NFO क्या है ? क्या मुझे NFO में निवेश करना चाहिए ?
शेयर बाजार और म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश करने वाले लोगों के लिए Investment की समझ होनी बहुत जरुरी है। आज कल म्यूच्यूअल फण्ड के निवेशकों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है। उनमे से बहुत सारे नए निवेशक होते हैं जिन्हे म्यूच्यूअल फण्ड क्या है ? उसके बारे में थोड़ी बहुत जानकारी होती है। लेकिन क्या उन सारे नए Investors को NFO के बारे में पता होता है। NFO क्या है ? क्या मुझे NFO में निवेश करना चाहिए ?
NFO क्या है ?
जब भी कोई Asset Management Company (AMC) एक नए फण्ड का स्कीम लाना चाहती है तो उसे NFO लाना होता है। इस NFO के जरिये म्यूच्यूअल फण्ड कंपनी फण्ड जुटती है Securities खरीदने के लिए। New Fund Offering (NFO) जो की एक पहला Subscription Offer होता है म्यूच्यूअल फण्ड कंपनी की तरफ से।
Mutual Fund Company के लिए एक नई फण्ड के sale करना एक Challenge से कम नहीं होता। इसिलए कंपनी NFO का NAV प्राइस आमतौर पे 10 रुपए ही रखते हैं ताकि Investor को यह Price काफी Attractive लगे और वे इसमें निवेश करें।
New Fund Offering (NFO) क्या है, म्यूच्यूअल फण्ड कंपनी द्वारा निवेशकों के लिए जारी किए गए फंड की प्रारंभिक बिक्री को संदर्भित करता है। यह एक तरह से आईपीओ (IPO) जैसे ही है। जैसे किसी भी कंपनी को शेयर बाजार से Fund जुटाने के लिए IPO लाना पड़ता है, ठीक उसी तरह NFO के जरिये म्यूच्यूअल फण्ड कंपनी पैसे जुटाती है।
NFO full form in Hindi
NFO का फुल फॉर्म होता है "New Fund Offering" जो Asset Management Company (AMC) म्यूच्यूअल फण्ड इन्वेस्टर के लिए लती है।
NFO के प्रकार
आमतौर पे NFO दो प्रकार के होते हैं : 1) ओपन एंडेड फण्ड, और 2) क्लोज एंडेड फण्ड
1) ओपन एंडेड फण्ड (Open Ended Fund)
Open Ended Fund एक ऐसा फण्ड है जिसे आप कभी NFO क्या होता है और उसमें कैसे निवेश करें? भी खरीद सकते हैं और कभी भी बेच सकते हैं। इसमें न कोई Maturity टाइम होता है न हीं कोई Locking Period होता है। NFO का टाइम पूरा होने के बाद भी इस फण्ड को ख़रीदा और बेचा जा सकता है। ओपन एंडेड फण्ड में म्यूच्यूअल फण्ड Unit को Fixed नहीं रखा जाता, म्यूच्यूअल फण्ड कंपनी आपने हिसाव से Units को बढ़ा सकते हैं या घटा सकते हैं।
क्यूंकि Open Ended Fund में Investor कभी भी Entry और Exit कर सकते हैं, इसीलिए ये फण्ड Close Ended Fund के मुकाबिले ज्यादा Risky होता है।
2) क्लोज एंडेड फण्ड (Close Ended Fund)
Close Ended Fund एक ऐसा फण्ड होता है, जो म्यूच्यूअल फण्ड कंपनी एक निर्धारित समय के लिए निवेशकों को Offer करता है। इस NFO में enter करने के लिए कंपनी द्वारा एक Time Period Set की जाती है, आपको इसमें enter करना हो तो उसी fixed टाइम में ही आप इस फण्ड को Purchase कर सकते हैं। क्लोज एंडेड फण्ड के Unit भी fixed रहता है। आप इस NFO को लेने के बाद Maturity होने तक आप आपने पैसे निकल नहीं सकते और यह Locking Period 3 से 5 साल के बिच का होता है।
Close Ended Fund में एक Fixed Maturity Period होने के कारण यह फण्ड Open Ended Fund के मुकाबिले कम Risky होते हैं।
क्या मुझे NFO में निवेश करना चाहिए ?
