Ecuador

रुपए का इतिहास | Bharat ki mudra rupya ki janakri

भारतीय रुपये का इतिहास बहुत पुराना है। भारतीय मुद्रा की कई इकाइयां रही हैं जिनके बारे में शायद आपको भी न पता हो। खुद के लिए सबसे सुरक्षित मुद्रा कौन सी है लेकिन ये ज़रूरी है कि भारतीय मुद्रा के इस सफर की सभी इकाइयों के बारे में आप खुद भी जानें और अपने बच्चों को भी बताएं।

भारतीय रुपया का चिह्न ₹ है। इसका बाज़ार नियामक और जारीकर्ता भारतीय रिज़र्व बैंक है। नये प्रतीक चिह्न के आने से पहले रुपये को हिन्दी में दर्शाने के लिए 'रु' और अंग्रेजी में Re. (१ रुपया), Rs. का प्रयोग किया जाता था।

भारत के अधिकांश भागों में रुपये को अलग अलग नामों से भी जाना जाता है। हिन्दी में रुपया, गुजराती (રૂપિયો) में रुपियो, तेलुगू (రూపాయి), तुलू भाषा (ರೂಪಾಯಿ) और कन्नड़ (ರೂಪಾಯಿ) में रूपाइ, तमिल (ரூபாய்) में रुबाइ, मलयालम (രൂപ) में रूपा, मराठी (रुपये) में रुपये या संस्कृत से निकले शब्द रूप्यकम्, रूप्यकं इत्यादि अन्य नाम से भी बोला जाता है। पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, मिज़ोरम, उड़ीसा और असम में रुपये खुद के लिए सबसे सुरक्षित मुद्रा कौन सी है को आधिकारिक रूप से संस्कृत के तनक नाम से जाना जाता है। इसलिए रुपये को बंगाली में टका (টাকা), असमिया में तोका (টকা) और उड़िया में टन्का (ଟଙ୍କା) के नाम से जाना जाता है और रोमन अक्षर 'T' से भारतीय बैंकनोटों में दर्शाया जाता है।

भारतीय मुद्रा रुपया के बारे में कुछ इंटरेस्टिंग फैक्ट

भारतीय मुद्रा के लिए एक आधिकारिक प्रतीक-चिह्न दिनांक 15 जुलाई, 2010 को चुना गया है जिसे आईआईटी गुवाहाटी के प्रोफेसर डी. उदय कुमार ने डिज़ाइन किया है।

अमेरिकी डॉलर, ब्रिटिश पाउण्ड, जापानी येन और यूरोपीय संघ के यूरो के बाद रुपया पाँचवी ऐसी मुद्रा बन गया है, जिसे उसके प्रतीक-चिह्न से पहचाना जाएगा।

रुपया शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम शेर शाह सूरी ने भारत मे अपने शासन १५४०-१५४५ के दौरान किया था। शेर शाह सूरी ने अपने शासन काल में जो रुपया चलाया वह एक चाँदी का सिक्का था जिसका भार १७८ ग्रेन (११.५३४ ग्राम) के लगभग था। उसने तांबे का सिक्का जिसे दाम तथा सोने का सिक्का जिसे मोहर कहा जाता था, को भी चलाया।

शेर शाह सूरी के शासनकाल के दौरान आरम्भ किया गया 'रुपया' आज तक प्रचलन में है। भारत में ब्रिटिश राज के दौरान भी यह प्रचलन में रहा, इस दौरान इसका भार ११.६६ ग्राम था और इसके भार का ९१.७ प्रतिशत तक शुद्ध चाँदी थी।

भारत विश्व कि उन प्रथम सभ्यताओं में से है जहाँ सिक्कों का प्रचलन लगभग छठी सदी ईसापूर्व में शुरू हुआ।

शुरूआत में एक रूपए को 16 आनों, 64 पैसों या 192 पाई में बाँटा गया। यानी 1 आना 4 पैसों या 12 पाई मे विभाजित था।

