वंदे भारत का ट्रायल रन पूरा होने के बाद इसकी रिपोर्ट रेलवे सेफ्टी कमिश्नर को दी जाएगी। रिपोर्ट के आधार पर सुरक्षा आयुक्त हरी झंडी देगा। जिसके बाद नई वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन दूसरे नए रूट पर चलाया जाएगा। फिलहाल इसपर अंतिम फैसला होना बाकी है। सूत्रों का कहना है कि इस नई वंदे भारत ट्रेन को अहमदाबाद और मुंबई के बीच चलाया जा सकता है।
ट्रायल ट्रेन: खगड़िया-कुशेश्वर स्थान रेललाइन पर अलौली तक 60-80 किमी/घंटे की रफ्तार से चली ट्रायल ट्रेन
बताते चलें कि पिछड़े इलाके में गिने जाने वाले जिले का अलौली प्रखंड क्षेत्र से होकर गुजरने वाली 44 किलोमीटर लंबी खगड़िया- कुशेश्वर स्थान रेल परियोजना पर खगड़िया से अलौली तक 18.5 किलोमीटर ट्रेंड लाइन और ट्रेंड प्रकार को समझना के बीच नवनिर्मित रेलखंड पर बुधवार को रेल परिचालन का शुभारंभ से पूर्व निरीक्षण यान से रेल ट्रेंड लाइन और ट्रेंड प्रकार को समझना अधिकारियों ने निरीक्षण किया।
जिसको लेकर अलौली के लोगों में काफी उत्साह देखी गई। खासकर बच्चों का उत्साह देखने लायक था। निरीक्षण यान के नवनिर्मित अलौली स्टेशन पर पहुंचते ही वहां मौजूद भीड़ ने स्वागत किया, फिर सेल्फी लेने का दौर शुरू हो गया।
इधर, कांट्रेक्टर राहुल सिंह के अनुसार जून माह तक कार्य संपन्न कर लिया जाएगा। 2 महीने के अंदर यहां पर ट्रेन का आवागमन होने लगेगा। किसानों ने बताया कि अब फसलों की कीमत सीने 1000 रुपए प्रति क्विंटल अधिक मिलेगी। उल्लेखनीय है कि सफलता पूवर्क ट्रायल हो जाने के बाद अब प्रखंडवासियों को परिचालन शुरू होने का इंतजार है।
ट्रायल रन में वंदे भारत ने निकाली 180 किमी प्रति घंटे की रफ्तार, जानिए भारत के लिए क्यों है ये खास
वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन में 16 कोच हैं जोकि पूरी तरह से वातानूकुलित ट्रेंड लाइन और ट्रेंड प्रकार को समझना है(फोटो सोर्स: PTI)।
Vande Bharat Trial: दिल्ली-मुंबई रेल मार्ग के कोटा से महिदपुर रोड़ स्टेशन तक वंदे भारत ट्रेन का ट्रायल किया गया। इसका एक वीडियो रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने अपने ट्विटर अकाउंट से शेयर किया है। ट्रायल रन में वंदे भारत ट्रेन ने 180 किमी की स्पीड पकड़ी। रेल मंत्री ने ट्वीट में लिखा वंदे भारत 2 के स्पीड ट्रायल में 180 किमी प्रति घंटे की रफ्तार को पार किया।
यूपी निकाय चुनाव पर इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला- OBC आरक्षण रद्द, तत्काल चुनाव कराने के निर्देश
जस्टिस डी.के. की खंडपीठ उपाध्याय और जस्टिस सौरभ लवानिया की पीठ ने अपना 87 पेज का निर्णय देते हुए निम्नलिखित निर्देशों के कई रिट याचिकाओं की अनुमति दी:
- उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा शहरी विकास विभाग में धारा 9-ए(5)(3) के तहत जारी अधिसूचना दिनांक 05.12.2022 एतद् द्वारा निरस्त की जाती है।
- राज्य सरकार द्वारा जारी शासनादेश दिनांक 12.12.2022 जो उत्तर प्रदेश पालिका केन्द्रीकृत सेवा (लेखा संवर्ग) में कार्यपालक अधिकारियों एवं वरिष्ठतम अधिकारी के संयुक्त हस्ताक्षर से नगर पालिकाओं के बैंक खातों के संचालन का प्रावधान करता है, को भी निरस्त किया जाता है।
- यह भी निर्देश दिया जाता है कि जब तक राज्य सरकार द्वारा के कृष्ण मूर्ति (सुप्रा) और विकास किशनराव गवली (सुप्रा) में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए ट्रिपल टेस्ट/शर्तों को हर तरह से पूरा नहीं किया जाता है, तब तक पिछड़े वर्ग के लिए कोई आरक्षण नागरिकों को प्रदान किया जाएगा और चूंकि नगर पालिकाओं का कार्यकाल या तो समाप्त हो गया है या 31.01.2023 तक समाप्त होने वाला है और ट्रिपल टेस्ट/शर्तों को पूरा करने की प्रक्रिया कठिन होने के कारण इसमें काफी समय लगने की संभावना है, यह निर्देश दिया जाता है कि राज्य सरकार / राज्य चुनाव आयोग चुनावों को तुरंत अधिसूचित करेगा।
