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निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही नहीं है?

University Grants Commission (Minimum Standards and Procedures for Award of Ph.D. Degree) Regulations, 2022 notified. As, per the new regulations, candidates with a 4 years Undergraduate degree with a minimum CGPA of 7.5 can enroll for PhD admissions. The notification for the 2023 cycle is expected to be out soon. The UGC NET CBT exam consists of two papers - Paper I and Paper II. Paper I consists of 50 questions and Paper II consists of 100 questions. By qualifying this exam, candidates will be deemed हेज फंड गतिविधि eligible for JRF and Assistant Professor posts in Universities and Institutes across the country.

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IIFL का फंड देगा स्टार्टअप्स से पैसा बनाने का चांस

[ माधव चंचानी | मुंबई ]वेल्थ मैनेजर IIFL वेल्थ मैनेजमेंट 1,000 करोड़ रुपये का फंड जुटा रही हेज फंड गतिविधि है। यह पैसा स्टार्टअप्स और वेंचर कैपिटल फंड्स में लगाया.

[ माधव चंचानी | मुंबई ]

वेल्थ मैनेजर IIFL वेल्थ मैनेजमेंट 1,000 करोड़ रुपये का फंड जुटा रही है। यह पैसा स्टार्टअप्स और वेंचर कैपिटल फंड्स में लगाया जाएगा। हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स देशभर में चल रही स्टार्टअप एक्टिविटी में पार्टिसिपेट करना चाहते हैं। इस फंड के जरिये उन्हें यह मौका मिलेगा।

IIFL ने स्टार्टअप सेक्टर के कई धुरंधरों को अपने यहां लगाया है, क्योंकि कंपनी प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले इस मामले में आगे रहना चाहती है। IIFL वेल्थ के एमडी करण भगत के मुताबिक, 'यह ऐसा ईकोसिस्टम है, जिसकी हम अनदेखी नहीं कर सकते।' भगत को लगता है कि फंड का 40 फीसदी हिस्सा सीधे स्टार्टअप्स में लगाया जाएगा या यह अन्य फंड्स के साथ को-इनवेस्टमेंट के तौर पर हो सकता है, जबकि 60 फीसदी हिस्सा वेंचर फंड्स में इनवेस्ट किया जाएगा।

टैक्सी एग्रीगेटर टैक्सीफॉरश्योर के को-फाउंडर अप्रमेय राधाकृष्ण के मुताबिक, 'जो स्टार्टअप्स में पैसा लगाना चाहते हैं, उन्हें इस फंड के जरिये इसका मौका मिलेगा। वहीं, वेंचर कैपिटल फंड HNI से तेजी से पैसा जुटा सकते हैं।' राधाकृष्ण वेंचर फंड के इनवेस्टमेंट बोर्ड में शामिल होंगे। इस साल की शुरुआत में उन्होंने अपनी स्टार्टअप को मार्केट लीडर ओला को बेच दिया था। यह डील करीब 1,250 करोड़ रुपये में हुई थी।

इस मुहिम से जुड़ने वाले अन्य लोगों में ऑनलाइन रिचार्ज प्लेटफॉर्म फ्रीचार्ज के संदीप टंडन भी शामिल हैं। फ्रीचार्ज को स्नैपडील ने 2,800 करोड़ रुपये में खरीदा था। स्पेशिएलिटी विमेन हेल्थ केयर कंपनी फैमी केयर के आशुतोष तापड़िया भी इसमें शामिल हैं। फैमी केयर को मायलन ने 5,000 करोड़ रुपये में खरीदा है।

IIFL वेल्थ की योजना स्टार्टअप्स के लिए इनक्यूबेशन सेंटर खोलने की भी है। वह इसमें 25 से 50 करोड़ रुपये भी इनवेस्ट करने की योजना बना रही है। IIFL वेल्थ पहली डील सितंबर तक पूरा करने की उम्मीद कर रही है। इंडिया की सबसे बड़ी वेल्थ मैनेजमेंट कंपनियों में से एक का स्टार्टअप फंड शुरू करना इडलवाइज फाइनेंशियल सर्विसेज जैसी कंपनियों के लिए उदाहरण साबित हो सकता है, जो खुद इस सेक्टर पर नजरें गड़ाए हुए हैं। IIFL 75,521 करोड़ रुपये से ज्यादा की एसेट्स को मैनेज हेज फंड गतिविधि करती है। मई में मुंबई की इस फर्म ने हेज फंड एग्जिक्यूटिव प्रणव पारिख को अपने ऑल्टरनेटिव फंड्स बिजनेस को हेड करने और अगले कुछ क्वॉर्टर्स में एक वेंचर कैपिटल फंड लॉन्च करने के लिए साथ जोड़ा था। पारिख ने बताया, 'हम कई ट्रेडिशनल सेक्टरों में बदलाव देख रहे हैं, ऐसे में इस सेक्टर में हमारा एक्सपोजर होना जरूरी है।' टेक्नोलॉजी इनवेस्टमेंट्स अमीर इंडियंस के लिए फेवरेट एसेट क्लास के तौर पर उभरा है। कोटक वेल्थ मैनेजमेंट की एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, सर्वे में शामिल 39 फीसदी लोग टेक्नोलॉजी वेंचर कैपिटल फंड्स में पैसा लगाना चाहते हैं।

