SIP में निवेश क्यों करना चाहिए, ये 4 फायदे जानने के बाद सब कुछ क्लीयर हो जाएगा!
ज्यादातर एक्सपर्ट मानते हैं कि SIP से कम समय में ज्यादा पैसा बनाया जा सकता है. हालांकि आपके मन में ये सवाल जरूर आता होगा कि आखिर SIP से मोटा पैसा कैसे बन जाता है और इसमें क्यों निवेश करना चाहिए?
SIP में निवेश क्यों करना चाहिए, ये 4 फायदे जानने के बाद सब कुछ क्लीयर हो जाएगा ! (Zee News)
आजकल SIP (Systematic Investment Plan) को लेकर क्रेज काफी बढ़ रहा है. अगर आप किसी से निवेश के मामले में सलाह लेंगे तो आपको एसआईपी में निवेश करने के लिए जरूर कहा जाएगा. दरअसल SIP के जरिए आप किसी भी तरह के म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं और मोटी रकम जुटा सकते हैं. अच्छी बात ये है कि SIP को आप 500 रुपए से भी शुरू कर सकते हैं. ज्यादातर एक्सपर्ट मानते हैं कि SIP से कम समय में ज्यादा पैसा बनाया जा सकता है. हालांकि आपके मन में ये सवाल जरूर आता होगा कि आखिर SIP से मोटा पैसा कैसे बन जाता है और इसमें क्यों निवेश करना चाहिए? आइए आपको बताते हैं इन सवालों के जवाब.
समझिए कैसे बड़ी पूंजी कम समय में होती है तैयार
जब आप किसी म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं तो आपको कुछ यूनिट्स अलॉट किए जाते हैं. उदाहरण से समझिए कि किसी एक म्यूचुअल फंड का NAV यानी Net Asset Value अगर 20 रुपए है और आपने क्या अब आपको करना चाहिए निवेश? उस म्युचुअल फंड में 1000 रुपए का निवेश किया, तो आपको 50 यूनिट्स अलॉट हो जाएंगे. अब जैसे-जैसे म्यूचुअल फंड की NAV बढ़ेगी, वैसे-वैसे आपका निवेश किया हुआ पैसा भी बढ़ेगा. अगर म्यूचुअल फंड की NAV 35 रुपए की हो जाती है, तो आपके 50 यूनिट्स की कीमत बढ़कर 1750 रुपए हो जाएगी. इस तरह SIP के जरिए कम समय में ज्यादा पूंजी तैयार की जा सकती है.
ELSS में जुलाई में 48 फीसदी घट गया निवेश, क्या आपको अब डालना चाहिए पैसा? क्या है एक्सपर्ट की राय
ईएलएसएस में किए गए निवेश पर आयकर अधिनियिम की धारा 80 सी के तहत टैक्स छूट मिलती है.
ईएलएसएस फंड्स (ELSS mutual fund) लॉन्ग टर्म में बड़ा फंड बनाने वाला वो फ्लेक्सी कैप फंड. ईएलएसएस में किए गए निवेश पर आ . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : August 11, 2022, 12:24 IST
हाइलाइट्स
ELSS में जुलाई में 327.85 करोड़ रुपये का पॉजिटिव इनफ्लो रहा है. जून में यह आंकड़ा 640.06 करोड़ रुपये रहा था.
लॉन्ग टर्म में बड़ा फंड बनाने और टैक्स लाभ लेने के लिए इस ELSS फंड्स में निवेश अब भी फायदे का सौदा है.
हमेशा ही इक्विटी ने अन्य एसेट क्लास के मुकाबले लॉन्ग टर्म में बेहतर रिटर्न दिया है.
नई दिल्ली. एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) के ताजा आंकड़ों के अनुसार, इक्विटी म्यूचुअल फंड्स (Equity Mutual Funds) में होने वाले निवेश में जुलाई, 2022 में 42 फीसदी की गिरावट आई है. ईएलएसएस फंड्स (ELSS mutual fund) में निवेश में भी 48 फीसदी की गिरावट आई है. ईएलएसएस में जुलाई में 327.85 करोड़ रुपये का पॉजिटिव इनफ्लो रहा है. जून में यह आंकड़ा 640.06 करोड़ रुपये रहा था. ईएलएसएस फंड्स का नेट एसेट्स अंडर मैनेजमेंट जून के 1,34,225.70 करोड़ रुपये बढ़कर 1,47,910.92 करोड़ रुपये रहा है.