कागज के नोटो की शुरूआत

शुरूआत मे बैंक ऑफ बंगाल द्वारा जारी किए गए कागज के नोटो पे केवल एक तरफ ही छपा होता था। इसमे सोने की एक मोहर बनी थी और यह १००, २५०, ५०० आदि वर्गो मे थे। बाद के नोट मे एक बेलबूटा बना था जो एक महिला आकृति, व्यापार का मानवीकरण दर्शाता था। यह नोट दोनो ओर छपे होते थे, तीन लिपिओं उर्दू, बंगाली और देवनागरी मे यह छपे होते थे, जिसमे पीछे की तरफ बैंक की छाप होती थी। १८०० सदी के अंत तक नोटों के मूलभाव ब्रितानी हो गए

मुद्रा के तौर पर आज हम जिस रुपये का प्रयोग करते हैं उसका चलन भारत में सदियों से है, फर्क सिर्फ इतना है कि तब भारत में मुद्रा के तौर पर चांदी और सोने के सिक्के चलन में थे। यह चलन 18वीं सदी के पूर्वार्ध तक बरकरार था लेकिन जब यूरोपीय कंपनियां व्यापार के लिए भारत में आयीं तब उन्होंने अपनी सहूलियत के लिए यहां निजी बैंक की स्थापना की, और फिर इसके बाद से ही चांदी और सोने की मुद्रा की जगह कागजी मुद्रा का चलन शुरू हो गया। भारत की सबसे पहली कागजी मुद्रा कलकत्ता के बैंक ऑफ हिंदोस्तान ने 1770 में जारी की थी। इन ब्रिटिश कंपनियों का व्यापार जब बंगाल से बढ़कर मुंबई, मद्रास तक पहुंच गया, तब इन जगहों पर अलग-अलग बैंकों की स्थापना शुरू हुई। इसके भारत में काग़ज़ का नोट सबसे पहले जनरल बैंक ऑफ बंगाल एंड बिहार ने 1773 में शुरू किया था.इसके बाद बैंक ऑफ बंगाल, बैंक ऑफ बंबई और बैंक ऑफ मद्रास ने कागजी मुद्राएं जारी की थी । इन बैंकों को अपने-अपने सर्किल में नोट जारी करने के अधिकार एक चार्टर के तहत दिया गया था

बैंक ऑफ़ बंगाल की स्थापना 50 लाख रुपए की पूंजी के साथ 1806 में बैंक ऑफ कलकत्ता के रूप में की गई थी.इस बैंक की ओर से जारी नोट पर बैंक का नाम और नोट की क़ीमत (100, 250, 500 रुपए) तीन लिपियों उर्दू, बांग्ला और नागरी में छापी गई थीं और जाली बनने से रोकने के लिए उनमे अन्य कई पहचान चिन्ह भी जोडे गए।

कागजी मुद्रा अधिनियम, 1861 के साथ भारत सरकार को नोट जारी करने का एकाधिकार दिया गया। इसके साथ ही प्रेसिडेंसी बैंकों के नोट ख़त्म हो गए। भारत में सरकारी काग़ज़ी मुद्रा शुरू करने का श्रेय पहले वित्त सदस्य जेम्स विल्सन को जाता है। उनकी असामयिक मौत के कारण भारत में सरकारी काग़ज़ी मुद्रा जारी करने का काम सैम्युल लाइंग ने संभाला। अँग्रेजी राज में कागजी मुद्रा का कामकाज टकसाल मास्टरों, महालेखाकारों और मुद्रा नियंत्रक को दिया गया । ब्रिटिश इंडिया के पहले नोटों के सेट पर रानी विक्टोरिया की तस्वीरें थीं।

