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भारत का डिजिटल रुपया क्रिप्टोकरेंसी से कितना अलग? जानिए कैसा होगा भविष्य का पैसा

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने मंगलवार को डिजिटल रुपये का पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च कर दिया है। लेकिन, सभी के मन में यह सवाल उठ रहा है कि क्या यह क्रिप्टोकरेंसी जैसा होगा? इसे किस तरह संचालित किया जाएगा?

भारत का डिजिटल रुपया क्रिप्टोकरेंसी से कितना अलग? जानिए कैसा होगा भविष्य का पैसा

डिजिटल रुपये (Digital Rupees) की सुगबुगाहट पिछले एक साल से थी, आखिरकार इसका पायलट प्रोजेक्ट 1 नवंबर से शुरू हो गया। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने मंगलवार को डिजिटल रुपये का पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च कर दिया है। लेकिन, सभी के मन में यह सवाल उठ रहा है कि क्या यह क्रिप्टोकरेंसी जैसा होगा? इसे किस तरह संचालित किया जाएगा? आइए एक-एक करके जानते हैं कि भविष्य का पैसा कैसा होगा?

हाल के कुछ साल में क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है। क्रिप्टोकरेंसी के बढ़ते प्रचलन की वजह से दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों के सामने अपने देश की करेंसी को बचाए रखने का संकट भी धीरे-धीरे खड़ा हो रहा है। यही वजह है कि सभी देश अपने-अपने स्तर पर क्रिप्टोकरेंसी को नियंत्रित करने का प्रयास कर रहे हैं, क्योंकि क्रिप्टोकरेंसीज को कोई रेगुलेट नहीं करता है इसलिए इसके जरिए टेरर फंडिंग की भी बात सामने आई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने क्रिप्टोकरेंसीज के संचालन को लेकर कई बार चिंता भी व्यक्त की है। इस साल बजट में सरकार की तरफ से जब डिजिटल रुपये का ऐलान हुआ तभी यह बात स्पष्ट हो गई थी कि भारत सरकार किसी प्रकार मौका क्रिप्टोकरेंसीज को नहीं देना चाहती है। तब रही-कही कसर क्रिप्टोकरेंसी पर 30 प्रतिशत का टैक्स लगाकर पूरा कर दिया था। आइए जानते हैं जिस डिजिटल रुपये को भारत, क्रिप्टोकरेंसी के बराबर खड़ा करने की सोच रहा है वह है क्या? रिजर्व बैंक इसे रेगुलेट कैसे करेगा? इन सबके अलावा हम और आप जैसे आम आदमी इसका उपयोग कैसे कर पाएंगे।

क्या है डिजिटल रुपया?

अभी हम भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की तरफ से जारी 100, 200 रुपये के नोट्स और सिक्के का उपयोग करते हैं। इसी का डिजिटल स्वरूप ही डिजिटल रुपया कहलाएगा। टेक्निकल भाषा में इसे सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) भी कह सकते हैं। यानी रुपये का इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म, जिसका उपयोग हम बिना स्पर्श किए (कॉन्टैक्टलेस ट्रांजैक्शन) करेंगे। बता दें, सरकार ने इसका ऐलान 2022 के बजट में किया था।

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क्रिप्टोकरेंसी और डिजिटल रुपये में अंतर क्या है?

क्रिप्टोकरेंसी को कोई भी रेगुलेट नहीं करता है। यह पूरा तरह से ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर निर्भर करता है। इसलिए यह लेन-देन के लिए आधिकारिक करेंसी नहीं माना जाती है। वहीं, डिजिटल रुपये को रिजर्व बैंक जारी करेगा। इसका संचालन पूरी तरह आरबीआई के हाथ में होगा और बैंक अपने ग्राहकों को इसे बांट सकते हैं।

एक-दूसरे को कैसे करेंगे ट्रांसफर

डिजिटल रुपये के रिटेल वर्जन यानी जिसका उपयोग हम और आप जैसे सामान्य लोग करेंगे वह टोकन आधारित हो सकता है। व्यक्तियों को रसीद भी दी जा सकती है (जैसे ई-मेल इत्यादि)। डिजिटल रुपये को ट्रांसफर करते वक्त पासवर्ड जैसे डीटेल्स की जरूरत पड़ सकती है, क्योंकि यह पूरी तरह से प्रोग्राम्ड होगा तो इसलिए शुरुआती समय में इसे सेक्टर बेस्ड ही जारी किया जा सकता है। उदाहरण के रूप में खाद की सब्सिडी डिजिटल रुपये में ट्रांसफर की जाए।

क्या डिजिटल रुपये पर मिलेगा ब्याज?

