आम तौर पर नए ट्रेडर लॉस की सूरत में एक बड़ी गलती करते हैं। अगर किसी शेयर की कीमत 100 से गिरकर 98 रुपए हो जाती है। तो अनाड़ी ट्रेडर का संतुलन बिगड़ने लगता है। वह एक साथ डर और लालच दोनों मनोभावों से ग्रस्त हो जाता है। डर का मतलब है कि उसे लॉस बुक करने में घबराहट होती है। वह जानता है कि स्टॉप लास 98 के आस पास है, लेकिन वह नुकसान के डर के मारे स्टॉप लॉस नहीं लगाता है। लालच का मतलब है कि उसे लगता है गिरते हुए शेयर को पकड़ कर वो मोटा मुनाफा कमा सकता है। उसे लगता है कि 98 तक गिरने के बाद शेयर वापस चढ़ेगा। इसलिए वह 98 के भाव पर एक बार फिर उसे खरीद लेता है। अब उसका औसत भाव 99 हो गया है। गौर करने लायक बात यह है कि 98 पर खरीद के पीछे उसके पास कोई सुनिश्चित आधार नहीं है। उसने जो सोचा है, बाजार उसके विपरीत करवट लेता है। शेयर और गिरकर 96 पर चला जाता है। वह अनाड़ी ट्रेडर थोड़ा और डरता है, उसका लालच एक बार फिर हावी होता है। ऊपर लिखी मानसिक प्रक्रिया दोहराते हुए वह एक बार फिर उसी शेयर को खरीद एक औसत स्टॉप लॉस क्या है? लेता है। अपनी बची खुची पूंजी भी उसमें झोंक देता है। लेकिन इस बार भी उसकी खरीद के बाद शेयर के गिरने का सिलसिला जारी रहता है, वह 95 पर पहुंच जाता है। अब ट्रेडर के पास न तो पूंजी बची है, और न ही धैर्य। वह अपने मूल स्टॉप लॉस के मुकाबले ज्यादा नुकसान सहते हुए उसे बेचता है।
इसलिए सुझाव है कि अगर कोई शेयर आपके स्टॉप लॉस को हिट कर रहा हो तो थोड़ा लॉस बुक कर उससे निकल जाइए। अगर आप उसे फिर से खरीदना चाहते हैं तो अंदाज के आधार पर मत खरीदिए। पता कीजिए कि उसका सपोर्ट लेवल क्या है।

share market me stop loss kya hota hai

average true range in hindi-average true range kya hai

एवरेज ट्रू रेंज एक वोलैटिलिटी इंडिकेटर के तरह भी काम करता है क्योंकि मार्किट में जितने भी एसेट्स फोल्लोव्स होते है इसको ये हर टाइम फ्रेम में एक एवरेज निकाल कर देता है इसलिए इसको AVERAGE TRUE RANGE कहते है .

AVERAGE TRUE RANGE को अब हम पुरे विस्तार से समझेंगे और क्या यह STOP LOSS की तरह भी काम करता है की नहीं। जितने भी नए INVESTER है उनकी हमेशा यही परेशानी है की जब भी वो कोई SHARE MARKET से STOCK BUY करते हैं लेकिन STOP LOSS कहाँ रखें इसका जानकारी नहीं होने के कारण उनका STOP LOSS बार -बार हिट ही जाता हैं और वो कभी स्टॉक को SELL ही नहीं कर पाते।

इसको अब TECHNICAL CHART में कैसे लगाए जिससे हम अपने STOP LOSS के लिए ज्यादा मेहनत न करना पड़े और हमे एक ऐसा प्राइस भी मिल जाए AVERAGE TRUE RANGE की मदद से जिसे हम अपने STOP LOSS की तरह इस्तेमाल करे तथा बार बार हिट भी ना हो।

indicator average true range

> MACD :- ऊपर INDICATOR SECTION में JAKAR हम MACD को SELECTKARENGE ISME कोई बदलाव नहीं होगा