- निर्वाचनों को अधिसूचित करते समय अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित सीटों को छोड़कर अध्यक्षों के पदों और कार्यालयों को सामान्य/खुली श्रेणी के लिए अधिसूचित किया जाएगा। चुनाव के लिए जारी होने वाली अधिसूचना में संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार महिलाओं के लिए आरक्षण शामिल होगा।
- यदि नगरपालिका निकाय का कार्यकाल समाप्त हो जाता है, निर्वाचित निकाय के गठन तक ऐसे नगर निकाय के मामलों का संचालन संबंधित जिला मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय समिति द्वारा किया जाएगा, जिसमें से कार्यकारी अधिकारी / मुख्य कार्यकारी अधिकारी/नगर आयुक्त सदस्य होंगे। तीसरा सदस्य एक जिला स्तरीय अधिकारी होगा जिसे जिला मजिस्ट्रेट द्वारा नामित किया जाएगा।
- हालांकि, उक्त समिति संबंधित नगर निकाय के केवल दिन-प्रतिदिन के कार्यों का निर्वहन करेगी और कोई बड़ा नीतिगत निर्णय नहीं लेगी। हमने भारत के संविधान के अनुच्छेद 243-यू के प्रावधानों द्वारा निर्देशित होने वाले चुनावों को तुरंत अधिसूचित करने का निर्देश जारी किया है, जो कि एक नगर पालिका का गठन करने के लिए चुनाव की अवधि समाप्त होने से पहले पूरा किया जाएगा।
- हम समझते हैं कि समर्पित आयोग द्वारा सामग्रियों का संग्रह और मिलान एक भारी और समय लेने वाला कार्य है, हालांकि, भारत के संविधान के अनुच्छेद 243-यू में निहित संवैधानिक जनादेश के कारण चुनाव द्वारा निर्वाचित नगर निकायों के गठन में देरी नहीं की जा सकती है। इस प्रकार समाज के शासन के लोकतांत्रिक चरित्र को मजबूत करने के लिए यह आवश्यक है कि चुनाव जल्द से जल्द हों जो इंतजार नहीं कर सकते। हम यह भी निर्देश देते हैं कि एक बार शहरी स्थानीय निकायों के चुनावों के संदर्भ में पिछड़े वर्ग के नागरिकों को आरक्षण प्रदान करने के उद्देश्य से पिछड़ेपन की प्रकृति और निहितार्थ के रूप में अनुभवजन्य अध्ययन करने की कवायद करने के लिए समर्पित आयोग का गठन किया जाता है। नागरिकों के पिछड़े वर्ग में शामिल करने के लिए ट्रांसजेंडरों की संख्या पर भी विचार किया जाएगा।
कोहरा संग गलन बरकरार, सर्दी से राहत नहीं
कोहरा संग गलन बरकरार है। जिसकी वजह से लोगों को सर्दी से राहत नहीं मिल रही है। सुबह, शाम में तो हाथ, पैर सुन्न करने वाली सर्दी हो रही है। मौसम वैज्ञानिकों ने आगामी कुछ दिनों ट्रेंड लाइन और ट्रेंड प्रकार को समझना तक इसी प्रकार की कड़ाके की सर्दी पड़ने के संकेत दिये हैं। ऐसा मौसम गेहूं की फसल के लिए लाभदायक साबित हो रहा है, लेकिन आलू और सरसों की फसल को नुकसान है।
कड़ाके की सर्दी में सबसे ज्यादा बुजुर्गों एवं बच्चों के लिए दिक्कतों का सामना करना पड़ा। मंगलवार के लिए सुबह की शुरुआत घने कोहरे के साथ हुई, हालांकि 11 बजे तक कोहरा छठ गया और इसके बाद सूर्यदेव ने दर्शन दे दिये। धूप निकलने के बाद लोग घरों की छतों एवं खाली पड़े मैदानों में जाकर बैठ गये, लेकिन धूप में ज्यादा दम नहीं थी, लेकिन फिर भी सर्दी से काफी राहत मिली। शाम के समय फिर से हाथ, पैर सुन्न करने वाली सर्दी पड़ना शुरू हो गयी और खेतिहार इलाके में कोहरे की धुंध भी शाम से ही छा गयी। ऐसे में यातायात प्रभावित रहा। बरेली मथुरा, बिजनौर हाईवे, मुरादाबाद फर्रूखाबाद हाईवे पर चालकों ने कोहरे को ध्यान में रखते हुये धीमी गति से सफर तय किया।
“भारत के दूतावास को जला दो”, मालदीव अगर अभी भी नहीं संभला तो देर हो जाएगी
कहते हैं कि पड़ोसी ही पड़ोसी के काम आता है लेकिन इन दिनों भारत का एक पड़ोसी देश मालदीव बड़ी ही पशोपेश में है। उसकी मध्यम मार्ग की नीति ही उसके लिए घातक सिद्ध होती जा रही है। एक ओर जहां वह भारत के साथ अपने संबंधों को बेहतर बनाए हुए है तो वहीं दूसरी ओर चीन के साथ भी गठजोड़ किए हुए है। अब दो नाव पर सवार होकर चलने वालों की नियति तो ट्रेंड लाइन और ट्रेंड प्रकार को समझना डूबना ही होता है ऐसे में अगर मालदीव को स्वयं को बचाना है तो उसे एक रास्ता तो अपनाना ही होगा। प्रश्न यह है कि वह एक रास्ता चीन की तरफ जाता है या फिर भारत की तरफ?
