेडिंग तो उसके लिए भारत में वैसे तो कई कमोडिटी एक्सचेंज है लेकिन, MCX या मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज सबसे बड़ा है। यह एक्सचेंज भारत में कमोडिटी फ्यूचर्स के ट्रेडिंग, समाशोधन और सेटलमेंट की सुविधा प्रदान करता है। और डियर पाठक इसे 2003 में स्थापित किया गया था और फॉरवर्ड मार्केट कमीशन या एफएमसी द्वारा विनियमित किया गया था।
और आपको बता दें, कि इक्विटी मार्केट में लोग सबसे ज्यादा पैसे कमाते हैं। और उसके बाद सबसे ज्यादा कमोडिटी मार्केट में निवेश करते हैं। और आप चाहे तो कमोडिटी मार्केट में ट्रेडिंग भी कर सकते हैं, और यह करना बहुत ही इजी हैं।
MCX Kya hai, MCX Meaning in Hindi
डियर पाठक (MCX) मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज ऑफ़ इंडिया लिमिटेड, इंडिया का पहला लिस्टेड एक्सचेंज है, जो अत्याधुनिक, कमोडिटी डेरिवेटिव एक्सचेंज है और यह कमोडिटी डेरिवेटिव्स लंदन की ऑनलाइन ट्रेडिंग की फैसिलिटी प्रोवाइड करवाता है।
और आपको बता दें कि MCX को, मल्टी कमोडिटी इसलिए कहा जाता है। क्योंकि इसमें कई सारे सेगमेंट के अंदर ट्रेडिंग की जाती है। और ज्यादातर MCX में ट्रेडिंग 4 सेगमेंट में की जाती है़।
- Bullion (बुलियन)
- Base Metal
- Energy (एनर्जी)
- एग्रो
ज्यादा सेगमेंट होने के कारण MCX को मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज कहा जाता है। डियर पाठक जैसे कि NSE or BSE में शेयर की खरीदारी और बिकवाली होती है, ठीक उसी प्रकार MCX में कमोडिटी की खरीदी और बिक्री कुछ प्रमुख भारतीय कमोडिटी एक्सचेंज हैं होती है। चलिए अब इन चारो सेगमेंट को अच्छे से समझते हैं
Bullion (बुलियन)
डियर पाठक बुलियन सेगमेंट में गोल्ड और सिल्वर की ट्रेडिंग की जाती है, और ठीक वैसा ही है जैसे आप किसी ज्वेलरी की दुकान से सोना खरीदते हैं, ठीक उसी प्रकार आप इसमें डिजिटली सोना खरीदते हैं। जैसे कि आपका एनालिसिस बोलता है कि आने वाले टाइम में सोने का भाव ऊपर जाएगा, तो आप MCX एक्सचेंज के माध्यम से कुछ प्रमुख भारतीय कमोडिटी एक्सचेंज हैं डिजिटल सोना खरीद सकते हैं। और भविष्य में प्राइस बढ़ने पर आप उसे बेचकर अच्छा फिट जनरेट कर सकते हैं।
Base Metal
बेस मेटल में मेटल की ट्रेडिंग होती है। जैसे कि एलुमिनियम, जिंक कॉपर निकेल आदि इनकी आप स्टॉक मार्केट में MCX एक्सचेंज के माध्यम से आप मेटल की ऑनलाइन खरीदी और बिक्री कर सकते हैं।
Energy (एनर्जी)
डियर पाठक आप एनर्जी सेगमेंट में, जैसे क्रूड ऑयल, थर्मल कॉल, नेचुरल गैस आदि सेक्टर आते हैं, इनकी ट्रेडिंग आप MCX एक्सचेंज के माध्यम से कर सकते हैं।
एग्रो सेगमेंट।
