पैसिव फंड निफ्टी, सेंसेक्स आदि जैसे इंडेक्स की नकल करता हैं. इंडेक्स फंड ओपन एंडेड फंड की तरह खरीद-बेचे जा सकते हैं. इंडेक्स का प्रर्दशन बेहतर तो फंड में भी अच्छा रिटर्न संभव हैं: Edelweiss MF, सेल्स हेड, दीपक जैन और हेमंत रुस्तगी, CEO, वाइजइन्वेस्ट प्राइवेट लिमिटेड.

म्यूचुअल फंड में पैसे लगाते समय न करें ये गलतियां, फायदे की जगह हो जाएगा नुकसान

आपके निवेश का मकसद क्या है?

निवेश से जुड़े किसी भी फैसले से पहले अपने आप से एक सवाल जरूर करें. सवाल ये कि आपके इस निवेश का लक्ष्य या खास मकसद क्या है? अगर आप इस बारे में सोचे बिना निवेश करेंगे तो ऐसे विकल्पों में पैसे लगा सकते हैं, जो आपकी जरूरत के हिसाब से सही नहीं हैं. मिसाल के तौर पर अगर आपको दो साल बाद अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए या फिर नई कार खरीदने के लिए 2 लाख रुपयों की जरूरत पड़ने वाली है, तो आप उसी हिसाब से हर महीने रिकरिंग डिपॉजिट में पैसे जमा करने के बारे में सोच सकते हैं. या फिर किसी ऐसे एफडी में निवेश कर सकते हैं, जिसकी मैच्योरिटी आपकी जरूरत से मेल खाती हो. अगर आपने इस बारे में सोचे बिना इक्विटी म्यूचुअल फंड में पैसे लगा दिए, तो हो सकता है दो साल बाद आपको बाजार की उथल-पुथल के कारण अपनी मनचाही रकम न मिल पाए.

बाजार की चाल का अंदाजा लगाने के चक्कर में न पड़ें

आम निवेशकों को लॉन्ग टर्म इनवेस्टमेंट से जुड़े फैसले करते समय बाजार की चाल का सटीक अंदाजा लगाने के चक्कर में ज्यादा नहीं पड़ना चाहिए. बल्कि सही म्यूचुअल फंड का चुनाव करने के बाद उसमें नियमित निवेश पर ध्यान देना चाहिए. सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान (SIP) इसका सबसे बेहतर तरीका है. इससे न सिर्फ नियमित निवेश का लाभ मिलता है, बल्कि बाजार के उतार-चढ़ावों के बीच संतुलित रिटर्न पाने में भी मदद मिलती है. ऐसा करने की जगह अगर आप बाजार के तलहटी पर पहुंचने पर निवेश करने और फिर पीक पर बेचकर मोटा मुनाफा कमाने का ख्वाब देखेंगे, तो कामयाबी मिलने की गुंजाइश बहुत ही कम रहेगी. ऐसा इसलिए, क्योंकि बाजार कब अपने सबसे निचले स्तर पर है और कब पीक पर, ये पक्के तौर पर किसी को पता नहीं होता. इसीलिए कहा जाता है कि लगातार नियमित रूप से निवेश करना और अपनी पूंजी को बढ़ने के लिए पूरा टाइम देना, बाजार की सही टाइमिंग से ज्यादा जरूरी है.

बहुत ज्यादा स्कीम्स में निवेश करना सही नहीं

कई निवेशकों को लगता है कि अपने पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाई करने के लिए एक साथ बहुत सारे म्यूचुअल फंड्स में निवेश करना जरूरी है. हमें ये बात याद रखनी चाहिए कि दरअसल हर म्यूचुअल फंड स्कीम अपने आपमें एक डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो है, जिसमें अलग-अलग तरह के इंस्ट्रूमेंट्स शामिल रहते हैं. बहुत ज्यादा स्कीम्स में निवेश करने पर आपके लिए उन्हें अच्छी तरह समझना और ट्रैक करना मुश्किल हो सकता. बेहतर यही होगा कि अच्छी तरह जांच-परख करके दो-तीन अच्छी म्यूचुअल फंड स्कीम्स को चुनें और उनमें नियमित रूप से निवेश करते रहें.

सीधे इक्विटी में निवेश करने के मुकाबले म्यूचुअल फंड में निवेश करना आम तौर पर कम जोखिम वाला होता है. लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि सभी म्यूचुअल फंड में एक बराबर रिस्क होता है. जिस तरह डेट फंड के मुकाबले इक्विटी फंड में ज्यादा रिस्क होता है, उसी तरह अलग-अलग इक्विटी फंड में जोखिम की आशंका भी अलग-अलग होती है. इसलिए सही स्कीम का चुनाव करते समय जोखिम उठाने की अपनी क्षमता यानी रिस्क प्रोफाइल को भी जरूर ध्यान में रखें. बाजार में तेजी के दौर में कई बार ऐसे निवेशक भी ज्यादा रिटर्न के लालच में इक्विटी फंड की तरफ चले जाते हैं, जिनकी रिस्क लेने की क्षमता बेहद कम है. इसी तरह ब्लूचिप फंड्स या लार्ज कैप फंड्स के मुकाबले मिड-कैप या स्मॉल कैप फंड्स में जोखिम और भी ज्यादा होता है. इसीलिए निवेश का फैसला करते समय जोखिम उठाने की अपनी क्षमता को कभी न भूलें.

