एमएसीडी संकेतक क्या है और यह इतना विशेष क्यों है?
PWD Delhi लोक निर्माण विभाग
Govt. of NCT of Delhi राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र , दिल्ली सरकार
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Public Works Department is the premier agency of Govt. of Delhi engaged in planning, designing, construction and maintenance of Government assets in the field of built environment and infrastructure development. Assets in built environment include Hospitals, Schools, Colleges, Technical Institutes, Police Buildings, Prisons, Courts etc; assets in infrastructure development include Roads, Bridges, Flyovers, Footpaths, Subways etc. लोक निर्माण विभाग, दिल्ली सरकार की एक प्रमुख एजेंसी है जो निर्माण करने के क्षेत्र तथा बुनियादी ढांचे के विकास के क्षेत्र में सरकारी परिसम्पत्तियों की योजना, डिजाइन, निर्माण तथा इनके अनुरक्षण कार्य में लगी हुई है। निर्माण के क्षेत्र में जहां अस्पताल, विद्यालय, महा-विद्यालय, तकनीकी संस्थान, पुलिस इमारतें, जेल न्यायालय इत्यादि सम्मिलित हैं वहीं पर बुनियादी ढांचे के विकास से संबंधित परिसम्पत्तियों में सड़कें,पुल,फ्लाईओवर, भूमिगत मार्ग (सब वे) इत्यादि सम्मिलित हैं।
MCD Election Result 2022 : दिल्ली में केजरीवाल का जलवा बरकरार, 15 साल बाद एमसीडी से भाजपा बेदखल
MCD Election Result 2022 : जो काम तीन बार मुख्यमंत्री चुने जाने के बावजूद शीला दीक्षित नहीं कर पाईं उस काम को आठ साल में आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने कर दिखाया। परिणाम यह निकला कि एमसीडी की सत्ता पर 15 साल से काबिज भाजपा उससे बेदखल हो गई।
एमसीडी चुनाव रुझानों पर धीरेंद्र मिश्र का विश्लेषण
MCD Election Result 2022 : दिल्ली नगर निगम के चुनाव परिणाम तेजी एमएसीडी संकेतक क्या है और यह इतना विशेष क्यों है? से आने का सिलसिला जारी है। ताजा रुझानों के मुताबिक अरविंद केजरीवाल ( Arvind Kejriwal ) की पार्टी आप ( AAP ) का एमसीडी ( MCD ) में मेयर होगा। अभी तक के रुझानों में आप 250 में से 132 सीटों पर आगे है। जबकि भाजपा ( BJP ) 104 सीटों पर आगे है। 11 सीटों पर कांग्रेस ( Congress ) के उम्मीदवार आगे चल रहे हैं। यानि 15 साल बाद एमसीडी की सत्ता पर भी आप काबिज हो गई है। कहने का मतलब यह है कि दिल्ली में अब मिनी सरकार भी आप की। केंद्र के पास केवल डीडीए और दिल्ली पुलिस रह गई है।
साफ है कि आप ने दिल्ली ( Delhi ) में कांग्रेस की जगह मजबूती के साथ ले ली है। केजरीवाल की पार्टी को गरीबों, मजदूरों और प्रवासियों एमएसीडी संकेतक क्या है और यह इतना विशेष क्यों है? की राजनीति में ख्याल रखने और सियासी जनभागीदारी देने का लाभ मिलने का सिलसिला अब दिल्ली विधानसभा के बाद एमसीडी में मिलने लगा है। यह इस बात के भी संकेत हैं कि केजरीवाल को लेकर आम मतदाताओं में क्रेज आज भी कायम है।
