बैंक ऑफ महाराष्‍ट्र कभी भी फोन कॉल/ई-मेल/एसएमएस के माध्‍यम से किसी भी उद्देश्‍य हेतु बैंक खाते के ब्‍यौरे नहीं मांगता।
बैंक सभी ग्राहकों से अपील करता है कि ऐसे किसी भी फोन कॉल/ई-मेल/एसएमएस का उत्‍तर न दें, और किसी से भी, किसी भी उद्देश्‍य हेतु अपने बैंक खाते के ब्‍यौरे साझा न करें। किसी से भी अपने डेबिट/क्रेडिट कार्ड का सीवीवी/पिन साझा न करें।

रुपया जल्द बनने वाला है इंटरनेशनल करेंसी! रूस, श्रीलंका होंगे इंटरनेशनल ट्रेड के लिए इस्तेमाल करने वाले पहले देश

भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था

भारत जीडीपी के संदर्भ में वि‍श्‍व की नवीं सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था है । यह अपने भौगोलि‍क आकार के संदर्भ में वि‍श्‍व में सातवां सबसे बड़ा देश है और जनसंख्‍या की दृष्‍टि‍ से दूसरा सबसे बड़ा देश है । हाल के वर्षों में भारत गरीबी और बेरोजगारी से संबंधि‍त मुद्दों के बावजूद वि‍श्‍व में सबसे तेजी से उभरती हुई अर्थव्‍यवस्‍थाओं में से एक के रूप में उभरा है । महत्‍वपूर्ण समावेशी विकास प्राप्‍त करने की दृष्‍टि‍ से भारत सरकार द्वारा कई गरीबी उन्‍मूलन और रोजगार उत्‍पन्‍न करने वाले कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं ।

इति‍हास

ऐति‍हासि‍क रूप से भारत एक बहुत वि‍कसि‍त आर्थिक व्‍यवस्‍था थी जि‍सके वि‍श्‍व के अन्‍य भागों के साथ मजबूत व्‍यापारि‍क संबंध थे । औपनि‍वेशि‍क युग ( 1773-1947 ) के दौरान ब्रि‍टि‍श भारत से सस्‍ती दरों पर कच्‍ची सामग्री खरीदा करते थे और तैयार माल भारतीय बाजारों में सामान्‍य मूल्‍य से कहीं अधि‍क उच्‍चतर कीमत पर बेचा जाता था जि‍सके परि‍णामस्‍वरूप स्रोतों का द्धि‍मार्गी ह्रास होता था । इस अवधि‍ के दौरान वि‍श्‍व की आय में भारत का हि‍स्‍सा 1700 ए डी के 22.3 प्रति‍शत से गि‍रकर 1952 में 3.8 प्रति‍शत रह गया । 1947 में भारत के स्‍वतंत्रता प्राप्‍ति‍ के पश्‍चात अर्थव्‍यवस्‍था की पुननि‍र्माण प्रक्रि‍या प्रारंभ हुई । इस उद्देश्‍य से वि‍भि‍न्‍न नीति‍यॉं और योजनाऍं बनाई गयीं और पंचवर्षीय योजनाओं के माध्‍यम से कार्यान्‍वि‍त की गयी ।

नए मैकेनिज्म में रूस के साथ जल्द शुरू हो सकता है व्यापार समझौता

रिपोर्ट में भारत सरकार के एक अधिकारी के हवाले से कहा गया कि भारत सरकार ऐसे और देशों को इस मैकेनिज्म में लाना चाहती है, जिनके पास डॉलर की कमी है. अब तक 5 से 6 बैंकों को रुपये में इंटरनेशनल ट्रेड सेटलमेंट की सुविधा के लिए Vostro खाते खोलने की अनुमति दी गई है. फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (FIEO) एक विदेशी मुद्रा व्यापार प्रणाली क्या है के महानिदेशक अजय सहाय का कहना है कि कई मुद्दों को सुलझा लिया गया है. निर्यातकों और आयातकों ने खातों को खोलने के लिए बैंकों से संपर्क करना शुरू कर दिया है. इसलिए, नई भुगतान प्रणाली के तहत रूस के साथ व्यापार समझौता कुछ शिपमेंट के लिए जल्द शुरू होने की उम्मीद है.

