अब आप लोग सोच रहे होंगे की सेविंग या इंवेस्मेंट् का आख़िर portfolio से क्या लेना देना। तो दोस्तों, तो आपको पोर्टफोलियो के लिए क्या चाहिए आईये जानते हैं इंवेस्मेंट् और पोर्टफोलियो का कनेक्शन, इसके लिए पहले सेविंग और इंवेस्मेंट् में फ़र्क समझना बेहद जरूरी है।

Portfolio Meaning in Hindi

म्युचुअल फंडों का एक पोर्टफोलियो बनाना - Building a portfolio of mutual funds

हालांकि एक म्यूचुअल फंड को खुद को एक पोर्टफोलियो माना जा सकता है, म्यूचुअल फंड्स का पोर्टफोलियो बनाना, या जो पोर्टफोलियो का विचार कर सकता है विभागों। इसका कारण एक से अधिक पोर्टफोलियो का मालिकाना स्मार्ट है, जिसे विविधीकरण कहा जाता है जब आप सही तरीके से विविधता लेते हैं, तो आप उतार-चढ़ाव ( उतार-चढ़ाव को कम कर सकते हैं और अपने वित्तीय लक्ष्यों और जोखिम सहिष्णुता के लिए सर्वोत्तम निवेश का मिश्रण बना सकते हैं।

विविधीकरण कहने का प्रतीक है, "अपने सभी अंडे को एक टोकरी में न डालें।" म्यूचुअल फंडों के पोर्टफोलियो का निर्माण करने से पहले,

जोखिम प्रोफ़ाइल या जोखिम सहिष्णुता प्रश्नावली को पूरा करके समझने और अपने जोखिम सहनशीलता को मापना महत्वपूर्ण है। पोर्टफोलियो निर्माण में यह एक महत्वपूर्ण कदम है क्योंकि आप म्यूचुअल फंड में निवेश की गलती नहीं करना चाहते हैं जो आपके निवेश व्यक्तित्व के लिए बहुत आक्रामक हैं। उदाहरण के लिए, यदि आपको लगता है कि आप रात में नींद खो देंगे तो आपके पोर्टफोलियो का मूल्य कम हो जाएगा, तो आपको आक्रामक तरीके से निवेश करने से बचना चाहिए।

स्टॉक या म्यूचुअल फंड? इन दोनों में क्या अंतर है और निवेश के लिए आपको क्या चुनना चाहिए?

ज्यादातर निवेशक इस दुविधा में रहते हैं कि वो स्टॉक या म्यूचुअल फंड में से किसी एक को कैसे चुनें? इसका कोई गलत या सही जवाब नहीं है. मामला पूरी तरह से सब्जेक्टिव है और इसका एक दूसरे से तुलना करना सेब और संतरे की तुलना करने जैसा है. सीधे शब्दों में कहें, यदि आप शेयरों में निवेश कर रहे हैं, तो आप अपनी पिक के लिए जिम्मेदार हैं. दूसरी ओर, यदि आप तो आपको पोर्टफोलियो के लिए क्या चाहिए म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं, तो फंड मैनेजर आपकी ओर से यह कॉल लेता है. अपने गोल्स को अचीव करने के लिए आपके कुछ फैक्टर्स को ध्यान में रखकर स्टॉक या म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहिए.

यदि आपके पास आवश्यक जानकारी और एक्सपीरियंस है, तो शेयर बाजार में सीधे निवेश करना आपके लिए फायदेमंद हो साबित हो सकता है. हालांकि, अगर आप कभी-कभार ही शेयरों में निवेश करते हैं या सलाह के लिए किसी तीसरे पक्ष पर निर्भर हैं, तो आपको निवेश से पहले दो बार सोचना चाहिए. दूसरी ओर, म्यूचुअल फंड के साथ मामला अलग है. फंड मैनेजर आपके पोर्टफोलियो की देखभाल करता है. यानी आपको बार-बार मार्केट को ट्रैक करने की जरूरत नहीं होती. संक्षेप में कहे तो म्यूचुअल फंड पैसिव इन्वेस्टर्स के लिए अच्छा काम करते हैं जिनके पास समय की कमी है और अनुभव कम है.

क्या आपको किसी म्यूचुअल फंड के डायरेक्ट प्लान में निवेश करना चाहिए?

