MTM ka meaning Stock market में क्या होता है |Why MTM Change | ATP | LTP
MRM ka Meaning Mark to Market होता है, Stock Market me. Mark to Market Stock Market.ये हमेशा ऊपर नीचे करता रहता है। एग्जिट करने के बाद भी ये चेंज क्यों होता रहता है.
MTM मार्केट में कैसे काम करता है|मतम इन शेयर मार्किट
सबसे पहले MTM को समझने के लिए हमें मार्जिन को समझना पड़ेगा
Margin Money ऐसा पैसा होता है जिस पैसे से आपको ट्रेड करने के लिए ब्रोकर के पास advance में ये पैसा रखना होता है
future and option का उद्धरण समझते है
जैसे अगर आप Bank nifty एक Lot Sell करते हैं
मना 35600 CE 1 lot ka Strike Price
105 Rs अभी है , तब आप इसको Short Sell करने के लिए लगभग 1.5 Lakh का मार्जिन ब्रोकर के पास रखना होगा अगर आप इसको अकेले सेल करते हैं
लेकिन अगर आप इसको Hedge करते हैं मतलब आप इसके साथ में कोई छोटा सा प्रीमियम खरीद लेते हैं अपने रिस्क को बचाने के लिए
जैसे आप 35000 CE Buy कर लेते हैं
हम यह मान लेते हैं किसका प्रीमियम अभी
50 Rs पर Trade कर रहा है तब आपको मार्जिन
बहुत कम लगेगा लगभग 30,000 आसपास यहां पर आपने रिस्क को बचाने के लिए एक कवर दे दिया है
तो चलो अब यह जानते हैं कि एमटीएम जब मार्केट चल होता है तो यह ऊपर नीचे क्यों करता है
यह ऐसा इसलिए करता है की स्टॉक मार्केट एक Zero Sum game है ,इसका मतलब यह होता है कि आप अगर यहां पर प्रॉफिट बना रहे होते हैं तो कोई ना कोई यह पैसा loss कर रहा होता है
मतलब सीधा है, अगर आप प्रॉफिट में होते हैं तब आपका
mtm postive show करता है वही अगर आप Loss
कर रहे होते हैं , यह नेगेटिव Show कर रहा होता है|
MTM कैसे Work करता है| Why MTM Change fast
मतलब Postive, Negative काम कैसे करता है इसका सीधा सा मतलब यह है कि आपने ट्रेड करने से पहले ब्रोकर को कुछ पैसे दिए थे मार्जिन मनी के रूप में तब यह पैसा एक्सचेंज शाम को अपने पास ले लेता है लेकिन Real Time में आपको कोई असुविधा ना हो इसलिए यह
प्लस माइनस जब चल रहा होता है तब NSE यानी मार्जिन ट्रेडिंग कैसे काम करती है एक्सचेंज ब्रोकर को यह मैसेज देता है कि जिस ने पैसे बनाए हैं ,यह पैसे हारने वाले के अकाउंट से आपको भेज दिए जाए उसी तरह से जब आप Loss करेंगे तब आपके अकाउंट से यह पैसे कटते रहते हैं ,और जीतने वाले अकाउंट में ऐड होते रहते हैं
लेकिन यह पूरा पैसा जब आप पोजीशन यानी अपनी जो ट्रेडिंग postion ले रखी है उसको पूरा Square off या Exit करेंगे तब आपको कीमत देनी पड़ेगी या आपने पैसे बनाए हैं तब आपको किसी और के account से यह पैसा शाम को Bill बनने के बाद आपके अकाउंट में आ जाएगा
यह तो हो गई बात फ्यूचर एंड ऑप्शन में मार्जिन मनी के हिसाब से एमटीएम चेंज होता रहता है
लेकिन हम बात करें अगर आप ने स्टॉक खरीद रखे हैं और स्टॉक में होल्डिंग ले रखी है तब भी आपका MTM Change होता रहता है
तब आपको कोई Margin Money नहीं Pay करना होता है आप सिंपल आपके पास जितना पैसा था आपने उतने का स्टॉक खरीद लिया
इस कंडीशन में यह होता है, यहां पर Zero Sum game काम नहीं करता है यहां पर सिर्फ Company और आप मतलब Investor होते हैं