ELSS फंड्स लॉन्ग टर्म में बड़ा फंड बनाने वाला फ्लेक्सी कैप फंड है. ईएलएसएस में किए गए निवेश पर आयकर अधिनियिम की धारा 80सी के तहत टैक्स छूट मिलती है. इसका लॉक इन पीरियड तीन साल है. इसका अर्थ है कि इस फंड में की गई राशि की निकासी तीन साल से पहले नहीं की जा सकती. वित्तीय सलाहकार लॉन्ग टर्म इनवेस्टमेंट के लिए ईएलएसएस फंड्स में निवेश की सलाह इसलिए देते हैं क्योंकि इनका रिटर्न महंगाई दर से ज्यादा तो होता ही है, साथ ही इसमें टैक्स लाभ भी मिलता है.
क्या अब करना चाहिए निवेश?
लाइव मिंट की एक रिपोर्ट के अनुसार, ELSS फंड्स के इनफ्लो में जुलाई 2022 में भारी गिरावट के बाद सवाल यह उठता है कि क्या अब भी इस फंड में निवेश करना चाहिए? वित्तीय सलाहकारों का कहना है कि लॉन्ग टर्म में बड़ा फंड बनाने और टैक्स लाभ लेने के लिए इस ईएलएसएस फंड्स में निवेश अब भी फायदे का सौदा है.
एप्सिलॉन मनी मार्ट के प्रोडक्ट और प्रोपोजिशन हेड नितिन राव का कहना है कि ईएलएसएस फंड में इक्विटी इनफ्लो में गिरावट के कई कारण हैं. इनमें बढ़ती ब्याज दरें, रुपये का अवमूल्यन, भू-राजनीतिक तनाव आदि शामिल है. इन कारकों ने इक्विटी के प्रति निवेशकों की धारणाओं को प्रभावित किया है.
इक्विटी मार्केट होगी मजबूत
राव का कहना है कि एएमएफआई के आंकड़ों से पता चलता है कि इक्विटी में रिटेल निवेशकों की भागीदारी लगातार बढ़ती जा रही है. टोटल सिप अकाउंट अब 55.5 मिलियन हो गए हैं. इससे पता चलता है कि रिटेल इनवेस्टर का भरोसा इसमे बढ़ता जा रहा है. राव का कहना है कि लॉन्ग टर्म इनवेस्टर के लिए इक्विटी में निवेश करने का यह सही मौका है. हमेशा ही इक्विटी ने अन्य एसेट क्लास के मुकाबले लॉन्ग टर्म में बेहतर रिटर्न दिया है. मॉनसून की बारिश ठीक हो रही है, फेस्टिव सीजन आ चुका जिससे खपत में बढ़ोतरी होगी. इन सब कारणों से घरेलू इक्विटी मार्केट को मजबूती मिलेगी.
(Disclaimer: यहां बताए गए स्टॉक्स ब्रोकरेज हाउसेज की सलाह पर आधारित हैं. यदि आप इनमें से किसी में भी पैसा लगाना चाहते हैं तो पहले सर्टिफाइड इनवेस्टमेंट एडवायजर से परामर्श कर लें. आपके किसी भी तरह की लाभ या हानि के लिए लिए News18 जिम्मेदार नहीं होगा.)
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SIP Mutual Funds: एसआईपी क्या है? कैसे मिलता है मुनाफा, निवेश से पहले इन बातों का रखें ध्यान
SIP vs Mutual Funds: अगर आप शेयर बाजार में अपना निवेश करना चाहते हैं, तो म्यूचुअल फंड आपके लिए एकदम सही विकल्प है. म्यूचुअल फंड को अनुभवी फंड मैनेजर्स द्वारा मैनेज किया जाता है.
इक्विटी म्यूचुअल फंड में आप 2 तरीकों से पैसा लगा सकते हैं. पहला है, एकमुश्त राशि जमा करना और दूसरा एसआईपी के जरिए निवेश करना. SIP यानी सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लानिंग (Systematic Investment Planning) है. आप कुछ पैसा म्यूचुअल फंड में डालते हैं और कम जोखिम में ज्यादा निवेश मिल सकता है.
यह आप खुद तय कर सकते हैं कि आपको हर हफ्ते, हर महीने या कब-कब निवेश करना है. ये आपके पास फंड की उपलब्धता पर निर्भर है. अगर आप पहली बार निवेश कर रहे हैं तो आप 500 रुपये से भी इसकी शुरुआत कर सकते हैं. आज का यह लेख फर्स्ट टाइमर्स के लिए ही है. आपको SIP में निवेश की शुरुआत करते समय इन बातों का ध्यान रखना चाहिए.
