क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग के लिए ऐसे कम्प्यूटर चाहिए, जिनमें जटिल क्रिप्टोग्राफिक मैथमेटिक इक्वेशंस को सॉल्व करने के लिए स्पेशल सॉफ्टवेयर हो। बिटकॉइन के शुरुआती दिनों में इसे होम कम्प्यूटर से एक सिंपल सीपीयू चिप से माइन किया जा सकता था, लेकिन अब ऐसा नहीं रह गया है। आज इसके लिए स्पेशलाइज्ड सॉफ्टवेयर की जरूरत होती है। इसे चौबीसों घंटे भरोसेमंद इंटरनेट कनेक्शन के साथ जोड़े रखना पड़ता है। हर क्रिप्टो माइनर के लिए ऑनलाइन माइनिंग पूल का मेंबर होना जरूरी है।
बिटकॉइन क्या है किसने बनाया और कैसे खरीदें | Bitcoin In Hindi
Bitcoin Kya Hai In Hindi: बिटकॉइन का नाम तो आप लोगों ने जरुर सुना होगा, क्योंकि आज के समय में यह Crptocurrency बहुत चर्चा में है इसलिए सभी लोग बिटकॉइन के बारे में जानना चाहते हैं. बिटकॉइन या टेक्नोलॉजी में रूचि रखने वाले लोग अक्सर इंटरनेट पर सर्च करते हैं कि Bitcoin क्या होता है.
अगर आपको भी बिटकॉइन के बारे में जानना है तो यह लेख आपके लिए ही है. हमने इस लेख के द्वारा कोशिस की है कि आपको बिटकॉइन के बारे में पूरी जानकारी प्रदान करा सकें.
इस लेख में आपको जानने को मिलेगा कि Bitcoin क्या है इन हिंदी, बिटकॉइन का आविष्कार किसने किया, बिटकॉइन का उपयोग कहाँ किया जाता है, आप कैसे एक बिटकॉइन खरीद सकते हैं, बिटकॉइन के फायदे और नुकसान क्या हैं और क्या भारत में बिटकॉइन लीगल है.
ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी को भी आसान भाषा में समझें
जब कोई शख्स किसी दूसरे शख्स को क्रिप्टोकरंसी भेजता है, तो वह ट्रांजेक्शन कंप्यूटर्स के पास जाती है। इनके जरिए क्रिप्टोकरेंसी ट्रांजैक्शन को वेलिडेट किया जाता है और इन्हें डिस्ट्रिब्यूटेड लेजर में शामिल किया जाता है। यह सारी ट्रांजेक्शन एक ब्लॉक में दर्ज होती हैं और इस ब्लॉक की साइज करीब 1 एमबी की होती है। जब एक ब्लॉक भर जाता है तो उसे ब्लॉक कर के नया ब्लॉक बनाया जाता है और नए ब्लॉक को पहले वाले ब्लॉक से जोड़ा जाता है। यह सारे ब्लॉक एक दूसरे से जुड़े रहते हैं, जिससे एक चेन सी बन जाती है। इसी वजह से इसे ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी कहा जाता है।
माइनर्स निभाते हैं अहम भूमिका
डिजिटल करेंसी की सबसे बड़ी चुनौती यह है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को आसानी से मैनिपुलेट किया जा सकता है। यही वजह है कि बिटकॉइन के डिस्ट्रिब्यूटेड लेजर में केवल मान्यता प्राप्त माइनर्स को ही डिजिटल लेजर में ट्रांजैक्शंस अपडेट करने की अनुमति है। इस तरह यह सुनिश्चित करना माइनर्स का काम है कि नेटवर्क पर डबल स्पेंडिंग न हो। इसी वजह से ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होता है, जिसमें पूरी चेन में जुड़े हर कंप्यूटर पर जानकारी मौजूद होती है, जिससे यह तकनीक बेहद सुरक्षित बन जाती है।
यूं होती है माइनिंग से कमाई
