यहां गौर करने वाली बात यह है कि Debt में सेफ इंवेस्टमेंट होता है, लेकिन यहां रिटर्न इक्विटी से कम आता है. इसके साथ यहां समय यानी ड्यूरेशन बहुत मायने रखती है. म्यूचुअल फंड में आपके निवेश की अवधि जितनी कम होनी रिटर्न कम मिलेगा. इसके उलट अवधि जितनी ज्यादा होगी रिटर्न उतना ही बेहतर यानी 60 प्रतिशत तक मिलेगा. लेकिन यहां रिस्क रेट बहुत ही कम है, बिल्कुल न के बराबर.
नई कार खरीदने के लिए कार लोन लें या पर्सनल लोन, जानिए क्या है बेहतर विकल्प
इन दिनों फेस्टिव सीजन चल रहा है। बहुत से लोग कुछ न कुछ खरीदने की तैयारी कर रहे होंगे। ऐसे में अगर आप कार खरीदने की सोच रहे हैं। लेकिन पैसों की कमी से नहीं खरीद पा रहे हैं तो लोन लेकर अपना सपना पूरा कर सकते हैं। ऐसे में बहुत से लोग यह सोचते हैं कि आखिर कौन सा लोन लिया जाए। कार लोन लें या फिर पर्सनल लोन लें। बहुत से लोग हैं कार खरीदने के लिए पर्सनल लोन ले लेते हैं।
जानकारों का मानना है कि पर्सनल के बदले कार लोन लेना कई मायनों में बेहतर विकल्प साबित हो सकता है। पर्सनल के मुकाबले कार लोन सस्ता पड़ता है। कार लोन में गाड़ी को ही विकल्प को कितना खरीदना है सिक्योरिटी के तौर पर गिरवी रखा जाता है। वहीं पर्सनल लोन में कुछ विकल्प को कितना खरीदना है भी गिरवी नहीं रखना होता है।
कम कीमत में खरीदना है बढ़िया 24 इंच का LED TV, ये हैं 10 हजार रु. से कम में आने वाले दमदार विकल्प
- ऑनलाइन उपलब्ध है यह शानदार टीवी।
- आपके रूम को बना देंगे सिनेमा हॉल।
- मूवीज देखने में आएगा अब डबल मजा।
KODAK 60 cm (24 inch) HD Ready LED TV- KODAK के इस टीवी में आपको 24 इंच की HD स्क्रीन मिलती है। इसके अलावा आपको इस टीवी में 20 वॉट के पावरफुल स्पीकर भी दिए जा रहे हैं ये जो आपके मूवी देखने के एक्सपीरियंस को दुगना कर देते हैं। Flipkart पर यह टीवी मात्र 8,999 रुपये में उपलब्ध है।
Thomson R9 60 cm (24 inch) HD Ready LED TV- Thomson का LED TV 24 इंच की HD डिस्प्ले के साथ आता है। इस LED TV में आपको 300 निट्स की ब्राइटनेस देखने को मिलती है। विकल्प को कितना खरीदना है जिसकी वजह से मूवी और वीडियोस देखने का मजा दुगना हो जाता है। इसके साथ-साथ इस LED TV में आपको कई पोर्ट्स मिल जाते हैं। जिन से आप अपना लैपटॉप कनेक्ट कर अपने टीवी की एक PC की तरह चला सकते हैं। Flipkart पर यह टीवी 9,499 रुपये में उपलब्ध है।
क्या Mutual Fund में 60 प्रतिशत तक मिलता है रिटर्न? जानें निवेश का सबसे बेहतरीन विकल्प
Mutual Fund: सबसे पहले मैं यहां आपको बताना चाहूंगा कि इस खबर को पढ़ने के बाद आप अपनी पूरी फाइनेंशियल प्लानिंग करके उठेंगे. अगर आप ये पूरी खबर पढ़ते हैं तो आपके दिमाग में संदेह नहीं होगा. आप यह समझेंगे कि अगर आपको घर, गाड़ी, बच्चों की शादी के लिए पैसा और रिटायरमेंट के लिए धन चाहिए तो कैसे प्लानिंग करें. कहां से पैसा आएगा, कितना सेव करना और कितना पैसा कहां निवेश करना यह सबकुछ क्लियर होने वाला है.
पैसा जोड़ो मत, निवेश करो
यहां मैं आपको बता दूं कि पैसा जोड़ो मत, निवेश करो. उदाहरण के लिए अगर 3 साल पहले आपने अपने पास 10 लाख रुपये जोड़कर रखे थे तो आज भी उनकी वैल्यू 10 लाख ही होगी, बल्कि कम होगी. क्योंकि इन तीन सालों में महंगाई कहीं ज्यादा बढ़ गई है. वहीं, अगर इन 10 लाख रुपए का आप गोल्ड खरीदकर रख लेते तो उसकी वैल्यू आज 15 से 18 लाख रुपए होती.