एक प्रमुख कृषि अर्थव्यवस्था होने के नाते, कृषि वस्तुओं में व्यापार के लिए भारत में पर्याप्त गुंजाइश मौजूद है भारत में कृषि स्तुओं के व्यापार की शुरुआत 1875 तक देखी जा सकती है, जब बॉम्बे में कॉटन ट्रेड एसोसिएशन की स्थापना हुई थी। घरेलू उपभोग के लिए वस्तुओं की कमी के कारण वस्तुओं में भविष्य के व्यापार को 1952 से निलंबित कर दिया गया था कमोडिटी कुछ प्रमुख भारतीय कमोडिटी एक्सचेंज हैं ट्रेडिंग 2002 से फिर से सिफारिश की गई। वर्तमान में, कृषि कमोडिटीज के व्यापार में कुल वस्तुओं के व्यापार का लगभग 12% हिस्सा शामिल है।
MCX Kya Hota Hai, What is MCX
एमसीएक्स क्या होता है – MCX मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज ऑफ़ इंडिया लिमिटेड है जो इंडिया में कमोडिटी एक्सचेंज है। और यह भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के अधीन आता है। और एमसीएक्स को भारत सरकार द्वारा 2003 में स्थापित किया गया था, और वर्तमान समय में यह मुंबई मे स्थित हैं, और आपको बता दें कि यह भारत का सबसे बड़ा कमोडिटी डेरिवेटिव्स एक्सचेंज है।
डियर पाठक आधुनिक समय में, कमोडिटी ट्रेड का एक एक्सचेंजों के माध्यम से ट्रेड होता है, जो कमोडिटी डेरिवेटिव्स में ट्रेड की, फैसिलिटी प्रोवाइड करवाता है। भारत में प्रमुख कमोडिटी एक्सचेंजोंं ने 2017-18 में एक साथ 60 लाख करोड़ रुपये से अधिक का ट्रेड किया था।
कमोडिटी ट्रेडिंग के फायदे
डियर पाठक वैसे तो आप कमोडिटी ट्रेडिंग के ऊपर हमारा यह लेख पढ़ सकते हैं। कमोडिटी ट्रेडिंग क्या होती है इसमें आपको कमोडिटी ट्रेडिंग से रिलेटेड पूरी जानकारी मिल जाएगी लेकिन फिर भी आपको यहां पर कुछ फायदे हैं जो बता देते हैं।
कमोडिटी की कीमतों को प्रभावित करने वाले कारक
- मौसम की स्थिति:- कमोडिटी एक्सचेंजों के माध्यम से होलसेल कमोडिटीज़ ट्रेड किए गए ही कृषि कमोडिटीज़ हैं। मौसम की स्थिति का कमोडिटी की कीमत को प्रभावित करने वाले कृषि सामानों के उत्पादन पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।
- आर्थिक और राजनीतिक स्थिति:- व्यापक अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन का कमोडिटीज़ की मांग पर सीधा असर पड़ता है। यदि अर्थव्यवस्था मजबूत है, तो कमोडिटीज़ की खपत बढ़ जाती है और कीमत भी। आर्थिक स्थितियों के साथ-साथ राजनीतिक घटनाएँ भी कमोडिटी की कीमतों को प्रभावित करती हैं।
- सरकारी नीतियां:- सरकार प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से कमोडिटी की कीमतों को प्रभावित करती है, सरकार कोयले जैसी कमोडिटीज के उत्पादन को नियंत्रित करती है। और गेहूं व चावल जैसी कई सारी कमोडिटीज की खरीददारी भी करती है, इसलिए खरीद दिया उत्पादन पैटर्न में किसी भी प्रकार परिवर्तन कीमतों को प्रभावित कर सकता है।
निष्कर्ष, मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज MCX क्या है?