नेटवर्क को सुरक्षित रखने के लिए माइनर्स को इनाम के तौर पर नए कॉइन दिए जाते हैं। चूंकि डिस्ट्रिब्यूटेड लेजर्स में कोई केंद्रीय अथॉरिटी नहीं है, इसलिए ट्रांजैक्शंस को वैलिडेट करने के लिए माइनिंग प्रोसेस बहुत अहम है। केवल मान्यता प्राप्त माइनर्स को ही डिजिटल लेजर में ट्रांजैक्शंस अपडेट करने की इजाजत है। इसके लिए प्रूफ-ऑफ-वर्क (PoW) consensus protocol बनाया गया है। PoW नेटवर्क को बाहरी हमलों से भी बचाता है।
Cryptocurrency Mining : कैसे बनती है क्रिप्टोकरेंसी? माइनिंग कैसे होती है और आप खुद कैसे कर सकते हैं? जानें
क्रिप्टोकरेंसी को माइनिंग के जरिए जेनरेट किया जाता है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
क्रिप्टोकरेंसी में इन्वेस्टमेंट के लिए ज्यादातर लोग इन्हें एक्सचेंजों के माध्यम से खरीदते और बेचते हैं, लेकिन इसे माइनिंग यानी कंप्यूटर के जरिए जटिल कैलकुलेशन सॉल्व करके भी हासिल किया जा सकता है. आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि ये प्रोसेस कैसे काम करता है और आप अपने टोकन को कैसे माइन कर सकते हैं? बिटकॉइन, ईथर, डॉजकॉइन और अधिकांश अन्य क्रिप्टोकरेंसी ब्लॉकचेन नाम की एक तकनीक पर काम करती हैं. ये एक पब्लिक लेज़र है जिसे कॉम्प्लेक्स एन्क्रिप्शन तकनीकों का उपयोग करके सुरक्षित किया जाता है. लेजर पर नए कॉइन पाने के लिए कॉम्प्लेक्स मैथमेटिकल सवालों को हल करना होता है. ये वर्चुअल करेंसी ट्रांजैक्शन को वेरिफाई करने में मदद करता है. फिर इन्हें डिसेंट्रलाइज्ड ब्लॉकचेन लेज़र पर अपडेट किया जाता है.
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इस काम के बदले में, माइनर्स को क्रिप्टोकरेंसी के रूप में भुगतान किया जाता है. इस प्रक्रिया को माइनिंग कहा जाता है. यह नए कॉइन को सर्कुलेशन में लाता है. इसलिए माइनर्स क्रिप्टोकरेंसी इकोसिस्टम का एक अनिवार्य हिस्सा हैं.
माइनिंग कैसे काम करती है?
माइनिंग के दौरान, कंप्यूटर कॉम्प्लेक्स मैथमेटिकल इक्वेशन को सॉल्व करते हैं. हर कोड को क्रैक करने वाला पहला कोडर ट्रांजैक्शन को ऑथराइज करने में सक्षम होता है. सर्विस के बदले में, बिटकॉइन क्या है और कैसे काम करता है? माइनर छोटी मात्रा में क्रिप्टोकरेंसी कमाता है. एक बार जब माइनर मैथमेटिकल प्रॉब्लम को सफलतापूर्वक हल कर लेता है और ट्रांजैक्शन को वेरीफाई कर लेता है, तो वे डेटा को पब्लिक लेज़र में जोड़ते हैं, जिसे ब्लॉकचेन कहा जाता है.
प्रूफ-ऑफ-वर्क
यह क्रिप्टोकरेंसी को सिक्योर करने का एल्गोरिदम है. माइनर्स की एक्जीक्यूट की गई यह प्रोसेस ब्लॉकचेन में ट्रांजैक्शन डेटा के नए ब्लॉक जोड़ने का एक जरूरी हिस्सा है. एक नया ब्लॉक केवल ब्लॉकचैन सिस्टम में जोड़ा जाता है यदि कोई माइनर एक नया विनिंग प्रूफ-ऑफ-वर्क लेकर आता है. प्रूफ-ऑफ-वर्क का लक्ष्य यूजर्स को उन एक्स्ट्रा कॉइन को प्रिंट करने से रोकना है जो उन्होंने खुद हासिल नहीं किए हैं.
बिटकॉइन क्या होता है? बिटकॉइन कैसे बनता है? बिटकॉइन कैसे खरीदें ?
Bitcoin बिटकॉइन क्या है और कैसे काम करता है? Kya hai ? What is Bitcoin in Hindi –
बिटकॉइन क्या है ? (bitcoin kya hai) बिटकॉइन का प्राइस क्या ? बिटकॉइन कैसे ख़रीदे? बिटकॉइन क्या होता है ? बिटकॉइन कैसे बनता है ? बिटकॉइन बिटकॉइन क्या है और कैसे काम करता है? अकाउंट ? बिटकॉइन रेट क्या है ?