नहीं, डिजिटल रुपये पर आरबीआई की तरफ से कोई भी ब्याज नहीं दिया जाएगा।

पैसे के लेन-देन पर रहेगी आरबीआई की नजर

जब हमें कोई नोट देता है तो किसी को पता नहीं होता है कि इससे पहले किस-किस के पास से यह पैसा गुजरा है। डिजिटल रुपये में ऐसा नहीं होगा। रिजर्व बैंक सभी पैसे का पता कर पाएगा कि यह किसके-किसके पास से गुजरा है। खासकर बड़े अमाउंट पर कड़ी नजर रहेगी।

बिना इंटरनेट के कर पाएंगे डिजिटल रुपये को ट्रांसफर?

रिजर्व बैंक डिजिटल रुपये के ऑफलाइन मोड पर काम कर रहा है। यानी जब कभी ये आम लोगों के उपयोग में आए तो वह इसका उपयोग ऑफलाइन भी कर पाएं।

1 नवंबर से पायलट प्रोजेक्ट शुरू

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सोमवार को जारी एक बयान में कहा, 'डिजिटल रुपये (होलसेल ट्रांजैक्शन) का पहला पायलट परीक्षण एक नवंबर को शुरू होगा। इस टेस्टिंग के तहत सरकारी सिक्योरिटीज में सेकेंडरी मार्केट लेनदेन का निपटान किया जाएगा।' आरबीआई ने 'केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा' (central bank digital currency OR CBDC) लाने की अपनी योजना की दिशा में कदम बढ़ाते हुए डिजिटल रुपये का पायलट टेस्टिंग शुरू करने का फैसला किया है। थोक खंड (Wholesale Transactions) के लिए होने वाले इस परीक्षण में नौ बैंक शिरकत करेंगे। इन बैंकों की पहचान भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और एचएसबीसी के रूप में की गई है।

पहले दिन कैसा रहा रिस्पांस

मंगलवार को जारी आंकड़ों के अनुसार पहले दिन डिजिटल रुपये के पायलट प्रोजेक्ट में सेकेंड्री मार्केट गर्वमेंट बॉन्ड का ट्रांजैक्शन 2.75 अरब डॉलर रुपये का हुआ है। तीन सिक्योरिटीज में नए रूट से यह ट्रेड सेटल्ड हुआ है।

Cryptocurrency के रेगुलेशन को लेकर संसदीय पैनल ने की चर्चा, कई सदस्यों ने प्रतिबंध पर जताया विरोध

संसदीय स्थायी समिति ने सोमवार को उद्योग संघों और विशेषज्ञों के साथ 'क्रिप्टोफाइनेंस: अवसर और चुनौतियां (CryptoFinance: Opportunities and Challenges)' मामले पर एक बैठक की है।

Image: PTI/Pixabay/Representative Image

संसदीय स्थायी समिति ने सोमवार को उद्योग संघों और विशेषज्ञों के साथ 'क्रिप्टोफाइनेंस: अवसर और चुनौतियां (CryptoFinance: Opportunities and Challenges)' मामले पर एक बैठक की। इस बैठक में निष्कर्ष निकाला कि क्रिप्टोकरेंसी को रोका नहीं जा सकता है, लेकिन इसे विनियमित किया जाना चाहिए। एएनआई ने अपने सूत्रों के हवाले से कहा, "इस बात पर आम सहमति थी कि क्रिप्टोकरेंसी को विनियमित करने के लिए एक नियामक तंत्र स्थापित किया जाना चाहिए। उद्योग संघों और हितधारकों को यह स्पष्ट नहीं था कि नियामक कौन होना चाहिए।"

सांसदों द्वारा उठाई गई सबसे गंभीर चिंता निवेशकों के पैसे की सुरक्षा थी। सभी सांसदों में से किसी एक ने राष्ट्रीय दैनिक समाचार पत्रों में पूरे पृष्ठ के क्रिप्टोकरेंसी विज्ञापनों पर भी चिंता व्यक्त की। विशेषज्ञों ने कहा कि क्रिप्टो निवेशकों के लोकतंत्र का एक प्रकार है। सूत्रों ने एएनआई को बताया कि वित्त पर संसदीय स्थायी समिति के सदस्य अब चाहते हैं कि सरकारी अधिकारी इसके सामने पेश हों और उनकी चिंताओं को दूर करें।

रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क से बात करते हुए मार्केट एक्सपर्ट अजय बग्गा (Ajay Bagga) ने कहा, 'सरकार क्रिप्टो के क्रिप्टोकरेंसी का सबसे आम प्रकार घरेलू इस्तेमाल को रेगुलेट करने की कोशिश करेगी। सरकार तकनीक को अपनाना चाहती है। इस पर टैक्स लगेगा, जीएसटी लगेगा। यह सेबी के अधीन हो सकता है आरबीआई के अधीन नहीं। आरबीआई केंद्रीय मुद्रा ला सकता है।" भारत में CoinSwitch, Kuber और CoinDCX नाम के क्रिप्टो यूनिकॉर्न है।

यह निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) द्वारा शनिवार को क्रिप्टोकरेंसी और संबंधित वित्तीय मुद्दों पर विशेषज्ञों के साथ बैठक की अध्यक्षता करने के बाद आया है। बैठक के दौरान क्रिप्टोकरेंसी के इस्तेमाल से जुड़े हर पहलू पर विस्तृत चर्चा हुई।

इस बैठक में आतंकी समूहों को फंड देने और मनी लॉन्ड्रिंग के लिए क्रिप्टो के अवैध इस्तेमाल पर भी चर्चा हुई। सूत्रों ने बताया कि "बैठक में यह भी चर्चा की गई कि अनियमित क्रिप्टो बाजारों को मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनेंसिंग के लिए रास्ता नहीं बनने दिया जा सकता है। सरकार इस तथ्य से अवगत है कि यह एक विकसित तकनीक है इसलिए सरकार कड़ी नजर रखेगी और सक्रिय कदम उठाएगी।"

Top 5 Crypto: दुनिया की इन टॉप 5 क्रिप्टोकरंसी का मुनाफा देखकर उड़ जाएंगे होश, 520000 % तक चढ़ी कीमतें

अब सवाल उठता है कि इतनी कानूनी अड़चनों के बाद भी लोग बिटकॉइन या अन्य क्रिप्टोकरेंसी में पैसा क्यों झोंक रहे हैं?

Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: January 06, 2022 17:25 IST

Top 5 Crypto: दुनिया की इन टॉप 5. - India TV Hindi

Top 5 Crypto: दुनिया की इन टॉप 5 क्रिप्टोकरंसी का मुनाफा देखकर उड़ जाएंगे होश, 5 लाख प्रतिशत तक चढ़ी कीमतें

Highlights

  • भारत में फिलहाल दुनिया के सबसे ज्यादा 10 करोड़ से ज्यादा क्रिप्टो निवेशक है।
  • बिटकॉइन और एथेरियम से लेकर डॉगकोइन तक, हजारों अलग-अलग क्रिप्टोकरेंसी हैं
  • बिनांस जैसी क्रिप्टो करेंसी ने 5.2 लाख प्रतिशत का रिटर्न दिया है

भारत में क्रिप्टोकरेंसी का भविष्य क्रिप्टोकरेंसी का सबसे आम प्रकार क्रिप्टोकरेंसी का सबसे आम प्रकार फिलहाल अधर में है। आरबीआई क्रिप्टो के खिलाफ है और सरकार इसे बैन करने की धमकी कई बार दे चुकी है। संसद के शीत सत्र में क्रिप्टो पर कानून लाने की बात भी हुई, लेकिन यह फिलहाल टल गया। इस उहापोह की स्थिति के बाद भी देश में क्रिप्टो करेंसी में निवेश लगातार बढ़ रहा है। भारत में फिलहाल दुनिया के सबसे ज्यादा क्रिप्टो निवेशक है। इनकी संख्या 10 करोड़ से ज्यादा है। क्रिप्टो निवेशकों की औसतन उम्र 24 साल है। यह देश की करीब 7 प्रतिशत जनसंख्या के बराबर है। इन 10 करोड़ निवेशकों ने 7 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का निवेश किया है।