आपको फंड की जरूरत भविष्य में है या फिर लंबे समय के बाद होगी. तो आप यह तय कर पाएंगे कि आपको कितना निवेश करना है. हर किसी के वित्तीय लक्ष्य अलग-अलग हो सकते हैं. जैसे कोई कार खरीदने की इच्छा रखता है तो कोई स्पोर्ट्स बाइक. दोनों के लिए जरूरी फंड में अंतर है. इसलिए आपकी निवेश रणनीति में भी फर्क होना चाहिए.
म्यूचुअल फंड के जरिए आप केवल इक्विटी फंड में ही नहीं बल्कि डेट और हाइब्रिड फंड में भी निवेश कर सकते हैं. यह इस बात पर निर्भर करेगा कि आप में जोखिम लेने की क्षमता कितनी है और आप कितने रिटर्न की अपेक्षा कर रहे हैं. लंबी अवधि के निवेश और जोखिम उठाने की क्षमता के साथ आप इक्विटी की ओर जा सकते हैं.
अपना निवेश इस प्रकार करें कि रिटर्न महंगाई दर से अधिक हो. कई बार फंड जुटाने के बावजूद काम के समय वह कम पड़ जाता है क्योंकि तब तक महंगाई उसे मात दे चुकी होती है और उत्पाद या सेवा का दाम आपके निवेश से ऊपर निकल जाता है.
एक जगह सारा पैसा लगा देने से उसके एक साथ पूरा डूबा जाने का खतरा रहता है. इसलिए अपने पोर्टफोलियो को डायर्सिफाइ करें. अलग-अलग एसेट क्लास में पैसा लगाएं. अलग-अलग निवेश विकल्प भी देखे जा सकते हैं. इससे किसी अनचाही परिस्थिति के समय आपका कुछ पैसा सुरक्षित रहेगा.
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SIP में करते हैं निवेश तो इन बातों का रखें विशेष ध्यान, होगा ज्यादा फायदा
SIP Scheme : आप अपनी सहूलियत के अनुसार, हर महीने, हर तिमाही या छमाही में निवेश कर सकते हैं. इससे छोटी-छोटी रकम जमा करके आप बड़ा रिटर्न हासिल कर सकते हैं.
Systematic Investment Plan : अगर आप एसआईपी में निवेश करते हैं तो आप अच्छा रिटर्न हासिल कर सकते हैं क्योंकि एसआईपी यानी सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान, जो निवेशकों की पहली पसंद रहती है. कई लोग एकमुश्त निवेश करना ज्यादा पसंद करते हैं, लेकिन वेतनभोगियों की पहली पसंद ज्यादातर सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान ही होती है. इसमें आप अपनी सहूलियत के अनुसार, हर महीने, हर तिमाही या छमाही में निवेध कर सकते हैं. इससे छोटी-छोटी रकम जमा करके आप बड़ा रिटर्न (Big Return) हासिल कर सकते हैं. लेकिन एसआईपी करते समय आपको कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना होता है, जिससे आप और अधिक मुनाफा कमा सकते हैं.
आपको अपने निवेश को मजबूत करने के लिए बीच-बीच में एकमुश्त राशि भी जमा करना चाहिए. कई बार ऐसा होता है कि आपके पास एडिशनल पैसे आते हैं. जैसे सालाना ब्याज या किसी पॉलिसी की समाप्ति पर मिलने वाला पैसा या फिर कई समय से की गई बचत. इस राशी को आपको एसआईपी के साथ एकमुश्त निवेश करना चाहिए. यानी एक्स्ट्रा यूनिट खरीदनी चाहिए. ये आप उस वक्त कर सकते हैं जब बाजार में गिरावट आ रही है तो ऐसे में मौके का फायदा उठाते हुए म्यूच्यूअल फंड्स की कुछ यूनिट्स खरीदी जा सकती है.
एसआईपी को हर हाल में जारी रखना जरुरी होता है जब तक कि आप अपना फाइनेंशियल लक्ष्य न हासिल कर लें. कई लोग ऐसे होते हैं जो कुछ समय तो अपना निवेश जारी रखते हैं, लेकिन फिर निवेश रोक देते हैं. ऐसे में आपको अपना लक्ष्य हासिल करने में परेशानी का सामना करना पड़ेगा. अच्छे रिटर्न के लिए बाजार में ज्यादा समय तक टिके रहना जरुरी होता है. इसीलिए चाहे कैसी भी परिस्थिति क्यों न हो आपको निवेश जारी रखना ही है.