NFO में निवेश करना सही है या नहीं यह तय करना काफी मुश्किल है। लेकिन आपको NFO में निवेश करने से पहले ये जानना जरुरी है की आपको इसमें निवेश करना क्यों है, आपके म्यूच्यूअल फण्ड पोर्टफोलियो में उस NFO को ऐड करने में क्या लाभ होगा। आपको अगर लगता है की जो NFO में आप निवेश करना चाहते हैं, उसे आपके पोर्टफोलियो में होना चाहिए।
New Fund Offering में आपको इसीलिए निवेश नहीं करना चाहिए क्यूंकि उसका NAV की कीमत 10 रुपए है। आपको यहाँ बतादें NAV की कीमत कम या ज्यादा होने से आपके इन्वेस्टमेंट में कोई फर्क नहीं पड़ता। म्यूच्यूअल फण्ड कंपनी चाहते हैं की उनकी NFO में ज्यादा से ज्यादा निवेशक आये और उस फण्ड को खरीदें। उसके लिए निवेशकों को आकर्षित करने के लिए ज्यादातर NFO की NAV को 10 रुपए रखा जाता है।
NFO की NAV को समझने के लिए हम दो Example लेते हैं :
Example -1) मानलेते हैं की आप 10000 निवेश करते हैं तो आपको 10 रुपए NAV के प्राइस में 1000 Unit दिए जाते हैं। एक साल बाद आपके फण्ड में 10% की Growth होती है तो आपके 10000 रुपए बढ़के 11000 यो जायेगा।
Example -2) मानलेते हैं आपको उसी NFO का NAV 100 रुपए में म्यूच्यूअल फण्ड कंपनी देता है तो सायद आपको लगेगा की NAV का प्राइस ज्यादा है, और सायद आप उसमे निवेश न करें।
लेकिन आपका इन्वेस्टमेंट तो वहीँ Same है, आपको इसमें भी 10000 ही निवेश करना है। NAV का प्राइस 100 के हिसाव से आपको 100 Unit मिलते हैं। और अगर आपके फण्ड में 10% की Growth होती है, तो आपके 10000 रुपए बढ़के 11000 ही होंगे।
इसमें आपको ये समझ आया होगा की New Fund Offering में NAV का कम होना या ज्यादा होना कोई मायने नहीं रखता। NAV के प्राइस को देखकर आप ये Decide न करे की कोनसा NFO अच्छा है और कोनसा ख़राब।
NFO में और एक बड़ी समस्या है की अगर आपको निवेश करना है तो आपको इसकी ट्रैक रिकॉर्ड check करने को नहीं मिलेगी, क्यूंकि ये फण्ड की स्कीम नया है। इसीलिए आप यह समझ नहीं पाएंगे की ये फण्ड फ्यूचर में कैसे फेरफोर्म करेगी।
NFO और IPO में क्या अंतर है ?
NFO एक म्यूच्यूअल फण्ड स्कीम है, और एक Fixed टाइम के भीतर ही Subscription Offer की जाती है। IPO में भी अप्लाई करने के लिए एक Time Period रहता है। लेकिन IPO लाने वाले कंपनी के शेयर Stock Market में लिस्ट होने के बाद ट्रेड होते हैं।
NFO म्यूच्यूअल फण्ड कंपनी का एक Subscription Offer है, जो की एक Fund Raise करने की प्रक्रिया है किसी भी AMC का Securities खरीदने के लिए। IPO किसी भी कंपनी का Public से Fund Raise करने की प्रक्रिया है, जिन पैसों से कंपनी अपने Debt को चुकाने में और कंपनी को Grow करने के लिए इस्तेमाल करता है।
NFO में इंवेस्टमेंट के बदले में Units दिए जाते हैं, NAV प्राइस पे। IPO में इन्वेस्टमेंट के बदले share दिए जाते हैं, शेयर प्राइस पे।
NFO के क्लोज एंडेड फण्ड में आपका Investment 3 से 5 साल के लिए Lock करदिये जाते हैं। IPO Investment में कोई Locking Period नहीं होता, शेयर बाजार में लिस्ट होने के बाद आप कभी भी Sell कर सकते हैं।
NFO का कोई ट्रैक रिकॉर्ड नहीं होता, क्यों की ये नया फण्ड होता है। IPO लाने वाले कंपनी का ट्रैक रिकॉर्ड को चेक किया जा सकता है।
NFO के बारे में यहां जानिए सब कुछ
एनएफओ किसी एसेट मैनेजमेंट कंपनी की नई स्कीम होती है.