आजाद भारत और कागजी मुद्रा

आधुनिक भारत के रुपये का इतिहास 1947 में आजादी के बाद से शुरू होता है। आजाद भारत का पहला नोट एक रुपये का था, जिसे1949 में जारी किया गया था। इस नोट पर सारनाथ का अशोक स्तंभ अंकित था। इसके बाद नोट में कई बदलाव हुए और उस पर गेटवे ऑफ इंडिया, बृहदेश्वर मंदिर के चित्र भी छापे गये। वर्ष 1953 में भारत सरकार द्वारा जो नोट छापा गया उस पर हिंदी भाषा में भी लिखा गया। इन नोटों के जारी होने के दशकों बाद 1996 और 2005 में जारी नोट पर महात्मा गांधी की फोटो छपनी शुरू हुई। इसके बाद रुपये की नकल को रोकने के लिए उसमें कई सारे सिक्योरिटी फीचर्स डाले गये। दृष्टिहीनों की सहूलियत के लिए भी आज के नोट में कई फीचर्स डाले गये हैं. आज की अगर बात करें, तो 5, 10, 20, 50, 100, 500 और 2000 के कागजी नोट चलन में हैं।

आठ नवंबर, 2016 की रात आठ बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के संबोधन में पैसों की मात्रा को नियंत्रित करने के लिए, भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री ने घोषणा करते हुए 1000 के नोट को बंद किया जाये और पांच सौ और हजार के पुराने नोटों को हटा कर पांच सौ और दो हजार के नये नोटों को चलन में लाया गया। ताकि नोटबन्दी करके भ्रष्टाचार, काला-धन, नकली नोट जैसी गतिविधियों पर काबू पाया जा सके। मुद्राओं के रंग-रूप और मूल्य कई बार बदले गये हैं तथा उनमें जालसाजी रोकने के लिए सुरक्षा के उपाय समय समय पर किये जाते रहे हैं।

सीआरआर या कैश रिजर्व रेशियो (नकद आरक्षित अनुपात) क्या होता है?

4 मई, 2022 को आरबीआई ने नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में 50 आधार अंकों की बढ़ोत्तरी कर 4.5% तक ला दिया, जो एक ऐसा कदम है जिससे ब्याज दरों पर दबाव पड़ने की संभावना है। हालांकि, इस कदम के पूरे असर को समझने के लिए हमें इस बात की अच्छी समझ होनी जरूरी है कि नकद आरक्षित अनुपात या सीआरआर क्या होता है।

Recent Podcasts

Read in other Languages

Polls

  • Property Tax in Delhi
  • Value of Property
  • BBMP Property Tax
  • Property Tax in Mumbai
  • PCMC Property Tax
  • Staircase Vastu
  • Vastu for Main Door
  • Vastu Shastra for Temple in Home
  • Vastu for North Facing House
  • Kitchen Vastu
  • Bhu Naksha UP
  • Bhu Naksha Rajasthan
  • Bhu Naksha Jharkhand
  • Bhu Naksha Maharashtra
  • Bhu Naksha CG
  • Griha Pravesh Muhurat
  • IGRS UP
  • IGRS AP
  • Delhi Circle Rates
  • IGRS Telangana
  • Square Meter to Square Feet
  • Hectare to Acre
  • Square Feet to Cent
  • Bigha to Acre
  • Square Meter to Cent
  • Stamp Duty in Maharashtra
  • Stamp Duty in Gujarat
  • Stamp Duty in Rajasthan
  • Stamp Duty in Delhi
  • Stamp Duty in UP

These articles, the information therein and their other contents are for information purposes only. All views and/or recommendations are those of the concerned author personally and made purely for information purposes. Nothing contained in the articles should be construed as business, legal, tax, accounting, investment or other advice or as an advertisement or promotion of any project or developer or locality. Housing.com does not offer any such advice. No warranties, guarantees, promises and/or representations of any kind, express or implied, are given as to (a) the nature, standard, quality, reliability, accuracy or otherwise of the information and views provided in (and other contents of) the articles or (b) the suitability, applicability or otherwise of such information, views, or other contents for any person’s circumstances.

Housing.com shall not be liable in any manner (whether in law, contract, tort, by negligence, products liability or otherwise) for any losses, injury or damage (whether direct or indirect, special, incidental or consequential) suffered by such person as a result of anyone applying the information (or any other contents) in these articles or making any investment decision on the basis of such information (or any such contents), or otherwise. The users should exercise due caution and/or seek independent advice before they make any decision or take any action on the basis of such information or other contents.