> AVERAGE TRUE RANGE:- ऊपर INDICATOR SECTION में JAKAR हम ATR TYPE करेंगे तो ये BHI दिख जायेगा और इसे भी सेलेक्ट कर लेंगे।

> TIME :- जैसा की AVERAGE TRUE RANGE हर TIME FRAME में काम करने सक्षम है इसके लिए कोई सा भी TIME PERIOD ले सकते हैं। मैं EXAMPLE के लिए ONE DAY का TIME FRAME को चुना हूँ।

BUY POSITION :-

TECHNICAL CHART पर ये दोनों इंडिकेटर लगाने के बाद हम NSE के WEBSITE से सारे स्टॉक को इस CHART पर लगाकर बारी -बारी से चेक करेंगे जिस STOCK में भी हमे MACD से निचे से ऊपर के तरफ क्रासिंग दिखेगा हम उस स्टॉक का चुनाव BUY करने के लिए करेंगे।

SELL POSITION

हर दिन जैसे ही नया CANDLE बनेगा वैसे ही मेरा भी STOP LOSS CHANGE होता चला जायेगा जैसा मैंने बताया है SAME वही प्रक्रिया हम बार -बार दोहरायेंगे। आपको एक जानकारी के लिए बता दू की आप में हैं की एक बड़ा RED CANDLE बना वही पर मेरा STOP LOSS हिट हो गया

और मेरा SELL PRICE 1350 RUPAY था मुझे इस TRADE में जो फायदा हुआ 37 रूपए का था। इस प्रकार हम बड़े आसानी से AVERAGE TRUE RANGE को लगाकर अच्छा PROFIT कमा सकते हैं।

स्टॉक की सीमा किसी भी दिन उच्च और निम्न कीमतों के बीच का अंतर है। यह इस बात की जानकारी बताता है कि स्टॉक कितना एक औसत स्टॉप लॉस क्या है? अस्थिर है। बड़ी श्रेणियां उच्च अस्थिरता का संकेत देती हैं और छोटी पर्वतमाला कम अस्थिरता का संकेत देती हैं। सीमा को विकल्पों और एक औसत स्टॉप लॉस क्या है? वस्तुओं (उच्च माइनस कम) के लिए उसी तरह मापा जाता है जैसे वे स्टॉक के लिए होते हैं।

Stop Loss Kaise Lagaye

ऐसे ट्रेडर एक औसत स्टॉप लॉस क्या है? जो स्टॉक मार्केट में ट्रेड की शुरुआत करने जा रहे हैं और उनके पास मार्केट के ट्रेंड को समझने का अनुभव नहीं है तो ट्रेडर के मन में नुकसान का डर सबसे ज्याादा होता है।

यह डर कभी-कभी इतना ज्यादा होता है कि लोग अपने ट्रेंडिंग के इरादों को भी बदल देते हैं। ऐसे ट्रेडर के लिए स्टॉप लॉस एक सहारे की तरह है जिससे वे अपने हिसाब से अपने लॉस को तय कर सकते हैं और प्रॉफिट को लॉक कर सकते हैं।

आइये जानते है कुछ ऐसे स्ट्रेटेजी जो आपको इंट्राडे ट्रेडिंग में सही ट्रिगर प्राइस सेट करने में मदद करती है ।

Best Stop Loss Strategy in Hindi

Stop loss के बारे में अच्छी तरह समझने के बाद सवाल उठता है कि आखिर किस प्राइस पर Stop loss लगाया जाए, क्या इसके लिए कोई नियम है?