फिलहाल 126 सीटों पर चुनाव परिणाम आ गए हैं। 93 पर आप आगे हैं। 73 पर भाजपा आगे है। छह पर कांग्रेस और 3 पर अन्य आगे हैं। ताजा रुझानों से भाजपा के लिए राहत की बात यह है कि उसकी शर्मनाक हार न होकर सम्मानजनक हार होगी। एमसीडी चुनाव परिणाम के मुताबिक सबसे अहम बात यह है जिस भाजपा को एमसीडी को 2012 में तीन निगमों में बांटने के बाद भी पूर्व सीएम शीला दीक्षित भाजपा को सत्त से बाहर नहीं कर पाईं, उसे एमसीडी हेडक्वार्टर यानि सिविक सेंटर से बाहर करने काम केजरीवाल ने कर दिया है।
इतना ही नहीं, ताजा एमसीडी चुनाव परिणामों से साफ है कि अब आप देश की राजधानी दिल्ली में केवल जाटों, बनियों और पंजाबियों व अभिजातों के दम पर राजनीति नहीं कर सकते। भाजपा की राजनीति इसी के इर्द-गिर्द घूमती रही है। मदन लाल खुराना और साहिब सिंह वर्मा ने कुछ हद तक खुद को प्रवासियों से जोड़ने का काम किया था, लेकिन दोनों के बाद भाजपा ने कभी भी प्रवासियों का दिल्ली में सियासी भागीदारी दिल से देने काम नहीं किया। लाल बिहारी तिवारी, मनोज तिवारी व एक दौर में कीर्ति झा आजाद जैसे चेहरों को केवल दिखावे के लिए सामने लाया गया। भाजपा को अपनी इस रणनीति पर गंभीरता से मंथन करने की जरूरत है।
ऐसा करना भाजपा के लिए जरूरी है, क्योंकि करीब ढ़ाई दशक से भाजपा दिल्ली विधानसभा में बहुमत हासिल नहीं पाई, लेकिन गरीबों, अल्पसंख्यकों और निम्न आय वर्ग की राजनीति कर केजरीवाल लगातार दिल्ली विधानसभा का चुनाव तीन बार जीत चुके हैं। केजरीवाल और उनकी टीम ने अन्ना आंदोलन के बाद कांग्रेस को रिप्लेस करने का काम किया एमएसीडी संकेतक क्या है और यह इतना विशेष क्यों है? है। वह शीला दीक्षित की मुहिम को आगे बढ़ा रहे है।
शीला दीक्षित ने दिल्ली की 1700 से ज्याद कॉलोनियों में रहने वाले 60 लाख से ज्यादा लोगों को गली, नालियों, सड़कों और बिजली मुहैया कराने का काम किया। केजरीवाल उसी को आगे बढ़ाते हुए मोहल्ला क्लिनिक, स्कूली शिक्षा और बिजली, पानी के बिलों में छूट देकर बड़ी राहत दी है। लोगों को लगने लगा है कि दिल्ली में अमीरी के अलावा गरीबों की सुनने वाला भी कोई है।
हालांकि, कुछ मोर्चों पर केजरीवाल कमजोर भी साबित हुए हैं, लेकिन लोकतंत्र में वोट की अपनी अहमियत होती है। उन्होंने इस बात पर गौर फरमाया कि उन्हें वोट कहां से वोट चाहिए और वहां पर क्या करने की जरूरत है। केजरीवाल की इसी सामान्य सी दिखनी वाली सियासी समझ ने उनका मजाक उड़ाने वालों का दिल्ली में एक बार फिर मुंह बंद कर दिया है। इसका सीधा लाभ आप को यह मिला है कि अब एमसीडी में आप काबिज हो गई। एमसीडी चुनाव में जीत के बाद अब केजरीवाल की जिम्मेदारी बढ़ गई है। अब वो यह नहीं कह पाएंगे कि एमसीडी हमारे पास नहीं है इसलिए दिल्ली साफ नहीं है। यमुना की सफाई नहीं हो पा रही। प्राइमरी शिक्षा और स्वास्थ्य की स्थिति खराब है। केजरीवाल और उनकी टीम को दिल्ली काम कर दिखाना होगा।