विश्व कप 2022: कतर कहां है, यह किस महाद्वीप पर है और वे कौन सी भाषा बोलते हैं?

इसके अलावा, पता करें कि कतर में किस मुद्रा का उपयोग किया जाता है और 2022 विश्व कप में अपने चयन के साथ आने पर आपके द्वारा किए जाने वाले बुनियादी खर्चों की कीमतें।

infobae

कतर 2022 विश्व कप में! योग्य देशों के सभी प्रशंसक निस्संदेह खुश हैं कि विश्व कप में उनके पास पहले से ही एक सुरक्षित स्थान है। उन देशों के मामले में जो अभी भी पुनरावृत्ति की प्रतीक्षा कर रहे हैं, उत्साह कम नहीं है और यह स्पष्ट है कि पहले से ही ऐसे लोग हैं जो रहने के बारे में बुनियादी जानकारी पा रहे हैं का देश विश्व कप 2022। यदि आप जानना चाहते हैं कि कतर कहां है, यह किस महाद्वीप पर है, भाषा, मुद्रा का प्रकार, लागत यात्रा और अधिक, फिर यहां वह है जो आप खोजेंगे।

एक और तारीख भी बहुत खुद के लिए सबसे सुरक्षित मुद्रा कौन सी है स्पष्ट है कि कतर 2022 विश्व कप की है, जो सोमवार, 21 नवंबर, 2022 से शुरू होगी और 32 को ध्यान में रखेगी टीमें जो दुनिया भर में कप के लिए प्रतिस्पर्धा करेंगी। इस आयोजन की मेजबानी के लिए फीफा द्वारा चुना गया देश कतर है, जो कुछ साल पहले तक अच्छी तरह से ज्ञात नहीं था , लेकिन जिसने निस्संदेह एक महान लोकप्रियता हासिल की है क्योंकि यह ज्ञात हो गया है कि यह विश्व कप की मेजबानी करेगा।

सबसे पहले, यह स्पष्ट किया जाना चाहिए कि संयुक्त राष्ट्र के अनुसार देश का नाम निम्नलिखित तरीकों से मान्य है: कतर और कतर नामकरण।

यह देश एशिया महाद्वीप पर स्थित है, ठीक उसी महाद्वीप के पश्चिम में। यह अरब मूल का एक संप्रभु राज्य है और अरब प्रायद्वीप के पूर्व में भी स्थित है। यह 11,586 किमी के क्षेत्रफल के साथ काफी छोटा देश है। इसकी एकमात्र सीमा सऊदी अरब की सीमा है, क्योंकि यह लगभग फारस की खाड़ी के पानी से घिरा हुआ है।

कतर का नक्शा

कतर का नक्शा। (फोटो: Google मानचित्र कैप्चर करें)

क़तर की राजधानी

कतर 2022 विश्व कप स्थल की राजधानी दोहा है। यह क्षेत्र काफी आधुनिक है और बदले में, अपने प्रभावशाली निर्माण और इमारतों के लिए प्रसिद्ध है। इसकी वास्तुकला सबसे अधिक है और उनमें से हमद अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो ग्रह पृथ्वी पर सबसे बड़ा और सबसे शानदार है।

इस क्षेत्र की मुख्य भाषा अरबी है, यह निस्संदेह 2022 विश्व कप के देश की मातृभाषा है।

यह ध्यान में रखता है कि अरबी के पास खुद को व्यक्त करने के दो तरीके हैं। उनमें से एक मानक तरीका है और दूसरा पारंपरिक है। ये अंतर तब उत्पन्न होते हैं जब विदेशियों के साथ प्रवास और संबंध हुआ।

क्या कतर में अरबी बोलना जरूरी है?