इन सवालों के जवाब के साथ ही आप Stop loss को लेकर एक अच्छी रणनीति तैयार कर सकते हैं। शेयर मार्केट का गणित का सही उपयोग कर आप स्टॉप लॉस की जानकारी प्राप्त कर सकते है।

स्टॉप लॉस के फायदे

Stop loss लगाने के लिए ट्रेडर को अलग से कोई राशि नहीं देनी पड़ती है। इस तरह से देखा जाए तो ट्रेडर के लिए यह एक फ्री इंश्योरेंस पॉलिसी की तरह है जो केवल फायदा ही पहुंचा सकती है नुकसान नहीं।

नए ट्रेडर को ट्रेड करने के लिए प्रोत्साहित करती है। नए ट्रेडर के सामने सबसे बड़ी चुनौती और मार्केट में उतरने का डर होता है कि कही वो अपने पैसे न गंवा दें। इसलिए Stop loss जोखिम को कम कर ट्रेडर का मार्केट में उतरने के निर्णय में मदद करता है।

ये आपके मार्केट संबंधी भ्रांतियों को दूर कर एक एक औसत स्टॉप लॉस क्या है? विश्वास प्रदान करता है। यदि कोई ट्रेडर अपनी उम्मीद के मुताबिक ही मार्केट में जोखिम उठाता है तो मार्केट के प्रति उसका विश्वास बढ़ता है।

स्टॉप लॉस के नुकसान

Stop loss के सबसे बड़े नुकसानों में से एक की बात करें तो मार्केट में आई कुछ एक औसत स्टॉप लॉस क्या है? समय की अस्थिरता पर भी यह सक्रिय हो जाते हैं क्योंकि हो सकता है कुछ समय अंतराल के बाद मार्केट में फिर से तेजी आ जाए।

ऐसे में ट्रेडर ज्यादा रिटर्न पाने की संभावना से वंचित रह जाता है। इसे एक उदाहरण से समझने की कोशिश करते एक औसत स्टॉप लॉस क्या है? हैं। मान लिया किसी ट्रेडर ने 120 में शेयर खरीदे और 108 का स्टॉप लॉस लगाया।

अब यदि मार्केट कुछ समय के लिए भी नीचे आया तो शेयर 108 में सेल हो जाएगा जबकि यह शेयर ट्रेडर को और भी ज्यादा बड़ा रिटर्न दे सकता था।

स्टॉप लॉस लगाने के लिए कोई स्थायी नियम नहीं है। अलग-अलग ट्रेडर अपने हिसाब से इसका उपयोग कर सकते हैं। एक और नुकसान की बात करें तो मार्केट ट्रेंड के हिसाब से स्टॉप लॉस में बदलाव नहीं किया जा सकता है।

निष्कर्ष

नए ट्रेडर के लिए Stop loss एक इंश्योरेंस की तरह तो है जो उनके जोखिम को खत्म कर उनके पैसे खोने के डर को खत्म करता है लेकिन लेकिन कभी-कभी यह नुकसान भी पहुंचाता है।

Types of stop loss | स्टॉप लॉस के प्रकार

सेल स्टॉप लॉस ऑर्डर का उपयोग लॉन्ग पोजीशन को प्रोटेक्ट करने के लिए किया जाता है आपने किसी शेयर में लॉन्ग पोजीशन बना रखी है वहां पर आप सेल स्टॉप लॉस ऑर्डर का उपयोग करते हैं उदाहरण के लिए आपने किसी कंपनी का शेयर ₹100 में खरीदा है आपके प्रोडक्शन के हिसाब से यह शेयर ₹150 जाएगा इस पोजीशन को हम लोग पोजीशन कहते हैं इस पोजीशन को प्रोटेक्ट करने के लिए आप सेल स्टॉपलॉस आर्डर लगा सकते हैं

2. Buy-Stop Orders

Buy-Stop Orders वैचारिक रूप से सेल-स्टॉप ऑर्डर के समान हैं। हालांकि, उनका उपयोग शॉर्ट पोजीशन की सुरक्षा के लिए किया जाता है। एक खरीद-स्टॉप ऑर्डर की कीमत मौजूदा बाजार मूल्य से ऊपर होगी और अगर कीमत उस स्तर से ऊपर उठती है तो ट्रिगर होगी

On which position to put stop loss? |स्टॉप लॉस किस पोजीशन पर लगाये ?