फंड हाउस अपने प्रोडक्ट बास्केट को पूरा करने के लिए एनएफओ लॉन्च कर सकता है. इस तरह वह निवेशकों को सभी तरह के प्रोडक्टों की पेशकश कर पाता है. उदाहरण के लिए अगर किसी एसेट मैनेजमेंट कंपनी के पास इक्विटी सेविंग्स फंड या फार्मा फंड नहीं है तो वह इस प्रोडक्ट के लिए एनएफओ ला सकती है.
एनएफओ ओपन एंडेड या क्लोज्ड एंडेड होते हैं. ओपन एंडेड फंड सब्सक्रिप्शन के लिए दोबारा खुलते हैं. खुलने के बाद इसमें किसी भी दिन निवेश का विकल्प रहता है. यह निवेश मौजूदा नेट एसेट वैल्यू (NAV) पर किया जाता है. वहीं, क्लोज्ड एंडेड फंड में सिर्फ ऑफर पीरियड के दौरान ही निवेश किया जा सकता है.
म्यूचुअल फंड के एनएफओ से NFO क्या होता है और उसमें कैसे निवेश करें? आईपीओ कैसे अलग है?
कंपनियों के आईपीओ इश्यू और म्यूचुअल फंड कंपनियों के एनएफओ में बुनियादी अंतर है. आईपीओ इश्यू कोई कंपनी लाती है. वह निवेशकों से फंड जुटाने के लिए इसे लॉन्च करती है. आईपीओ आने के बाद वह शेयर बाजार में लिस्ट हो जाता है. इससे उस शेयर में खरीद-फरोख्त का रास्ता खुल जाता है.
वहीं, म्यूचुअल फंड का एनएफओ कंपनी को निवेशकों से पैसा जुटाने का मौका देता है. इस पैसे का निवेश वह फंड के तय लक्ष्य के मुताबिक शेयर, बॉन्ड या इस तरह के दूसरे इंस्ट्रूमेंट में करती है.
इन दिनों शायद ही कोई कंपनी फेस वैल्यू पर आईपीओ में शेयर बेचती है. इसके उलट एनएफओ में हर यूनिट की कीमत 10 रुपये तय होती है.
कब निवेशकों को NFO में पैसा लगाना चाहिए?
फाइनेंशियल प्लानरों का मानना है कि निवेशकों को तभी एनएफओ में निवेश करना चाहिए अगर अपने पोर्टफोलियो में उन्हें इसकी जरूरत महसूस होती है. या फिर कोई ऐसी थीम हो जिस पर वे फोकस करना चाहते हैं.
निवेशकों को केवल इसलिए एनएफओ में निवेश नहीं कर देना चाहिए कि यूनिटें 10 रुपये NFO क्या होता है और उसमें कैसे निवेश करें? में उपलब्ध हैं. वहीं, ओपन-एंडेड स्कीमों में एनएवी ज्यादा हो सकती है. जानकार कहते हैं कि निवेशकों को ओपन-एंडेड म्यूचुअल फंड स्कीमों को वरीयता देनी चाहिए. इनका पुराना ट्रैक रिकॉर्ड होता है. इसके चलते पोर्टफोलियो और फंड मैनेजर के निवेश करने के स्टाइल का पता रहता है. नई स्कीम के मामले में ये बातें पता नहीं रहती हैं.
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NFO के बारे में यहां जानिए सब कुछ
एनएफओ किसी एसेट मैनेजमेंट कंपनी की नई स्कीम होती है.
फंड हाउस अपने प्रोडक्ट बास्केट को पूरा करने के लिए एनएफओ लॉन्च कर सकता है. इस तरह वह निवेशकों को सभी तरह के प्रोडक्टों की पेशकश कर पाता है. उदाहरण के लिए अगर किसी एसेट मैनेजमेंट कंपनी के पास इक्विटी सेविंग्स फंड या फार्मा फंड नहीं है तो वह इस प्रोडक्ट के लिए एनएफओ ला सकती है.
