4. M4 = M3 + डाकघर की कुल जमा राशि (NSC छोड़कर)

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मुद्रा प्रसार क्या है

मुद्रा स्फीति (en:inflation) गणितीय आकलन पर आधारित एक अर्थशास्त्रीय अवधारणा है जिससे बाज़ार में मुद्रा का प्रसार व वस्तुओ की कीमतों में वृद्धि या कमी की गणना की जाती है। उदाहरण के लिएः 1990 में एक सौ रुपए में जितना सामान आता था, अगर 2000 में उसे ख़रीदने के लिए दो सौ रुपए व्यय करने पड़े है तो माना जाएगा कि मुद्रा स्फीति शत-प्रतिशत बढ़ गई।

चीज़ों की क़ीमतों में बढ़ोतरी और मुद्रा की क़ीमत में कमी को वैज्ञानिक ढंग से सूचीबद्ध करना मुद्रा स्फीति का काम होता है। इससे ब्याज दरें भी तय होती हैं।

मुद्रा स्फीति समस्त अर्थशास्त्रीय शब्दों में संभवतः सर्वाधिक लोकप्रिय है। किंतु इसे पारिभाषित करना एक कठिन कार्य है। विभिन्न विद्वानों ने इसकी भिन्न-भिन्न परिभाषा दी हैं :

  1. बहुत कम माल के लिए बहुत अधिक धन की आपूर्ति हो जाने से इसका जन्म हो जाता है
  2. माल या सेवा की आपूर्ति की तुलना में मांग अधिक हो जाने पर भी इसका जन्म ही जाता हैं
  3. आपूर्ति में दोष, गत्यावरोध तथा ढांचागत असंतुलन के चलते भी मुद्रा स्फीति पनपती हैं

मुद्रा किसे मुद्रा क्या है और इसके कार्य क्या‌ है कहते है

मुद्रा किसे कहते है आर्थिक प्रणाली में मुद्रा का केवल एक मौलिक कार्य है – वस्तुओ तथा सेवाओं के लेन – देन को सरल बनाना । जी हाँ दोस्तों आज के पोस्ट में हम बात करने वाले है मुद्रा किसे कहते है क्या रोल होता है हमारे जीवल में मुद्रा का मुद्रा प्रचलन आज से नहीं बल्कि हर युग होते रहा है । चाहे प्राचीन कल हो या मध्य कल हो या फिर आज का आधुनिक कल हो ऐ हमेसा से प्रचलन में चलते आरा रहा है । वस विनिमय का तरीका अलग था ।

मुद्रा ने समाज में विभिन्न प्रकार के कार्य करके आर्थिक विकाश को सम्भव बनाया है । आर्थिक प्रणाली में मुद्रा का केवल एक मौलिक कार्य है – वस्तुओ तथा सेवाओं के लेन – देन को सरल बनाना इसमें बैंको का विशेष योगदान होता है , साथ ही वित्तीय संस्थान समाज में मुद्रा के सहविभाजन में पूर्ण सहयोग प्रदान करते है ।

मुद्रा

मुद्रा की उत्पत्ति विनिमय के माध्यम के रूप में हुई है। अतः वस्तु जो विनिमय के माध्यम का कार्य करती है, वह मुद्रा कहलाती है अर्थात् मुद्रा (Currency) वह वस्तु है, जो सभी प्रकार के लेन-देन में भुगतान के माध्यम के रूप में प्रयुक्त होती है अर्थात् यह एक शक्तिशाली वस्तु है, जो भुगतान के माध्यम के रूप में पूर्णतया स्वीकृत है।

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मुद्रा का निर्गमन केन्द्रीय बैंक व सरकार द्वारा किया जाता है। मुद्रा का अभिप्राय मात्र नोटों व सिक्कों से न होकर उन सभी वस्तुओं से हैं, जो भुगतान के रूप में सामान्यतः स्वीकार की जाती हैं।

मुद्रा के दो मुद्रा क्या है और इसके कार्य क्या‌ है प्रकार होते है

1. वैधानिक मुद्रा (Legal Currency) वह मुद्रा है, जिसका निर्गमन सरकार या रिजर्व बैंक द्वारा एक विधान के अन्तर्गत किया जाता है, जिसमें रिजर्व बैंक धारक को उतनी रकम अदा करने का वचन देता है।