यहां पर अगर कंपनी अच्छा परफॉर्म करती है जैसे उसकी growth अच्छी होती है, या कंपनी का रिजल्ट अच्छा आता है या कंपनी के Product बढ़िया प्रदर्शन करते हैं
तब और लोग इसमें पैसा लगाते हैं जब इसके स्टॉक की डिमांड बढ़ने लगती है तब इसका प्राइस ऊपर जाने लगता है फिर वहां पर आपने जो भी Stocks Hold कर रखे होंगे उनका Price अपने आप बढ़ने लगता है|
ठीक उसी प्रकार से अगर कंपनी घटिया प्रदर्शन करें, या उसका रिजल्ट खराब है या कोई भी और कारण हो सकता है जैसे कंपनी का मैनेजमेंट में कोई दिक्कत है आ जाए तब लोग इसके शेयर में बिकवाली शुरू कर देते हैं
तब इसका प्राइस गिरने लगता है लेकिन यह सारी बातें बड़े लेवल पर होती है, Stocks के केस में सिर्फ Buyers और Sellers ही मिलकर किसी भी स्टॉक की कीमत को तय करते हैं कि वह बढ़ेगा
गिरेगा, इसलिए खरीदने वाला और बेचने वाला के ऊपर निर्भर करती है किसी भी स्टॉक की कीमत
अगर आप के स्टॉक की कीमत गिरने लगी तब आपकी होल्डिंग की वैल्यू अपने आप घटने लगेगी जो आपको MTM में नजर आएगी|
अब आपको समझ में आ गया होगा कि एमटीएम आखिर क्यों Change होता रहता है और इसका मतलब क्या होता है
आपने कभी गौर किया होगा कि आपका MTM चल रहा होता है लेकिन अगर आप कभी दूसरा एक आर्डर लगाते हैं
और उस आर्डर में MIS RMS Blocked order rejected का एक मैसेज आ जाता है.
यह ऑर्डर आपका क्यों रिजेक्ट हो जाता है. अगर यह आर्डर लग जाता है तब आपका MTM और भी अच्छा हो सकता था.
What is LTP
LTP Stock Market me kya hota hai
Last Traded Price full form of LTP
इसके बारे में बात करते हैं, इसका नाम से ही मतलब निकल रहा है की आखरी सौदा किस भाव पर हुआ था
जैसे कोई स्टॉक का हम उदाहरण लेते हैं
मान लिया Hevals compay अभी का भाव आपको 1280.51 दिखा रहा है
जब आप अपने डिमैट अकाउंट में देखेंगे जो सबसे आखरी टाइम पर stock की कीमत थी वही उसकी LTP होती है|
DP kya hota hai Stock Market me ये भी जाने
What is ATP
ATP Stock मार्जिन ट्रेडिंग कैसे काम करती है Market me kya hota hai
Average Trading Price is a full form of ATP
किसके बारे में बात करते हैं, यह एक ऐसा सौदा होता है, जो पूरे दिन का आप इसको कह सकते हैं या फिर आप किसी वक्त भी इसका Average Price Calcuate कर सकते हैं
ATP को कैलकुलेट करने के लिए हमें किसी स्टॉक का Low और High देखना होता है
फिर Low और High के बीच का हम एक Average Price निकाल लेते हैं जो कि Stock का ATP होता है
चलो समझते हैं, ATP को
Adani का कोई भी Stock अभी मान लिया 350Rs पर Low बनाता है , और इसका High 362 Rs है
तब इसका ATP 350+362/2= 356 LTP दिखाएगा
यह काफी तेजी से fluactuate होता रहता है इसलिए आपको यह बहुत तेजी से बदलता भी नज़र आता है
जैसे MTM बदलता रहता है
आपको यह जानकारी हो गई होगी MTM क्यों बदलता रहता है
ATP क्या है और LTP स्टॉक में क्यों दिखाता है
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ट्रेडिंग शुरू करने से पहले स्टॉकब्रोकर कैसे चुनें?
आर्थिक मंदी के बावजूद, खोले जा रहे नए डीमैट खातों की संख्या जो मार्च २०१९ तक 35.9 मिलियन थी वो मार्च 2020 में बढ़कर 40.8 मिलियन हो गई है। इसके अलावा, इक्विटी कैपिटल मार्केट्स ने अगस्त 2020 को समाप्त.
