गौरतलब है कि सिर्फ भारत ही नहीं दुनिया के 90 फीसदी देशों ने इस बार जारी मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) में कमी दर्ज की है. यह स्पष्ट तौर पर दर्शाता है कि दुनिया सतत विकास के लक्ष्यों को हासिल करने की प्रमुख संकेतक और सूचकांक दिशा में एक बार फिर पिछड़ रही है.
Human Development Index 2021: ह्यूमन डेवलपमेंट से प्रेस फ्रीडम इंडेक्स तक, जानें कहां-कहां गिरी भारत की रैंकिंग
By: ABP Live | Updated at : 10 Sep 2022 09:48 AM (IST)
2021 के मानव विकास सूचकांक में भारत 132वें स्थान पर रहा (प्रतीकात्मक तस्वीर)
Human Development Index 2021: संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) के तहत 2021 की 191 देशों के मानव विकास सूचकांक (Human Development Index 2021) की रिपोर्ट जारी की गई है, जिसमें भारत (India) की स्थिति अच्छी नहीं है. मानव विकास सूचकांक (HDI) में भारत 132वें स्थान पर है. इससे पहले 2020 में भारत इस मामले में एक पायदान आगे यानी 131वें स्थान पर था. हालांकि, 2020 में 189 देशों की सूची साझा की गई थी. मौजूदा सूचि में भारत का एडीआई मान 0.6333 है. इस मानदंड के मुताबिक, भारत मध्यम मानव विकास श्रेणी में है. यह एचडीआई मान 2020 की रिपोर्ट में इसके मान 0.645 से कम है.
HDI का अर्थ 'मानव विकास सूचकांक' है जो किस पर केंद्रित है?
Key Points
- मानव विकास सूचकांक
- पाकिस्तानी अर्थशास्त्री महबूब उल हक ने 1990 में HDI का निर्माण किया था, जिसका इस्तेमाल संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम ( UNDP ) द्वारा देश के विकास को मापने के लिए किया गया था।
- मानव विकास सूचकांक (HDI) एक सांख्यिकीय उपकरण है जिसका उपयोग किसी देश की सामाजिक और आर्थिक परिप्रेक्ष्य में समग्र उपलब्धि को मापने के लिए किया जाता है।
- किसी देश के सामाजिक और आर्थिक विचार लोगों के स्वास्थ्य, उनकी शैक्षिक उपलब्धि के स्तर और उनके जीवन स्तर पर आधारित होते हैं।
- यह सभी प्रमुख सामाजिक और आर्थिक संकेतकों को जोड़ती है जो आर्थिक विकास के लिए जिम्मेदार हैं
मानव विकास सूचकांक पहली बार वर्ष में पेश किया गया था
Key Points
- पाकिस्तानी अर्थशास्त्री महबूब उल हक ने 1990 में मानव विकास सूचकांक का निर्माण किया था जिसका उपयोग संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा देश के विकास को मापने के लिए किया गया था।
- मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) एक सांख्यिकीय उपकरण है जिसका उपयोग किसी देश की सामाजिक और आर्थिक परिप्रेक्ष्य में समग्र उपलब्धि को मापने के लिए किया जाता है।
- किसी देश के सामाजिक और आर्थिक विचार लोगों के स्वास्थ्य, उनकी शैक्षिक प्राप्ति के स्तर और उनके जीवन स्तर पर आधारित होते हैं।
- यह सभी प्रमुख सामाजिक और आर्थिक संकेतकों को जोड़ती है जो आर्थिक विकास के लिए जिम्मेदार हैं
प्रतिव्यक्ति वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (PPP)
$100 अमेरिकी डॉलर और $40, 000 अमेरिकी डॉलर. इनमें से प्रत्येक आयाम को 1/3 भारिता (weights) दी जाती है. मानव विकास सूचकांक (Human Development Index) इन सभी आयामों को दिए गए weights का कुल योग होता है. स्कोर, 1 के जितना निकट होता है, मानव विकास का स्तर उतना ही अधिक होता है. इस प्रकार 0.983 का स्कोर अति उच्च स्तर का, जबकि 0.268 मानव विकास का अत्यंत निम्न स्तर माना जायेगा.
