Crop Management: किसान ‘फसल विविधीकरण खेती’ कर रहे हैं, लेकिन इसमें उन्हें कई समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है. ऐसे में कृषि जागरण फसल विविधीकरण खेती के फसल प्रबंधन की जानकारी लेकर आया है.
फसल विविधीकरण: किसानों की आय बढ़ाने के लिए एक नया आयाम
पिछले पांच दशकों में कृषि उत्पादन में वृद्धि और खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करना कृषि विकास के लिए मुख्य विषय था। भारत की अधिकतर आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है जहाँ कृषि मुख्य व्यवसाय है। भारत में लगभग 93 प्रतिशत किसानों की जोत का आकर 4 हेक्टर से भी कम है एवं इसकी 55 प्रतिशत भूमि ही कृषि योग्य है।
भारत सरकार द्वारा 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का निर्धारित लक्ष्य किसान कल्याण को बढ़ावा देने, कृषि संकट को कम करने और किसानों की आय और गैर-कृषि व्यवसाय के श्रमिको के बीच समानता लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा विविधीकरण के प्रकार सकता है।
कृषि विकास के लिए कृषि उत्पादकता, उत्पादन लागत, फसल विविधीकरण, उत्पाद मूल्य आदि में सुधार आवश्यक है। इसके लिए नियत समय पर कई उपयोगी योजनाए प्रस्तावित की गईं है जैसे प्रति बूंद अधिक फसल, गुणवत्ता वाले बीज, मृदा-स्वास्थ्य कार्ड, भण्डारण और कोल्ड चेन, मूल्य संवर्धन, ई-प्लेटफार्म, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, सहायक गतिविधिया (पोल्ट्री, सेरीकल्चर, मधुमक्खी पालन और मत्स्य पालन) आदि।
फसल विविधीकरण: सरकार दे रही है आर्थिक मदद, जल्द करें आवेदन नहीं तो निकल जाएगी आखिरी तारीख
भूमंडलीकरण के दौर में जलवायु परिवर्तन एवं उससे होने वाले नुकसान आधुनिक युग में एक बड़ी समस्या बनते जा रहे हैं, जिसके कारण सामान्य जनजीवन से लेकर खेती विविधीकरण के प्रकार किसानी तक हर कुछ बेहद नकारात्मक रूप से प्रभावित हो रहा है। इसका एक कारण विविधीकरण के प्रकार यह भी है कि आजकल तीव्र जलवायु परिवर्तन के साथ एक ही फसल को बार-बार लेने से खेतों की उर्वरा शक्ति बेहद कमजोर होती जा रही है, जिसके कारण खेती में उत्पादन कम होता जा रहा है और लागत एवं आय में फासला बेहद चौड़ा होता जा रहा है। इस समस्या का समाधान करने के लिए और समस्या से पूरी तरह से निपटने के लिए सरकारें समय-समय पर नई योजनाएं लाती रहती हैं। सरकार ने इसके लिए एक कमेटी भी गठित की है जो इस प्रकार की समस्याओं पर सुझाव देती है, ताकि इन समस्याओं से निपटने के लिए सरकार नई योजनाएं लागू कर सके।
यह योजना क्यों शुरु की गई ?
