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विकल्प विश्लेषण क्या है?

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Analysis: नौकरशाही की जिम्मेदारी का दायरा, तटस्थता और प्रतिबद्धता के रूप में दो विकल्प

Analysis: नौकरशाही की जिम्मेदारी का दायरा, तटस्थता और प्रतिबद्धता के रूप में दो विकल्प

[ डॉ. महेश भारद्वाज ]। दुनिया भर के लोकतांत्रिक देशों में राजनीतिक नेतृत्व और नौकरशाही के रिश्ते हमेशा से ही चर्चा का विषय रहे हैं। इन रिश्तो में समय, स्थान और परिस्थितियों के हिसाब से उतार-चढ़ाव के अलग अलग दौर रहे हैं। भारत में अंग्रेजी हुकूमत के दौरान नौकरशाही का स्वरूप और प्राथमिकताएं कुछ अलग थीं। आजादी के बाद उनमें धीरे-धीरे बदलाव लाया विकल्प विश्लेषण क्या है? गया। परिणामस्वरूप आजाद मुल्क में नौकरशाही के काम करने का अपना एक तरीका बना। आजादी के बाद उसे काम करने की काफी कुछ आजादी दी गई। इसके अलावा उसकी सेवा शर्तों को बनाते समय इस बात का विशेष ख्याल रखा गया कि नौकरशाह किसी भी प्रकार के अनावश्यक दबाव में न आएं। नौकरशाही को केवल सरकार के अनावश्यक दबाव से ही बचाने की कोशिश नहीं की गई, बल्कि जनता या फिर निहित स्वार्थों के दबाव को भी उनसे परे रखने की कोशिश की गई। पारंपरिक तौर पर नौकरशाही का यह भारतीय मॉडल बहुत कुछ नौकरशाही के मैक्स वेबेरियन मॉडल के करीब था जो नौकरशाही के तटस्थ रहने की बात करता है। इसमें सरकारी कर्मचारी को सरकारी सेवा के नियमों के अनुसार कार्य करने की सलाह दी जाती है।

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पानी के एक बिल की कहानी
ईश्वर ने हमें पानी दिया है, इसे निशुल्क होना चाहिए। वह पाइपलाइन (और पंप, फिल्टर, क्लोरीन, मीटर, डूबता धन) भूल गया कि इसकी कीमत होनी चाहिए। लेखकः विश्वनाथ श्रीकांतैया, रेनवाटर क्लब (www.rainwaterclub.org)

