बिटकॉइन जैसी आभासी मुद्राएं डिजिटल रूप से एन्क्रिप्टेड, विकेंद्रीकृत और किसी भी सरकार द्वारा लिंक या नियंत्रित नहीं हैं। दूसरी ओर, सीबीडीसी के पास सरकार द्वारा समर्थित फिएट मुद्रा का डिजिटल संस्करण होगा।
JNU Times
Bitcoin की कीमत 2015 के बीच तक $250 तक थी वही नवंबर 2021 में बिटकॉइन की कीमत बढ़कर $68000 हो गई। मतलब सीधा सीधा 250 गुणा Returns लोगो को मिले जो कागजी मुद्रा और बिटकॉइन के बीच अंतर शायद ही किसी और जगह से लोग कमा कागजी मुद्रा और बिटकॉइन के बीच अंतर पाते और इसकी वजह से ही लोग Crypto की तरफ गए और आज भारत में Crypto Investers जो है वे Stock Investers से ज्यादा है।
वैसे तो बिटकॉइन और क्रिप्टो करेंसी दोनो ही अलग है क्रिप्टो में बिटकॉइन जैसी बहुत सी करेंसी है लेकिन आपको समझाने के लिए हम दोनो को साथ लेकर चलेंगे।
भारी उतार चढ़ाव वाला मार्केट
- CryptoCurrency में निवेश करना काफी जोखिम भरा कार्य है क्योंकि बिना Regulations के इसमें भारी उतार चढ़ाव आते है।
बिटकॉइन का बुलबुला कभी भी फूट सकता है
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कागजी मुद्रा और बिटकॉइन के बीच अंतर
- प्राचीन काल में भारत में पहले सोने चांदी के सिक्के चलते थे इसके बाद कागज के नोट आए लेकिन बिटकॉइन ना ही तो कोई करेंसी कागजी मुद्रा और बिटकॉइन के बीच अंतर है और ना ही कमोडिटी।
क्रिप्टो करंसी पर तो बैन लगना ही चाहिए
लेखकः भरत झुनझुनवाला
क्रिप्टो करंसी क्या है, यह जानना जरूरी है। मान लीजिए 100 कंप्यूटर विशेषज्ञ एक हॉल में अलग-अलग क्यूबिकल में बैठे हुए हैं और वे एक सुडुको के पजल को हल कर रहे हैं। जिसने यह पजल कागजी मुद्रा और बिटकॉइन के बीच अंतर पहले हल कर लिया, उसके हल को सबने देखा और अनुमोदित कर दिया कि हां, यह हल सही है तो उसे एक बिटकॉइन दे दिया गया। इसके बाद सबने सुडुको के अगले चरण के लिए अपने-अपने सुझाव दिए। एक कंप्यूटर ने इन सुझावों को मिलाया और एक नया सुडुको पजल उन्हीं 100 लोगों को दे दिया। दोबारा इनमें से जिसने सबसे पहले सुडुको को हल किया, उसे फिर से लोगों ने चेक किया और सही पाए जाने पर उसे एक और बिटकॉइन दे दिया गया। ध्यान रहे, यह बिटकॉइन केवल एक ‘नंबर’ होता है, जो एक कंप्यूटर द्वारा बनाया जाता है। जिसके पास वह ‘नंबर’ है, वही उस बिटकॉइन का मालिक है। यह नंबर ही चेक बुक है।
RBI लॉन्च कर सकता है ई-मुद्रा: कैसे होगी कागजी मुद्रा और बिटकॉइन के बीच अंतर क्रिप्टोकरेंसी से अलग?
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के कागजी मुद्रा और बिटकॉइन के बीच अंतर गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को कहा कि केंद्रीय बैंक इस साल दिसंबर तक अपनी डिजिटल मुद्रा का संचालन शुरू कर सकता है। दास ने एक साक्षात्कार में कहा कि आरबीआई इसके लिए चरणबद्ध क्रियान्वयन रणनीति पर काम कर रहा है।
उन्होंने कहा कि बैंक सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) के बारे में “बेहद सतर्क” है, जो इसके लिए एक नया उत्पाद है।
यह देश के केंद्रीय बैंक के गवर्नर का एक महत्वपूर्ण बयान है क्योंकि क्रिप्टोकरेंसी लोकप्रियता में बढ़ रही है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही आरबीआई के 2018 के सर्कुलर को बैंकों और वित्तीय संस्थानों को बिटकॉइन सहित क्रिप्टोकरेंसी के संचालन या लेनदेन करने वाले किसी भी व्यक्ति कागजी मुद्रा और बिटकॉइन के बीच अंतर या व्यावसायिक इकाई को सेवाएं प्रदान करने से प्रतिबंधित कर दिया है।
पिछले महीने एक वेबिनार में, आरबीआई के डिप्टी गवर्नर टी रबी शंकर ने कहा कि सीबीडीसी का समय आ गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने देश में क्रिप्टोकरेंसी में व्यापार की अनुमति दी
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उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को देश में क्रिप्टोकरेंसी में व्यापार की अनुमति प्रदान कर दी। उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) द्वारा जुलाई 2018 से बैंकों और वित्तीय संस्थानों द्वारा क्रिप्टोकरेंसी के संबंध में सेवाएं प्रदान करने या क्रिप्टोकरेंसी व्यापार से निपटने के संबंध में लगाए गए प्रतिबंध को हटा दिया।
जस्टिस रोहिंटन नरीमन, जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की तीन जजों की पीठ ने फैसला सुनाते हुए 2018 के परिपत्र/ अधिसूचना को रद्द कर दिया है। इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएएमएआई) की याचिका पर ये फैसला दिया गया है।
इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने 2018 के RBI सर्कुलर पर आपत्ति जताते हुए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, जिसने बिटकॉइन सहित क्रिप्टोकरेंसी से निपटने के लिए बैंकों और वित्तीय संस्थाओं को निर्देश जारी किए थे। अब देश के सभी बैंक इसका लेन-देन शुरू कर सकते है।
virtual currency: क्या क्रिप्टोकरेंसी की जगह ले पाएगी CBDC
- Shishir Sinha
- Updated On - July 24, 2021 / 03:54 PM IST
एक्सचेंजों के अनुसार लगभग 105 मिलियन भारतीय क्रिप्टो संपत्ति रखते हैं और व्यापारियों की संख्या लगभग 1 मिलियन है.
virtual currency: नोबल पुरस्कार विजेता अमेरिकी अर्थशास्त्री जेम्स टोबिन की एक सोच फिर से भारत में चर्चा में आ गई है. वैसे तो टोबिन थोड़े समय कागजी मुद्रा और बिटकॉइन के बीच अंतर के वित्तीय लेनदेन के जरिए भारी सट्टेबाजी और उतार-चढ़ाव पर लगाम के लिए लगाए जाने वाले खास टैक्स की अवधारणा सबके सामने रखने के लिए कागजी मुद्रा और बिटकॉइन के बीच अंतर जाने जाते हैं, लेकिन उनके नाम के साथ एक और सोच जोड़ी जाती है. और वह है सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC). करीब तीन दशक से भी ज्यादा समय पहले उन्होंने अमेरिकी फेडरल रिजर्व को एक ऐसा माध्यम लोगों को मुहैया कराने कागजी मुद्रा और बिटकॉइन के बीच अंतर का सुझाव दिया जिसमें जमा की सुविधा हो और नकदी की सुरक्षा हो. माना जाता है कि यह CBDC को लेकर पहली बड़ी सोच थी.
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