महंगाई की मार! 1 जुलाई से महंगे होने वाले हैं AC, जानिए क्यों बढ़ रही हैं कीमतें


नई दिल्ली। यदि आप एक नया एयर कंडीशनर (Air Conditioner) खरीदना चाह रहे हैं, तो बेहतर होगा कि आप इसे तुरंत खरीद लें। एसी की कीमतों में होने वाली यह बढ़ोतरी हाल ही में घोषित एनर्जी रेटिंग नियमों के कारण है। ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी (बीईई) की 19 अप्रैल की अधिसूचना के अनुसार, एयर कंडीशनर के लिए एनर्जी रेटिंग नियम 1 जुलाई, 2021 से बदलने के लिए तैयार हैं।

नया मानक शुरू में जनवरी, 2022 में लागू होने की उम्मीद थी। लेकिन, निर्माताओं के अनुरोध पर, सरकार ने छह महीने की छूट की पेशकश की ताकि कंपनियां अपनी इन्वेंट्री को क्लियर कर सकें। आइए अब बताते हैं कि यह नियम आपको कैसे प्रभावित करेगा। भारत के नए एनर्जी एफिशिएंसी रेटिंग नॉर्म्स में मौजूदा एयर कंडीशनर की ऊर्जा रेटिंग को एक स्टार से कम करने की आवश्यकता है।

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इसका मतलब है कि 1 जुलाई से 5-स्टार एसी की रेटिंग सीधे 4-स्टार हो जाएगी। नई एनर्जी एफिशिएंसी दिशानिर्देशों के परिणामस्वरूप, भारत में एसी की कीमतों में आने वाले समय में 7-10 प्रतिशत की वृद्धि होने की उम्मीद है ये इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है। हालांकि, एसी कंपनियों ने इस बारे में कई डिटेल नहीं दी हैं कि वे अगले महीने से इन दिशानिर्देशों को कैसे लागू करने जा रहे हैं।

दिशानिर्देशों में एसी निर्माताओं को अपने मॉडलों के डिजाइन में थोड़ा बदलाव करने की भी आवश्यकता है। बीईई को भारत में उपलब्ध एयर कंडीशनरों कीमतें और रेटिंग की आवश्यकता है जो ऊर्जा या बिजली की खपत में अधिक स्मार्ट हों और पुराने मॉडलों की तुलना में कम ऊर्जा की खपत करें। बीईई की अधिसूचना में यह भी कहा गया है कि नए रूल्स 1 जुलाई 2022 से 31 दिसंबर 2024 तक लागू होगा, जिसके बाद 5-स्टार रेटिंग वाले डिवाइस 4-स्टार तक गिर जाएंगे।

इन परिवर्तनों के प्रभावी होने के बाद, 30 जून, 2022 से पहले निर्मित सभी एयर कंडीशनरों की ऊर्जा रेटिंग खत्म हो जाएगी। इसका सीधा सा मतलब है कि इन एसी को पहले की तुलना में कम रेट किया जाएगा। “कृपया ध्यान दें कि सभी मौजूदा मॉडल केवल 30 जून, 2022 तक वैध हैं और वैधता अवधि समाप्त होने के बाद ऑटोमेटिकली रूप से समाप्त हो जाएंगे,” बीईई ने एक परिपत्र में कहा।

मर्सिडीज-बेंज और ऑडी की कारें जनवरी 2023 से होंगी महंगी, पांच प्रतिशत तक बढ़ेंगी कीमतें

मर्सिडीज कार 5 फीसदी महंगी होंगी जबकि ऑडी की गाड़ियों के दाम 1.7 प्रतिशत बढ़ेंगे।

Mercedes-Benz And Audi

  • मेबैक एस580 7 लाख रुपये तक महंगी हो जाएगी।
  • जीएलए की प्राइस में 1.5 लाख रुपये तक का इजाफा होगा।
  • ऑडी की कारें 1.7 प्रतिशत महंगी होंगी।
  • नई कीमतें एक जनवरी 2023 से लागू होंगी।

हर साल की शुरुआत में कंपनियां अपनी कारों की प्राइस में इजाफा करती और 2023 के लिए कीमतों में बढ़ोतरी की घोषणाएं अभी से शुरू हो गई है। मर्सिडीज-बेंज और ऑडी ने जनवरी 2023 से अपनी कारों की कीमत बढ़ाने का ऐलान किया है।

Mercedes-Benz S Class and GLS

दोनों लग्जरी कार कंपनियों का कहना है कि लागत बढ़ने के चलते कीमतों में इजाफा किया जा रहा है। यहां देखिए मर्सिडीज की कौनसी कार कितनी महंगी होगीः

मॉडल

पुरानी प्राइस

नई प्राइस

अंतर

44.90लाख रुपये/46.40 लाख रुपये

46.50 लाख कीमतें और रेटिंग रुपये/ 48 लाख रुपये

55 लाख रुपये/56 लाख रुपये

57.5 लाख रुपये/ 58.50 लाख रुपये

ई 200 एक्सक्लूसिव | ई220डी एक्सक्लूसिव

70.70 लाख रुपये/71.80

72.5 कीमतें और रेटिंग लाख रुपये/ 73.50 लाख रुपये

+1.8 लाख रुपये/1.7 लाख रुपये

जीएलई 300डी 4एम | जीएलई 400डी 4एम

85.80 लाख रुपये/1.02 करोड़ रुपये

88 लाख रुपये/ 1.05 करोड़ रुपये

+2.2 लाख रुपये/ 3 लाख रुपये

मर्सिडीज-मेबैक एस 580

मर्सिडीज-मेबैक जीएलएस 600

Audi Q3

ऑडी ने अभी नई प्राइस जारी नहीं की है, लेकिन इतना जरूर कंफर्म किया है कि जनवरी 2023 से उसकी कारें एक्स-शोरूम प्राइस से 1.7 फीसदी महंगी हो जाएंगी। ऑडी की हाल ही में लॉन्च हुई क्यू3 एसयूवी की डिलीवरी भी जनवरी 2023 से मिलेगी। जल्द ही कंपनी भारत में फेसलिफ्ट ई-ट्रॉन को भी लॉन्च कर सकती है जिसे अब क्यू8 ई-ट्रॉन नाम से पेश किया जाएगा।