अकास्मिक कार्य

मुद्रा के कार्य के अंतर्गत मुख्य चार बिंदु को सम्मिलित किया गया है –

  • साख का आधार – बैंक तथा अन्य वित्तीय संस्थाओं का व्यवसाय साख के आधार पर ही चलता है तथा साख का सृजन बैंकों में जमा राशि के आधार पर मुद्रा क्या है और इसके कार्य क्या‌ है किया जाता हैं। यह साख मुद्रा के रूप में होती हैं। वर्तमान में अधिकांश भुगतान चेक, हुंण्डी, विनिमय पत्र तथा साख पत्रों के माध्यम से किया जाता हैं।
  • आय का वितरण – आज के समय में व्यापार तथा उद्योगों में बहुत तेजी से वृद्धि हुई हैं। औद्योगिक उत्पादन व्यापक पैमाने पर हो रहा है जिसमें बहुत से लोग मिलकर उत्पादन करते हैं। उत्पादन में उनके सहयोग का प्रतिफल दिया जाना आवश्यक होता हैं। संयुक्त रूप से किए गए उत्पादन को बेचकर प्राप्त धनराशि को विभिन्न लोगों में बांटा जा सकता हैं। यह परिस्थिति मुद्रा के कारण ही संभव हो पाई हैं।

अन्य कार्य

इच्छा की वाहक – ग्राहक के अनुसार मुद्रा संचय का आधार हैं। इसको जमा करने वाला प्रत्येक व्यक्ति इस बात का ध्यान रख सकता है कि उसे संचित संपत्ति कब उपयोग में लाने है मुद्रा समाज की वर्तमान एवं भविष्य की पूर्ति में सहयोग देती है।

भुगतान स्थिति की सूची – किसी फर्म या व्यक्ति के पास मुद्रा-रुपी तरल संपत्ति उसकी भुगतान देने की क्षमता की गारंटी होती हैं। बैंकों के पास यदि ग्राहकों को देने के लिए पर्याप्त Amount नहीं होती तो वह दिवालिया हो जाते। इस प्रकार मुद्रा इस बात की सूचक है कि कोई संस्था दिवालिया तो नहीं हो गयी है।

अमेरिका ने भारत को मुद्रा निगरानी सूची से हटाया, चीन को झटका; जानिए क्या हैं इसके मायने

अमेरिका ने भारत को मुद्रा निगरानी सूची से हटाया, चीन को झटका; जानिए क्या हैं इसके मायने

अमेरिका ने शुक्रवार को भारत समेत चार अन्य देशों को अपनी मुद्रा निगरानी मुद्रा क्या है और इसके कार्य क्या‌ है सूची से हटा दिया। अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने कांग्रेस (संसद) को सौंपी अपनी द्विवार्षिक रिपोर्ट में कहा कि भारत, इटली, मैक्सिको, थाईलैंड और वियतनाम को सूची से हटा दिया गया है। इसमें कहा गया है कि जिन देशों को सूची से हटा दिया गया है, वे लगातार दो बार तीन मानदंडों में से केवल एक को पूरा कर पाए हैं। अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने इस साल जून में अपने महत्वपूर्ण द्विपक्षीय व्यापार अधिशेष के कारण भारत को करेंसी मैनिपुलेटर की निगरानी सूची में रखा था। महामारी की शुरुआत के बाद से यह तीसरी बार था जब भारत सूची में आया था।

मुद्रा के प्रमुख कार्य क्या-क्या हैं? मुद्रा किस प्रकार वस्तु विनिमय प्रणाली की कमियों को दूर करता है?

मुद्रा से तात्पर्य धनराशि से है जिसका उपयोग व्यक्ति अपनी दैनिक आवशयक्ताओं को पूरा करने के लिए करता है। मुद्रा का प्रयोग वस्तु विनिमय की कमियों को समाप्त करता है। अतः मुद्रा के बारे में हम उसके द्वारा किये जाने वाले कार्यों के आधार पर बात कर सकते हैं।

" मुद्रा से अभिप्राय किसी उस वस्तु से है जो सामान्य रुप से विनियम के माध्यम, मूल्य के माप, धन के संचय तथा ऋणों के भुगतान के रुप में की जाती है। जब से मुद्रा का प्रचलन हुआ है तब से मुद्रा ने वस्तु विनिमय प्रणाली के दोषों को दूर कर दिया है। "

मुद्रा के द्वारा ही हम प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय आय का अनुमान लगा मुद्रा क्या है और इसके कार्य क्या‌ है सकते है।

मुद्रा के चार प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं:

  1. विनिमय का माध्यम
  2. मूल्य का मापक
  3. भावी भुगतान का आधार
  4. मूल्य संचय।
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