Technical analysis उन स्तरों को निर्धारित करने के लिए एक औसत स्टॉप लॉस क्या है? बहुत उपयोगी हो सकता है जिन पर stop loss सेट किया जाना चाहिए। उदाहरण के लिए, एक long term के लिए, स्टॉक के लिए प्रमुख समर्थन स्तरों का पता लगाना नकारात्मक जोखिम का अनुमान लगाने के लिए उपयोगी हो सकता है। यहां आधार यह है कि एक बार एक प्रमुख समर्थन स्तर के टूटने के बाद, यह स्टॉक के लिए अतिरिक्त नुकसान का संकेत दे सकता है। हालाँकि, झूठे ब्रेकआउट से सावधान रहें। सुनिश्चित करें कि आप अपने ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म में प्रवेश करने से पहले तकनीकी विश्लेषण और अन्य उपकरणों का उपयोग करते हुए, स्टॉप-लॉस स्तरों पर लगन से शोध करते हैं।

यदि आपने पहले कोई शेयर खरीद रखा है .आप उस शेयर पर स्टॉप लॉस लगा सकते है .इसके लिए आपको अपने एप्प के शेयर सेल्ल ऑप्शन पर जाकर सेल स्टॉप लोस्स आर्डर लगाना पड़ेगा

क्या है Stop Loss और Target Price?

A man walks out of the Bombay Stock Exchange (BSE) building in Mumbai

Stop Loss का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है ताकि शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव के दौर में आप नुकसान से बच सकें

इसका मतलब यह है कि आपने 100 रुपये की कीमत पर ए के शेयर को 120 रुपये के Target Price के साथ खरीदा है. आप 120 रुपये की कीमत पर पहुंचने पर इस शेयर को बेचकर मुनाफा हासिल कर सकते हैं.

इस शेयर में किसी वजह से गिरावट भी आ सकती है. इसकी कीमत 100 रुपये से कम होने पर आपको नुकसान उठाना पड़ेगा. नुकसान से बचने के लिए आपको स्टॉप लॉस (Stop Loss) लगाने की सलाह दी जाती है.

कैसे पाएं शेयर में लॉस पर काबू और समझिये स्टॉक मार्किट सपोर्ट लेवल

What is a Stop Loss Order and how to recover loss techniques in hindi हिंदी

सुझाव है कि अगर कोई शेयर आपके स्टॉप लॉस को हिट कर रहा हो तो थोड़ा लॉस बुक कर उससे निकल जाइए। अगर आप उसे फिर से खरीदना चाहते हैं तो अंदाज के आधार पर मत खरीदिए। पता कीजिए कि उसका सपोर्ट लेवल क्या है।
सुनने में ये बात जरा असामान्य लग सकती है कि लॉस यानी नुकसान को आखिर ट्रेडिंग का अनिवार्य अंग कैसे माना जा सकता है। लेकिन यह सच है। वास्तविकता के धरातल पर हर ट्रेडर को इस सच का सामना करना ही पड़ता है। आपके फंडामेंटल और तकनीकी विश्लेषण चाहे कितने ही दुरुस्त हों, इसके बावजूद आपको ट्रेडिंग में नुकसान का झटका लग सकता है। वजह यह है कि शेयर बाजार इतना अनिश्चित है कि इसमें कई बार सारे विश्लेषण धरे रह जाते हैं। इसलिए ट्रेडिंग में प्रॉफिट की तरह लॉस भी स्वाभाविक है। जरूरत इस बात की है कि नुकसान को कैसे सीमित रखा जाए ताकि वह लाभ पर भारी नहीं पड़े। आज हम आपको नुकसान पर काबू पाने का एक नुस्खा बताते हैं।