पानी का बिल-2

पानी का बिल
पानी का बिल-2
किसी भी आम भारतीय शहरी की तरह मैं भी पानी के लिए पाइप सप्लाई पर निर्भर हूं। महीने में एक बार पानी का बिल आता है। मैं कभी बिल की ओर ध्यान भी देता था और जमा कर देता था क्योंकि रकम बहुत कम हुआ करती थी। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। मैं बंग्लुरू में रहता हूं। बस से मैसूर जाते समय मेरे मोबाईल फोन की बैटरी खत्म हो गई। ऐसे में मनोरंजन के लिए पढ़ने से बेहतर कोई और विकल्प मुझे नहीं नज़र आया। मैंने पत्रिका ख़रीदने के लिए पर्स में हाथ डाला तो मुझे पानी की एक पुराना बिल मिला। तब अपनी बोरियत को ख़त्म करने के लिए मुझे वह बिल पढ़ना अधिक दिलचस्प लगा।
अब देखिए हमारे खूबसूरत बंग्लुरू शहर के पानी के बिल से मुझे क्या पता चलता है। एकबारगी बिल देखकर लगा कि मुझे खपत की मात्रा के आधार पर भुगतान करना है। बहुत से शहर ऐसा नहीं करते। वे एक तय रकम या संपत्ति कर के रुप में लेते हैं। हालांकि विशेषज्ञ सहमत होंगे कि मात्रा के आधार पर बिल ठीक है, क्योंकि आप उतने का ही भुगतान करते हैं जितना आप इस्तेमाल करते हैं।
आप अच्छे आचरण के लिए पुरस्कृत किए जाएंगे। विकल्प विश्लेषण क्या है? मतलब कम खपत पर कम पैसे और अधिक खपत पर सज़ा। बंग्लुरू जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड या बंग्लुरू जल और सीवरेज सप्लाई बोर्ड के लिए यह अच्छी शुरुआत है।
बिल को पहले पलट कर देखें। यह स्वच्छता उपकर के बारे में बताता है। मतलब, मुझे अपने सीवेज के लिए भी पैसा देना है। बहुत बढ़िया। मैंने बिल को उलट-पुलट कर देखा। मैं हर महीने 25,000 लीटर से कम इस्तेमाल करता हूं और इस हफ्ते मैंने केवल 7000 लीटर इस्तेमाल किया है। और इसके लिए मुझे केवल 15 रुपये चुकाने हैं। इतने कम जिन्हें मैं यू ही उड़ा दिया करता हूं। बहुत सस्ता।
तब मैं नीचे देखता हूं, अरे यह क्या ? मेरे बिल में खपत के अलग-अलग स्लैब. अगर मैं 8000 लीटर से कम पानी खर्च करता हूं तको मुझे 6 रुपये प्रति किलोलीटर देने होंगे। इसलिए चूंकि मैंने 7 किलोलीटर (7000 लीटर) खर्च किया है इसलिए मुझे 7*6=42 रुपये होने चाहिए। लेकिन ये क्या मेरा बिल तो 48 रुपये है। ये क्या माज़रा है। मतलब यह न्यूनतम है। मतलब यह कि अगर मैं कम भी इस्तेमाल करूं तो भी बिल मुझे 48 रुपये का ही चुकाना होगा। चाहे मैं १००० लीटर भी क्यों न इस्तेमाल करूं। क्या मुझे कुछ मुफ्त भी मिलेगा. और बारिश के जल के संरक्षण के लिए रियायत कहां है ?
होटल कारोबारियों को गैर घरेलू दर के नाम पर भुगतान करना होता है जो अधिक होता है और औद्योगिक ग्राहकों के लिए दर और ज़्यादा होती है। उन्हें २०% उपकर के सथ 60 रुपये प्रति किलोलीटर का भुगतान करना पड़ता है। मतलब 72 रुपये प्रति किलोलीटर। यह कारण है कि उद्योगिक ग्राहक बोर कुओं या पानी के निजी टैंकरों का सहारा लेते हैं जो सस्ता पड़ता है।
लेकिन यह क्या ? हर घर पर 50 रुपये का बोर कुआं उपकर। ईश्वर का शुक्र है मेरे घर में कोई बोर कुआं नहीं है। इसका मतलब नगर पालिका के लोगों को पता है कि पूरे शहर में कितने बोर कुएं हैं या कम से कम उनके कनेक्शन वाले घरों के बारे में तो पता विकल्प विश्लेषण क्या है? ही है। बहुत दिलचस्प ! अब अगर वे बोर कुएं में एक मीटर लगा दे हमें कम से कम यह पता चल जाएगा कि शहर में भूमिगत जल का कितना इस्तेमाल हो रहा है। बिल में जल संरक्षण पर एक संदेश भी है। क्या लोग गंभीर हैं ? कन्नड़ में बाल श्रम पर एक चेतावनी भी है। आश्चर्यजनक, इन लोगों की सामाजिक चिंताओं पर गौर फरमाएं। लेकिन ग़रीबों के लिए मुफ्त पानी की कोई व्यवस्था नहीं है। मसलन 6000 लीटर प्रति परिवार निशुल्क। जैसा दक्षिण अफ्रीका में है। वैसा होता तो अच्छा होता। अब बिल के सामने के हिस्से को देखें। नीचे की पंक्ति में लिखा है। अगर नियत समय तक बिल नहीं भरा गया तो कनेक्शन काटने की प्रकिया शुरू की जाएगी। अरे बिल भरने की आख़िरी तारीख क्या है ? मैने ऊपर देखा 27/09/2006 . मैंने सही समय पर बिल भर दिया है। ये लोग बेहद सज्जन हैं। कम से कम उन्होंने यह नहीं कहा कि कनेक्शन काट देंगे। केवल लिखा कि प्रक्रिया की शुरूआत करेंगे। संभवतः इसके बाद वे नोटिस देते होंगे। आमतौर मैं हर चीज़ में लेटलतीफी दिखाता हूं। इसलिए मेरे जैसे लोगों को तो नोटिस मिलनी ही चाहिए। देर करने पर कोई विलंब शुल्क या ज़ुर्माना भी है . इस पर कुछ नहीं लिखा है। मुझे लगा इसके बारे में नगर पालिका से अधिक जानकारी मिल पाए। यह क्या है ? बिल में लिखा है एन३। यह एन३ और आरआर नंबर क्या है। और उपभोक्ता पहचान का मतलब ? मैं कई तरह के अनुमान लगा रहा था, लेकिन इनका मतलब क्या है ?
बिल में मीटर रीडिंग का दिन का जिक्र था। भुगतान की अंतिम तिथि उस दिन से 15 दिन के बाद की थी। बढ़िया है। 15 दिन का समय बहुत है लेकिन क्या वे लोग मुझे उसी दिन बिल पहुंचा देते हैं। कभी इस पर ग़ौर करूंगा। इसके बाद पानी के शुल्क का ज़िक्र है। उसे मैं समझ गया। लेकिन मीटर शुल्क १० रुपये। क्या मुझे मीटर के लिए भी शुल्क देना होगा। मैंने सोचा मीटर की कीमत 600 रुपये होती होगी। मैंने सोचा क्या ये लोग विकल्प विश्लेषण क्या है? 60 महीने बाद 600 रुपये वसूल करने के बाद यह शुल्क लेना बंद कर देंगे। नहीं। मैंने अपना घर 1994 में बनाया था और अब 2004 है। अभी तक मुझसे यह शुल्क वसूला जा रहा है। निश्चित रुपये से मीटर की रीडिंग लेने के लिए यह शुल्क वसूला जाता होगा। ओह तब ठीक है।
यह बोर कुएं के लिए एससी क्या है? यह सेनेटरी चार्जेज जैसा लगता है। अगर मैं बोर कुएं का पानी इस्तेमाल करता हूं तो निश्चित रूप से सीवेज में पानी जाएगा। आख़िर उसे भी तो नगरपालिका को साफ़ करना पड़ता है। इसलिए बोर कुएं का पानी इस्तेमाल करने पर 50 रुपये महीने का उपकर भी देना होगा। अगर ये लोग बोर हर कुएं के साथ एक मीटर लगा दें तो पता चल जाएगा कि बोर कुएं से कितना पानी सीवर में जाता है। यह बताने की ज़रूरत नहीं है कि इससे बोर कुओं विकल्प विश्लेषण क्या है? की संख्या पता चल जाएगी। बंग्लुरू ऐसा करने वाला भारत का पहला शहर होगा।
अरे बिल में 4 रुपये के बकाए का भी ज़िक्र है। क्या हुआ ? क्या मैंने पिछले महीने 4 रुपये नहीं चुकाए ? और उन्होंने इसे याद रखा। आश्चर्यजनक।
मैंने देखा कि मैं उनके कियोस्क में 24 घंटे बिल जमा कर सकता हूं। बहुत अच्छे। मुझे हर तीसरे दिन २ घंटे के लिए पानी मिलता है लेकिन ये लोग 24/7 पैसा वसूल सकते हैं।
अंत में नीचे बार कोड था। मैंने सोचा आधुनिकता और स्वैपिंग मशीन। भारत के कितने शहर होंगे जहां इस तरह पानी की आपूर्ति और इस तरह के बिलभेजे जाते होंगे ? इसकी जानकारी जुटाना मज़ेदार होगा।
सज्जनों मेरी मदद करें और अपना पानी का बिल भेजें। भारत के किसी भी शहर के बिल की एक कॉपी भेजें। हम आने वाले ब्लॉग्स पर इस पर चर्चा करेंगे। बशर्ते आप इस बकवास से बोर विकल्प विश्लेषण क्या है? न हो गएं हों।