डियर पाठक आज के इस लेख मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज, MCX क्या है? में हमने एमसीएक्स के बारे में जाना और यह भी जाना चाहिए क्या कार्य करता है अगर आप किसी भी सेगमेंट में निवेश करने की सोच है तो पहले एक रणनीति तैयार कर ले फिर ही इन्वेस्ट करने की सोचे अन्यथा बड़ी हानि हो सकती हैं।
“Multi Commodity Exchange“
MCX मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज का मतलब = “बहु वस्तु लेनदेन” होता है. सिंपल लैंग्वेज मे इसे कई प्रकार की वस्तुओं को खरीदना और बेचना कहेगे।
कमोडिटी में आप सुबह 9am बजे से लेकर रात के 11:30 तक आप ट्रेडिंग कर सकते है। जो लोग जॉब करते है । उनके लिए इसमें ट्रेडिंग करना आसान है। क्योंकि आप रात को भी कमोडिटी में ट्रेडिंग कर सकते है।
किसी भी दशा में किसान को उसकी उपज का कैसे मिले सही दाम, पढ़े एक्सपर्ट की राय
Indian Farmers पिछले कुछ वर्षो से दुनिया भर में सभी प्रकार के अनाज के भाव चढ़े हैं। भारतीय आर्थिकी में किसान निचले पायदान पर है। वैसे तो इसके कई कारण हैं परंतु एक प्रमुख कारण उसकी उपज का सही दाम नहीं मिलना भी है जिसमें सामयिक सुधार होना चाहिए
अरुण रास्ते। ‘उत्पादन बढ़ने के कारण हमने कुछ जगहों पर कीमतें कम होने की समस्या देखी है। इस कारण किसानों को उनकी फसल का सही दाम नहीं मिल पाता। पिछले कुछ वर्षो में किसानों को इस स्थिति से निकालने के लिए कई कदम उठाए गए हैं, जिसका कुछ प्रभाव दिखने भी लगा है। ऐसे में एग्री-कमोडिटी आप्शंस किसानों की आमदनी को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। अभी यह भले ही एक छोटा कदम मालूम हो, लेकिन कृषि कारोबार की दिशा में यह महत्वपूर्ण है, क्योंकि अपने अनाज के लिए किसानों को बेहतर मूल्य प्राप्त करने में मदद करेगा।’ ये शब्द थे अरुण जेटली के, जो उन्होंने जनवरी 2017 में वित्त मंत्री के रूप में देश का पहला एग्री कमोडिटी आप्शन शुरू करते हुए कहा था।
पांच वर्ष बीत चुके हैं और देश अभी स्वाधीनता का अमृत महोत्सव मना रहा है। ऐसे में आजादी के बाद किए गए महत्वाकांक्षी कृषि सुधारों में से एक यानी भारत में कृषि वायदा का आरंभ और फिर उसकी यात्र पर नजर डालने का यह बेहतर अवसर है। कई उतार-चढ़ावों से गुजरता कृषि डेरिवेटिव्स बाजार भारतीय कृषि मार्केटिंग के लिए आशा की किरण रहा है। वर्ष 2015 में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के अंतर्गत आना हो या 2018 में एग्री आप्शंस की शुरुआत हो, इन्होंने भारत में एग्री मार्केटिंग के विकास को नई संभावना कुछ प्रमुख भारतीय कमोडिटी एक्सचेंज हैं दिखाई है और इस दिशा में कई नए कदम उठाए गए। अधिक से अधिक कृषक उत्पादक कंपनियां (एफपीसी) बनाने तथा उन्हें सशक्त करने पर केंद्र सरकार के बढ़ते फोकस के कारण नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) ने उन्हें अपने साथ शामिल करने का प्रयास आरंभ किया।