आर्थिक मंदी के बावजूद , खोले जा रहे नए डीमैट खातों की संख्या जो मार्च २०१९ तक 35.9 मिलियन थी वो मार्च 2020 में बढ़कर 40.8 मिलियन हो गई है । इसके अलावा , इक्विटी कैपिटल मार्केट्स ने अगस्त 2020 को समाप्त होने वाली 5 महीने की में अवधि 24% की साल दर साल की वृद्धि दिखाई है। नए डीमैट खातों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि और शेयर बाजार गतिविधियों में बढ़ोतरी भारतीय शेयर बाजार में रीटेल निवेशकों की बढ़ते हुए भागीदारी को दर्शाता है।
शेयर बाजार में ट्रेडिंग करने वाले नए निवेशकों के पास फुल -सर्विस ब्रोकरेज फर्म और डिस्काउंट ब्रोकरेज फर्म यह दो विकल्प होते है।
डिस्काउंट ब्रोकरेज बनाम फुल -सर्विस ब्रोकरेज
भारतीय ब्रोकरेज उद्योग पिछले कुछ वर्षों में इन दो प्रमुख सेवाओं को प्रदान कर रही है -
डिस्काउंट ब्रोकर : एक डिस्काउंट ब्रोकर वह है जो डीमैट और ट्रेडिंग खातों की बुनियादी सेवाएं किफायती मूल्य में प्रदान करता है। यहाँ आप न केवल सब्सक्रिप्शन प्लान्स का चयन कर सकते हैं बल्कि कम ब्रोकरेज दरों का लाभ भी उठा सकते है।
फुल -सर्विस ब्रोकर : ये वित्तीय संस्थान हैं जो स्टॉक ट्रेडिंग सेवाओं के साथ-साथ अनुसंधान और सलाह प्रदान करते हैं। हालांकि, वे तुलनात्मक रूप से अधिक ब्रोकरेज लेते हैं जो आपके ट्रेडिंग वॉल्यूम के आनुपातिक होते हैं।
आजकल अधिकतर नए निवेशकों का डिस्काउंट ब्रोकरेज की ओर अधिक झुकाव है क्योंकि यह उनको कम मूल्य पर अधिक ट्रेड करने का मौका देता है।
ब्रोकर चुनते समय इन तथ्यों का विचार करे : ब्रोकर का चयन आपके ट्रेडिंग करने के अनुभव और ट्रेडिंग के दौरान जो ब्रोकरेज के खर्च आते हैं उसपे उल्लेखनीय प्रभाव डालेगा। नीचे कुछ महत्वपूर्ण मापदंड दिए गए हैं जिनका मूल्यांकन आप एक सही ब्रोकर को चुनने के दौरान कर सकते है।
ब्रोकरेज शुल्क : ब्रोकरेज शुल्क का महत्व बहुत है चाहे आप कभी कभी या बढ़ी मात्रा में निरंतर निवेश करने में रूचि रखते हो। आपको हर खरीद-बिक्री के लिए ब्रोकरेज शुल्क का भुगतान करना होता है और इसलिए कम ब्रोकरेज शुल्क आपके कुल आय पे बहुत अधिक प्रभाव डालेगा। बजाज फाइनेंशियल सिक्योरिटीज लिमिटेड (बीएफएसएल) अपने विशिष्ट शुल्क मॉडल की सहायता से सबसे बेहतर ब्रोकरेज प्रदान करता है। बीएफएसएल के किफायती सब्सक्रिप्शन पैक्स की सहायता से आप इक्विटी (इंट्राडे और डिलीवरी) में हर आर्डर पे रु. ०.९९ का फ्लॅट रेट हासिल कर सकते है।
BFSL डीमैट खाते के माध्यम से रु. 999 (+GST) के सालाना सब्सक्रिप्शन चार्ज वाले पैक के साथ आप इक्विटी एफएंडओ ट्रेडिंग में हर आर्डर पे रु. ५ का फ्लॅट दर भी पा सकते हैं। इस प्रकार के कम ब्रोकरेज दरें एफएंडओ ट्रेडिंग में 75% तक बचत करने में सहायता कर सकते हैं।
इक्विटी एफएंडओ ट्रेडिंग पे 75 % तक के बचत का हिसाब बीएफएसएल के फ्लॅट रु. ५ ब्रोकरेज प्रति आर्डर और अन्य ब्रोकरेज जो रु. २० प्रति आर्डर इन दो ब्रोकरेज की तुलना करके होता है।
विश्वास : विश्वास एक महत्वपूर्ण पहलू है क्योंकि आप अपनी मेहनत से बचत करके निवेश कर रहे हैं। ऐसी घटनाएँ हुई हैं जिनमें निवेशकों के शेयर्स को उनके ज्ञान के बिना स्टॉक ब्रोकर द्वारा गिरवी रखा गया है। ऐसी घटनाएं निवेशकों के भरोसे को कमजोर करती हैं। हमेशा ऐसे ब्रोकर की तलाश करें जिसने बाजार में अपना विश्वास और विश्वसनीयता साबित किया है।