राज्य के कई क्षेत्रों में घटते हुए जलस्तर के कारण सरकार ने ‘मेरा पानी मेरी विरासत’ (Mera Pani Meri Virasat) योजना को शुरू करने का निर्णय लिया है, क्योंकि कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार एक किलो चावल के उत्पादन में करीब 3000 लीटर पानी की जरुरत होती है। इसलिए इस योजना के तहत, यदि कोई किसान नियमित रूप से धान की खेती करने वाला किसान है और वह इस खेती विविधीकरण के प्रकार को छोड़कर खेत खाली छोड़ना चाहता है, तो सरकार किसान को 7,000 रुपये प्रति एकड़ की सहायता राशि मुहैया करवाएगी। हरियाणा सरकार की ओर से फसल विविधीकरण स्कीम योजना का पूरा सरकारी दस्तावेज पढ़ने या पीडीऍफ़ डाउनलोड के लिए, यहां क्लिक करें।
सरकार इस पर पूरा जोर लगा रही है ताकि किसान ज्यादा पानी की खपत वाली खेती को छोड़ दें, जिससे आने वाली पीढ़ियां भी उस जमीन पर खेती कर सकें, क्योंकि बिना पानी और जमीन में बगैर नमी के खेती संभव नहीं है। अभी तक हरियाणा के ज्यादातर क्षेत्रों में भूमिगत जल का स्तर 100 मीटर से भी नीचे चला गया है। इसके साथ ही राज्य के 142 ब्लॉकों में से 85 ब्लॉक डार्क जोन घोषित कर दिए गए हैं। इसलिए सरकार की यह कोशिश है कि जहां पानी की कमी हो रही है, वहां अब फसल विविधीकरण शुरू कर देना चाहिए।
राज्य में अभी तक कितने लोगों ने छोड़ी है धान की खेती ?
हरियाणा सरकार एक द्वारा चालै गई स्कीम ‘मेरा पानी मेरी विरासत’ से प्रभावित होकर अभी तक लगभग 1.14 लाख एकड़ से अधिक क्षेत्र में किसानों ने धान की खेती करना बंद कर दी है। इसके अलावा राज्य में में जलवायु परिवर्तन और घटता हुआ जलस्तर अन्य समस्या है जिससे स्वतः ही किसानों ने इस खेती से किनारा कर लिया है। राज्य सरकार द्वारा चलाई गई ‘मेरा पानी मेरी विरासत’ योजना में अब तक 74 हजार से अधिक किसान लाभप्रद हुए हैं। इन किसानों ने ज्यादा पानी वाली फसलों को त्यागकर कम पानी वाली फसलें अपने खेतों में उपजायी हैं। इस योजना के तहत राज्य भर के किसानों ने अब तक 76 करोड़ रूपये की प्रोत्साहन राशि सीधे अपने बैंक खातों में प्राप्त की है। इस तरह से राज्य के किसानों की कोशिश है कि इस खेती को अब छोड़ दिया जाए और अब धीरे-धीरे किसान धान की खेती से किनारा करते जा रहे हैं।
फसल विविधीकरण योजना के तहत खेती करें किसान, तीन साल तक मिलेगी सरकारी मदद
केंद्र और राज्य सरकार किसानों की आय (Farmers Income) बढ़ाने को लेकर कार्य कर रही है साथ ही कई प्रकार की योजनाएं भी चल रही है. किसानों को इन योजनाओं का लाभ भी मिल रहा है. फसल विविधीकरण (Crop Diversification) भी किसानों की आय बढ़ाने का एक बेहतर तरीका है. इसे देखते हुए मध्यप्रदेश सरकार ने फसल विविधीकरण प्रोत्साहन योजना शुरू करने का फैसला किया है. फसल विविधीकरण योजना के तहत किसानों की आय बढ़ाने के लिए प्रदेश के किसानों (Farmers) को गेंहू और धान के अलावा दूसरी फसलों की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा. प्रोत्साहित किए जाने के तहत उन्हें सहायता भी प्रदान की जाएगी.