किसानों को डेरिवेटिव्स बाजार के लाभ देने के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के स्वप्न को पूरा करने की दिशा में एक साहस भरा कदम था, जिस कारण 2016 से 2022 के बीच 400 से अधिक एफपीसी और उनके माध्यम से 10 लाख से अधिक किसान एनसीडीईएक्स के प्लेटफार्म से जुड़ गए। पिछले छह वर्षो में 14 राज्यों के इन एफपीसी ने डेढ़ दर्जन कमोडिटी में कारोबार किया। एनसीडीईएक्स प्लेटफार्म पर संपन्न कारोबारी गतिविधियों से इन एफपीसी के जरिये अब तक प्रत्यक्ष तौर पर 4.2 लाख से अधिक किसानों को फायदा हुआ है और मार्च तक 41 करोड़ रुपये कीमत का 12 हजार मीटिक टन से अधिक बनाज बेचा गया है। उस देश के लिए यह छोटी उपलब्धि नहीं है, जहां किसानों को अब भी वृद्धि और विकास के क्रम में सबसे अंतिम और कमजोर कड़ी माना जाता रहा है। एफपीसी के माध्यम से इन किसानों को अपनी उपज को एकत्रित करके बेचने का लाभ मिला और कमोडिटी एक्सचेंज के माध्यम से उचित भाव भी।
तो वाकई हम ‘आत्मनिर्भर किसान’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ का सपना साकार करने की कुछ प्रमुख भारतीय कमोडिटी एक्सचेंज हैं राह पर हैं? यह दावा कम से कम वहां तक सही है, जहां तक कृषि डेरिवेटिव्स मार्केटिंग की भूमिका है। वायदा अनुबंधों ने लाखों किसानों को बाजार भाव से जुड़े जोखिम से बचने का साधन दिया और कमोडिटी आप्शंस ने बोआई के समय ही किसानों को तय दाम की गारंटी देने का काम किया। इसलिए पिछले वर्ष जब आधा दर्जन से अधिक कमोडिटी अनुबंध जैसे चना, सोयाबीन, सरसों आदि बंद कर दिए गए तो कुछ प्रमुख भारतीय कमोडिटी एक्सचेंज हैं कृषि क्षेत्र से जुड़े अधिकांश लोगों को इस निर्णय पर आश्चर्य हुआ। कई संबंधित समितियां आंकड़ों के आधार पर कह चुकी हैं कि कृषि महंगाई का कृषि डेरिवेटिव्स बाजार से कोई संबंध नहीं है।
पहले तो कोविड महामारी ने कुछ प्रमुख भारतीय कमोडिटी एक्सचेंज हैं उथल-पुथल मचाई और उसके बाद रूस-यूक्रेन युद्ध से महंगाई चढ़ गई। भारत खाद्य तेल के आयात पर निर्भर रहता है। ऐसे में वैश्विक उत्पादन कम होना ही तिलहन के भाव बढ़ने की बुनियादी वजह रहा और रही-सही कसर पाम आयल निर्यात पर इंडोनेशिया की रोक ने पूरी कर दी।
एक राष्ट्र के रूप में पिछले दो दशकों में हमने जो भी हासिल किया है, उसे देखते हुए मजबूत तर्क के बिना अनुबंध रोक देना सही नहीं है। जिस समय ‘मेक इन इंडिया’ हमारा राष्ट्रीय संकल्प है, उस समय सोयाबीन जैसे अनुबंध पर रोक लगाने से भारत का वह रुतबा खत्म हो गया है, जो पहले था। दरअसल पहले भारतीय सोयाबीन कान्ट्रैक्ट ही वैश्विक बेंचमार्क हुआ करता था। यह संयोग नहीं हो सकता कि कृषि उपज के दाम दुनिया भर में बढ़ रहे हैं, किंतु भारत के अलावा कहीं भी किसी भी डेरिवेटिव्स अनुबंध पर रोक नहीं लगाई गई है।
पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी ने कहा था, ‘अजीब विरोधाभास उत्पन्न हो गया है। हम कुछ अनाज के सबसे बड़े उत्पादकों और उपभोक्ताओं में शामिल हैं। हम इन अनाज का बड़ी मात्र में निर्यात और आयात भी करते हैं। किंतु इनके भाव और व्यापार पर विकसित देशों के एक्सचेंजों का दबदबा है या होता जा रहा है।’
बेवजह रोक से मजबूत और पारदर्शी बाजार व्यवस्था तैयार करने की दिशा में किए गए प्रयास और निवेश ही व्यर्थ नहीं होते, बल्कि नियामक और सरकार में भरोसा भी डगमगाता है। भागीदार अपना जोखिम कम करने के लिए अंतरराष्ट्रीय एक्सचेंजों का रुख करते हैं, बतौर राष्ट्र हम राजस्व और अगुआ का रुतबा तो गंवाते ही हैं, मूल्य निर्धारित करने वाला बनने के बजाय मूल्य स्वीकार करने वाला बन जाते हैं। क्या हम जैसी उभरती महाशक्ति को यह मंजूर हो सकता है?