बेस मेटल्स की कीमतों में गिरावट, कैसे बनाएं रणनीति?

MCX पर कॉपर, निकेल, जिंक और लेड की कीमतों में डेढ़ फीसदी तक की गिरावट देखने को मिल रही है.

बेस मेटल्स की कीमतों में गिरावट, कैसे बनाएं रणनीति?

इसी तरह से लेड और निकेल में भी भारी गिरावट के साथ कारोबार हो रहा है. जानकारों का कहना है कि डॉलर में मजबूती से लंदन मेटल एक्सचेंज (LME) पर भाव गिरने से बेस मेटल्स में लाल निशान में कारोबार हो रहा है.

इसके अलावा अमेरिका के कदम के बाद चीन ने भी करीब 60 अरब डॉलर के अमेरिकी इंपोर्ट पर सख्ती की बात कही है. चीन और अमेरिका दोनों दुनिया की बड़ी अर्थव्यस्थाएं हैं. ऐसे में ट्रेड वॉर गहराने से बेस मेटल्स की मांग घटने की संभावना है. चीन दुनिया का सबसे बड़ा मेटल्स का उपभोक्ता है.

हाल ही में ईटी मार्केट्स हिन्दी ने भी कॉपर और जिंक की कीमतों में भारी गिरावट की आशंका जताई थी. हमने बताया था कि कॉपर और जिंक में बिकवाली से मुनाफा कमाया जा सकता है. इस साल LME पर कॉपर का भाव करीब 15 फीसदी लुढ़का है. इसी तरह से इस साल LME पर जिंक का करीब 24 फीसदी टूटा है.

कीमतों में गिरावट क्यों ?
1-चीन की अर्थव्यवस्था की रफ्तार सुस्त पड़ने के आसार हैं. इस वजह से वहां कॉपर और जिंक की मांग में कमी का अनुमान है. चीन बेस मेटल्स का सबसे बड़ा कंज्यूमर है.

2- अमेरिका और चीन के बीच जारी ट्रेड वॉर हेज फंड गतिविधि से आर्थिक गतिविधियों में कमी आने की आशंका है. जुलाई में भी फैक्ट्री ग्रोथ में कमी का अनुमान है

3- हेज फंड्स ने कॉपर में फ्यूचर एवं ऑप्शंस में अपनी नेट शार्ट पोजीशन बढ़ाई है. फिलहाल हेज फंड्स की शार्ट पोजीशन एक साल में सबसे ज्यादा है.

4-दुनिया की प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर में मजबूती से भी बेस मेटल्स की कीमतों में गिरावट आएगी.

Twitter और Amazon के बाद अब Google भी करेगा कर्मचारियों की छंटनी, निकाले जा सकते हैं 10 हजार कर्मचारी

ग्रेडिंग प्लान के तहत गूगल कर्मचारियों को निकालने की योजना बना रही है. कर्मचारियों की ग्रेडिंग पर उन्हें बोनस और अन्य सुविधाएं देने से भी रोका जाएगा. इसका असर 10 हजार कर्मचारियों पर पड़ सकता है.

Google plans to lays off

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gnttv.com

  • नई दिल्ली,
  • 23 नवंबर 2022,
  • (Updated 23 नवंबर 2022, 7:37 AM IST)

दिया जाएगा 60 दिन का समय

बनाया जाएगा ग्रेडिंग सिस्टम

ट्विटर और मेटा के बाद टेक कंपनियों में छंटनी का दौर चालू है. अब गूगल का नाम भी इस लिस्ट में शामिल हो गया है. जी हां, गूगल कम से कम 10 हजार लोगों को नौकरी से निकालने की तैयारी कर रहा है. इसके लिए वो एक परफॉर्मेंस इंप्रूवमेंट प्लान भी लाया है. यह एक तरीके का रेटिंग सिस्टम होगा, जिसके अनुसार जिन कर्मचारियों की रेटिंग खराब होगी उन्हें कंपनी से निकाल दिया जाएगा.