Source: The Hindu
मानव विकास सूचकांक 2022 से जुड़े मुख्य तथ्य
वैश्विक प्रदर्शन
- स्विट्ज़रलैंड ने प्रथम स्थान प्राप्त किया. नोर्वे ने दूसरा स्थान लाया और आइसलैंड ने तीसरा.
- COVID-19 महामारी, रूस के यूक्रेन पर आक्रमण और जलवायु संकट के कारण 90 प्रतिशत देशों में मानव विकास का स्कोर नीचे चला प्रमुख संकेतक और सूचकांक गया है.
- इस कमी ने सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में बाधा पहुँचाई है.
- मानव विकास सूचकांक की हालिया गिरावट में एक बड़ा योगदान जीवन प्रत्याशा में वैश्विक गिरावट है, जो 2019 में 72.8 वर्ष से घटकर 2021 में 71.4 वर्ष हो गया है।
भारत का प्रदर्शन
- मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) 2021 में भारत 191 देशों में से 132वें स्थान पर है (पिछले वर्ष से दो स्थान की गिरावट दर्ज की गई)।
- यह तीन दशकों में पहली बार लगातार दो वर्षों में अपने स्कोर में गिरावट को दर्शाता है। ज्ञातव्य है कि वर्ष 2020 में, भारत 0.642 के एचडीआई मूल्य के साथ 130वें स्थान पर था।
- COVID-19 के प्रकोप से पहले, 2018 में भारत का HDI मान 0.645 था।
- एचडीआई स्कोर में यह गिरावट वैश्विक प्रवृत्ति के अनुरूप है जो दर्शाता है कि देश COVID-19 महामारी के प्रकोप के बाद से मानव विकास में पिछड़ गए हैं।
- 2021 में भारत में एचडीआई में गिरावट को जन्म के समय जीवन प्रत्याशा में गिरावट के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, जो 70.7 वर्ष से घटकर 67.2 वर्ष हो गया है।
- भारत में स्कूली शिक्षा के अपेक्षित वर्ष 11.9 वर्ष है, और स्कूली शिक्षा का औसत वर्ष 6.7 वर्ष है।
- GNI प्रति व्यक्ति स्तर $6,590 है।
- COVID-19 महामारी ने लैंगिक असमानता को भी बढ़ा दिया है, जिसमें वैश्विक स्तर पर 6.7% की वृद्धि हुई है।
उपलब्धियाँ (Achievements):
उपलब्धियाँ मानव विकास के प्रमुख क्षत्रों प्रमुख संकेतक और सूचकांक में की नई उन्नति की सूचक हैं. ये सर्वाधिक विश्वनीय माप नहीं है, क्योंकि ये वितरण (distribution) के सम्बन्ध में कोई सूचना नहीं देती.
मानव गरीबी सूचकांक, मानव विकास सूचकांक (Human Development Index) से सम्बंधित है और मानव विकास में कमियों को मापता है. इनमें कई पक्षों को सम्मिलित किया जाता है, जैसे – 40 वर्ष कम आयु तक जीवित न रह पाने की संभाव्यता (feasibility), प्रौढ़ निरक्षरता दर (adult illiteracy rate), स्वच्छ जल तक पहुँच न रखने वाले लोगों की संख्या और अल्प्भार वाले छोटे बच्चों की संख्या (number of underweight children) आदि. मानव विकास सूचकांक इन पैमानों (measures) द्वारा संयुक्त अवलोकन कर के किसी देश में मानव विकास की स्थिति का यथार्थ चित्र प्रस्तुत करता है.
सिर्फ भारत ही नहीं दुनिया के 90 फीसदी देशों ने इस बार जारी मानव विकास सूचकांक में गिरावट दर्ज की प्रमुख संकेतक और सूचकांक है. देखा जाए मानव विकास में हो रही दशकों की प्रगति 2016 के स्तर पर वापस आ गई है.
आज दुनिया के 191 देशों और क्षेत्रों के लिए मानव विकास सूचकांक जारी किया गया है जिसमें भारत को 132वें पायदान पर जगह दी गई है. इस इंडेक्स में भारत को कुल 0.633 अंक दिए गए हैं जो भारत को मध्यम मानव विकास वाले देशों की श्रेणी में रखता है. वहीं 2019 में भारत को कुल 0.645 अंक दिए गए थे. यह गिरावट स्पष्ट तौर पर दर्शाती है कि कोरोना महामारी ने देश में लोगों के स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवनस्तर को बुरी तरह प्रभावित किया है.
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