इसे एक उदाहरण से समझते है। एक स्टॉक हे जिसे आपको खरीदना है। लिकन आप देख रहे है की शेयर की प्राइज काफी ऊपर निचे हो रही है। तो सिंपल स्ट्रैटर्जी है। आप ऐसी प्राइज ढूंडो जहा से स्टॉक लगातार छू के वापस ऊपर की और जा रहा हो। तो उस छूने वाली प्राइज पर आपको शेयर को खरीदना है। तो आपका स्टॉप लॉस हमेश उसके सपोर्ट यानि की लगातार चुने वाली प्राइज के निचे ही लगाना होगा। उसेही primary stop loss कहा जाता है।
जानिए क्या होता है शेयर बाजार में स्टॉप लॉस, इससे ज्यादा घाटा होने से बच सकते हैं
मुंबई- बाजार में निवेश के समय स्टॉप लॉस का प्रयोग बार-बार होता है। जब भी आप शेयर खरीदते हैं तो स्टॉप लॉस जरूर एक बार आ जाता है। स्टॉप लॉस छोटी अवधि के लिए तो बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन अगर किसी को लंबी अवधि के लिए निवेश करना है तो फिर उसके लिए इसका कोई बहुत ज्यादा महत्व नहीं है।
आपका शेयर ब्रोकर हर शेयर के लिए एक टार्गेट प्राइस बताता है। मान लीजिये आप किसी कंपनी का शेयर खरीदना चाहते हैं। अभी इसकी कीमत 10 रुपए है। ब्रोकर आपको बताएगा कि तीन महीने में इसकी कीमत बढ़कर 12 रुपए हो जाएगी। इसका मतलब यह है कि आपने 10 रुपए की कीमत पर इस शेयर को 12 रुपए के लक्ष्य के साथ खरीदा है। आप 12 रुपए की कीमत पर पहुंचने पर इस शेयर को बेचकर मुनाफा हासिल कर सकते हैं।
इस शेयर में किसी वजह से गिरावट भी आ सकती है। इसकी कीमत 10 रुपए से कम होने पर आपको नुकसान उठाना पड़ेगा। नुकसान से बचने के लिए आपको स्टॉप लॉस लगाने की सलाह दी जाती है। मान लीजिए इस शेयर के मामले में आपको 9 रुपए की कीमत पर स्टॉप लॉस लगाने की सलाह दी जाती है। इसका मतलब यह हुआ कि किसी वजह से शेयरों में कमजोरी आने पर उसे 9 रुपए में बेच देना ठीक रहेगा।
स्टॉपलॉस क्या होता हैं :-
तो दोस्तों ‘स्टॉपलॉस’ यह ट्रेडिंग की एक विशेष प्रकार की सुविधा है जो केवल हमें इस ‘इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म’ के माध्यम से देखने को मिली हैं, इसके नाम से ही पता चलता है की यह हमारे ट्रेडिंग लोस को रोकता है जिनसे हम हमारी नुकसानी को कम कर सकते हैं
इसको आगे हम इनके कुछ उदाहरणों के साथ भी समजेंगे फिलहाल, हमें यह समजना होंगा की यह होता क्या है और स्टॉक मार्केट में इसको कैसे प्रयोग करें
‘स्टॉपलॉस’ का इस्तेमाल ज्यादातर Intraday Trading में किया जाता हैं, यह शेयरों की खरीदी और बिकवाली दोनों पर अप्लाई किया जा सकता हैं, इसमें एक बात का अवश्य ध्यान रखे की हम इस टोपिक में केवल BSE/NSE के Cash Market की बात कर रहे है नाकी Future & Option Trading की तो चलिए इसीके साथ आगे बढ़ते हैं
पहले तो इसका इस्तेमाल हमारें ब्रोकर्स के द्वारा या खुद मोबाइल ट्रेडिंग के जरिये भी कर सकते हैं, तो स्टॉपलॉस का इस्तेमाल खरीदी और बिकवाली दोनों पोजीशन पर किया जा सकता हैं