बनाया जाएगा ग्रेडिंग सिस्टम
यह कदम एक्टिविस्ट हेज फंड के दबाव, बाजार की प्रतिकूल परिस्थितियों और खर्चों को कम करने की आवश्यकता के जवाब में है. गूगल की पैरेंट कंपनी Alphabet जल्द ही कर्मचारियों की छंटनी का आदेश जारी करने वाली है. इससे पहले Twitter,Amazon और Facebook-Meta जैसी दिग्गज टेक्नोलॉजी कंपनियों ने बड़ी मात्रा में कर्मचारियों की छंटनी की थी. नई प्रणाली के तहत, कंपनी ने प्रबंधकों से 6 फीसदी स्टाफ को निकालने जा रही है. इस योजना के तहत गूगल के प्रबंधक कर्मचारियों की ग्रेडिंग कर उन्हें बोनस व अन्य अनुदान देने से भी रोक सकेंगे. रिपोर्ट बताती है कि नई प्रणाली के तहत उन कर्मचारियों के प्रतिशत को भी कम करती है जो उच्च ग्रेड हासिल कर सकते हैं.

दिया जाएगा 60 दिन का समय
बता दें कि Alphabet में लगभग 1 लाख 87 हजार कर्मचारी काम कर रहे हैं. अल्फाबेट ने अभी तक इस रिपोर्ट पर टिप्पणी नहीं की है. इससे पहले आई रिपोर्ट में कहा गया था कि कंपनी स्टाफ को जॉब कट की दिशा में नई भूमिका के लिए आवेदन करने के लिए 60 दिन का समय देगी. हालांकि कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुंदर पिचाई ने कुछ महीने पहले इसका संकेत दिया था. उन्होंने कहा था कि Google एक कंपनी के रूप में मानता है कि "जब आपके पास पहले से कम संसाधन हैं, तो आप काम करने के लिए सभी सही चीजों को प्राथमिकता दे रहे हैं और आपके कर्मचारी वास्तव में प्रोडक्टिव हैं. "

हर तरफ छंटनी
अपनी रिपोर्ट में, The Information ने कहा कि सिस्टम पहले प्रबंधकों को बोनस का भुगतान नहीं करने का निर्णय लेने की अनुमति देगा. "चूंकि सिलिकॉन वैली में हेज फंड गतिविधि छंटनी हो रही है, Google अब तक कर्मचारियों को नहीं निकाला है. लेकिन जैसा कि बाहरी दबाव कंपनी पर अपने कर्मचारियों की उत्पादकता में सुधार करने के लिए बनाता है, एक नई प्रदर्शन प्रबंधन प्रणाली प्रबंधकों को अगले साल की शुरुआत में हजारों कम प्रदर्शन वाले कर्मचारियों को बाहर निकालने में मदद कर सकती है.

कई बड़ी टेक कंपनियों ने कोविड के दौरान ऑनलाइन गतिविधियों में उछाल पर दांव लगाया था, ताकि महामारी के कम होने पर भी यह जारी रहे. लेकिन वैसा नहीं हुआ. ट्विटर को खरीदने के बाद एलन मस्क ने हजारों कर्मचारियों को कंपनी से निकाल दिया. इसी महीने फेसबुक की पैरेंट कंपनी मेटा ने भी ऐलान किया है कि 11,000 कर्मचारियों को नौकरी से निकाला जाएगा.

खत्म हुआ सुहाना सफर?

वॉल्ड पर 275 कॉइन सूचीबद्ध थे और इसने क्रिप्टो उधार देकर पैसा बनाया

क्रिप्टोकरेंसीः ज्यादा जोखिम

एम.जी. अरुण

  • नई दिल्ली,
  • 19 जुलाई 2022,
  • (अपडेटेड 19 जुलाई 2022, 4:21 PM IST)

वर्तमान में क्रिप्टोकरेंसी की दुनिया में कुछ भी सही नहीं हो रहा. क्रिप्टो प्लेटफॉर्मों की साख को एक और झटका लगा, जब सिंगापुर स्थित क्रिप्टो कर्जदाता प्लेटफॉर्म वॉल्ड ने जुलाई की शुरुआत में जमा और निकासी के सारे काम रोक दिए और करीब 8,00,000 ग्राहकों को अधर में छोड़ दिया. वॉल्ड की स्थापना दो भारतीय उद्यमियों दर्शन बठिजा और संजू कुरियन ने की थी. मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया कि इसका इस्तेमाल करने वालों में अधिकतर भारतीय थे और उसके प्रबंधन के तहत आने वाली परिसंपत्तियों में उनका हिस्सा 20 फीसद था.