बिटकॉइन से जुड़े हुए ये कुछ ऐसे सवाल हैं जिनके बारे में हर कोई जानना चाहता है. बिटकॉइन की कीमत के बारे में बात करें तो यह 28,91,153.04 भारतीय रुपया है. काफी टाइम से बिटकॉइन के प्राइस में कभी उतार तो उछाल देखने को मिल रहा है. वहीं अगर डॉलर में बिटकॉइन की कीमत बताएं तो यह 39,529.00 United States Dollar है.
कई बार ऐसा भी समय आया जब यह कहा जाने लगा कि दुनिया की सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी बिटक्वाइन की कीमत एक करोड़ रुपए तक पहुँच सकती है. देखने को मिला था कि क्रिप्टोकरेंसी भुगतान पर पूर्ण प्रतिबंध हटाने के आरबीआई के आदेश के बाद बड़ी संख्या में भारतीय निवेशकों ने क्रिप्टोकरेंसी की तरफ अपना रुख किया था. चलिए जानते हैं बिटकॉइन से जुड़े कुछ सवालों के जवाब :-
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बिटकॉइन कैसे बनता है? (How Bitcoin is made)
बिटकॉइन का आविष्कार साल 2009 में सतोषी नाकामोटो ने किया था.
बिटकॉइन का मालिक कौन है? (Who owns bitcoin)
Bitcoin का इस्तेमाल कोई भी कर सकता है. Bitcoin भी internet की तरह है. यानी Bitcoin एक decentralized currency है. इसे कोई भी control नहीं करता है. कोई भी bank या authority या सरकार यानि की कोई इसका मालिक नहीं है.
बिटकॉइन कैसे काम करता है? (How does bitcoin work)
बता दे कि बिटकॉइन का इस्तेमाल online payment करने के लिए किया जाता है. बिटकॉइन peer to peer network पर काम करता है. इसमें दो व्यक्ति बिना किसी bank, credit card या company के माध्यम से transactions कर सकते है. बिटकॉइन एक पर्सनल e- wallet से दूसरे पर्सनल e- wallet में ट्रांसफर किए जाते हैं. ये e- wallets आपका निजी डेटाबेस होते हैं, जिसे आप अपने कंप्यूटर, लैपटॉप, स्मार्टफोन, टैबलेट या किसी ई-क्लाउड पर स्टोर करते हैं.
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2. दूसरा तरीका यह है कि अगर आप अपनी कोई चीज ऑनलाइन बेच रहे हो और सामने वाले व्यक्ति के पास bitcoin है तो आप अपनी चीज के बदले उससे bitcoin भी ले सकते है. इस bitcoin को आप अपने bitcoin wallet में store करके रख सकते है. बाद आप bitcoin को बेचकर आए रुपयों को अपने bank में transfer कर सकते है.
3. तीसरा तरीका यह है कि अगर आपके पास High speed processor वाला computer है तो आप bitcoin mining का काम भी कर सकते है. Bitcoin miner का काम होता है कि वह bitcoin में होने वाले transjaction को verify करने का काम करता है. इसके बदले उन्हें कुछ Bitcoin इनाम के तौर पर मिलते है. इससे मार्किट में नए Bitcoin आते हैं.
बाजार में कितने बिटकॉइन है? (How many bitcoins are in the market)
बता दे कि जिस तरह हर देश में currency छापने की एक सीमा होती है, उसी तरह bitcoin की भी एक सीमा है. दरअसल मार्किट में कभी भी 21 million से ज्यादा bitcoins नहीं आ सकते है. इस समय मार्केट में 13 million bitcoins है. बाकी bitcoins mining के जरिए मार्किट में आएंगे.
जानिए क्या है बिटकॉइन और क्यों चढ़ रही है कीमत?
भारत में भी नियामक संस्थाएं बिटकॉइन से खुश नहीं हैं. आरबीआई के वरिष्ठ अधिकारी सुदर्शन सेन ने सितंबर में कहा था कि केंद्रीय बैंक इस तरह की 'गैर-व्यवस्थित' क्रिप्टोकरेंसी में कारोबार से सहज नहीं है. मगर सवाल उठना लाजमी है कि बिटकॉइन क्या है और यह कैसे काम करता है?
क्या है बिटकॉइन
बिटकॉइन एक तरह की क्रिप्टोकरेंसी है. अंग्रेजी शब्द 'क्रिप्टो' का अर्थ गुप्त होता है. यह एक प्रक्रार की डिजिटल करेंसी है, जो क्रिप्टोग्राफी के नियमों के आधार पर संचालित बिटकॉइन क्या है और कैसे काम करता है? और बनाई जाती है. क्रिप्टोग्राफी का अर्थ को कोडिंग की भाषा को सुलझाने की कला है.
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