Stop – Loss की प्रेक्टिकल समज :-
‘स्टॉपलॉस’ को थोडा प्रेक्टिकली समजते है मानलीजिये किसी स्टॉक को हमने इंट्राडे पर ख़रीदा है जिनसे मार्केट खत्म होने से पहले उसे बेचना जरुरी होना मगर हम उस स्टॉक पर मार्केट क्लोजिंग तक रुकना चाहते है
साथ ही हमने यह भी नक्की किया है की इस स्टॉक पर यदि लोस होंगा तो वो केवल इतनाही होंगा तो इसके लिए हमें स्टॉक खरीदने के तुरंत बाद उसको बेचने का स्टॉपलॉस लगा देना चाहिए
अब एक बात का अवश्य ध्यान रखे की Pending Order (Limit) और Stop – Loss Order (Limit) दोनों एक सिक्के के दो पहलु हैं, अब मार्केट सौदे के अलावा यह दोनों ऑर्डर Limit कहे जायेंगे
अब उस स्टॉक पर स्टॉपलॉस की प्राइस कैसे नक्की की जाती हैं तो उस स्टॉक के Current Market Price (CMP) के हिसाबसे स्टॉपलॉस प्राइस चुनी जाती है अब इसके लिए हमें लिमिट ऑर्डर को समजना होंगा
Stop – Loss का उदाहरण :-
चलिए अब ‘स्टॉपलॉस’ को उदाहरण के माध्यम से विस्तारपूर्वक समजते हैं, इसमें हम दो उदाहरणों का इस्तेमाल करेंगे और दोनों ही इंट्राडे ट्रेडिंग पर बेस होंगे जिसमे एक तो होंगा खरीदी के समय बिकवाली का स्टॉपलॉस कैसे लगाए और दूसरा बिकवाली के समय खरीदी स्टॉप लॉस ऑर्डर का स्टॉपलॉस कैसे लगाए तो चलिए इन दोनों उदाहरणों को वन बाय वन समजते हैं
उदाहरण नंबर 1
मानलीजिये Tata Steel के 100 शेयर Rs.1200 में ख़रीदे हैं जिसे केवल इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए यानि मार्केट क्लोस होने से पहले स्क्वेरअप (Sell) कर लिया जायेंगा
इस स्टॉक में नुकसानी करने की मेरी क्षमता केवल Rs.20 है जिनसे इस स्टॉक की स्टॉपलॉस प्राइस होंगी Rs.1180 और Rs.1181 इन दोनों प्राइस के बिच की दूरी को इसके CMP स्टैंड के मुताबिक नक्की कर सकते हैं और इसमें जो बड़ी प्राइस होती है उसे Trigger Price कहा जाता हैं
कैसे पाएं शेयर में लॉस पर काबू और समझिये स्टॉक मार्किट सपोर्ट लेवल
सुझाव है कि अगर स्टॉप लॉस ऑर्डर कोई शेयर आपके स्टॉप लॉस को हिट कर रहा हो तो थोड़ा लॉस बुक कर उससे निकल जाइए। अगर आप उसे फिर से खरीदना चाहते हैं तो अंदाज के आधार पर मत खरीदिए। पता कीजिए कि उसका सपोर्ट लेवल क्या है।
सुनने में ये बात जरा असामान्य लग सकती है कि लॉस यानी नुकसान को आखिर ट्रेडिंग का अनिवार्य अंग कैसे माना जा सकता है। लेकिन यह सच है। वास्तविकता के धरातल पर हर ट्रेडर को इस सच का सामना करना ही पड़ता है। आपके फंडामेंटल और तकनीकी विश्लेषण चाहे कितने ही दुरुस्त हों, इसके बावजूद आपको ट्रेडिंग में नुकसान का झटका लग सकता है। वजह यह है कि शेयर बाजार इतना अनिश्चित है कि इसमें कई बार सारे विश्लेषण धरे रह जाते हैं। इसलिए ट्रेडिंग में प्रॉफिट की तरह लॉस भी स्वाभाविक है। जरूरत इस बात की है स्टॉप लॉस ऑर्डर स्टॉप लॉस ऑर्डर कि नुकसान को कैसे सीमित रखा जाए ताकि वह लाभ पर भारी नहीं पड़े। आज हम आपको नुकसान पर काबू पाने का एक नुस्खा बताते हैं।