इस प्लेटफॉर्म पर रोज 1-1.5 करोड़ डॉलर (79.5 करोड़-119.2 करोड़ रुपए) का लेन-देन हेज फंड गतिविधि हो रहा था. कंपनी का उद्देश्य ''पारंपरिक बैंकों के मुकाबले ज्यादा तेज, सुरक्षित और विकेंद्रीकृत बैंकिंग व्यवस्था का निर्माण करना'' था और उसने अपने फैसले के लिए बाजार के डांवांडोल हालात को दोषी ठहराया. इसके कुछ ही वक्त पहले अमेरिका स्थित सेल्सियस नेटवर्क और वोयेजर डिजिटल सरीखे क्रिप्टो प्लेटफॉर्म ने भी ट्रेडिंग रोककर हजारों निवेशकों को मुश्किल में डाल दिया.

साल 2018 में बनी वॉल्ड ने क्रिप्टो की जमापूंजी पर यूजर्स एसआइपी (व्यवस्थित निवेश योजना) के विकल्प और ऊंचा ब्याज देकर लंबे वक्त के निवेश को बढ़ावा दिया. इसके प्लेटफॉर्म पर 275 कॉइन सूचीबद्ध थे. दूसरे क्रिप्टो एक्सचेंज के विपरीत वॉल्ड ने ब्रोकरेज से तो आमदनी नहीं की, पर दूसरों को क्रिप्टो करेंसियां उधार देकर पैसा बनाया. मगर मई में स्टेबलकॉइन टेरायूएसडी के टूटने के बाद क्रिप्टो में बड़ी गिरावट के चलते निवेशक एक्सचेंज से धन निकालने लगे. कंपनी के सीईओ बठिजा ने 4 जुलाई को एक बयान में कहा, ''यह (गतिविधियों पर रोक) बाजार की डांवांडोल स्थिति, हमें प्रभावित करने वाले हमारे प्रमुख बिजनेस पार्टनरों की वित्तीय मुश्किलों और बाजार के मौजूदा माहौल जैसी मिली-जुली परिस्थितियों के कारण है.''

उन्होंने कहा कि टेरायूएसडी के पतन, सेल्सियस नेटवर्क के संकट और सिंगापुर स्थित क्रिप्टो हेज फंड थ्री एरोज कैपिटल के अपने कर्ज चुकाने से चूकने के हेज फंड गतिविधि कारण 12 जून को जब क्रिप्टो बाजार गिरे, उसके बाद से ग्राहकों ने 19.77 करोड़ डॉलर (1,572 करोड़ रुपए) की रकम निकाली. फिर 5 जुलाई को वॉल्ड ने कहा कि उसने क्रिप्टो प्लेटफॉर्म नेक्सो के साथ टर्म शीट पर दस्तखत किए थे, जिसमें वह फर्म की 100 फीसद हिस्सेदारी खरीद सकता है. इस बिक्री को अभी पूरा होना है.

ऐसे पतन से क्रिप्टो मुद्राओं या उन्हें वैधता देने के खिलाफ दलील पुख्ता होती है, खासकर जब क्रिप्टो विधेयक पर अभी काम ही चल रहा है. भारतीय रिजर्व बैंक इसका मुखर आलोचक रहा है. इसके गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि अंतर्निहित संपत्तियों के बिना अवास्तविक चीज से मूल्य हासिल करने वाली कोई भी चीज सट्टा ही है.

उद्योग के नवंबर 2021 तक के अनुमान के मुताबिक, 1.5-2 करोड़ भारतीयों ने डिजिटल प्लेटफॉर्मों पर क्रिप्टो में करीब 6 अरब डॉलर (47,712 करोड़ रुपए) लगा रखे थे. इस साल के बजट में क्रिप्टो की खरीद-फरोख्त पर 30 फीसद कर लगाए जाने से भी हेज फंड गतिविधि निवेशक हिल गए थे. यह कर इस साल 1 जुलाई से लागू हो गया. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 40 भारतीय क्रिप्टो एक्सचेंजों में दैनिक खरीद-फरोख्त में काफी गिरावट देखी गई. कुछ ने साफ कर दिया कि वे क्रिप्टो उधार देने के कारोबार में नहीं थे. क्रिप्टो एक्सचेंज कॉइनस्विच कुबेर के सह-संस्थापक और सीईओ आशीष सिंघल कहते हैं, ''क्रिप्टो उद्योग में कई बिजनेस मॉडल हैं. कुछ दूसरों के मुकाबले ज्यादा जोखिम भरे हैं और तितर-बितर हो सकते हैं.'' मौजूदा तबाही इसी वजह से है.

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