भारत समेत दुनियाभर में महंगा हो रहा कॉपर, कोरोना संकट के बीच क्यों इतनी तेजी से बढ़ रहे दाम?
भारत समेत दुनिया के प्रमुख कमोडिटी मार्केट में कॉपर के भाव में रिकॉर्ड तेजी देखने को मिल रही है. एनलिस्ट्स और कमोडिटी मार्केट से जुड़े जानकार इसके पीछे कई वजह बता रहे हैं. वैश्विक एजेंसियों का भी मानना है कि भविष्य में कॉपर के भाव में रिकॉर्ड तेजी का दौर जारी रहेगा.
वैश्विक स्तर पर कमोडिटी मार्केट में रिकॉर्ड तेजी देखने को मिल रही है. स्टील, एलुमिनियम के अलावा कॉपर भी रिकॉर्ड स्तर पर कारोबार कर रहा है. गुरुवार को अंतरराष्ट्रीय बाजार में कॉपर का भाव रिकॉर्ड 10,000 डॉलर प्रति टन के पार जा चुका है. शंघाई कॉपर की कीमत भी बीते 10 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच चुकी है. सप्लाई को लेकर चिंता और कमजोर डॉलर के बीच लंदन में भी कॉपर का वायदा भाव बीते एक दशक के रिकॉर्ड उच्चतम स्तर पर है.
कमोडिटी मार्केट से जुड़े जानकार और एजेंसियों का कहना है कि आने वाले समय में कॉपर के भाव में तेजी देखने को मिलेगी. कॉपर में इस रिकॉर्ड तेजी के कई कारण है. मसलन दुनियाभर में आर्थिक रिकवरी देखने को मिल रही है, चीन में औद्योगिक कॉपर की खपत बढ़ी है और वैश्विक कॉपर का करीब एक चौथाई उत्पादन करने वाला चिली इसकी माइनिंग पर 75 फीसदी तक टैक्स लगाने का ऐलान कर चुका है. इसके अलावा भी इलेक्ट्रिक वाहनों के बढ़ते चलन की वजह से कॉपर की मांग बढ़ रही है.
अगर भारतीय बाजार की बात करें तो पिछले सप्ताह ही कॉपर का भाव अब तक के उच्च्तम स्तर पर था. गुरुवार को कॉपर का वायदा भाव 0.53 फीसदी की बढ़त के साथ 765.10 रुपये प्रति किलोग्राम पर था. मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर मई डिलीवरी वाले कॉपर का वायदा भाव 4 रुपये यानी 0.53 फीसदी चढ़ा. भारत में भी कॉपर की मांग में इजाफा हुआ है.
कॉपर के भाव में क्यों आ रही इतनी तेजी?
1. डिमांड ज्यादा और सप्लाई कम: कुछ समय पहले चिली के पोर्ट वर्कर्स और माइनिंग एसोसिएशन ने सरकार द्वारा एक बिल का विरोध किया था. दरअसल, चिली सरकार एक नया बिल लेकर आई थी, जिसके तहत वर्कर्स को तीसरी बार अपने पेंशन फंड्स से समय से पहले विड्रॉल को ब्लॉक करने की बात कही गई थी.
कुल वैश्विक कॉपर उत्पादन का करीब एक चौथाई हिस्सा चिली से ही आता है. एसोसिएशन और वर्कर्स के विरोध के बाद कॉपर सप्लाई में कमी आई और कीमतों में इजाफा देखने को मिला.
इसके अलावा भी दक्षिणी अमेरिका में कोविड-19 की वजह से लोहा अयस्क और कॉपर जैसे कई प्रमुख कमोडिटी के निर्यात पर असर डाला है. अमेरिका में भी जो बाइडन के इन्फ्रास्ट्रक्चर प्लान में कच्चे माल के तौर पर भी कॉपर की अहमियत देखी जा रही है.
हालांकि, सप्लाई की बात करें तो पेरू में मार्च महीने के दौरान कॉपर आउटपुट करीब 19 फीसदी तक चढ़ा है. वैश्विक स्तर पर इससे कुछ हद तक राहत देखने को मिली है.