उन सभी के लिए जो विश्व कप की यात्रा करने का निर्णय लेते हैं, खबर यह है कि अरबी बोलना जरूरी नहीं है। आप दूसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा के साथ संवाद कर सकते हैं, जो अंग्रेजी है। यदि आप एक पर्यटक हैं, तो कतर में अंग्रेजी जानना और बोलना आपके लिए बहुत उपयोगी होगा । अन्य भाषाएँ जिन्हें जाना जाता है (अंग्रेजी जितनी नहीं) फ्रेंच, तागालोग, मलेशियाई, नेपाली, हिंदी, बलूची और उर्दू हैं।

क़तर में लोग

2017 में आयोजित कतर की नवीनतम राष्ट्रीय जनगणना के अनुसार, यह ज्ञात था कि इसकी आबादी 2 मिलियन 641,669 निवासियों की थी।

कतर एक बहुत समृद्ध देश है, यह कुछ भी नहीं है कि उन्होंने इस विश्व कप के लिए विशेष स्टेडियमों का निर्माण किया। अरब मूल के इस देश में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा प्राकृतिक गैस रिजर्व है, जो इसके सकल घरेलू उत्पाद और निश्चित रूप से स्थानीय अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।

यह दुनिया के सबसे शांतिपूर्ण देशों में 19 वें स्थान पर है।

QATAR में मुद्रा

कतर में इस्तेमाल की जाने वाली मुद्रा कतरी रियाल है।

यदि आप जानना चाहते हैं कि कतर के लिए आपके प्रवास और उड़ानों में कितना खर्च आएगा, तो यहां क्लिक करें

देश के 4 बड़े बैंक सबसे पहले शुरू करेंगे डिजिटल करेंसी, RBI ने तैयार की लिस्ट!

बिजनेस डेस्कः रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आर.बी.आई.) ने खुदरा बाजार के लिए अपनी डिजिटल मुद्रा (डिजिटल रुपया) लाने के लिए एक पायलट प्रोजैक्ट पर 5 बैंकों को शामिल किया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक ये बैंक हैं– स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, आई.सी.आई.सी.आई. बैंक, आई.डी.एफ.सी. फर्स्ट बैंक और एच.डी.एफ.सी. बैंक।

रिपोर्ट में इस मामले से परिचित लोगों का हवाला देते हुए कहा गया है कि भारतीय रिजर्व बैंक पायलट प्रोजैक्ट के लिए कुछ और बैंकों को जोड़ सकता है। यह प्रोजैक्ट जल्द ही शुरू होने की उम्मीद जताई गई है।

आर.बी.आई. केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सी.बी.डी.सी.) का परीक्षण करने के लिए एक-साथ 2 मोर्चों पर काम कर रहा है: एक थोक बाजार के लिए, जिसके लिए एक पायलट प्रोजैक्ट पहले से ही चल रहा है और दूसरा खुदरा अथवा रिटेल (सी.बी.डी.सी.आर) के लिए है।

कई चीजों पर चल रहा है विचार

केंद्रीय बैंक यह भी जानने की कोशिश कर रहा है कि क्या अपनी डिजिटल करेंसी के लिए एक नया ढांचा तैयार किया जाए या खुदरा सी.बी.डी.सी. को वर्तमान डिजिटल भुगतान प्रणाली के साथ इंटरऑप्रेबल बनाया जाए।

रिपोर्ट के अनुसार एक व्यक्ति ने बताया, “नैशनल पेमैंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एन.सी.पी.आई.) और आर.बी.आई. की मदद से पायलट प्रोजैक्ट को चलाने के लिए 5 बैंकों को शॉर्टलिस्ट किया गया है। कुछ ग्राहक और व्यापारी खातों को जल्द ही रिटेल में डिजिटल रुपया पायलट प्रोजैक्ट शुरू करने के लिए चुना जाएगा।”

कॉन्सैप्ट नोट में RBI ने दिया था ये सुझाव

पिछले महीने एक कॉन्सैप्ट नोट में आर.खुद के लिए सबसे सुरक्षित मुद्रा कौन सी है खुद के लिए सबसे सुरक्षित मुद्रा कौन सी है बी.आई. ने सुझाव दिया था कि वह 50,000 रुपए से कम मूल्य के सी.बी.डी.सी. खुदरा भुगतान को कोई नाम नहीं देने पर विचार कर रहा था, ठीक उसी तरह जैसे लोग छोटी मात्रा में नकद लेन-देन करते समय करते हैं।