डिस्काउंट ब्रोकिंग भारत में नया है और इसी वजह से बाजार में अभी बहुत कम नाम है जो पूर्णतः स्थापित हो चुके हैं। मूल ब्रांड बजाज फाइनेंस लिमिटेड की विरासत और एक मजबूत लिक्विडिटी के साथ बीएफएसएल एक विश्वसनीय नाम है। इस कंपनी को क्रिसिल एएए/स्थिर का उच्च रेटिंग प्राप्त हुआ है। इसका मतलब है कि आपके निवेश बीएफएसएल के साथ सुरक्षित हैं।
सुरक्षा : आपके शेयर्स को किसी भी बाहरी पार्टी के मार्जिन ट्रेडिंग कैसे काम करती है दखलअंदाजी और खतरों से सुरक्षित रखना अनिवार्य है। इसलिए ऐसे ब्रोकर का चयन करना महत्वपूर्ण है जो अत्याधुनिक सुरक्षा मापदंड को अपनाते है। उदाहरण के तौर पे बीएसएफ़एल स्टॉक्स के बेचने पर टी-पिन पे आधारित प्रमाणीकरण को लागू किया है जो सीडीएसएल के नियम के अनुसार है। आप वन-टाइम प्रमाणीकरण पिन का उपयोग बिक्री को पूर्ण करने के लिए कर सकते है। यह आपके बिक्री पे एक अधिक सुरक्षा परत की तरह काम करता है।
सेवाओं की विस्तृत श्रृंखला : ट्रेडिंग गतिविधियाँ केवल स्टॉक ट्रेडिंग तक सीमित नहीं हैं। ट्रेडिंग में बढ़ते अनुभव के साथ आपको आईपीओ ( IPO ) , म्युचुअल फंड और अन्य में निवेश करने की आवश्यकता महसूस हो सकती है। एक सही ब्रोकर आपको मार्जिन ट्रेड फाइनेंसिंग (एमटीएफ) और लोन अगेंस्ट सिक्योरिटीज (एलएएस) जैसी सुविधाएँ प्रदान करेगा।
बीएफएसएल के साथ , आप इन सभी सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं। BFSL की मूल कंपनी BFL के माध्यम से, ग्राहक LAS सुविधा तक आसानी से पहुँच सकते हैं। BFL देश के सबसे बड़े NBFC में से एक है।
प्लेटफ़ॉर्म और खाता खोलना : बीएफएसएल के डिजिटल ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म आपको सुरक्षित मोबाइल और वेब पर ट्रेडिंग करने की सुविधा देते हैं। बिना कागज़ी काम किये खाता खोलने और सहज बैक-ऑफिस एकीकरण के साथ बीएफएसएल ट्रेडिंग को आसान मार्जिन ट्रेडिंग कैसे काम करती है बना देता है।
ग्राहक सेवा : आप एक ऐसा ब्रोकर चुनें जिसके पास एक स्थापित शिकायत निवारण प्रकिया और सहयोग उपलब्ध हो। अपनी मजबूत ग्राहक सेवा पद्धति के साथ बीएसएफ़एल एक अच्छे विकल्प के तौर पे उभरा है।
चाहे आप एक नए निवेशक हों, कभी कभी ट्रेडिंग करते हों, या एक पेशेवर निवेशक हो , बीएफएसएल रिटेल और एचएनआई ग्राहकों के लिए समान रूप से सेवाएं प्रदान करता है। सभी सेवाओं का लाभ उठाने के लिए बीएफएसएल के साथ डीमैट खाता खोलें और आज ही सहज ट्रेडिंग का अनुभव लें।
Disclaimer: ये कंटेंट Bajaj Finserv द्वारा वितरित किया गया है , कोई भी HT ग्रुप पत्रकार इस कंटेंट निर्माण में सामिल नहीं है |
Iron condor option strategy Hindi me|kaise banate hai
Iron condor option strategy example (option trading by iron condor, adjustments strategy in Hindi)
ऑप्शन ट्रेडिंग में अगर आप नेकेड कॉल या नेकेड put को शार्ट करते हैं तो वहां पर काफी बड़ा रिक्स हो जाता है इसलिए ऐसा आपको नहीं करना चाहिए.