हर साल बढ़ाते रहें टॉप-अप
यह शायद आप नहीं जानते होंगे, लेकिन अपने एसआईपी को टॉप-अप करना बहुत जरुरी होता है. जैसे हर साल आपका वेतन बढ़ता है वैसे ही हर साल एसआईपी की निवेश राशी भी बढ़ाई जा सकती है ताकि आपको ज्यादा रिटर्न मिले. आपके फायदे के लिए हर सार एसआईपी के अमाउंट को बढ़ाना जरुरी है.
छोटी बचत कभी भी कर सकते हैं शुरू
बता दें कि ऐसे कई लोग भी होते हैं जो काफी देरी से निवेश की शुरुआत करते हैं. मान लीजिये यदि आपकी उम्र 35 साल हो गई है फिर भी आप हर साल केवल 5 हजार निवेश करके लगभग एक करोड़ रिटर्न हासिल कर सकते हैं. इसमें यदि आपको रेट ऑफ रिटर्न 12 प्रतिशत मिलेगा . ऐसे में 60 साल की उम्र में आपको 95 लाख रुपए का रिटर्न मिलेगा. जिसमें 15 लाख आपका कुल इन्वेस्टमेंट होगा और बाकि 80 लाख रिटर्न होंगे.
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English News Headline :If you invest in SIP keep these things in mind.
शेयर बाजार में निवेश करने के लिए क्या करना होता है? 8 बुनियादी सवालों के जवाब
Share Market Guide: शेयर खरीदने के लिए क्या करना होगा, किस कंपनी का शेयर खरीदे?
महंगाई (Inflation) बढ़ रही है और रुपये (Rupee) का मूल्य घट रहा है. यानी सिर्फ पैसा बचाने से काम नहीं चलेगा, पैसा बढ़ाना भी पड़ेगा. ऐसे में शेयर बाजार (Share Market) में निवेश अच्छा विकल्प हो सकता है. लेकिन शेयर मार्केट (Stock Market) में पहली बार निवेश करने वालों के लिए क्या जानना जरूरी है? शेयर बाजार में निवेश करने के लिए क्या करना होता है?
कब कर सकते हैं? किस शेयर में पैसा लगाएं? ये सारी बातें यहां हम आपको बता रहे हैं.
शेयर बाजार में निवेश करने के लिए क्या करना होता है? 8 बुनियादी सवालों के जवाब
1. शेयर क्या है?
किसी कंपनी को चलाने के लिए पूंजी यानी कैपिटल की जरूरत पड़ती है. अब कंपनी को चलाने के लिए मालिक बाजार से पैसा उठाना चाहता है तो वह कैपिटल को हिस्सों में बांट देता है यही हिस्से कहलाते हैं शेयर. जैसे किसी कंपनी की कैपिटल 100 रुपये है. अब कंपनी इसे 100 हिस्सों में बांट दें तो वे 100 हिस्से शेयर्स कहलाएंगे और एक शेयर एक रुपये का होगा. अब इसी कैपिटल को दो या 5 हिस्सों में भी बांटा जा सकता है. यानी कंपनी की एक यूनिट एक शेयर के बराबर होती है.
अब आप किसी कंपनी का हिस्सा बनना चाहते हैं तो उसके शेयर खरीद सकते हैं. इन्हीं शेयर्स की जब आप खरीदी बिक्री करने जिस बाजार में जाएंगे उसे कहते हैं शेयर बाजार.
2. शेयर खरीदने के लिए क्या करना होगा?
शेयर बाजार में पांव रखने से पहले आपको चाहिए डिमैट अकाउंट. जैसे बैंक में बचत, एफडी में निवेश के लिए बैंक अकाउंट चाहिए वैसे ही शेयर मार्केट में निवेश के लिए डिमैट अकाउंट होना जरूरी है. डीमैट के जरिए ही शेयर्स को खरीदा-बेचा जाता है, होल्ड किया जाता है. यह एक तरह से शेयर्स का डिजिटल अकाउंट है.
3. डीमैट अकाउंट क्या है
डीमैट अकाउंट मतलब- डीमटेरियलाइज्ड यानी किसी भी फिजिकल चीज का डिजिटलाइज होना. डिमैट अकाउंट आप चंद सैकेंड में खोल सकते हैं. आधार कार्ड, पैन कार्ड जैसी केवाईसी डॉक्यूमेंट लगती हैं. इसके लिए ब्रोकर की जरूरत होती है. अब ब्रोकर कोई व्यक्ति भी हो सकता है और कंपनी भी. ब्रोकर की वेबसाइट या एप पर जाकर डिमैट अकाउंट आसानी से खोला जा सकता है. अगर आप नेटबैंकिंग करते हैं तो आपके बैंक की वेबसाइट या एप पर भी डिमैट अकाउंट खोल सकते हैं. आमतौर पर इसकी लिए कोई फीस नहीं देनी होती लेकिन यह कंपनी पर निर्भर करता है कि वे डिमैट के लिए कितना वसूलना चाहते हैं.