2. कम इन्वेन्टरी: लंदन मेटल एक्सचेंज पर कुछ प्रमुख भारतीय कमोडिटी एक्सचेंज हैं रजिस्टर्ड कॉपर इन्वेन्टरीज में भारी गिरावट देखने को मिली है. एनलिस्ट्स का अनुमान है कि इसमें आगे भी गिरावट का दौर देखने को मिला है. 26 अप्रैल 2021 तक लंदन मेटल एक्सचेंज पर कॉपर इन्वेन्टरी करीब 1,55,100 टन ही था. पिछले महीने दूसरे पखवाड़े में यह 10 फीसदी तक कम हुआ है.
3. मांग बढ़ी: चीन में इस साल कंस्ट्रक्शन गतिविधियां बढ़ी हैं. इसके बाद चीन में कॉपर की मांग में भी इजाफा हुआ है. बता दें कि दुनियाभर में कॉपर की कुल खपत का आधा हिस्सा चीन का ही है. एनलिस्ट्स का कहना है कि चीन में सबसे ज्यादा कॉपर की खपत होती है और अब यहां बड़े पैमाने पर कंस्ट्रक्शन की वजह से मांग बढ़ी है. यह भी एक कारण है कि कॉपर के भाव में तेजी देखने को मिल रही है.
अमेरिका में आर्थिक विकास में अब तेजी की उम्मीद की जा रही है. वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं पर भी इसका असर पड़ेगा. कोविड-19 संकट के दौर में दुनियाभर के देशों ने प्रोत्साहन पैकेज का ऐलान किया है. दूसरी ओर कोरोना वैक्सीन को लेकर भी अच्छी खबरें ही आ रही हैं. कॉपर के भाव पर इन दोनों फैक्टर्स का असर पड़ा है.
4. ग्रीन इन्फ्रास्ट्रक्चर: कॉर्बन फुटप्रिंट कम करने और क्लीन एनर्जी के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए दुनियाभर में अब इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग बढ़ रही है. इलेक्ट्रिक वाहनों में इंटर्नल कंम्बशन इंजन की तुलना में दोगुना कॉपर का इस्तेमाल किया जाता है. ऐसे में इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग बढ़ने के साथ ही कॉपर की भी मांग बढ़ेगी.
क्या है एजेंसियों का अनुमान?
गोल्डमैन सैक्स ने अपनी एक हालिया रिपोर्ट में अनुमान में कहा है कि 2025 तक कॉपर का भाव 15,000 डॉलर प्रति टन तक पहुंच सकता है. ‘Copper is the new Oil’ शीर्षक के इस रिपोर्ट में कहा गया है कि बैंकों का मानना है कि 2030 तक सालाना कॉपर की मांग मौजूदा स्तर से 900 फीसदी बढ़कर 87 लाख टन तक पहुंच जाएगी.
ट्रेडिंग हाउस ट्रैफिगुरा ग्रुप और बैंक ऑफ अमेरिका का भी मानना है कि कॉपर की कीमतों में तेजी आई है. बैंक ऑफ अमेरिका का कहना है कि आने वाले महीनों में कॉपर का भाव 13,000 डॉलर प्रति टन तक पहुंच सकता है.
कमोडिटी मार्केट के बारे में जानकारी
S कुछ प्रमुख भारतीय कमोडिटी एक्सचेंज हैं L kashyap अप्रैल 01, 2021 1
आज हम बात करेंगे इंडियन कमोडिटी मार्केट के विषय में कमोडिटी मार्केट का अर्थ भारतीय वस्तु बाजार या भारतीय वायदा बाजार होता है! दोस्तों यह पोस्ट उन लोगों के लिए जो कमोडिटी मार्केट में नए निवेशक है या जो कमोडिटी मार्केट में निवेश करने की इच्छा रखते हैं
दोस्तों जैसे शेयर बाजार में शेयर की खरीदी और बिकवाली होती है उसी प्रकार कमोडिटी बाजार में भी खरीद और बिक्री होती लेकिन कमोडिटी बाजार में शेयर की खरीदी या बिकवाली नहीं होती कमोडिटी मार्केट में प्राथमिक अर्थव्यवस्था की वस्तुएं खरीदी और बेंची जाती है जैसे कि गेंहू, सोयाबीन, मक्का, जैसे कृषि उत्पाद और खनन से प्राप्त वस्तुएं जैसे सोना, चांदी, कच्चा तेल, गैस आदि का व्यापार होता है .