आप अपनी पोजीशन को Hedge करके चले तो वहां पर risk काफी कम हो जाता है.
ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे करते हैं आयरन कोंडोर में
Iron condor ऐसी ही strategy है जो आपके ऑप्शन के रिस्क को कम करती है.
हेज्ड पोजीशन (Hedged Position) में मार्जिन की जरूरत कम होगी।
March 2020 से पहले इस iron condor strategy को करने के लिए लगभग 2.5 Lakh रुपए की जरूरत होती थी लेकिन अब यह मार्जिन बहुत ही कम कर दिया गया है तब यहां पर इसको करने के लिए सिर्फ 50 हज़ार रूपए से लेकर 60 हजार रुपए के अंदर कर सकते हैं.
Iron condor zerodha margin| adjustment nifty
अगर आप नेकेड फ्यूचर ऑप्शन में ट्रेडिंग करते हैं तब वहां पर रिस्क काफी ज्यादा होता है वही अगर आप अपनी पोजीशन को hedge कर देते हैं तब रिक्स काफी कम हो जाता है.
आपका रिस्क कम हो जाता है तो ब्रोकर का भी रिक्स कम हो जाता है जब रिक्स कम हो जाता है तब वहां पर पैसे की जरूरत कम पड़ती है मार्जिन ट्रेडिंग कैसे काम करती है इसलिए मार्जिन आपको वहां पर कम लगता है.
मार्जिन कैसे काम करता है
आपको पता होगा जितना कम रिस्क आप अपनी पोजीशन पर लेते हैं उतने ही कम मार्जिन की जरूरत होती है. मतलब ज्यादा रिस्क ज्यादा मार्जिन.
Iron condor strategy kaise kaam karti hai
आयरन कॉन्डॉर स्ट्रेटजी बनाने के लिए 4 setups की जरूरत पड़ती है. इसको short strangle में थोड़ा सा सुधार करके बनाया गया है.
चलो इसको एक निफ्टी का उदाहरण लेकर समझते हैं
पहले शॉर्ट straddle समझते हैं
Short straddle option strategy example
मैंने यहां निफ्टी का एक call option और एक Put option दोनों को एक ही महीने का दिसंबर महीने का Short कर दिया है.
Short straddle strategy graph
Nifty 17500 CE @251
Nifty 17800 PE@365
Iron condor strategy example with adjustment hindi
यहां पर हम देख रहे हैं जो हमें फाइनल मार्जिन की जरूरत पड़ रही है वह लगभग 1 Lakh रुपए के आस-पास लग रही है अब यहां पर मैंने ₹1 Lakh इसलिए बोला है क्योंकि हर 1 मिनट पर बदलता रहता है.
यहां पर दोनों ही ऑप्शन को Short किया जा रहा है
अब यहां पर हमें अगर फायदा होगा तो दोनों प्रीमियम का मिलाकर फायदा होगा
total premium 251+365 =616 rupees
हमें टोटल कितने रुपए का मिल जाएगा
नुकसान कितना हो सकता है| success rate
आपको फायदा तो बहुत आसानी से नजर आ गया लेकिन इसका बहुत ही खतरनाक एक रूप है जो कि नुकसान यहां पर बहुत ही बड़ा हो सकता है Unlimited Loss होने की संभावना है उसकी वजह यह मार्केट कितना भी एक तरफ बढ़ सकता है एक तरफ लगातार बढ़ने लगेगा तब यह strategy fail हो जाएगी पूरी तरीके से.
Short straddle strategy तभी काम आती है Range bound पूरे महीने consolidate होने की संभावना दिखती है.
लेकिन ज्यादातर होता क्या है कि मार्केट एक तरफ बहुत तेजी से भाग जाता है इसलिए यहां पर आपको अपना नुकसान से बचाने के लिए कुछ नहीं मिलता है.
ऐसे नुकसान से बचने के लिए क्या किया जाए.
Iron condor इसी को देख करके बनाया गया था कि ऐसे नुकसान से बचने के लिए आयरन कॉन्डॉर strategy काम आती है .