यह कदम रूस और भारत के बीच बढ़ते व्यापार अंतर के बीच महत्वपूर्ण है. वैसे तो रूस तेजी से भारत का शीर्ष तेल आपूर्तिकर्ता बन गया है, लेकिन रूस को भारतीय निर्यात घट रहा है क्योंकि निर्यातक पश्चिमी प्रतिबंधों और एक सुचारू भुगतान तंत्र की कमी से सावधान हैं. ताजिकिस्तान, क्यूबा, लक्ज़मबर्ग और सूडान सहित अन्य देशों से भी भारत के रुपी ट्रेड सेटलमेंट मैकेनिज्म में रुचि प्राप्त हो रही है.

UAE के लिए तैयार हुआ कॉन्सेप्ट पेपर

भारतीय रिजर्व बैंक ने देश के तीसरे सबसे बड़े व्यापारिक भागीदार संयुक्त अरब अमीरात के साथ भारतीय रुपये में ट्रेड सेटलमेंट के लिए एक कॉन्सेप्ट एक विदेशी मुद्रा व्यापार प्रणाली क्या है पेपर तैयार किया है. संयुक्त अरब अमीरात में भारत के राजदूत संजय सुधीर का कहना है, संयुक्त अरब अमीरात का सेंट्रल बैंक इस मामले को देख रहा है और मैकेनिज्म को संचालित करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक के अधिकारियों के साथ चर्चा कर रहा है.

वोस्त्रो खाते खोलने के बाद, श्रीलंकाई नागरिक भौतिक रूप में 10,000 डॉलर (8,26,823 रुपये) रख सकते हैं. इसका अर्थ यह भी है कि श्रीलंकाई और भारतीय एक दूसरे के साथ अंतरराष्ट्रीय लेनदेन के लिए अमेरिकी डॉलर के बजाय भारतीय रुपये का उपयोग कर सकते हैं. श्रीलंका में रुपये को कानूनी मुद्रा के रूप में नामित करने से देश को डॉलर की अपर्याप्त उपलब्धता के बीच अपने आर्थिक संकट से निपटने में बहुत आवश्यक लिक्विडिटी सपोर्ट मिलेगा. जब निवेशक घरेलू मुद्रा में बिक्री शुरू करते हैं तो देश की अर्थव्यवस्था, भुगतान संकट के संतुलन को और अधिक तीव्र होने से रोक सकती है.

IBA और FIEO शुरू करेंगे जागरूकता अभियान

भारत के वित्त मंत्रालय ने भारतीय बैंक संघ (IBA) और FIEO को रुपये के व्यापार के बारे में हितधारकों को जागरूक करने के लिए जागरूकता अभियान शुरू करने के लिए भी कहा है. भारतीय रिजर्व बैंक ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 के तहत रुपये में एक विदेशी मुद्रा व्यापार प्रणाली क्या है सीमा पार व्यापार लेनदेन के लिए विस्तृत रूपरेखा तैयार की है. इसके अनुसार, इस व्यवस्था के तहत सभी निर्यात और आयात को रुपये में अंकित और चालान किया जा सकता है. दो व्यापारिक भागीदार देशों की मुद्राओं के बीच विनिमय दरें बाजार द्वारा निर्धारित की जा सकती हैं. इस व्यवस्था के तहत व्यापार लेनदेन का सेटलमेंट रुपये में होना चाहिए.