एनएफओ ओपन एंडेड या क्लोज्ड एंडेड होते हैं. ओपन एंडेड फंड सब्सक्रिप्शन के लिए दोबारा खुलते हैं. खुलने के बाद इसमें किसी NFO क्या होता है और उसमें कैसे निवेश करें? भी दिन निवेश का विकल्प रहता है. यह निवेश मौजूदा नेट एसेट वैल्यू (NAV) पर किया जाता है. वहीं, क्लोज्ड एंडेड फंड में सिर्फ ऑफर पीरियड के दौरान ही निवेश किया जा सकता है.
म्यूचुअल फंड के एनएफओ से आईपीओ कैसे अलग है?
कंपनियों के आईपीओ इश्यू और म्यूचुअल फंड कंपनियों के एनएफओ में बुनियादी अंतर है. आईपीओ इश्यू कोई कंपनी लाती है. वह निवेशकों से फंड जुटाने के लिए इसे लॉन्च करती है. आईपीओ आने के बाद वह शेयर बाजार में लिस्ट हो जाता है. इससे उस शेयर में खरीद-फरोख्त का रास्ता खुल जाता है.
वहीं, म्यूचुअल फंड का एनएफओ कंपनी को निवेशकों से पैसा जुटाने का मौका देता है. इस पैसे का निवेश वह फंड के तय लक्ष्य के मुताबिक शेयर, बॉन्ड या इस तरह के दूसरे इंस्ट्रूमेंट में करती है.
इन दिनों शायद ही कोई कंपनी फेस वैल्यू पर आईपीओ में शेयर बेचती है. इसके उलट एनएफओ में हर यूनिट की कीमत 10 रुपये तय होती है.
कब निवेशकों को NFO में पैसा लगाना चाहिए?
फाइनेंशियल प्लानरों का मानना है कि निवेशकों को तभी एनएफओ में निवेश करना चाहिए अगर अपने पोर्टफोलियो में उन्हें इसकी जरूरत महसूस होती है. या फिर कोई ऐसी थीम हो जिस पर वे फोकस करना चाहते हैं.
निवेशकों को केवल NFO क्या होता है और उसमें कैसे निवेश करें? इसलिए एनएफओ में निवेश नहीं कर देना चाहिए कि यूनिटें 10 रुपये में उपलब्ध हैं. वहीं, ओपन-एंडेड स्कीमों में एनएवी ज्यादा हो सकती है. जानकार कहते हैं कि निवेशकों को ओपन-एंडेड म्यूचुअल फंड स्कीमों को वरीयता देनी चाहिए. इनका पुराना ट्रैक रिकॉर्ड होता है. इसके चलते पोर्टफोलियो और फंड मैनेजर के निवेश करने के स्टाइल का पता रहता है. नई स्कीम के मामले में ये बातें पता नहीं रहती हैं.
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क्या होता है NFO, कैसे अलग है IPO से? जानें सबकुछ
फंड कंपनियां किसी विषय को आधार बनाकर लॉग टर्म में फायदा देने के लिए न्यू फंड ऑफर बाजार में उतारती हैं। नई स्कीम शुरू करने के दौरान पहले सब्स्क्रिप्शन ऑफर के तौर पर जारी किया जाता है। इसमें निवेश करना कितना सही, जानें।
म्यूचुअल फंड एनएफओ और इक्विटी आईपीओ क्या अंतर है?
कंपनियां अपना विस्तार करने के लिए पूंजी की तलाश में रहती हैं। साथ ही वह पूंजी भी बढ़ाने के तरीके खोजती रहती हैं और इसके लिए अक्सर इक्विटी आईपीओ जारी करती रहती हैं। यह तरीका बड़ी प्राइवेट कंपनियां अपनाती हैं ताकि वे पब्लिक ट्रेडिंग में शामिल हो सकें। म्यूचुअल फंड के एनएफओ में रकम केवल निवेशकों के जरिए आती है और यह कई तरह की सिक्यॉरिटी में बंट जाती है। इनमें स्टॉक, बॉन्ड, सरकारी सिक्यॉरिटी आदि शामिल होती हैं, जिन्हें एक तय प्लान के तहत चुना जाता है। आईपीओ को कदार फेस वैल्यू पर जारी किया जाता है। उनमें से ज्यादातर फेस वैल्यू के प्रीमियम पर आधारित होती हैं। वहीं दूसरी ओर म्यूचुअल फंड के एनएफओ की कीमत हमेशा ही 10 रुपये होती है।
क्या निवेशक को एनएफओ में पैसा लगना चाहिए?