निजी क्रिप्टोकरेंसी के बढ़ते प्रचलन के बीच दुनिया में कई देश अपनी डिजिटल मुद्राएं लॉन्च करने पर विचार कर रहे हैं। यह उसी ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित होगा, जिस पर क्रिप्टोकरेंसी होती है। सी.बी.डी.सी. का उद्देश्य नकदी पर निर्भरता को कम करना है।

सबसे ज्यादा पढ़े गए

सिद्धार्थनगर में हुआ भीषण सड़क हादसाः अनियंत्रित होकर एक बस पुलिया से गिरी नीचे, हादसे में 20 यात्री घायल

सिद्धार्थनगर में हुआ भीषण सड़क हादसाः अनियंत्रित होकर एक बस पुलिया से गिरी नीचे, हादसे में 20 यात्री घायल

सिद्धार्थनगरः तेज रफ्तार बस अनियंत्रित होकर पुलिया से गिरी नीचे, 20 यात्री घायल

सिद्धार्थनगरः तेज रफ्तार बस अनियंत्रित होकर पुलिया से गिरी नीचे, 20 यात्री घायल

नशा तस्करों पर पुलिस की कार्रवाई, शराब व नशीले कैप्सूलों सहित 3 गिरफ्तार

नशा तस्करों पर पुलिस की कार्रवाई, शराब व नशीले कैप्सूलों सहित 3 गिरफ्तार

इंदौर में फिर मिला कोरोना वायरस का पॉजिटिव मरीज, जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए भेजे सैंपल

इंदौर में फिर मिला कोरोना वायरस का पॉजिटिव मरीज, जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए भेजे सैंपल

इलेक्ट्रिक पॉलिसी : प्रशासन ने इंसेंटिव के रुप में 48.36 लाख रुपए के करीब राशि की जारी , 92 के करीब लोगों को मिला लाभ

इन 5 देशों के पास नहीं हैं खुद के ‘करेंसी’ दूसरे देश की मुद्रा से चला रहे काम

दुनिया में कई सारे ऐसे देश हैं जो न तो अपनी खुद की मुद्रा छापते हैं और न ही उनके पास खुद की मुद्रा है. यानी इन देशों के पास खुद का पैसा नहीं है.

By इंडिया रिव्यूज डेस्क Last updated Jan 24, 2022 2,320 0

भारत में जब भी आपको कोई चीज खरीदनी होती है तो आप उस व्यक्ति को रुपये देकर उसकी रकम अदा कर देते हैं. रुपया भारत की मुद्रा है और भारत खुद इसे छापता है. लेकिन दुनिया में कई सारे ऐसे देश हैं जो न तो अपनी खुद की मुद्रा छापते हैं और न ही उनके पास खुद की मुद्रा है. यानी इन देशों के पास खुद का पैसा नहीं है. (Without Currency Country) ये देश दुसरे देशों की मुद्रा से अपना काम चला रहे हैं. ऐसे ही 5 देशों के बारे में आप यहाँ जानने वाले हैं जिनके पास खुद की मुद्रा नहीं है.

जिम्बाब्वे की मुद्रा (Zimbabwe Currency)

जिम्बाब्वे पहले एक समृद्ध देश हुआ करता था. पहले ज़िम्बाब्वे के पास खुद की मुद्रा ‘ज़िम्बाब्वे डॉलर’ हुआ करती थी. साल 2009 में ज़िम्बाब्वे सरकार ने जरूरत से ज्यादा नोट छापे और ज़िम्बाब्वे के हर नागरिक के पास बोरे भर-भर कर नोट हो गए. आलम ये हुआ कि ज़िम्बाब्वे को महा महंगाई के दौर से गुजरना पड़ा. एक सेबफल लेने के लिए आपको एक बोरी ज़िम्बाब्वे डॉलर लेकर जाना पड़ता था.