कागजी नहीं रियल घाटे को पहचानें (Understand about Real Loss no paper loss)

सबसे पहले इस बात को समझना जरूरी है कि किसी ट्रेड में नुकसान होता क्यों है? सीधा जवाब है- शेयर का बाजार मूल्य आपके खरीद भाव के नीचे चला गया। लेकिन गौर से देखें तो यह जवाब पूरी तरह सही नहीं है। मान लीजिए कि आपने 100 रुपए में कोई शेयर खरीदा। उसका भाव गिरकर 99 रुपए हो गया। ऐसे में आपके ट्रेडिंग एकाउंट में प्रति शेयर एक रुपए का घाटा दिखेगा, लेकिन अभी यह घाटा सिर्फ कागज पर है। यह रियलाइज्ड नहीं हुआ है। रियलाइज्ड का अर्थ है कि अभी आपने इस घाटा सहते हुए अपने शेयर को बेचा नहीं है। आप इंतजार कर रहे हैं कि कीमत फिर चढ़ेगी। शेयर का भाव जब 100 रुपए से ऊपर जाएगा, तब आप उसे फायदे में बचेंगे। इस तरह वह घाटा सिर्फ एकाउंट में है, वास्तविकता में नहीं। लॉन्ग टर्म निवेशक तो इस तरह की हलचल पर ध्यान भी नहीं देते हैं। वे जानते हैं कि लॉन्ग टर्म में 100 रुपए में खरीदा शेयर, 90 रुपए पर जाकर भी वापस लौट सकता है और कुछ महीनों या एक साल बाद 125 रुपए में बिक सकता है। लेकिन आप अगर शॉर्ट टर्म ट्रेडर हैं तो आपको ज्यादा चौंकन्ना होने की जरूरत है, क्योंकि आपने ट्रेडिंग का जो तरीका चुना है, उसमें शेयर को होल्ड करने के लिए वक्त ज्यादा नहीं है।

तीन तरह के सपोर्ट लेवल (Three Types of Support Level)

आम तौर पर किसी शेयर के तीन सपोर्ट लेवल होते हैं। आप हर दो या तीन लेवल पार करने के बाद थोड़ी थोड़ी मात्रा में खरीद सकते हैं। लेकिन खरीदने से पहले इस बात का हिसाब जरूर कर लें कि आप इसे किन स्तरों पर कितनी संख्या में खरीदेंगे। अपने कुल ट्रेडिंग कैपिटल का कितना हिस्सा इस पर लगाएंगे। जैसा कि हम आपको पहले भी आगाह कर चुके हैं, अपनी पूरी पूंजी को किसी एक शेयर में नहीं लगाएं। इस बात का आकलन भी जरूर करें कि कितना नुकसान सहने एक औसत स्टॉप लॉस क्या है? की क्षमता आपके अंदर है।
इस प्रकार अगर आप लालच और डर से हटकर ट्रेडिंग करेंगे तो आप नुकसान को नियंत्रित कर सकेंगे। एक कहावत याद रखिए, जिस ट्रेडर ने नुकसान बुक करना सीख लिया, वो अक्सर फायदे में रहता है।
ट्रेडिंग में नुकसान कम करने के जरूरी सूत्र

1. फायदा चाहते हैं तो घाटा सहना सीखें
2. स्टॉप लॉस हिट हो रहा हो तो घबराएं नहीं
3. लॉस बुक करने में डरने से बड़े घाटे के आसार
4. सिर्फ अंदाज के आधार पर स्टॉक मत खरीदें
5. अगर कोई शेयर लगातार गिर रहा हो तो अपनी पोजिशन मत बढ़ाएं
6. स्ट्रॉन्ग सपोर्ट लेवल के पास ही दोबारा खरीदें
7. थोड़ी-थोड़ी मात्रा में ही खरीदें, कारोबार के लिए हमेशा अपनी लिमिट का ध्यान रखें\

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