GST Rules : सामान बेचने वाले व्यापारी ने जीएसटी जमा नहीं किया तो खरीदने वाले को देना होगा कर
GST Rules : एक अक्टूबर से जीएसटी नियमों में हुए बदलाव को सही नहीं मान रहे व्यापारी। व्यापारियों ने यह भी कहा कि ऐसा कोई विकल्प भी नहीं है, जिसमें यह पता चल सके कि बेचने वाले व्यापारी ने किस चीज का कितना टैक्स जमा किया है।
GST Rules : भोपाल (राज्य ब्यूरो)। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीआइसी) ने जीएसटी के नियमों में बड़ा बदलाव कर दिया है। अब यदि पहले वाले व्यापारी ( आपूर्तिकर्ता) ने दूसरे को सामान बेचने के साथ उससे लिया गया जीएसटी जमा नहीं किया है। या कम जमा किया है या रिटर्न भरने में विकल्प को कितना खरीदना है किसी तरह की गलती की है तो इसका नुकसान सामान खरीदने वाले व्यापारी को उठाना पड़ेगा। नीचे वाले व्यापारी (खरीदने वाला) को कर तो चुकाना ही पड़ेगा 18 प्रतिशत ब्याज भी देना होगा। व्यापारियों और कर सलाहकारों का कहना है कि यह प्रविधान परेशानी बढ़ाने वाला है।
लॉन्ग टर्म में मिलेगा ज्यादा रिटर्न
आमतौर पर सीनियर सिटिजन्स जोखिम भरे प्लान में निवेश नहीं करते हैं, जिसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि वो पहले ही रिटायर हो चुके हैं और मार्केट से जुड़े नुकसान नहीं उठाना चाहते हैं. वे हमेशा ऐसे प्लान में निवेश करना चाहते हैं, जो उन्हें गारंटीड रिटर्न का वादा करता है. इसके चलते ही वो पोस्ट ऑफिस सेविंग अकाउंट, बैंक डिक्स्ड डिपॉजिट या फिर नेशनल पेंशन स्कीम में निवेश को प्राथमिकता देते हैं. हालांकि एमएफ भी सीनियर सिटिजन्स के लिए फायदेमंद होते हैं और उनके लिए एक बेहतर विकल्प बन सकते हैं. यह सच है कि मार्केट शॉर्ट टर्म की अवधि में आपको नुकसान दिखाई दे, लेकिन लॉन्ग टर्म में यह आपको एक अच्छा रिटर्न देता विकल्प को कितना खरीदना है है.
म्यूचुअल फंड निवेशक को कभी भी अपना निवेश वापस लेने का अधिकार देता है, जबकि यह विकल्प एनपीएस या किसी स्कीम में नहीं होता है. यानी सीनियर सिटिजन्स अपनी जरूरत के हिसाब से कभी भी अपना निवेश वापस पा सकते हैं. इसके अतिरिक्त म्यूचुअल फंड सीनियर सिटिजन्स को जरूरत के हिसाब से सभी परिसंपत्ति asset में अपने पोर्टफोलियो में बदलाव करने की भी छूट देता है.
डेट म्यूचुअल फंड में करें निवेश
पहले पांच सालों के लिए सीनियर सिटिजन्स को डेट म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहिए. आप अगले पांच सालों के रेगुलर खर्चों के लिए अपनी जरूरत के पैसे को बैलेंस्ड म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं. एक लार्ज कैप इक्विटी फंड का इस्तेमाल उन फंडों के लिए किया जा सकता है, जिनकी दस साल बाद जरूरत होगी. रिटायरमेंट के बाद निवेश से पहले आपको किसी फाइनेंशियल एडवाइजर से सलाह जरूर लेनी चाहिए, ताकि वो आपको आप की जरूरत के हिसाब से कम विकल्प को कितना खरीदना है जोखिम वाला में निवेश स्कीम के बारे में बता सके.
मौजूदा वक्त में बैंक सीनियर सिटिजन्स को फिक्स्ड डिपॉजिट पर 3% से 7% तक का ब्याज दे रहे हैं. सरकार ने हाल ही में पोस्ट ऑफिस में सीनियर सिटिजन्स की सेविंग स्कीम की ब्याज दरों को बढ़ाकर 7.6% कर दिया है. वहीं नेशनल पेंशन स्कीम में निवेशकों को 9% से 12% तक तक का ब्याज मिल रहा है.
FD के मुकाबले में डेट फंड में मिलेगा बेहतर रिटर्न
हर म्युचुअल फंड में एक अलग तरह का जोखिम होता है और वह उसी हिसाब से निवेशक को रिटर्न देता है. म्यूच्यूअल फंड में रिटर्न मार्केट से जुड़ा होता है, इसलिए यह कभी भी निर्धारित रिटर्न नहीं देता. हालांकि यह आपको ज्यादा रिटर्न हासिल करने का विकल्प देता है. अगर आप रिटायर हो चुके हैं और शॉर्ट टर्म में निवेश करना चाहते हैं, तो आप अच्छी क्रेडिट रेटिंग वाली कंपनियों के शॉर्ट-टर्म बॉन्ड में निवेश कर सकते हैं. बैंक FD के मुकाबले में ये डेट फंड आपको बेहतर रिटर्न दे सकते हैं.
मौजूदा म्युचुअल फंड टैक्स रुल्स के अनुसार जब आप उन्हें भुनाते हैं तो आपको अपने निवेश पर पूंजीगत बेनिफिट्स टैक्स का भुगतान करना होगा. डेट फंड और डेट-ओरिएंटेड हाइब्रिड फंड्स के लिए 3 साल से कम समय के लिए निवेश शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स (STCG) के अधीन हैं और आपको अपने आयकर ब्रैकेट के अनुसार टैक्स का भुगतान करने की जरूरत है. भुनाए गए निवेश को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) के रूप में माना विकल्प को कितना खरीदना है जाता है, अगर बेनिफिट्स कम से कम 3 साल की स्कीम में निवेश पर मिला है तो इंडेक्सेशन के बाद LTCG पर 20% टैक्स लगता है.
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