कागजी नहीं रियल घाटे को पहचानें (Understand about Real Loss no paper loss)
सबसे पहले इस बात को समझना जरूरी है कि किसी ट्रेड में नुकसान होता क्यों है? सीधा जवाब है- शेयर का बाजार मूल्य आपके खरीद भाव के नीचे चला गया। लेकिन गौर से देखें तो यह जवाब पूरी तरह सही नहीं है। मान लीजिए कि आपने 100 रुपए में कोई शेयर खरीदा। उसका भाव गिरकर 99 रुपए हो गया। ऐसे में आपके ट्रेडिंग एकाउंट में प्रति शेयर एक रुपए का घाटा दिखेगा, लेकिन अभी यह घाटा सिर्फ कागज पर है। यह रियलाइज्ड नहीं हुआ है। रियलाइज्ड का अर्थ है कि अभी आपने इस घाटा सहते हुए अपने शेयर को बेचा नहीं है। आप इंतजार कर रहे हैं कि कीमत फिर चढ़ेगी। शेयर का भाव जब 100 रुपए से ऊपर जाएगा, तब आप उसे फायदे में बचेंगे। इस तरह वह घाटा सिर्फ एकाउंट में है, वास्तविकता में नहीं। लॉन्ग टर्म निवेशक तो इस तरह की हलचल स्टॉप लॉस ऑर्डर पर ध्यान भी नहीं देते हैं। वे जानते हैं कि लॉन्ग टर्म में 100 रुपए में खरीदा शेयर, 90 रुपए पर जाकर भी वापस लौट सकता है और कुछ महीनों या एक साल बाद 125 रुपए में बिक सकता है। लेकिन आप अगर शॉर्ट टर्म ट्रेडर हैं तो आपको ज्यादा चौंकन्ना होने की जरूरत है, क्योंकि आपने ट्रेडिंग का जो तरीका चुना है, उसमें शेयर को होल्ड करने के लिए वक्त ज्यादा नहीं है।
तीन तरह के सपोर्ट लेवल (Three Types of Support Level)
आम तौर पर किसी शेयर के तीन सपोर्ट लेवल होते हैं। आप हर दो या तीन लेवल पार करने के बाद थोड़ी थोड़ी मात्रा में खरीद सकते हैं। लेकिन खरीदने से पहले इस बात का हिसाब जरूर कर लें कि आप इसे किन स्तरों पर कितनी संख्या में खरीदेंगे। अपने कुल ट्रेडिंग कैपिटल का कितना हिस्सा इस पर लगाएंगे। जैसा कि हम आपको पहले भी आगाह कर चुके हैं, अपनी पूरी पूंजी को किसी एक शेयर में नहीं लगाएं। इस बात का आकलन भी जरूर करें कि कितना नुकसान सहने की क्षमता आपके अंदर है।
इस प्रकार अगर आप लालच और डर से हटकर ट्रेडिंग करेंगे तो आप नुकसान को नियंत्रित कर सकेंगे। एक कहावत याद रखिए, जिस ट्रेडर ने नुकसान बुक करना सीख लिया, वो अक्सर फायदे में रहता है।
ट्रेडिंग में नुकसान कम करने के जरूरी सूत्र
1. फायदा चाहते हैं तो घाटा सहना सीखें
2. स्टॉप लॉस हिट हो रहा हो तो घबराएं नहीं
3. लॉस बुक करने में डरने से बड़े घाटे के आसार
4. सिर्फ अंदाज के आधार पर स्टॉक मत खरीदें
5. अगर कोई शेयर लगातार गिर रहा हो तो अपनी पोजिशन मत बढ़ाएं
6. स्ट्रॉन्ग सपोर्ट लेवल के पास ही दोबारा खरीदें
7. थोड़ी-थोड़ी मात्रा में ही खरीदें, कारोबार के लिए हमेशा अपनी लिमिट का ध्यान रखें\
ट्रिगर प्राइस क्या होता है?