दूसरी तरफ एमसीडी के रुझानों से दिल्ली में भाजपा के लिए खतरे की घंटी बज गई है। आप यह सवाल पूछ सकते हैं कि ऐसा क्यों, इसका जवाब ये है कि 15 माह बाद लोकसभा का चुनाव है दो साल बाद विधानसभा का चुनाव दिल्ली में होने है। दिल्ली में सात के सात लोकसभा सांसद भाजपा के हैं। केजरीवाल लोकसभा चुनाव में आप सांसद को अभी तक जितवा नहीं पाये हैं। अब वो चाहेंगे कि विधानसभा और एमसीडी के बाद लोकसभा सांसद भी आम आदमी पार्टी का नेता ही बने। यानि अब खतरा सीधे मोदी और शाह के अस्तित्व पर है।
भाजपा के लिए राहत की बात केवल यह है कि वो आठ राज्यों के सीएम और 17 केंद्रीय मंत्रियों को सियासी मैदान के उतरने के बावजूद भाजपा को एमसीडी में वापसी नहीं करा पाई। हां, इसका लाभ यह जरूर मिला कि करारी शिकस्त से भाजपा बच गई। भाजपा ने एक चतुराई ये दिखाई कि एमसीडी चुनाव में पीएम मोदी और अमित शाह को इस बार मैदान में नहीं उतारा। यानि लोकसभा चुनाव में भाजपा शीर्ष नेतृत्व को अभी धक्का नहीं लगा है। भाजपा लोकसभा चुनाव में इसका लाभ उठाने की स्थिति में होगी।
MCD Election Result 2022 : कुल मिलाकर आप यह कह सकते है। कि जनभागदारी के दम पर दिल्ली में आप की लहर हैै और भाजपा सत्ता से एमएसीडी संकेतक क्या है और यह इतना विशेष क्यों है? पूरी तरह से बेदखल हो गई है। भाजपा नेतृत्व को नये सिरे से सोचने की जरूरत। भाजपा ने इस पर ध्यान नहीं दिया तो एमएसीडी संकेतक क्या है और यह इतना विशेष क्यों है? मोदी-शाह की राजनीति में राहु-केतु की तरह केजरीवाल और उनकी टीम ग्रहण लगाने का काम आगे भी जारी रखेंगे।
ईरान पर लगे प्रतिबंधों में फिलहाल एमएसीडी संकेतक क्या है और यह इतना विशेष क्यों है? ढील नहीं: अमेरिका
अमेरिका ने ईरान पर लगाए गए किसी भी प्रतिबंध को खत्म करने या उसमें ढील देने से इनकार करते हुए कहा कि ईरान के अपने परमाणु कार्यक्रम पर ठोस और सत्यापन योग्य कदम उठाने के बाद ही इन प्रतिबंधों में कोई.
अमेरिका ने ईरान पर लगाए गए किसी भी प्रतिबंध को खत्म करने या उसमें ढील देने से इनकार करते हुए कहा कि ईरान के अपने परमाणु कार्यक्रम पर ठोस और सत्यापन योग्य कदम उठाने के बाद ही इन प्रतिबंधों में कोई राहत दी जा सकती है।
विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मैरी हार्फ ने कहा कि हम यह स्पष्ट कर चुके हैं कि सिर्फ ठोस एवं सत्यापन योग्य कदम उठाए जाने के बाद ही प्रतिबंधों में राहत दी सकती है। हम यह साफ कर देना चाहते हैं कि बातचीत के जरिए समाधान ढूंढ़ने के साथ ही हम इन प्रतिबंधों को सख्ती से लागू करना जारी रखेंगे।