बाजार में मौजूद हज़ारों म्युचुअल फंड्स की स्कीमों में से कोई अपने पोर्टफोलियो के लिए 4-5 सबसे सही फंड्स कैसे चुनता/चुनती है?अगर आप म्यूचुअल फंड्स में नए हैं, तो डायरेक्ट प्लान के बजाय किसी सलाहकार/डिस्ट्रिब्यूटर की मदद से रेगुलर प्लान में निवेश करने की सलाह दी जाती है क्योंकि आपको यह तो आपको पोर्टफोलियो के लिए क्या चाहिए जानने की ज़रूरत है कि फंड्स कैसे काम करते हैं, एक फंड से आपको क्या चाहिए, किस किस्म के फंड में निवेश करना चाहिए आदि। अपने पोर्टफोलियो में ऐसे गलत फंड्स जो आपके भावी लक्ष्यों को भटका सकते हैं, रखने के बदले किसी रेगुलर प्लान में डिस्ट्रिब्यूटर का कमीशन सहना बेहतर है।

जब तक आप फंड्स के प्रकार, निवेश के उद्देश्य के मुताबिक फंड्स पर अपना पोर्टफोलियो कैसे बनाते हैं, फंड में जोखिम का लेवल, कोई फंड छोटी-अवधि या लंबी-अवधि के लिए सही है या नहीं, वह नियमित आमदनी देगा या बड़ी राशि बनाने में मदद करेगा, किसी फंड के परफॉरमेंस इंडीकेटर्स क्या हैं और अंततः आप निवेश क्यों कर रहे हैं नहीं समझते; तब तक अपने लक्ष्य के लिए सही फंड्स चुनने के लिए आपको मार्गदर्शन की ज़रूरत है। डायरेक्ट प्लान केवल उन निवेशकों के लिए सही रहता है जो कुछ समय से म्यूचुअल फंड्स में निवेश कर रहे हैं और इनके प्रोडक्ट्स को जानते हैं।

कहा से देखेंगे कंपनी का पोर्टफोलियो? (How to find portfolio of the company ?)

कंपनी अपना पोर्टफोलियो अनेको वेबसीटेस् और वार्षिक किताबों में लागू करती है, जहा से उसे कोई भी आसानी से देख सकता है और यदि आप किसी कंपनी के पोर्टफोलियो की detailed study कर रहे हैं तो आपको कंपनी में चल रही सभी क्रियाओं को गौर से समझना होगा।

सबसे पहले यह जानना आवश्यक है की वह Company किस सामान का या सेवा का व्यापार कर रही है (the goods or services the company is dealing in)

इसके बाद कंपनी की वार्षिक और अर्ध्वार्शिक् वितत्य विवरण (balance sheet) की स्टडी करें तो आपको पोर्टफोलियो के लिए क्या चाहिए और फिर कंपनी द्वारा अपनाई गयी नई योजनाओ, तकनीको या सेवाओं को ध्यान में रखते हुए कंपनी के portfolio का निर्माण करना होता है,

जो की एक Account का काम होता है। और फिर यही पोर्टफोलियो जनता और मार्केट तक पहुँचता है।

पोर्टफोलियो और शेयर मार्केट: ( Portfolio or Share Market )

अब क्योंकि हम यह जा चुके हैं की पोर्टफोलियो क्या है और इसको कैसे बनाया जाता है तो अब हमारे मन में यह तो आपको पोर्टफोलियो के लिए क्या चाहिए सवाल उठता है की आखिर इस पोर्टफोलियो का शेयर मार्केट से क्या कनेक्शन है?

तो आईये हम आपको यह बता दें की पोर्टफोलियो का इस्तेमाल शेयर मार्केट में कहा होता है।

दरसल, पोर्टफोलियो का निर्माण Share Market को समझने के लिए ही किया जाता है। क्योंकि शेयर मार्केट में अनेकों छोटे व बड़े लोग अपना पैसा लगाने आते हैं।

काफी अच्छी कंपनिया होते हुए उन्हे किस एक को नियुक्त कर उसमे अपने पैसें लगाने होते हैं। तो उनके लिए यह जानना आवश्यक होता है की कोनसी कंपनी में इंवेस्ट् करने से उन्हे सबसे ज्यादा मुनाफा होगा।

इसी बात को ध्यान मे रखते हुए कंपनिया अपना अपना पोर्टफोलियो जारी करती हैं जिसमे की उसके द्वारा हासिल की गयी पिछली सभी विशेषताएँ और उसकी आर्थिक स्तिथि दर्शाती है।

पोर्टफोलियो के प्रकार: ( type of Portfolio )

portfolio विभिन्न प्रकार के होते हैं, जिनमे से कुछ यह हैं:

  • अग्रेसिव पोर्टफोलियो (aggressive portfolio)
  • रक्ष्यत्मक पोर्टफोलियो (defensive portfolio)
  • इन्कम पोर्टफोलियो (income portfolio)
  • ग्रोथ पोर्टफोलियो (growth portfolio)
  • वैल्यू पोर्टफोलियो (value portfolio)
  • सट्टा पोर्टफोलियो (speculative portfolio)
  • हैब्रिड पोर्टफोलियो (hybrid portfolio)
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