अब सवाल उठता है कि इतनी कानूनी अड़चनों के बाद भी लोग बिटकॉइन या अन्य क्रिप्टोकरेंसी में पैसा क्यों झोंक रहे हैं, तो इसका एक लाइन का सीधा जवाब है, क्रिप्टोकरेंसी पर मिलने वाला मुनाफा। जहां शेयर और म्युचुअल फंड जैसे जोखिम वाले निवेश निवेशकों को 20 से 30 प्रतिशत का रिटर्न देते हैं, वहीं बिनांस जैसी क्रिप्टो करेंसी ने 5.2 लाख प्रतिशत का रिटर्न दिया है। यह आंकड़ा इतना बड़ा है कि आप कैल्कुलेटर पर इसकी गणना भी नहीं कर सकते। दुनिया में बिटकॉइन और एथेरियम से लेकर डॉगकोइन और टीथर तक, हजारों अलग-अलग क्रिप्टोकरेंसी हैं। आज हम इन क्रिप्टोकरेंसी की मार्केट कैप के आधार पर टॉप 5 किप्टो करेंसी के बारे में बता रहे हैं:

बिटकॉइन (BTC)

मार्केट कैप: $882 बिलियन से अधिक

बिटकॉइन क्रिप्टो की दुनिया की पहली डिजिटल करेंसी है। इसकी शुरुआत 2009 में हुई थी। दरअसल बिटकॉइन (BTC) ही मूल क्रिप्टोकरेंसी है। दूसरी क्रिप्टोकरेंसी की तरह ही, बीटीसी एक ब्लॉकचेन पर चलता है, दूसरे शब्दों में कहें तो हजारों कंप्यूटरों के नेटवर्क में वितरित एक लेज़र लॉगिंग लेनदेन पर बिटकॉइन काम करता है। इसकी कीमतें बीते 5 साल में आसमान छू चुकी हैं। मई 2016 में, आप लगभग 500 डॉलर में एक बिटकॉइन खरीद सकते थे। 3 जनवरी, 2022 तक, एक बिटकॉइन की कीमत $46,000 से अधिक पहुंच गई थीं। ग्रोथ की बात करें तो बीते 6 साल में यह करीब 9,200% की ग्रोथ दे चुका है।

एथेरियम (ETH)

मार्केट कैप: $447 बिलियन से अधिक

बिटकॉइन के बाद क्रिप्टो कारोबार में एथेरियम सबसे चर्चित नाम है। क्रिप्टोक्यूरेंसी और ब्लॉकचैन प्लेटफॉर्म दोनों पर एथेरियम प्रोग्राम डेवलपर्स का पसंदीदा बना हुआ है। इथेरियम ने भी जबरदस्त ग्रोथ देखी है। अप्रैल 2016 से जनवरी 2022 तक, इसकी कीमत लगभग 11 डॉलर से बढ़कर 3,700 डॉलर से अधिक हो गई। ग्रोथ के पैमाने पर देखें तो यह 33,500% चढ़ चुका है।

बिनेंस कॉइन(बीएनबी)

मार्केट कैप: $86 बिलियन से अधिक

बिनेंस कॉइन, क्रिप्टोकरेंसी का एक रूप है जिसका उपयोग आप Binance पर व्यापार करने और शुल्क का भुगतान करने के लिए कर सकते हैं। यह दुनिया के सबसे बड़े क्रिप्टो एक्सचेंजों में से एक है। 2017 में इसे लॉन्च किया गया था। अब, इसका उपयोग व्यापार, पेमेंट प्रोसेसिंग या यहां तक ​​कि यात्रा बुकिंग के लिए भी किया जा सकता है। 2017 में इसकी कीमत सिर्फ $0.10 थी; वहीं 3 जनवरी, 2022 तक, यह लगभग 520,000% की ग्रोथ के साथ 520 डॉलर का हो गया है।

कार्डानो (ADA)

मार्केट कैप: $44 बिलियन से अधिक

कार्डानो क्रिप्टो करेंसी ने भी बीते कुछ वर्षों में खूब सुर्खियां बटोरी हैं। अन्य प्रमुख क्रिप्टो कॉइन की तुलना में कार्डानो के एडीए टोकन में अपेक्षाकृत मामूली वृद्धि हुई है। 2017 में, ADA की कीमत $0.02 थी। वहीं 3 जनवरी 2022 तक इसकी कीमत $1.34 थी। इस तरह अपनी शुरुआत के बाद से यह 6,600% की ग्रोथ दे चुका है।

एक्सआरपी (XRP)