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Analysis: नौकरशाही की जिम्मेदारी का दायरा, तटस्थता और प्रतिबद्धता के रूप में दो विकल्प

Analysis: नौकरशाही की जिम्मेदारी का दायरा, तटस्थता और प्रतिबद्धता के रूप में दो विकल्प

[ डॉ. महेश भारद्वाज ]। दुनिया भर के लोकतांत्रिक देशों में राजनीतिक नेतृत्व और नौकरशाही के रिश्ते हमेशा से ही चर्चा का विषय रहे हैं। इन रिश्तो में समय, स्थान और परिस्थितियों के हिसाब से उतार-चढ़ाव के अलग अलग दौर रहे हैं। भारत में अंग्रेजी हुकूमत के दौरान नौकरशाही का स्वरूप और प्राथमिकताएं कुछ अलग थीं। आजादी के बाद उनमें धीरे-धीरे बदलाव लाया गया। परिणामस्वरूप आजाद मुल्क में नौकरशाही के काम करने का अपना एक तरीका बना। आजादी के बाद उसे काम करने की काफी कुछ आजादी दी गई। इसके अलावा उसकी सेवा शर्तों को बनाते समय इस बात का विशेष ख्याल रखा गया कि नौकरशाह किसी भी प्रकार के अनावश्यक दबाव में न आएं। नौकरशाही को केवल सरकार के अनावश्यक दबाव से ही बचाने की कोशिश नहीं की गई, बल्कि जनता या फिर निहित स्वार्थों के दबाव को भी उनसे परे रखने की कोशिश की गई। पारंपरिक तौर पर नौकरशाही का यह भारतीय मॉडल बहुत कुछ नौकरशाही के मैक्स वेबेरियन मॉडल के करीब था जो नौकरशाही के तटस्थ रहने की बात करता है। इसमें सरकारी कर्मचारी को सरकारी सेवा के नियमों के अनुसार कार्य करने की सलाह दी जाती है।

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