इसका मतलब यह है कि ट्रिगर प्राइस आपके दोनों ऑर्डर में से किसी एक को एक्टिवेट करने का काम करता है।
ट्रिगर प्राइस का इस्तेमाल स्टॉप लॉस ऑर्डर के लिए किया जाता है। अगर आपने Buy की पोजीशन क्रिएट की है तो उसमें आप स्टॉपलॉस लगाकर ट्रिगर प्राइस का यूज कर सकते हैं। अगर आपने सेल की पोजीशन क्रिएट की है तो उसमें भी आप स्टॉपलॉस लगाकर ट्रिगर प्राइस का यूज कर सकते हैं।
जब भी आप स्टॉप लॉस ऑर्डर प्लेस करते हैं तो आपको दो तरह के प्राइस एंटर करने पड़ते हैं: ट्रिगर प्राइस और लिमिट प्राइस। जब भी शेयर का मूल्य आपके द्वारा दर्ज किए गए ट्रिगर प्राइस तक पहुंच जाता है तो सिस्टम द्वारा आपका स्टॉप लॉसआर्डर एक्टिवेट हो जाता है और जब वह प्राइस आपके द्वारा दर्ज किए गए लिमिट प्राइस पर पहुंच जाता है तो आपका स्टॉपलॉस आर्डर एग्जीक्यूट हो जाता है।
जब तक स्टॉक का प्राइस आपके द्वारा दर्ज किए गए ट्रिगर प्राइस तक नहीं पहुंचता है तब तक आपका ऑर्डर सिर्फ आपके स्टॉक ब्रोकर तक ही रहता है। यह एक्सचेंज में नहीं भेजा जाता है और जैसे ही स्टॉक का प्राइस ट्रिगर प्राइस तक पहुंच जाता है आपका ऑर्डर एक्टिव ऑर्डर में आ जाता है और लिमिट प्राइस तक पहुंचते ही एग्जीक्यूट हो जाता है।
what is stop loss order / स्टॉप लॉस आर्डर क्या होता है
stop loss order वो होता है जहा शेयर बाजार में आप intraday trading करते हो तो आपका नुकसान बच्याने के लिए जो आर्डर लगायी जाती है। उसेही स्टॉप लॉस आर्डर कहा जाता है। शेयर बाजार में आप ट्रेडिंग करते हो तो आपको मुनाफा कमाना होता है। जब आप कोई शेयर खरीदते हो। और अगर आपके विरुद्ध वो शेयर जाता है। तो आप आपके लॉस के मुताबिक स्टॉप लॉस आर्डर लगा सकते हो। तो स्टॉप लॉस एक आपका नुक़सान बचने का काम करता है।
इसे अभी उदाहरण के तौर पर समझते है। समझ लीजिये आपको कोई १०० रुपये का शेयर ख़रीदा। और आपको लगता है की ये शेयर ११० रुपये तक ऊपर जा सकता है। लेकिन आपको शंका है की कही ये निचे ना आजाये। इसीलिए आप स्टॉप लॉस लगाते हो ९८ रुपये का। इसका मतलब अगर शेयर की प्राइज ऊपर जाने की बजाय निचे आती है। तो स्टॉप लॉस लगाने की वजह से आपको सिर्फ २ रुपये का नुकसान होगा। क्युकी स्टॉप लॉस लगाने से आपका शेयर अपने आप ९८ रुपये पे बिक जायेगा।
types of stop loss स्टॉप लॉस के प्रकार
अभी आपको शेयर बाजार में स्टॉप लॉस (what is stop loss orde)क्या होता है ये तो समझ आ गया होगा। अभी हम स्टॉप लॉस के प्रकार कितने और कोनसे होते है। ये समझते है। स्टॉप लोस के दो प्रकार होते है। एक होता है primary stop loss .और एक होता है trailing stop loss . तो जानते हे इनके बारे में विस्तार में।