मार्केट कैप: $39 बिलियन से अधिक

इसे डिजिटल टेक्नोलॉजी और पेमेंट प्रोसेसिंग कंपनी, क्रिप्टोकरेंसी का सबसे आम प्रकार रिपल जैसे फाउंडर्स ने तैयार किया था। 2017 की शुरुआत में, XRP की कीमत $0.006 थी। 3 जनवरी, 2022 तक, इसकी कीमत $0.83 तक पहुंच गई। इस प्रकार यह क्रिप्टो 5 साल में 13,700% से अधिक की ग्रोथ दे चुका है।

नए जमाने के ‘करेंसी नोट’ पर काम कर रहा है RBI, लेकिन इसे जेब में लेकर नहीं घूम सकेंगे… जानें डिटेल्स

बीते महीने आरबीआई और वित्त मंत्रालय कह चुका है कि वे भारत की डिजिटल करेंसी और उसके के लिए क़ानून बनाने पर विचार करेंगे. लेकिन भारत की ख़ुद की डिजिटल करेंसी लाना आसान है.

नए जमाने के

पिछले महीने आरबीआई ने फिर एक बार दोहराया था कि वो खुद की क्रिप्टो करेंसी लाने जा रहे है. अभी इसके चलन को लेकर ऑप्शन पर काम जारी है. हालांकि, सरकार पिछले कुछ महीनों से क्रिप्टोकरंसी के खिलाफ कार्रवाई की योजना बना रही है. अगर नया विधेयक कानून का रूप लेता है तो यह निवेशकों के लिए चिंता का विषय होगा. अगर ऐसा होता है तो भारत क्रिप्टोकरेंसी को अवैध बनाने वाली पहली बड़ी अर्थव्यवस्था होगी. यहां तक ​​कि चीन में भी इसे लेकर सजा का प्रावधान नहीं है. भारत में 70 लाख से अधिक लोगों ने क्रिप्टोकरंसी में 100 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया है.

सबसे पहले जानते क्रिप्टोकरेंसी का सबसे आम प्रकार हैं क्रिप्टोकरेंसी के बारे में…

डिजिटल या क्रिप्टो करेंसी इंटरनेट पर चलने वाली एक वर्चुअल करेंसी हैं. बिटकॉइन के अलावा दुनिया में सैकड़ों अन्य क्रिप्टो करेंसी भी मौजूद हैं जैसे- रेड कॉइन, सिया कॉइन, सिस्कॉइन, वॉइस कॉइन और मोनरो.

बिटकॉइन (Bitcoin) भी क्रिप्टोकरेंसी है. इसे सातोशी नकामोति ने 2008 में बनाया था. हालांकि आजतक यह नहीं पता चल पाया है कि सातोशी नकामोति कौन है.

इसे पहली बार 2009 में ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर के रूप में जारी किया गया था. इसको कोई बैंक या सरकार कंट्रोल नहीं करती है.

भारत में रिजर्व बैंक ने इसे मान्यता नहीं दी है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने वर्चुअल करेंसी के माध्यम से क्रिप्टोकरेंसी में लेन देन की इजाज़त दे दी है. यानी भारत में भी बिटकॉइन की खरीद-फरोख्त हो सकती है.

क्रिप्टोकरेंसी का मुनाफा काफ़ी अधिक होता है, ऑनलाइन खरीदारी से लेन-देन आसान होता है. क्रिप्टो करेंसी के लिए कोई नियामक संस्था नहीं है, इसलिए नोटबंदी या करेंसी के अवमूल्यन जैसी स्थितियों का इस पर कोई असर नहीं पड़ता.

साल 2009 में जब बिटकॉइन को लांच किया गया था तब उसकी वैल्यू 0 डॉलर थी. 2010 में भी इसकी वैल्यू 1 डॉलर तक नहीं पहुंची. लेकिन आज एक बिटकॉइन का रेट करीब 45 लाख रुपये के करीब है.

अब क्या कर रहा है RBI

इसको लेकर कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है कि कितने भारतीयों के पास क्रिप्टो करेंसी है या कितने लोग इसमें व्यापार करते हैं लेकिन कई मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि करोड़ों लोग क्रिप्टोकरेंसी का सबसे आम प्रकार डिजिटल करेंसी में निवेश कर रहे हैं और महामारी के दौरान इसमें बढ़ोतरी हुई है.