भारत में कमोडिटी की सॉफ्टवेयर बेस्ट ट्रेडिंग की शुरुआत MCX में नवंबर 2003 और NCDX 15 दिसंबर 2003 में हुई थी दोस्तों MCX में खनन से उत्पन्न वस्तुओं का व्यापार होता है इसमें मुख्य रूप से शामिल हैं सोना, चांदी, कोपर, कच्चा तेल और नेचुरल गैस और NCDX में कृषि उत्पादों का व्यापार होता है जैसे कि सोयाबीन, मक्का, गेहूं, चना, चीनी सोयाबीन तेल, सरसों, जीरा आदि
अभी जो 2021 में MCX का जो मार्केट ट्रेडिंग टाइम सोमवार से शुक्रवार सुबह 9:00 बजे से रात 11:30 से 11:55 तक का टोटल 14:30 से 15:00 घंटे और NCDX का ट्रेडिंग है सोमवार से शुक्रवार सुबह 9:00 बजे से शाम 5:00 बजे का टोटल 8 घंटे MCX और NCDX में एक समानता है कि यह दोनों फ्यूचर मार्केट है इसमें ज्यादातर ट्रेडिंग कुछ प्रतिशत के मार्जिन पर की जाती है यदि कमोडिटी मार्केट के बारे में अनुभव हैं तो इस मार्केट से भी कमाई की जा सकती हैं
जैसे कि आपको सोना खरीदना है जो सोने का कॉन्ट्रैक्ट है छोटे वाला वह 10 ग्राम का उदाहरण के तौर पर मान लेते हैं कि सोना 30,000 पर ट्रेड कर रहा है और आज का मार्जिन 15% तो आपको अपने अकाउंट में ट्रेड लेने से ट्रेड क्लोज करने तक कम से कम 4500 रुपए रखने होंगे
जहां इक्विटी में हम शेयर बाजार में लिस्टेड बड़ी-बड़ी कंपनियों में ट्रेड करते हैं मुख्य रूप से यहां दो बड़े स्टॉक एक्सचेंज हैं एनएससी और बीएससी जिसे सेबी रेगुलेट करती है। इक्विटी बाजार में किसी भी कंपनी का 1 शेयर या उससे अधिक शेयर खरीदा और बेचा जाता है वही शेयर का ऑप्शन और फ्यूचर की खरीदारी और बिकवाली होती है!
वहीं दूसरी तरफ कमोडिटी बाजार में दो बड़े एक्सचेंज उपलब्ध है MCX और NCDX यहां पर हम प्राथमिक अर्थव्यवस्था की वस्तुएं खरीदारी और बिकवाली करते है जैसे कि गेंहू, सोयाबीन, मक्का, जैसे कृषि उत्पाद और खनन से प्राप्त वस्तुएं जैसे सोना, चांदी, कच्चा तेल, गैस आदि का व्यापार होता है।
Muhurat Trading 2022 : सोमवार को 1 घंटे तक होगी विशेष मुहूर्त ट्रेडिंग, दिवाली से होती है हिंदू कैलेंडर वर्ष की शुरुआत
Muhurat Trading 2022 : सोमवार को बांबे स्टॉक एक्सचेंज और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर 1 घंटे तक विशेष कुछ प्रमुख भारतीय कमोडिटी एक्सचेंज हैं मुहूर्त ट्रेडिंग होगी. दिवाली से हिंदू कैलेंडर वर्ष की शुरुआत होती है. इसलिए इस दिन मुहूर्त ट्रेडिंग को काफी शुभ माना जाता है.