देश में हुए इस महंगाई के दौर ने ज़िम्बाब्वे को खुद की मुद्रा खत्म करने की ओर प्रेरित किया. साल 2009 में जिम्बाब्वे ने अपनी खुद की मुद्रा समाप्त कर दी. अब जिम्बाब्वे में अलग-अलग देशों की मुद्रा चलती है. जैसे दक्षिण अफ्रीका की मुद्रा रैंड, ब्रिटिश पाउंड, यूरो, येन, यूएस डॉलर, ऑस्ट्रेलियन डॉलर.

इक्वाडोर की मुद्रा (Ecuador Currency)

दक्षिण अमेरिका में बसा खूबसूरत देश इक्वाडोर पहले काफी समृद्ध हुआ करता था. ये मुख्य रूप से अपने तेल संसाधनों पर निर्भर था. इक्वाडोर पर कई बार आर्थिक संकट आए जिसके चलते वो 10 बार दिवालिया हो चुका है.

Ecuador

साल 2000 में इक्वाडोर ने एक बड़े आर्थिक संकट का सामना किया जिसके बाद इसकी अर्थव्यवस्था कभी उभर नहीं पाई. ये देश कर्ज में चला गया. जिसके चलते इस देश को अपनी मुद्रा खत्म करनी पड़ी. अब इस देश में यूएस डॉलर चलता है.

मोनाको की मुद्रा (Monaco Currency)

यूरोपीय महाद्वीप में बसा मोनाको एक बहुत ही छोटा और खूबसूरत देश है. वेटिकन सिटी के बाद यदि कोई छोटा देश है तो वो मोनाको है. मोनाको पूरी तरह से फ्रांस पर आश्रित है. इसलिए यहाँ फ्रांस की मुद्रा यूरो मान्य है.

Monaco

फ्रांस की सबसे खास बात ये है कि यहाँ कोई गरीब नहीं है. इस देश की जीडीपी दुनिया में दूसरे नंबर पर आती है. यहाँ की अपराध की दर भी सबसे कम है. इतनी खूबियों के बावजूद भी इस देश की अपनी कोई मुद्रा नहीं है.

पनामा की मुद्रा (Panama Currency)

पनामा पेपर का नाम तो आपने खूब सुना होगा क्योंकि हर दो तीन महीने में पनामा पेपर लीक होते हैं और उनमें किसी सेलिब्रिटी का नाम आता है. असल में पनामा एक देश है जो मध्य अमेरिका में बसा है.

Panama

साल 1903 में अमेरिका की मदद से ये कोलम्बियाइ संघ से अलग हुआ और स्वतंत्र हुआ. अमेरिका का इस देश पर काफी प्रभाव है जिसके चलते यहाँ अमेरिकन डॉलर ही चलता है. यहाँ की पूरी अर्थव्यवस्था को अमेरिकन डॉलर कंट्रोल करता है.

नाउरु की मुद्रा (Nauru Currency)

नाउरु एक द्वीप राष्ट्र है. इसे दुनिया का सबसे छोटा द्वीप राष्ट्र कहा जाता है. इसका क्षेत्रफल 8.1 वर्ग किलोमीटर है. यहाँ की जनसंख्या 10 हजार है. ये एक ऐसा देश है जिसके पास न तो खुद की सेना है, न ही राजधानी है और न ही खुद की मुद्रा है.

Nauru

यहाँ पर ऑस्ट्रेलियन डॉलर मान्य है. इसके पीछे वजह ये है कि ये देश पहले जर्मनी के अधीन था. पहले विश्वयुद्ध के दौरान ऑस्ट्रेलिया ने इसे जर्मनी से आजाद कराया था जिसके चलते यहाँ ऑस्ट्रेलिया का प्रभुत्व है.

ये वो देश हैं जिनकी खुद की मुद्रा नहीं है. इनकी खुद की मुद्रा नहीं होने की भी अपनी वजह है. कोई आर्थिक संकट के चलते अपनी मुद्रा को नहीं संभाल पाया तो किसी देश पर अभी भी दूसरे देश का प्रभुत्व है इसलिए वे दूसरे देशो की मुद्रा चला रहे हैं.

रेटिंग: 4.23
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 144