जानिए कैसे काम करता है 'होमोसेप'
Robot to Clean Septic Tank: अब नहीं होगी सेप्टिक टैंक की सफाई के वक्त श्रमिकों की मौत, IIT Madras ने बनाया 'होमोसेप' रोबोट
इआइटी मद्रास (IIT Madras) के शोधकर्ताओं ने एक ऐसा रोबोट बनाया है जो सेप्टिक टैंक की सफाई करने में सक्षम है। इसके इस्तेमाल से श्रमिकों को सेप्टिक टैंक (Septic Tank) की सफाई के लिए टैंक में नहीं उतरना पड़ेगा। इसका नाम होमोसेप है।
नई दिल्ली, प्रेट्र: आइआइटी मद्रास (IIT Madras) के शोधकर्ताओं ने रेडीमेड रोबोट कहां से खरीदें एक ऐसा रोबोट बनाया है, जो सेप्टिक टैंक की सफाई करने में सक्षम है। इसके इस्तेमाल से श्रमिकों को सेप्टिक टैंक (Septic Tank) की सफाई के लिए टैंक में नहीं उतरना पड़ेगा। इसका नाम 'होमोसेप' है। होमोसेप को हाथ से मैला ढोने की प्रथा को खत्म करने और सेप्टिक टैंक रेडीमेड रोबोट कहां से खरीदें की सफाई के दौरान होने वाली श्रमिकों की मौत की दुर्घटनाओं की संभावना को खत्म करने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। अधिकारियों ने कहा कि 10 रोबोट को तमिलनाडु में तैनात करने की योजना है।
बच्चों ने कराया जापानी रोबोट से इंसानों जैसा काम
रायपुर [जेएनएन]। 'हमने पहली बार देखा कि इंसान की तरह रोबोट को भी नचा सकते हैं। इंसान की तरह उससे सभी काम करा सकते हैं। जैसे चलवाना हो, स्विच ऑफ करवाना हो, गिरकर खड़े करवाना और साथ ही आवाज रेडीमेड रोबोट कहां से खरीदें को महसूस करवाना हो। जापान में स्थिति आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी कृत्रिम बुद्धि वाला मानव रोबोट (आसिमो) देखकर प्रदेश के छह होनहार छात्र-छात्राओं ने कुछ ऐसी प्रतिक्रिया की।
साकुरा साइंस प्रोग्राम के तहत साइंटिस्ट की सोच लाने के लिए प्रदेश के छह बच्चों को जापान भेजा गया था। साकुरा प्रोग्राम के तहत राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान की सहायक संचालक स्मृति शर्मा बच्चों को विजिट कराकर लौटी हैं। उनके साथ राजधानी के हायर सेकेंडरी स्कूल गुमा के कक्षा 11वीं का छात्र करण साहू, दुर्ग से शासकीय हायर सेकेंडरी स्कूल के लक्की देवांगन, मुंगली से वैशाली और जशपुर के संकल्प शिक्षण संस्थान के तीन बच्चों में नीता सिंह, महेंद्र बेहरा और अनुप रेडीमेड रोबोट कहां से खरीदें भगत जापान भ्रमण से लौटे हैं।
13 साल के बच्चे ने बनाया इमोशन वाला रोबोट, डांटने पर हो जाता है नाराज
प्रतीक
gnttv.com
- नई दिल्ली,
- 25 अगस्त 2022,
- (Updated 25 अगस्त 2022, 2:36 PM IST)
डांटने पर नाराज भी होता रेडीमेड रोबोट कहां से खरीदें है रोबोट
इंसान का मस्तिष्क कई तरह के इमोशन्स से भरा हुआ है. लेकिन मशीनों में इमोशन का होना काफी अनसुना सा लगता है. इमोशन वाले रोबोट के बारे में आपने सुना ही होगा. लेकिन इस बार एक 13 साल के बच्चे ने ऐसा रोबोट बनाया है, जो अपने आप में ही चौंका देने वाला है. तमिलनाडु के चेन्नई में एक 13 साल के लड़के ने इमोशन के साथ रोबोट तैयार करने का दावा किया है. प्रतीक ने इमोशन्स वाले अपने रोबोट का नाम 'रफी' रखा है.
इस रोबोट में हैं सभी इमोशन रेडीमेड रोबोट कहां से खरीदें
ऐसा कहा जाता है कि रोबोट इंसान नहीं हो सकते क्योंकि उनके पास केवल समान शरीर है, लेकिन भावनाएं नहीं हैं. उनसे जो भी करने को कहा जाता है वे वही करते हैं. हालांकि, अगर उनमें भी भावनाएं हैं, तो रोबोट और इंसानों के बीच अंतर काफी कम हो जाएगा. इंसान और रोबोट में काफी समानताएं हैं जैसे रेडीमेड रोबोट कहां से खरीदें कि दोनों के दो हाथ और पैर होते हैं, वजन उठाते हैं, ऊर्जा की खपत करते हैं, आदि. लेकिन अब इस सूची में एक और रेडीमेड रोबोट कहां से खरीदें समानता जुड़ गई है, वह है भावनाएं.
घरेलू कचरे से बनाया रोबोट कैसे कर रहा कोरोना मरीजों की मदद
इंडोनेशियाई ग्रामीणों और वैज्ञानिकों द्वारा मनोरंजन के लिए डिजाइन किए गए एक होममेड रोबोट का इस्तेमाल महामारी के दौरान हो रहा है. यह रोबोट ऐसे लोगों तक भोजन और उम्मीद की नई रोशनी लेकर पहुंच रहा है जो कोविड से पीड़ित हैं.घरेलू सामान जैसे बर्तन, कड़ाही और पुराना टेलीविजन मॉनिटर को मिलाकर एक रोबोट तैयार किया गया है. इस रोबोट को अब "डेल्टा रोबोट" नाम दिया गया है. इंडोनेशिया में कोरोना वायरस का डेल्टा वेरिएंट भारी तबाही मचा रहा है. इस प्रोजेक्ट के प्रमुख 53 साल के असियांतो कहते हैं, "डेल्टा वेरिएंट के बढ़ते मामले और कोरोना के केसों की संख्या को देखते हुए इस रोबोट को सार्वजनिक सेवाओं के लिए इस्तेमाल करने का फैसला किया गया है.
छत्तीसगढ़ के युवा इंजीनियरों ने बनाया डाक्टर के काम आने वाला रोबोट
यह रोबोट संदिग्ध मरीज के सैंपल ले सकता है, क्वारंटीन वार्ड में जाकर मरीजों का हाल केबिन में बैठे डॉक्टर्स को दिखा सकता है। यही नहीं जरूरत रेडीमेड रोबोट कहां से खरीदें पड़ने पर इसी रोबोट के जरिए डॉक्टर मरीज से बातचीत भी कर सकते हैं। युवाओं की टीम अब इसे रोबोट को और बेहतर बनाने में और इसका असल हालात में परीक्षण करने की तैयारी की रही है,ताकि मेडिकल टीम की मदद की जा सके।
महासमुंद के गुडरुपारा निवासी योगेश साहू ने बलौदाबाजार निवासी प्रवीण वर्मा और बिलासपुर निवासी ऋषिकेश यादव के साथ मिलकर यह रोबोट तैयार किया है। इसे बनाने में करीब दो महीने का समय लगा। योगेश ने बताया कि हम तीनों भिलाई के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में बीई फाइनल (इलेक्ट्रॉनिक्स एंड टेलीकम्यूनिकेशन) के छात्र हैं। इसी साल हम तीनों ने इस तरह का रोबोट बनाने के बारे में सोचा, जो संकटकाल में भी काम आ सके।
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