Short straddle में इसके ऊपर के दोनों सिरे खुले होते हैं. Bank nifty में भी इस स्ट्रेटेजी को कर सकते है
अगर हम इसके दोनों सिरों को बंद कर दे तब हमारा रिक्स बहुत ही सीमित हो जाएगा लेकिन हां मुनाफा भी बहुत ही सीमित हो जाएगा.
How to make iron condor| How to make money iron condor
आयरन कॉन्डॉर बनाने के लिए हमें इन बातों ध्यान रखना चाहिए
1 ATM ( At the money ) Call option को Sell करना
2 ATM ( At the money ) put option को Sell करना
3 OTM( out the money) call options ko buy करना
4 OTM( out the money) put option ko buy करना
अब यहां पर हम निफ्टी का Short straddle वाला ही strike price premium को लेते हैं
- Nifty 18000 CE dec OTM (out the money) 61 rupees
- Nifty 18000 CE dec OTM (out the money) 75 rupees
दोनों को खरीद लेते हैं.
इनको खरीदने से क्या फायदा होगा. जो Short straddle में Risk हो रहा था अब यहां पर वह रिस्क बहुत ही कम हो जाएगा
अगर मार्केट हमारी दिशा के हिसाब से नहीं चला तब यह Buy वाला ऑप्शन इसको बचा ले जाएगा.
Note: यहां पर हमने Buy option काफी छोटा लगाया है आप चाहे इसको और भी बड़ा खरीद सकते हैं . आप जितना बड़ा खरीदेंगे उतना अधिक रिस्क कम हो जाएगा और आपका मार्जिन भी कम हो जाएगा.
आपने यह देखा कि जब हम Short straddle बना रहे थे तब हमारा प्रीमियम के मार्जिन ट्रेडिंग कैसे काम करती है ऊपर जो मार्जिन लग रहा था वह लगभग 1 Lakh रुपए तक लग रहा था.
लेकिन अभी जो मार्जिन लग रहा है वह सिर्फ 48,000 या लगभग 50,000 तक लग रहा है अब आपने देखा कि यहां पर 2 मार्जिन ट्रेडिंग कैसे काम करती है फायदे हो रहे.
1 आपका मार्जिन कम हो गया
2 आपका रिस्क कम हो गया
3 ब्रोकर का रिस्क कम हो गया
यहां पर आप यह स्ट्रेटेजी बनाकर मेंटली फ्री भी हो सकते हैं. लेकिन यह स्ट्रेटेजी भी पूरी तरीके से फायदा कभी कभी नहीं देती है क्योंकि इसको adjust करना थोड़ा सा मुश्किल होता है.
होता क्या है कि जब आपने यह BUY OPTION खरीदा होता है वह तेजी से Melt करने लगता है.
जिसकी वजह से आप का मुनाफा काफी कम होने लगता है.
तब आपको इस आयरन कंडोर को पूरा Exit करके नया Iron condor बनाना होता है.
NSC के नए मार्जिन के नियम से आप hedge position मार्जिन की जरूरत काफी कम हो गई है
शार्ट स्ट्रैडले Short straddle काफी अच्छी strategy है लेकिन इसके दोनों सिरे खुले होते हैं जिस वजह से आपको बहुत ही ज्यादा नुकसान हो सकता है
आयरन कॉन्डॉर में यह दोनों सिरे जो खुले होते हैं उसको यह असीमित नुकसान से बचाते हैं
ETF क्या है (What is ETF in Hindi) | ETF कितने प्रकार के होते है
ETF क्या है (what is ETP in hindi)
MFI के अनुसार ETP एक्सचेंज प्रोडक्ट फण्ड एक इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट है जो इंडेक्स कमोडिटी बांड्स या स्टॉक्स के बॉक्स को ट्रैक करता है ETF का फुल फॉर्म exchange traded fund होता है वह रेगुलर स्टॉक्स की तरह ही स्टॉक एक्सचेंज पर ख़रीदा या बेचा जा सकता है किसी दुसरे स्टॉक की तरह थ्रू आउट buy और sell किये जा सकते है ETP भी रेगुलर स्टॉक ट्रेडिंग की तरह ही ट्रेडिंग फ्लेक्सिबिलिटी ऑफर करते है
जैसे की short selling ,limit order stop loss order, margin buying, हेजिंग इनके साथ साथ ETP और भी फ्लेक्सिबिलिटी फीचर ऑफर करते है traditional mutual fund और इंडेक्स फण्ड ऑफर नहीं कर पाते है एक ETP कई तरह से ट्रैक कर सकता है जैसे की (स्टॉक .बांड्स , करेंसी ,कमोडिटी ,गोल्ड) ETP मैनली पैसिव मैनेजमेंट के लिए इस्तेमाल किये जाते है ETP का उद्देश्य है एक Particular market इंडेक्स और स्ट्रेटेजी को मैच करना होता है.