बीते महीने आरबीआई और वित्त मंत्रालय कह चुका है कि वे भारत की खुद की डिजिटल करेंसी और उसके के लिए कानून बनाने पर विचार करेंगे. लेकिन भारत की खुद की डिजिटल करेंसी लाना आसान है.

सरकार केवल किसी प्रकार के लेन-देन को एक लीगल टेंडर का दर्जा देगी जो कि भारत की भारी जनसंख्या इस्तेमाल कर सकती है.

हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि डिजिटल लीगल टेंडर (मान्याता देना) को जारी करना चुनौतीपूर्ण है. अगर आसान शब्दों में कहें तो आम लोगों तक इसे पहुंचाना एक बड़ा टास्क होगा.

एक्सपर्ट्स बताते हैं कि कानून बनाना आसान नहीं होगा. भारत में इसको लेकर कई चुनौतियां है. यहां पर सबसे बड़ा सवाल ये उठता है क्या ये आम चलन में इस्तेमाल होगी. क्या ये डिजिटल लीगल टेंडर होंगे या इनका आम जनता भी इस्तेमाल कर सकेगी.

इसके अलावा देश के बैंकिंग सिस्टम के सामने मनी लॉन्ड्रिंग टाटा प्रोटेक्शन जैसे कई मामले खड़े हो जाएंगे. लेकिन कोरोना काल में भारत में तेजी से डिजिटल अर्थव्यवस्था बढ़ी है. इसीलिए इसको लेकर उम्मीदें बढ़ रही है.

RBI ने इन चीज़ों को लेकर जताई चिंता

आरबीआई ने हाल में कहा था कि किसी देश की करेंसी उसका सोवरन राइट है और यह किसी एक व्यक्ति के साथ नहीं जोड़ा जा सकता. अब तक इस तरह के इंस्ट्रूमेंट को कानूनी जामा पहुंचा पहनाने की कोशिश सफल नहीं हो पाई है.

इसीलिए RBI ने केंद्र सरकार को सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं से भी अवगत कराया है. आरबीआई ने कहा है कि क्रिप्टो करेंसी को देश में इजाजत देने की वजह से मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनेंसिंग को बढ़ावा मिल सकता है.

क्रिप्टो करेंसी के ट्रांजैक्शन में लेन-देन करने वाले के नाम का पता नहीं लगता, इसलिए इसका उद्देश्य देश विरोधी गतिविधियों के लिए किया जा सकता है.

हाल में एक इंटरव्यु में आरबीआई के अधिकारी ने कहा था कि इसमें बहुत सारे कोड हैं और बहुत से ट्रांजैक्शन होते हैं, इसमें सोर्स का पता लगाना बहुत मुश्किल है क्योंकि इस तरह के इंस्ट्रूमेंट का नेचर बहुत जटिल होता है.

आरबीआई के एक अन्य अधिकारी ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय चलन के अनुसार इस तरह के ट्रांजैक्शन की रिपोर्टिंग में काफी मुश्किलें आ सकती हैं. वास्तव में क्रिप्टोकरेंसी में लाभ पाने वाले की पहचान करना और ट्रांजैक्शन को ट्रैक करना बहुत मुश्किल काम है.

आइए जानें सरकार का क्या कहना है?

वित्त राज्य मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने संसद में बताया कि बिटकॉइन, सहित सभी क्रिप्टोकरेंसी के साथ जुड़े जोखिमों को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक ने 6 अप्रैल , 2018 को एक परिपत्र के माध्यम से देश की सभी संस्थाओं को सलाह दी है कि क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े कोई भी काम नहीं करें.

लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने दिनांक 04 मार्च , 2020 को अपने एक फैसले में 2018 के डब्ल्यूपी ( सी ) सं . 528 और 2018 के डब्ल्यूपी ( सी ) सं . 373 में दिनांक 06 अप्रैल , 2018 के उपर्युक्त परिपत्र को खारिज कर दिया है.

उन्होंने बताया कि वित्त वर्ष 2018-19 के बजट भाषण में यह घोषणा की गई कि सरकार क्रिप्टो करेंसियों को वैध मुद्रा या सिक्का नहीं मानती और इन क्रिप्टो के उपयोग को समाप्त करने के लिए सरकार सभी उपाय करेगी.

सरकार डिजिटल अर्थव्यवस्था में प्रवेश करने हेतु ब्लॉक चेन टेक्नोलॉजी का सक्रिय रूप से उपयोग करके उसका पता लगाएगी.