फाइनैंशल प्लैनर्स की राय है कि एनएफओ में पैसा तब लगाया जाना चाहिए, जब आपके पोर्टफोलियों में उस प्रॉडक्ट की जरूरत है या फिर कोई ऐसी थीम है, जिसमें एफएफओ के जरिए अच्छा फायदा लिया जा सकता है। अब क्योंकि एनएनओ का दाम केवल 10 रुपये है, इसलिए निवेशकों को ऐसे एनएफओ में निवेश करने से बचना चाहिए। साथ ही डिस्ट्रीब्यूटर्स की ओर से दी गई गलत जानकारी में विश्वास करके निवेश कराए जाने वाले एनएफओ से भी बचना चाहिए।
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Mutual Fund Calculator: ₹50 हजार एकमुश्त म्यूचुअल फंड में करेंगे निवेश तो 10 साल बाद कितना मिलेगा? समझें कैलकुलेशन
Mutual Fund Calculator: म्यूचुअल फंड में निवेश करने पर रिटर्न परंपरागत निवेश के मुकाबले ज्यादा मिलता है. हालांकि, यहां समझना होगा कि म्यूचुअल फंड अप्रत्यक्ष तौर पर शेयर मार्केट से लिंक्ड रहता है.
Mutual Fund Calculator: निवेश के बेहतरीन विकल्पों में से एक है म्यूचुअल NFO क्या होता है और उसमें कैसे निवेश करें? फंड (mutual funds). इसमें आप एसआईपी (SIP) यानी सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान के जरिये और एकमुश्त यानी लम्पसम में निवेश कर सकते हैं. अगर आपको एकमुश्त पैसा निवेश करना हो तो म्यूचुअल फंड में निवेश किया जा सकता है. फंड का सलेक्शन आप खुद या फाइनेंशियल एडवाइजर की मदद से भी कर सकते हैं. अगर आपको 50,000 रुपये एक साथ यानी लम्पसम के तौर पर 10 साल के लिए निवेश करना है तो आपको यह समझना भी जरूरी है कि दस साल बाद आपको आखिर कितना रिटर्न मिल सकता है.
निवेश पर रिटर्न का कैलकुलेशन यहां समझें
किसी तय फंड (Mutual Funds) में 10 साल बाद कितना रिटर्न मिलेगा. इसका मोटा-मोटी अंदाजा एक कैलकुलेशन (mutual funds Lumpsum Calculator) से समझा जा सकता है. कैलकुलेशन में आया रिटर्न उस समय ज्यादा भी हो सकता है. groww.in के एक कैलकुलेशन के मुताबिक, अगर आप 50 हजार रुपये एकमुश्त म्यूचुअल फंड (Mutual Fund Lumpsum investment) में निवेश 10 साल के लिए करते हैं और सालाना 12 प्रतिशत के रिटर्न की उम्मीद करते हैं तो आपको 10वें साल कुल राशि 77,646 रुपये मिलेगी. इसमें इसमे अनुमानित रिटर्न 52,646 रुपये है और 25 हजार रुपये आपकी निवेश राशि है.
अगर SIP के जरिये करते हैं निवेश
ग्रो डॉट इन के मुताबिक, अगर आप एसआईपी (SIP) के जरिये 25 हजार रुपये हर महीने निवेश करते हैं तो 10वें साल आपको 12 प्रतिशत सालाना रिटर्न के हिसाब से कुल 58,08477 रुपये मिलते हैं. इसमें आप 10 साल में कुल 30 लाख रुपये निवेश करते हैं और इस पर आपको रिटर्न 28,08477 रुपये मिलता है. म्यूचुअल फंड के दोनों में से किसी भी माध्यम के जरिये निवेश पर आपको रिटर्न बेहतर मिलता है.
लम्पसम कैलकुलेटर कैसे है मददगार
जब आप म्यूचुअल फंड (Mutual Funds) में निवेश करते हैं तो लम्पसम कैलकुलेटर (Mutual Fund Lumpsum investment) आपको निवेश और रिटर्न का एक तरह से पूरा-पूरा हिसाब किताब दे देता है. इसकी मदद से आप तय रिटर्न, कुल रिटर्न, सालाना रिटर्न, प्वॉइंट टू प्वॉइंट रिटर्न सहित कई चीजों को समझ सकते हैं.
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