इस मैकेनिज्म के माध्यम से आयात करने वाले भारतीय आयातकों को रुपये में भुगतान करने की आवश्यकता होती है. इस पेमेंट को विदेशी विक्रेता या आपूर्तिकर्ता से माल या सेवाओं की आपूर्ति के चालान/इनवॉइस के एवज में भागीदार देश के प्रतिनिधि बैंक के वोस्त्रो खाते में जमा किया जाना चाहिए. इसी तरह, इस मैकेनिज्म के माध्यम से वस्तुओं और सेवाओं का निर्यात करने वाले भारतीय निर्यातकों को भागीदार देश के प्रतिनिधि बैंक के नामित वोस्त्रो खाते में बैलेंस से रुपये में एक्सपोर्ट प्रोसीड्स का भुगतान किया जाना चाहिए.

भारत सरकार

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विशेष आर्थिक क्षेत्र नामक स्कीशम के मुख्य उद्देश्यत इस प्रकार हैं – अतिरिक्तन आर्थिक गतिविधि का सृजन, माल एवं सेवाओं के निर्यात का संवर्धन, घरेलू एवं विदेशी स्रोतों से निवेश का संवर्धन, रोजगार के अवसरों का सृजन तथा आधारभूत सुविधाओं का विकास। विशेष आर्थिक क्षेत्र अधिनियम / नियमावली के अनुसार जब तक विशिष्टि रूप से छूट न दी गई हो, भारत के सभी कानून विशेष आर्थिक क्षेत्रों पर लागू होते हैं। प्रत्ये्क विशेष आर्थिक क्षेत्र का अध्योक्ष एक विकास आयुक्तश होता है तथा विशेष आर्थिक क्षेत्र अधिनियम, 2005 तथा विशेष आर्थिक क्षेत्र नियमावली, 2006 के अनुसार इसे अभिशासित किया जाता है। विनिर्माण, व्या्पार या सेवा की गतिविधियों के लिए विशेष आर्थिक क्षेत्र में यूनिटें स्था पित की जा सकती हैं। विशेष आर्थिक क्षेत्र की यूनिटों को निबल विदेशी मुद्रा अर्जक होना होता है परंतु वे पहले से निर्धारित किसी मूल्य् अभिवृद्धि या न्यूशनतम निर्यात तरजीह जैसी अपेक्षाओं के अधीन नहीं होते हैं। विशेष आर्थिक क्षेत्र की यूनिटों से घरेलू टैरिफ क्षेत्र में बिक्री को निर्यात की जाने वाली वस्तुह के रूप में माना एक विदेशी मुद्रा व्यापार प्रणाली क्या है जाता है तथा वे लागू सीमा शुल्कट के भुगतान के अधीन होते हैं।

विदेशी विनिमय बाजार के कार्य

विदेशी मुद्रा बाजार, विश्व की मुद्राओं के क्रय-विक्रय (व्यापार) का बाजार है जो विकेन्द्रित, चौबीसों घंटे चलने वाला, काउन्टर पर किया जाने वाले (over the counter) कारोबार है। अन्य वित्तीय बाजारों की अपेक्षा यह बहुत नया है और पिछली शताब्दी में सत्तर के दशक में आरम्भ हुआ। फिर भी सम्पूर्ण कारोबार की दृष्टि से यह सबसे बड़ा बाजार है। विदेशी मुद्राओं में प्रतिदिन लगभग ४ ट्रिलियन अमेरिकी डालर के तुल्य कामकाज होता है। अन्य बाजारों की तुलना में यह सबसे अधिक स्थायित्व वाला बाजार है।

1 विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार का इतिहास

2 अचल (Fixed) विदेशी मुद्रा दरें

3 चल (FLOATING) विदेशी मुद्रा दरें

4 इन्हें भी देखें

विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार का इतिहास

1970 से पहले तक विदेशी मुद्रा विनिमय दरें स्थायी रूप से तय रहा करती थीं। 70 के दशक से ही लगातार परिवर्तन होने वाली चल (FLOATING) विनिमय दरों[1] का प्रचलन शुरू हुआ।

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