ETF के कितने प्रकार होते है (different type of ETP)
मार्केट में आज कई तरह के ETP उपलब्ध है जैसे की निचे देख सकते है-
- sector-based ETFs
- market-cap weighted funds
- equal weighted funds
- debt ETFs
- gold ETFs
- smart beta ETFs
ETF में निवेश कैसे करे (how to invest in ETP)
निवेशक हर घंटे ETF (exchange traded fund) की यूनिट को मन चाहे खरीदकर इन्वेस्ट कर सकते है और निवेशक अपने ब्रोकर को राय दे सकते है या फिर ब्रोकर की तरफ से उपलब्ध कराये जाने वाले ऑनलाइन ट्रेडिंग एप्लीकेशन का उपयोग कर इन्वेस्टमेंट कर सकते है.
ETF में निवेश के लिए शर्त क्या है (condition of ETP)
ETF (exchange traded fund) में निवेश करने के लिए एक डीमेट अकाउंट के साथ ट्रेडिंग अकाउंट होना चाहिए कोई व्यक्ति 1 से ज्यादा अकाउंट खोल सकता है ETF में डीमेट अकाउंट के साथ साथ ट्रेडिंग अकाउंट की भी सुविधा दी जाती है जिससे की मल्टीपल निवेश को एक ही जगह से मैनेज कर सकते है इस अकाउंट को खोलने के लिए एक फॉर्म भरना होता है जिसके लिए KYC दस्तावेज की आवश्यकता होती है.
ETF कैसे काम करता है (how do work in ETP)
ETP (exchange traded fund) साधरण तौर पर अंडर लाइन इंडेक्स कम्पोजीशन की Performance रेफ्लिकेट करने में फोकस करते है मतलब ETP में भी इंडेक्स के चड़ने और उतरने पर बदलाव आता है ETP का रिटर्न और रिस्क BSE सेंसेक्स या सोने जैसे एसेट में उतार चड़ाव पर निर्भर करता है.
ETF के advantage और disadvantage क्या है ( ETP advantage or disadvantage)
ETF के advantage :
- ETF investor के वाइड वेरिएटी और इन्वेस्टर स्ट्रेटेजी एक्स्पोसर प्रोवाइड करते है जो ट्रेडिशनल mutual fund सही तरीके से कवर नहीं करते है
- mutual fund के अंतर में ETF के expensive ratio बहुत कम है
- better trading flexibility प्रोवाइड करते है
- ETF होल्डर्स को capital games टैक्स ग्रान नही करना पड़ता जिसकी वजह से mutual fund और ETF के अंतर में ETF ज्यादा टैक्स Efficient होते है
- mutual fund के compare में ETF का स्ट्रक्चर ज्यादा ट्रांसपेरेंट होता है
ETF के disadvantage :
- ETF में हर बार low फीस चार्ज नहीं होती है वो ETF जो Actively मैनेज स्ट्रेटेजी पर बेस्ड है उनकी फ्री प्रोफाइल actively manage mutual fund के सिमिलर होती है
- ETF में stock prices के तरह ही हाई intraday volatility भी होती है
- ETF हमेशा ही एक्चुअल इंडेक्स या बास्केट से लेग करेगा
- ETF में फाइनेंस डेरीवेटिव यूज़ करने की फ्लेक्सिबिलिटी की वजह से ETF का रिस्क प्रोफाइल अंडर लाइन इंडेक्स के compare में बहुत ज्यादा हाई रहता है
- एक ETF में इन्वेस्टर पार्टिसिपेशन ज्यादा ना होने से लिक्विडिटी बहुत कम हो सकती है दुसरे इन्वेस्टर को पार्टिसिपेट को रेस्ट्रिक्ट करती है
ETF सेलेक्ट करने से पहले किन बातो का मार्जिन ट्रेडिंग कैसे काम करती है रखे ध्यान ( ETP select carefully)
एक सही ETP ख़रीदा बहुत ही complicated और Convenient हो जाता है इन्वेस्टमेंट के ऑब्जेक्टिव के बियॉन्ड 4 बेसिक फेक्टर है जो इन्वेस्टर को ETF सेलेक्ट करने से पहले कंसीडर करना चाहिए
- tracking error : tracking error जितना कम होगा एक ETP उतना ही Efficiently अंडर लाइन को Replicate करेगा
2. Liquidity : फण्ड में जितनी ज्यादा Liquidity होगी उस ETP को ट्रेड करना उतना ही सरल होगा
3. TER (total expense ratio) : total expense ratio जितनी कम होगी इन्वेस्टर से expenses भी कम चार्ज किये जायेगे
4. AUM (assets under management) : फण्ड में AUM जितना ज्यादा होगा उतना ही इन्वेस्टर का फण्ड में इंटरेस्ट भी बढेगा जिससे TER कम हो जाएगी.