Updated: October 21, 2022 3:07 PM IST
Bombay Stock Exchange (BSE) lit up during Muhurat trading to mark the Diwali festival, in Mumbai, Monday, October, 2022. (PTI Photo)
Muhurat Trading 2022 : प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज बीएसई और एनएसई सोमवार को एक घंटे का विशेष मुहूर्त ट्रेडिंग सत्र आयोजित करेंगे, जिसमें नए संवत 2079 की शुरुआत होगी. हिंदू कैलेंडर वर्ष की शुरुआत दिवाली से होती है.
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स्टॉक एक्सचेंजों ने अलग-अलग बयानों में बताया कि इस विशेष सत्र का आयोजन शाम को 18:15 बजे से 19:15 बजे के बीच होगा.
ऐसा माना जाता है कि ‘मुहूर्त’ या शुभ समय के दौरान व्यापार करने से शेयरहोल्डर्स की संपत्ति में इजाफा होता है और वित्तीय रूप से मजबूती आती है.
पुनीत माहेश्वरी, अपर स्टॉक्स के निदेशक कुछ प्रमुख भारतीय कमोडिटी एक्सचेंज हैं ने कहा कि दिवाली को कुछ भी नया शुरू करने का आदर्श समय माना जाता है. बाजार की धारणा काफी सकारात्मक है, जिसमें अधिकांश क्षेत्रों में खरीदारी के लिए कॉल है. निवेशकों को इस सत्र के दौरान पूरे वर्ष व्यापार से लाभ होने के लिए कहा जाता है.
चूंकि ट्रेडिंग विंडो केवल एक घंटे के लिए खुली होती है, बाजारों को अस्थिर माना जाता है. इसलिए नए व्यापारियों को सतर्क रहना चाहिए.
ट्रेडिंग एक ही कुछ प्रमुख भारतीय कमोडिटी एक्सचेंज हैं समय स्लॉट में इक्विटी, कमोडिटी डेरिवेटिव्स, करेंसी डेरिवेटिव्स, इक्विटी फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस, और सिक्योरिटीज लेंडिंग एंड बॉरोइंग (एसएलबी) जैसे विभिन्न क्षेत्रों में होगी.
एंजेल वन लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी नारायण गंगाधर ने कहा, “भारत अनूठी परंपराओं का देश है. यहां तक कि शेयर बाजार में भी, हमारे पास एक परंपरा है जो हमारे लिए अद्वितीय है – मुहूर्त ट्रेडिंग.”
अपसाइड एआई की सह-संस्थापक कनिका अग्रवाल ने कहा कि हालांकि पिछले 15 में से 11 मुहूर्त सत्र हरे रंग में बंद हुए हैं, इसलिए व्यापारियों के लिए मुहूर्त एक अच्छा दिन हो सकता है. शायद “आशा आर्बिट्रेज” के लिए एक मामला है जहां आप सत्र में बहुत पहले जा सकते हैं और व्यापार के अंत में पदों को बंद कर सकते हैं.
कुल मिलाकर, भारतीय इक्विटी ने संवत 2078 में वैश्विक बाजारों से बेहतर प्रदर्शन किया है और संवत 2079 में बेहतर प्रदर्शन जारी रहने की उम्मीद है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था और घरेलू तरलता में मजबूत सुधार से प्रेरित है, एफपीआई (विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक) के बहिर्वाह की भरपाई, मनीष जेलोका, सह-प्रमुख उत्पाद और समाधान, अभयारण्य धन, ने कहा.
हालांकि, निवेशकों को यह ध्यान रखने की जरूरत है कि तरलता की स्थिति सख्त होने के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी के कारण संवत 2078 में देखी गई अस्थिरता का सामना करना पड़ सकता है.
नीलेश शाह, समूह अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक (एमडी) कोटक महिंद्रा एसेट मैनेजमेंट कंपनी ने कहा, संवत 2079 में बैंकों, पूंजीगत वस्तुओं, विनिर्माण के बाजार से बेहतर प्रदर्शन की संभावना है. साथ ही, तकनीक और फार्मा सुधार में नीचे के आधार पर दिलचस्प अवसर प्रदान करेंगे.
एक्सचेंज 26 अक्टूबर को दिवाली बाली प्रतिपदा के अवसर पर बंद रहेंगे.
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