इस लेख में जानेंगे कि क्यों मालदीव के सामने दो ही विकल्प हैं या तो वह भारत के साथ हो ले या फिर चीन के जाल में फंसकर अपने विनाश के लिए तैयार हो जाए।
एमडीपी की मध्यम मार्ग की नीति
मालदीव एक हजार से अधिक छोटे-छोटे टापुओं वाला देश है और भारत से लगभग 1200 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और वहां पर अभी मालदीव डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) की सरकार है, जिसका नेतृत्व राष्ट्रपति ‘इब्राहिम मोहम्मद सोलिह’ कर रहे हैं। एमडीपी मध्यम मार्ग के विचार पर चलने वाली पार्टी है। एक ओर वह चीन के साथ भी डील करती है तो वहीं दूसरी ओर भारत के साथ भी अपने संबंधों को अच्छे बनाए रखना चाहती है। लेकिन अब समय आ गया है जब मालदीव की सरकार को भारत और चीन में से किसी एक को चुनना ही होगा। हम ऐसा क्यों कह रहे हैं, आइए इसके पीछे कारणों को समझते हैं।
‘प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ मालदीव’ मालदीव की प्रमुख विपक्षी पार्टी है और वह 2018 से पहले सत्ता पर काबिज थी। लेकिन सत्ता से बाहर होने के बाद पीपीएम नेता ट्रेंड लाइन और ट्रेंड प्रकार को समझना और पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्लाह यामीन मालदीव में लगातार भारत की मौजूदगी पर सवाल उठाते हुए भारत विरोधी कैंपेन चला रहे हैं। उनका कहना है कि भारत के सैन्य अधिकारी और उपकरणों को हटाया जाए। यही नहीं अभी कुछ दिनों पहले ही ‘पीपीएम’ के एक नेता अब्बास आदिल रीज़ा ने ट्वीट कर भारतीय उच्चायोग में आग लगाने की अपील भी की थी।
चीन के साथ जाना घातक
अब दूसरी स्थिति पर ध्यान देते हैं- चीन जो एक शिकारी देश है, वह पहले चारा डालता है और फिर शिकार करता है। उदाहरण के लिए श्रीलंका को ही देख लीजिए कैसे वहां की सरकार ने ट्रेंड लाइन और ट्रेंड प्रकार को समझना पहले तो मुफ्त का चंदन समझकर चीन से कर्जा लिया। जब कर्जा चुका पाने की क्षमता नहीं थी तो हबंनटोटा पोर्ट और राजधानी कोलंबो में समुद्र किनारे 99 साल की लीज पर जमीन देनी पड़ी जिसमें अब चीन अपनी एक सिटी बना रहा है। ठीक उसी प्रकार पाकिस्तान और नेपाल ने भी चीन से कर्जा लिया था। हालांकि नेपाल बीच में ही समझ गया कि चीन की चाकरी खतरे से खाली नहीं है इसलिए उसने समय रहते ही चीन का साथ छोड़ भारत के साथ अपने संबंध बेहतर किए। बाकी रही पाकिस्तान की बात तो वो तो चीन का अघोषित गुलाम तो हो ही गया है।
ध्यान देने वाली बात यह है कि श्रीलंका, नेपाल और पाकिस्तान की तरह मालदीव ने भी चीन से लगभग 1.5 करोड़ डॉलर का कर्ज लिया था। जिसे लेकर 2020 में मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद और मालदीव में चीन के राजदूत चांग लिचोंग के बीच ट्विटर पर बहस भी हुई थी। यही नहीं साल 2016 में मालदीव ने मात्र 40 लाख डॉलर के लिए 50 साल के लिए चीनी कंपनी को एक द्वीप भी लीज़ पर दिया था।
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