पूरी रकम एक साथ न लगाएं

निवेशकों को म्यूचुअल फंड में अपनी पूरी रकम एक साथ लगाने से बचना चाहिए. अगर आपके पास निवेश के लिए एक साथ मोटी रकम मौजूद है, तो भी उसे धीरे-धीरे करके निवेश करना बेहतर रहता है. आप इसके लिए सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान (STP) की मदद ले सकते हैं. एसटीपी भी एसआईपी की तरह ही काम करता है, जिसमें आपकी रकम का कुछ हिस्सा हर महीने आपकी बताई स्कीम में निवेश किया जा सकता है. इससे आपके निवेश को बाजार की तेज उथल-पुथल के असर से बचाने में मदद मिलती है.

म्यूचुअल फंड्स दरअसल अलग-अलग तरह के एसेट क्लास में निवेश करने का जरिया हैं. इनके माध्यम से आप गोल्ड, इक्विटी, बॉन्ड जैसे अलग-अलग विकल्पों में पैसे लगाते हैं. लेकिन निवेश करने के बाद उसे पूरी तरह भूल न जाएं. अपने फंड्स को लगातार ट्रैक करते रहें और बीच-बीच में उनके प्रदर्शन की समीक्षा भी करते रहें. अगर कोई स्कीम बाजार की तुलना में लगातार कम रिटर्न दे रही है, तो आप उसकी जगह किसी बेहतर स्कीम में निवेश का फैसला भी कर सकते हैं. अगर आपने ऐसा नहीं किया, तो लंबे समय में भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है.

क्या Gold ETF में पैसा लगाने का सही समय है? क्यों आ रही है तेजी, आपके पास भी है एफडी से ज्यादा कमाई का मौका

सोना चाहे कितना भी महंगा क्यों न हो जाए, लेकिन निवेशकों का इसके प्रति लगाव कभी कम नहीं होता.. दुनियाभर में जब भी कोई बड़ा संकट सामने आता है तो सुरक्षित निवेश के लिए लोग सोना खरीदना शुरू कर देते हैं. अब कोरोना वायरस का नया अवतार ओमीक्रोन दुनिया के सामने नया संकट बनकर सामने आया है. इस संकट को सामने देख सोने के प्रति लोगों की चाह फिर से बढ़ गई है. निवेशकों को सोने में निवेश के लिए गोल्ड के ट्रेडेड फंड यानी गोल्ड ईटीएफ खूब पसंद आ रहे हैं.

सोना चाहे कितना भी क्या ETF में पैसा लगाने का ये सही समय है महंगा क्यों न हो जाए, लेकिन निवेशकों का इसके प्रति लगाव कभी कम नहीं होता.. दुनियाभर में जब भी कोई बड़ा संकट सामने आता है तो सुरक्षित निवेश के लिए लोग सोना खरीदना शुरू कर देते हैं. अब कोरोना वायरस का नया अवतार ओमीक्रोन दुनिया के सामने नया संकट बनकर सामने आया है. इस संकट को सामने देख सोने के प्रति लोगों क्या ETF में पैसा लगाने का ये सही समय है की चाह फिर से बढ़ गई है. निवेशकों को सोने में निवेश क्या ETF में पैसा लगाने का ये सही समय है के लिए गोल्ड के ट्रेडेड फंड यानी गोल्ड ईटीएफ खूब पसंद आ रहे हैं.

म्यूचुअल फंड्स में निवेश की शुरुआत का सही समय क्या है? कितना जरूरी है SIP के जरिए निवेश

लंबी अवधि के लिए SIP के जरिए निवेश से कम्‍पाउंडिंग का अच्छा फायदा मिलता है. क्योंकि आपकी SIP जितनी लंबी अवधि की होगी कम्‍पाउंडिंग से रिटर्न उतना ज्यादा फायदा मिलेगा.

फाइनेंशियल गोल को पूरा करने के लिए जरूरी है सही समय पर बचत की शुरुआत. सही समय पर बचत की शुरुआत के साथ जरूरी है कि बचत की रकम किस तरह से निवेश किया जा रहा है. अगर सही रणनीति के तहत निवेश की शुरुआत हुई, तो यह रकम आपके फाइनेंशियल लक्ष्यों को पूरा करने का रास्ता आसान बना देती है. आप भी म्यूचुअल फंड्स के जरिए निवेश की शुरुआत करना चाहते है, तो इसमें ज्यादा समय न लें. ऐसे में सवाल उठता है कि म्यूचुअल फंड्स में निवेश का सही समय क्या है और इसके SIP के जरिए ही निवेश करना चाहिए?

सोने में पैसा लगाकर की जा सकती है कमाई, ये है निवेश का सबसे बेहतरीन तरीका

जानकारों का मानना है कि सोने की कीमतों में तेजी जारी रहेगी. एक्सपर्ट्स की सलाह है कि पोर्टफोलियो में सोने को शामिल किया जा सकता है. हालांकि, बहुत ज्यादा मात्रा में नहीं.

सोने में निवेश करने वालों निवेशकों को पिछले दो महीने में शानदार रिटर्न मिला है.

महामारी कोरोना वायरस (Coronavirus pandemic) की वजह से सोने की कीमतों को बड़ा सपोर्ट मिला है. ग्लोबल इकोनॉमी पर Covid-19 का असर दिख रहा है. इसलिए जानकारों का मानना है कि सोने की कीमतों में तेजी जारी रहेगी. एक्सपर्ट्स की सलाह है कि पोर्टफोलियो में सोने को शामिल किया जा सकता है. हालांकि, बहुत ज्यादा मात्रा में नहीं. दुनियाभर के बाजार निगेटिव रिटर्न दे रहे हैं. लेकिन, सोना अपने रिकॉर्ड हाई पर है. सोने की कीमतें इस वक्त 46 हजार के पार हैं.

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