कमोडिटी बाजार से कमाई करने से पहले इन 7 बातों को जानना है जरूरी
कमोडिटी मार्केट में मार्जिन शेयर बाजार के मुकाबले काफी कम है
सवाल नंबर 2. क्या वे वही ब्रोकर्स हैं जो शेयर बाजार में भी ब्रोकिंग की सेवा देते हैं?
जवाब: आमतौर पर नहीं, लेकिन इक्विटी में ब्रोकिंग की पेशकश करने वाले कई ब्रोकर्स ने कमोडिटी ब्रोकिंग सेवाओं के लिए सहायक कंपनी बनाई हैं. उदाहरण के तौर पर एंजेल कमोडिटीज, कार्वी कमोडिटीज जैसी कंपनियां कमोडिटी एफएंडओ (फ्यूचर एवं ऑप्शन) ब्रोकिंग की पेशकश अपनी सहायक कंपनियों के जरिए करती हैं. इसका मतलब है कि यदि आप ट्रेड करना चाहते हैं तो आपको अपने इक्विटी खाते से अलग डीमैट / ट्रेडिंग अकाउंट खोलना होगा.
सवाल नंबर 3. क्या कमोडिटीज की डिलीवरी अनिवार्य है?
जवाब: ज्यादातर कृषि वायदा, जैसे खाद्य तेल, मसाले, आदि की डिलीवरी अनिवार्य है. लेकिन आप डिलीवरी से पहले पोजीशन खत्म कर सकते हैं. गैर-कृषि नॉन एग्री कमोडिटीज में, अधिकांश वस्तुओं जैसे सोने और चांदी में नॉन डिलीवरी आधारित हैं.
सवाल नंबर 4. क्या कमोडिटी में यह ट्रेडिंग शेयरों में एफएंडओ ट्रेडिंग जैसी है?
जवाब: हां. उसमें, मार्क-टू-मार्केट दैनिक आधार पर तय किया जाता है, लेकिन मार्जिन शेयर बाजार के मुकाबले काफी कम है.
सवाल नंबर 5. ट्रेडिंग करने के लिए मार्जिन क्या हैं?
जवाब: आम तौर मार्जिन ट्रेडिंग कैसे काम करती है पर 5-10 फीसदी, लेकिन कृषि वस्तुओं में, जब उठापटक आती है, एक्सचेंज अतिरिक्त मार्जिन लगा देते हैं. एक्सचेंज लॉन्ग या शॉर्ट साइड में स्पेशल मार्जिन लगा देते हैं, जो मौजूदा मार्जिन का कभी-कभी 30-50 फीसदी अधिक हो सकता है.
सवाल नंबर 6.कमोडिटी एफएंडओ बाजार को कौन नियंत्रित करता है?
जवाब:सेबी मेटल्स और एनर्जी मार्केट के शीर्ष कमोडिटी एक्सचेंज मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज यानी एमसीएक्स और कृषि कमोडिटी एक्सचेंज एनसीडीईएक्स जैसे एक्सचेंजों को रेगुलेट करता है.
सवाल नंबर 7. किन कमोडिटीज में ज्यादा ट्रेड होता है ?
जवाब: नॉन-एग्री कमोडिटीज में सबसे ज्यादा ट्रेडिंग सोने, चांदी, कच्चा तेल, कॉपर आदि जैसी कमोडिटीज में होती है, जबकि नॉन एग्री कमोडिटीज की बात करें तो सोयाबीन, सरसों, जीरा, ग्वारसीड जैसे काउंटर्स में ठीक-ठाक ट्रेडिंग होती है.
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