4. किस कंपनी का शेयर खरीदें?
जवाब है किसी अच्छी कंपनी है, क्योंकि अच्छी कंपनी के शेयर्स अच्छा रिटर्न देते हैं. अच्छी कंपनी मतलब जिसका प्रॉफिट, प्रोडक्ट, भविष्य अच्छा हो. शेयर मार्केट की भाषा में इसे कंपनी के फंडामेंटल्स यानी बुनियादी बातें कहते हैं, कंपनी के फंडामेंटल्स अच्छे हैं तो कंपनी का भविष्य अच्छा माना जाता है. इसके लिए आपको कंपनी की सालाना बैलेंस शीट पर नजर रखनी होती है. यानी कंपनी कितना कमा रही है, कितना कर्ज है, कितना मुनाफा हो रहा है? कंपनी के शेयर्स ने पहले कैसा प्रदर्शन किया है. ये सब देखना होता है. कई बार खबरें भी कंपनी के शेयर्स को प्रभावित करती हैं. जैसे कि जब दुनिया के सबसे अमीर आदमी ईलॉन मस्क ने ट्विटर को खरीदने का ऐलान किया तो निवेशकों में ट्विटर के शेयर्स को खरीदने की होड़ लग गई. लेकिन निवेशक केवल कंपनी के फंडामेंटल्स पर ध्यान दें तो भी काम बन सकता है. सबसे पहले ऐसे शेयर में निवेश करें जो सुरक्षित हैं. यानी उन बड़ी कंपनियों के शेयर्स खरीदें जो दशकों पुरानी हैं, प्रॉफिट में रहती है और आगे भी रहेंगी. इससे आप नुकसान में नहीं रहेंगे. जब इसमें निवेश कर लें तो शेयर्स को स्टडी करना सीखें, कंपनी की बैलेंस शीट पढ़ना सीखें.
5. प्राइमरी मार्केट क्या अब आपको करना चाहिए निवेश? और सेकेंडरी मार्केट क्या है?
जब आप कोई शेयर सीधे कंपनी से खरीदते हैं जैसे की आईपीओ के जरिए.. यह प्राइमरी मार्केट है. यानी कंपनियां जो शेयर्स बाजार में इश्यू करती है. लेकिन जब सीधे कंपनी से खरीदे हुए शेयर्स को आप अन्य खरीदारों में बेचने जाते हैं तो वो सेकेंड्री मार्केट है. यानी इश्यू किए हुए शेयर्स की जब खरीद बिक्री होती है.
6. ट्रेडिंग या निवेश?
एक्सपर्ट कहते हैं कि 5 साल, 10 साल या उससे भी ज्यादा समय के लिए निवेश करने वाले फायदे में रहते हैं. यानी लॉन्ग टर्म इंवेस्टमेंट. अब शेयर बाजार को गहनता से समझने वाले और रिस्क उठा सकने वाले ही शॉर्ट टर्म या हर रोज शेयर बाजार में निवेश कर सकते हैं. कितना और कितने समय के लिए निवेश? अब सबसे पहले आप ये तय करें कि निवेश कितना करना है और कितने समय के लिए. फिर तय करें कि आप निवेश करना क्यों चाहते हैं यानी कि आपका उद्देश्य क्या है. जैसे, शिक्षा, शादी या घर खरीदने जैसे गोल्स. इसी अनुसार आप आगे बढ़ते हैं और तभी आप फैसला ले पाएंगे कि आपको किस शेयर में निवेश करना है. शेयर मार्केट में शुरुआत धीमी रखें.
7. शेयर बाजार नहीं समझते हैं तो कैसे निवेश करें?
अगर आपके पास इन सब के लिए समय नहीं है या समझ नहीं है तो ऐसी स्थिति में आप किसी फाइनेंशियल एक्सपर्ट से ही सलाह लें, एक्सपर्ट को बताएं कि आप कितना खर्च करना चाहते हैं और कितने समय के लिए. आपका निवेश का उद्दश्य क्या है और आप निवेश से कितने रिटर्न की अपेक्षा रखते हैं. एक उपाय म्यूचुअल फंड भी हैं. जिसमें कुछ एक्सपर्ट आपके जैसे कई निवशकों के पैसे को कहां लगाना है ये तय करते हैं.
Share Market: किसी ने कमाए करोड़ों- इसपर न जाएं, अपनी अक्ल लगाएं
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