१.primary stop loss
ये एक फिक्स स्टॉप लॉस होता है। मतलब आप एक फिक्स रेंज में इस स्टॉप लॉस को लगते हो। जैसे की आप इस स्टॉप लॉस को स्टॉक प्राइज के सपोर्ट के निचे लगते हो। ज्यादातर अनुभवी ट्रेडर्स ऐसाही करते है। लेकिन जो शेयर बाजार में नए होते है उन्हें तो स्टॉप लॉस मालूम ही नहीं होता। और जिनको मालूम होता है। वो कभी उसे लगाते ही नहीं है। क्यकि शेयर की प्राइज ऊपर निचे होती रहती है। तो उन्हें लगता है की हमारा स्टॉप लॉस हिट होकर फिरसे प्राइज ऊपर जायेगा। इस सोच की वजह से उन्हें और भी ज्यादा नुकसान उठाना पड़ता है।
stop loss order lagane ke fayde
स्टॉप लॉस लगाने से आपका नुकसान आप के काबू में होता है। स्टॉप लॉस से आप चाहे उतनाही नुकसान आपको हो सकता है उसके ऊपर आपको नुकसान नहीं हो सकता। मार्किट में अचानक मंदी आती है। और जिस प्राइज पर आपने स्टॉप लॉस लगाए है। उसकी प्राइज पर आपकी पोजीशन एग्जिट हो जाती है।
trailing स्टॉप लॉस ऑर्डर stop loss का तो नहुत बड़ा फायदे है। जैसे की मैंने बताया जब आप ट्रेडिंग के लिए शेयर खरीदते हो। तो ऊपर जाने पर आप अपना निचे का स्टॉप ऊपर लगा सकते हो।जिससे आपको लॉस होगा ही नहीं। कुछ न कुछ प्रॉफिट तो आपको ट्रेलिंग स्टॉप लॉस से मिल ही जाता है।
stop loss na lagane ke nuksan
अगर आपने किसी स्टॉक में पोजीशन ली है। और अचानक से बाजार में मंदी आती है। और आपने ख़रीदा हुए शेयर में अचानक से गिरावट होने लगती है। तो उस टाइम पर अगर आपने स्टॉप लॉस नहीं लगाया। तो फिर आपका बड़ा नुकसान उठाना पडत है। जब तक आप उस शेयर को बेचने लगोगे तबतक तो शेयर काफी गिर गया होगा।
बहुत लोगो की मानसिकता होती है की शेयर निचे गया है ऊपर भी आएगा। और वो स्टॉप लॉस नहीं लगते। वो फिर भी मार्केट से एग्जिट नहीं करते। और फिर उनका ज्यादा नुकसान दिखने लगता है। तो और ज्यादा वो डरने लगते है। और इतना लॉस में नहीं ले सकता। ऐसा वो सोचने लगते है। लेकिन उनका और भी ज्यादा लॉस हो जाता है। पूरा कैपिटल ही ख़तम हो जाता है।
दरअसल ऐसा दस बार में से एक बार होता है की आपका निचे गया हुआ स्टॉक फिर से ऊपर आया हो। और आपका फायदा हुआ हो। लेकिन आप हर बार ये अंदाजा लेके नहीं चल सकते की स्टॉप लॉस नहीं लगाना शेयर निचे जाके ऊपर आएगा। क्युकी हर बार वो शेयर ऊपर आएगा ही। इस सोच की वजह से लोगो को और भी ज्यादा नुकसान उठाना पड़ता है।
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 477