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फसल विविधीकरण के जरिए खेती को खुशहाल बनाने में जुटी मोदी सरकार
दालों और खाद्य तेल के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के प्रयासों के तहत सरकार ने दलहनी व तिलहनी फसलों के एमएसपी में 300 रुपये से लेकर 523 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोत्तरी की है। इससे न सिर्फ फसल विविधीकरण को बढ़ावा मिलेगा बल्कि दालों और खाद्य तेलों का आयात घटाने में भी सफलता मिलेगी।
“ बीज से बाजार तक ” किसानों को हर तरह से सहयोग देने वाली मोदी सरकार ने खरीफ सत्र शुरू होने से पहले ही खरीफ फसलों का समर्थन मूल्य घोषित कर दिया। खरीफ सीजन के कुल आठ फसलों के समर्थन मूल्य में उनकी लागत से डेढ़ गुना की वृद्धि की गई है जबकि छह फसलों में 51 से 85 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। सबसे ज्यादा जोर तिलहनी फसलों पर दिया गया है।
मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में कारगर
फसल विविधीकरण मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने में भी कारगर है. फसल विविधीकरण से तात्पर्य फसल को बदलकर बोने से हैं. जैसा की लगातार खेत में हर साल एक ही फसल बोने से मिट्टी की उर्वरक शक्ति नष्ट हो जाती है, जिससे फसल की पैदावार भी घटती है और किसानों को मुनाफा भी कम होता है. ऐसे में मिट्टी की सेहत को सुधारने के लिए फसल विविधीकरण अपनाकर कम लागत में अधिक उत्पादन लिया जा सकता है. अगर मिट्टी की सेहत सुधरती है, तो इससे खेत जल्दी बंजर नहीं होंगे और उस भूमि पर लंबे समय तक खेती किया जा सकेगा.
इससे पर्यावरण में भी सुधार होगा और पानी की बचत भी होगी. फसल विविधीकरण को अपनाने से प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण भी होता है, जैसे कि चावल-गेहूँ की फसलों के साथ फलियाँ लगाना, जो मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने के साथ ही वायुमंडलीय नाइट्रोजन की मात्रा भी बढ़ाने में मदद करता है.
मौसमी सब्जियों की खेती से मिलेगा ज्यादा मुनाफा
फसल विविधीकरण में मिश्रित मौसमी सब्जियों की खेती विशेष रूप से छोटे किसानों के लिए बहुत उपयोगी साबित हो सकता है.
Crop Diversification
रबी मक्का - अवसर और चुनौतियाँ
विश्व में मक्का एक महत्वपूर्ण अनाज फसल हैं। मक्का का मानव भोजन और पशु के चारे के अतिरिक्त उद्योग में व्यापक प्रयोग किया जाता है…
फसल विविधीकरण के इन्हीं फायदों को देखते हुए सरकार 2 हेक्टेयर या उससे कम जमीन वाले छोटे किसानों को इसे अपनाने के लिये प्रोत्साहित कर रही है, ताकि किसान भाई कम विविधीकरण के प्रकार जमीन में ही अलग-अलग फसल लगाकर अधिक पैदावार लेकर अपनी आमदनी बढ़ाने का काम कर सकें.
‘फसल विविधिकरण खेती’ में किसान कैसे करें फसल प्रबंधन? (crop management in 'Crop Diversification Farming'?)
आज के समय में किसानों के लिए फसल विविधिकरण खेती बेहतर कृषि प्रणाली साबित हो रही है, लेकिन कई बार किसानों की फसलें मौसम संबंधी जोखिम, कीट और रोगों की वजह से खराब हो जाती हैं, जिससे किसानों को भारी नुकसान होता है. ऐसे में आइये इन जोखिम को कम करने का आसान तरीका जानते हैं.
अपने विविधीकरण के प्रकार क्षेत्र की जलवायु को देखते हुए फसलों का चयन करें.
फसलों की उन्नत किस्मों का चयन करें और प्रमाणित सेंटर से ही बीज खरीदें.
फसलों का चयन मिट्टी की जांच के आधार पर ही करें.
फसल विविधिकरण खेती करने वक्त ये जरूर ध्यान रखें कि एक फसल की समस्य़ा दूसरे फसल तक ना पहुंचे. इसके लिए इस विधि से खेती करने वक्त मेड़ या फेंसिंग के जरिये अलग-अलग फसलों में पार्टिशन कर सकते हैं. इससे एक फसल की समस्या हवा या पानी के जरिये दूसरे फसलों तक नहीं पहुंच पाएगी.
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