ईरान पर पड़ रहे इन प्रतिबंधों के असर का जिक्र करते हुए हार्फ ने कहा कि ईरान के लोगों को आर्थिक राहत की जरूरत है। उन्होंने कहा कि ईरानी लोगों को आर्थिक राहत की जरूरत है, लेकिन हम तब तक ये प्रतिबंध नहीं हटा सकते, जब तक कि हम ईरानी सरकार को अपनी कथनी को करनी का रूप देते और ठोस कार्रवाई करते हुए नहीं देख लें।
ईरान की नई सरकार एमएसीडी संकेतक क्या है और यह इतना विशेष क्यों है? जितनी जल्दी हो सके यह कर सकती है। जिनीवा में इस महीने के अंत में होने वाली पी-5 प्लस 1 की बैठक के दौरान अमेरिका इस मुद्दे पर चर्चा करेगा। हार्फ ने कहा कि ईरान कई ऐसे कदम उठा सकता है, जिससे यह पता चल सके कि वह विश्वसनीय कदम उठाने का इच्छुक है। इसमें आईएईए निरीक्षकों के लिए सभी परमाणु संयंत्र खोलना शामिल है।
इस बीच ओबामा प्रशासन ने कल सांसदों से आग्रह किया था कि वे कम से कम इस महीने के मध्य में परमाणु कार्यक्रम को लेकर ईरानी नेताओं और पी-5 प्लस 1 देशों के बीच होने वाली वार्ता तक ईरान के खिलाफ कोई नया प्रतिबंध नहीं लगाए।
BJP संसदीय बोर्ड से नितिन गडकरी-शिवराज बाहर क्यों हुए, स्वतंत्र छवि या कद का डर?
BJP Parliamentary Board का पुनर्गठन पार्टी में सत्ता के अधिक केंद्रीकरण की दिशा में एक स्पष्ट कदम है
भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने बुधवार 17 अगस्त को पार्टी की सबसे बड़ी निकाय - संसदीय बोर्ड में एक बड़े बदलाव (BJP Parliamentary Board Rejig) की घोषणा की.
बीजेपी के संसदीय बोर्ड में हुए ये हैं कुछ बड़े बदलाव:
बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष नितिन गडकरी और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को संसदीय बोर्ड से हटा दिया गया है.
बोर्ड में शामिल किए गए नए सदस्यों में कर्नाटक के पूर्व CM बीएस येदियुरप्पा, पूर्व केंद्रीय मंत्री सत्यनारायण जटिया, असम के पूर्व CM सर्बानंद सोनोवाल, तेलंगाना के नेता और बीजेपी के OBC मोर्चा के अध्यक्ष के. लक्ष्मण, बीजेपी OBC मोर्चा के पूर्व प्रभारी सुधा यादव और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा शामिल हैं.
सुषमा स्वराज, अरुण जेटली के निधन, एम वेंकैया नायडू के उप-राष्ट्रपति बनने और थावरचंद गहलोत को राज्यपाल बनाए जाने के कारण संसदीय बोर्ड में आईं रिक्तियों के कारण यह फेर-बदल पिछले कुछ समय से लंबित थी. लेकिन पीएम मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने दो नेताओं को हटाकर सिर्फ खाली पदों को नहीं भरा है बल्कि वास्तव में उससे आगे बढ़कर काम किया है.
फेरबदल के पीछे स्पष्ट रूप से मोदी-शाह की रणनीति है, कैसे?
संसदीय बोर्ड के फेरबदल पर स्पष्ट रूप से पीएम नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मुहर लगी है यानी यह उनकी ही रणनीति है. यह विशेष रूप से नितिन गडकरी और शिवराज सिंह चौहान को बाहर करने के फैसले से स्पष्ट है. दोनों ही नेताओं ने मोदी-शाह की जोड़ी के बीजेपी में प्रभावी होने से पहले संसदीय बोर्ड में प्रवेश किया था.