अब क्या है सरकार की तैयारी

क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित मुद्दों का अध्ययन करने को लेकर केंद्र सरकार ने एक कमेटी बनाई है. देश में अभी प्रचलित सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाया जाएगा. सिर्फ सरकार के पास ही इसे चलाने का अधिकार होगा.

इसको लेकर विशिष्ट कार्रवाई करने के प्रस्ताव के लिए सचिव ( आर्थिक कार्य ) की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय स्तरीय समिति का गठन किया गया है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने क्रिप्टोकरेंसी को देशों के लिए बड़ा खतरा, गिनाए 2 कारण

निर्मला सीतारण आईएमएफ द्वारा आयोजित स्प्रिंग बैठकों में हिस्सा ले रही हैं.

निर्मला सीतारण आईएमएफ द्वारा आयोजित स्प्रिंग बैठकों में हिस्सा ले रही हैं.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण फिलहाल अमेरिका के दौरे पर हैं जहां वह आईएमफ की बैठकों में हिस्सा लेंगी. ऐसी ही एक बैठक में . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : April 19, 2022, 13:53 IST

नई दिल्ली. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा आयोजित सेमिनार ‘स्प्रिंग मीट’ में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने क्रिप्टोकरेंसी की आलोचना की है. अमेरिका में हो रहे इस सेमिनार में उन्होंने कहा कि कहा कि बैठक में शामिल सभी सदस्य देशों के लिए क्रिप्टोकरेंसी का सबसे बड़ा खतरा उसका आतंक के वित्तपोषण और धनशोधन के लिए इस्तेमाल होना है.

उन्होंने कहा कि इसका इकलौता जवाब है तकनीक के माध्यम से रेग्युलेशन. उन्होंने कहा टेक्नोलॉजी से रेग्युलेशन इस प्रकार का होना चाहिए कि वह पिछड़े नहीं बल्कि चीज़ों को अपने नियंत्रण में ले. उन्होंने कहा कि अगर कोई देश सोचता है कि वह अकेले इस संभाल लेगा तो ऐसा संभव नहीं है. इस पर सभी देशों को मिलकर काम करना होगा.

लेनदेन का पता लगाने के लिए लागू किया टैक्स

वित्त मंत्री ने कहा है कि क्रिप्टकरेंसी से लेनदेन करने वाले लोगों पर नजर रखने के लिए सरकार ने इस पर 30 फीसदी टैक्स लगाया है. इस यह पता चल सकेगा कि कौन लोग लेनदेन में शामिल हैं. उन्होंने कहा, “हम इलेक्ट्रॉनिक कोड में किए जा रहे इस इन लेनदेन को कैसे ट्रैक कर सकते हैं. इसी कारणवश हमने इस पर टैक्स लगाया ताकि पता लगाया जा सके कि कौन इसे बेच और कौन खरीद रहा है.

भारत में डिजिटलाइजेशन

निर्मला सीतारमण ने बैठक में भारत द्वारा पिछले कुछ वर्षों में डिजिटलाइजेश की ओर उठाए गए कदमों का भी जिक्र किया. साथ ही उन्होंने बताया कि भारत ने टेक्नोलॉजी को अपनाने में बेहतर प्रदर्शन किया है. उन्होंने कहा कि अगर 2019 का डेटा देखा जाए तो भारत में डिजिटलीकरण की दर 95 फीसदी थी जबकि उसी दौर में यह दुनियाभर में 64 फीसदी थी. उन्होंने कहा कि महामारी ने हमें सिखाया कि टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल आसान है और आम आदमी आसानी से इसे यूज़ कर सकता है. गौरतलब है कि निर्मला सीतारमण इस वक्त अमेरिका में हैं और वह आईएमफ द्वारा आयोजित स्प्रिंग बैठकों में हिस्सा लेंगी.

सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैठक के दौरान यह भी कहा कि भारत में इस वक्त सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम हैं. उन्होंने कहा कि भारत में 4 में से 1 स्टार्टअप फिनटेक और लगातार यूनिकॉर्न बन रहे हैं. बकौल वित्त मंत्री देश में पिछले 3-4 सालों में करीब 20 स्टार्टअप यूनिकॉर्न (1 अरब डॉलर से अधिक का बाजार मूल्यांकन) बने हैं.

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