हमारा मानना है कि जल्द कीमतें और रेटिंग ही दूसरी कई कंपनियां भी अपनी कारों की प्राइस में इजाफा कर सकती है।

India Ratings ने भारत का GDP ग्रोथ अनुमान 7.6% से घटाकर 7.2% किया, क्रूड की महंगाई से लगेगा झटका

रेटिंग एजेंसी का अनुमान, केंद्रीय बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) इकोनॉमिक रिकवरी को सपोर्ट देने के लिए वित्त वर्ष 23 में नरम रुख बनाए रख सकती है

रूस-यूक्रेन टकराव के चलते कमोडिटी की कीमतें और उपभोक्ता महंगाई बढ़ने ससे कंज्यूमर सेंटीमेंट (Consumer sentiment) को तगड़ा झटका लगेगा

GDP forecast : इंडिया रेटिंग्स (India Ratings) ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए भारत का इकोनॉमिक ग्रोथ का अनुमान घटाकर 7.6 फीसदी से घटाकर 7.2 फीसदी कर दिया है। इसकी वजह मुख्य रूप से रूस-यूक्रेन टकराव (Russia-Ukraine conflict) के बीच क्रूड ऑयल और कमोडिटीज की कीमतों में बढ़ोतरी से घरेलू खपत का प्रभावित होना बताई गई है।

तेल की कीमतों से ऐसे बढ़ेगा दबाव

रेटिंग एजेंसी के मुताबिक, अगर तेल की कीमतें तीन महीने तक मौजूदा स्तरों पर बनी रहती हैं तो जीडीपी (GDP) ग्रोथ 7.2 फीसदी रह सकती है और यदि तेल की कीमतें छह महीने तक इन्हीं स्तरों पर रहती हैं तो ग्रोथ घटकर 7 फीसदी रह जाएगी। दोनों ही स्थितियों में, माना जाता है कि इसका आधा बोझ घरेलू इकोनॉमी पर पड़ेगा।

Moody's Rating 2022: मूडीज ने घटाया भारत की विकास दर का अनुमान, 9.1 से घटाकर 8.8 प्रतिशत किया

Moody

Moody's Rating 2022: ग्लोबल रेटिंग एजेंसी मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने भारत के आर्थिक विकास दर के अनुमान को पहले के 9.1 प्रतिशत से घटाकर 8.8 प्रतिशत कर दिया है। मूडीज का कहना है कि एनर्जी और खाद्य पदार्थों की महंगाई को और ज्यादा फैलने से रोकने के लिए ब्याज दरें बढ़ाना होगा, जिससे मांग में आ रही रिकवरी की गति धीमी होगी। मूडीज ने कहा, "हमने भारत के लिए अपने कैलेंडर-वर्ष 2022 के जीडीपी के अनुमान को 9.1 प्रतिशत से घटाकर 8.8 प्रतिशत कर दिया है। मार्च में ग्रोथ का अनुमान 9.1 प्रतिशत था, जबकि 2023 के विकास दर के अनुमान को 5.4 प्रतिशत पर बनाए रखा है। रिपोर्ट के मुताबिक मजबूत क्रेडिट ग्रोथ, कारपोरेट सेक्टर की ओर से निवेश में भारी इजाफा करने का एलान और सकार की ओर से पूंजीगत व्यय के लिए ज्यादा बजट आवंटन से संकेत है कि निवेश की गति मजबूत हो रही है। मूडीज ने कहा, जब तक क्रूड और खाद्य कीमतों में और वृद्धि नहीं होती है तब तक इकोनमी में तेजी बनी रहेगी। ऊंची महंगाई दर का हवाला देते हुए कैलेंडर वर्ष 2022 के लिए ग्लोबल मैक्रो आउटलुक 2022-23 के अपने अनुमान में मूडीज ने कहा कि आंकड़े बताते हैं कि दिसंबर तिमाही 2021 से कीमतें और रेटिंग जारी तेजी इस साल पहले चार महीनों में भी बरकरार रही है। हालांकि कच्चा तेल, खाद्य और फर्टिलाइजर की कीमतों में बढ़ोतरी का का असर आने वाले महीनों में घर के खर्च पर पड़ेगा।

विकास दर के 2.7 प्रतिशत रहने की उम्मीद

SBI के अर्थशास्त्रियों के मुताबिक जनवरी से मार्च तिमाही के दौरान विकास दर के 2.7 प्रतिशत रहने की उम्मीद है जबकि वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान इसके 8.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। अर्थशास्त्रियों ने कहा, "हमारा यह मानना है कि वित्त वर्ष 2021-22 के लिए सकल घरेलू उत्पाद का अनुमान बहुत सारी अनिश्चितताओं से घिरा हुआ है। उदारहण के लिए वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही के जीडीपी अनुमानों में 20.3 प्रतिशत से एक प्रतिशत की गिरावट का अनुमान है।

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