अगर ऐसे आने लगे सपने तो समझ लें कि……
नई दिल्ली। सपने छलावे की तरह होते हैं जिसमें व्यक्ति काल्पनिक घटनाओं में डूब जाता है। स्वप्न शास्त्र के अनुसार दिन भर हो रही घटनाओं के आधार पर सपने भी दिखाई दे सकते हैं। अक्सर लोग सोचते हैं कि वे दिन भर जरूरत से ज्यादा क्या सोचते हैं, वही वो अपने सपनों में देखते हैं। लेकिन यह जरूरी नहीं है कि हर सपने का एक मतलब हो। कई लोगों का मानना है कि बुरे सपने खुद की मौत या किसी करीबी रिश्तेदार की मौत की निशानी होते हैं। कुछ सपने इस हद तक भयानक होते हैं कि सपने देखने वाले नींद में भी डर जाते हैं। सपने में मौत देखना बहुत डरावना होता है। इसलिए प्राचीन काल से ही ऐसा माना जाता है कि ज्यादातर सपनों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। यह किसी बात या घटना का संकेत भी हो सकता है। बहरहाल, सपने क्यों होते हैं, इसके पीछे क्या कारण है, यह आज भी रहस्य बना हुआ है। विज्ञान ने सपनों के बारे में कोई विशेष पुष्टि नहीं दी है। मृत्यु के लक्षण दो प्रकार के होते हैं, दूर और निकट। दूर के संकेत तीन प्रकार के होते हैं। शारीरिक संकेत, मानसिक संकेत और सपने के संकेत। दूर के संकेतों में लगातार सपने देखना शामिल है। ऐसे में व्यक्ति देखता है कि वह ऊंचे पहाड़ से गिर रहा है या कोई व्यक्ति नग्न है या कोई रेगिस्तान में यात्रा कर रहा है। आइए एक नजर डालते हैं ऐसे ही कुछ सपनों पर जो मौत की चेतावनी का संकेत देते हैं।
सपने में काली छाया की उपस्थिति अज्ञात, अचेतन, खतरे, रहस्य, अंधकार, मृत्यु, शोक, अस्वीकृति, घृणा या द्वेष का प्रतीक है। यह प्यार की कमी और सहयोग की कमी का भी संकेत है। कहा जाता है कि सपने में काली छाया देखना शुभ नहीं होता। शास्त्रों के अनुसार सपने में सांप को देखना अशुभ माना जाता है। यह सपने में सांप के बारे में विभिन्न संस्कृतियों में व्यापक रूप से व्याख्या की गई है। शास्त्रों में माना गया है कि सपने में सांप को देखने से आने वाली समस्या का संकेत मिल सकता है। सदियों से, काली बिल्लियों को जादू, चुड़ैलों और रहस्यमय चीजों से जुड़ा माना जाता है। सपने में काली बिल्लयों को देखकर इसे असुरक्षा का प्रतीक माना जाता है। ये दुर्भाग्य से भी जुड़े हुए हैं । सपने में काली बिल्ली को देखकर भविष्य में कुछ बुरा होने का संकेत मिल सकता है। स्वप्न विज्ञान के अनुसार सपने में दांत गिरते देखना अशुभ माना जाता है। यह इंगित करता है कि आपके किसी करीबी की मृत्यु हो सकती है हालांकि सोते समय दांत दर्द भी बुरे सपने का संकेत हो सकता है। सपने में कौए को देखना शुभ संकेत नहीं है। यदि कोई व्यक्ति सपने में कौआ देखता है तो यह कुछ अनहोनी का संकेत देता है।किसी डूबते व्यक्ति को सपने में बचाया जा रहा देखना अशुभ माना जाता है। यह भविष्य में होने वाली कुछ बुरी घटना को इंगित करता है ।यदि आप अपने आप को यात्रा करते या अपने सपने में यात्रा की तैयारी करते हुए देखते हैं। ऐसी स्थिति में आपको निकट भविष्य में यात्रा करने से बचना चाहिए। मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि ऐसा सपना मृत्यु का संकेत एमएसीडी संकेतक क्या है और यह इतना विशेष क्यों है? देता है। अगर कोई व्यक्ति सपने में खुद को गाते या नाचते हुए देखता है तो यह मौत का संकेत देता है। इसके अलावा ऐसा माना जाता है कि अगर कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति को गधे की सवारी करते हुए देखता है तो यह भी मौत का संकेत है।
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