समझिए, डॉलर के 64 हो जाने का मतलब

रुपए की गिरती साख 64 रुपए का हुआ एक डॉलर

कमजोर होते रुपए को महज डॉलर की मजबूती या अखबार की सुर्खियों तक मत देखिए बल्कि यह समझने की कोशिश कीजिए कि रुपए की गिरती साख सड़क चलते आम आदमी से लेकर देश की सरकार

PRAVEEN DWIVEDI
Updated on: May 16, 2015 13:04 IST

समझिए, डॉलर के 64 हो जाने. - India TV Hindi

समझिए, डॉलर के 64 हो जाने का मतलब

कमजोर होते रुपए को महज डॉलर की मजबूती या अखबार की कमजोर मुद्रा से कौन आहत होता है सुर्खियों तक मत देखिए बल्कि यह समझने की कोशिश कीजिए कि रुपए की गिरती साख सड़क चलते आम आदमी से लेकर देश की सरकार तक के लिए चिंता की बात है। रुपए का कमजोर होना जहां एक ओर महंगाई की आहट है वहीं दूसरी ओर देश के बढ़ते राजकोषीय घाटे की जड़ भी कमजोर रुपए में ही निहित है।

रुपए कमजोर मुद्रा से कौन आहत होता है के घटते रुतबे का कारण-

दुनियाभर में किसी भी देश की मुद्रा का मजबूत या कमजोर होना अर्थव्यवस्था का आईना माना जाता है। अर्थव्यवस्था की सेहत पर ही रुपए की चाल निर्भर करती है। अमेरिका में मंदी की विदाई और जल्द ब्याज दरें बढ़ने की संभावना डॉलर को बल दे रही है। वहीं क्रूड ऑयल की कीमतों में वापसी, सोने के बढ़ता आयात और शेयर बाजार में विदेशी संस्थागत निवेशकों की भारी बिकवाली भारतीय रुपए के लिहाज से नकारात्मक है। सीधे तौर पर कहें तो देश से भारी मात्रा में डॉलर का जाना रुपए को कमजोर करता है। अगर हम कमजोर मुद्रा से कौन आहत होता है आयात ज्यादा करेंगे तो हमें डॉलर ज्यादा चुकाना होगा और निर्यात कम करेंगे तो हमारे देश में रुपए की आवक कम होगी। उदाहरण से समझें हम अपनी जरुरत का 80 फीसदी कच्चा तेल विदेश से आयात करते हैं। कच्चे तेल की कीमतों में तेजी से हमारा आयात बिल बढ़त जाएगा। ऐसी स्थिति में डॉलर का मजबूत होना लाजिमी है।

अब कमजोर मुद्रा से कौन आहत होता है समझिए आम आदमी के लिए रुपए के 64 होने का क्या मतलब है

महंगाई की आहट

रुपए की गिरावट कच्चे तेल के आयात को महंगा करती है। महंगा कच्चा तेल मतलब पेट्रोल और डीजल का महंगा होना। डीजल के महंगे होने से ट्रांसपोर्टेशन लागत बढ़ जाती है और सब्जियां और फल महंगे हो जाते हैं। इस तरह कमजोर रुपया महंगाई को दावत देता है।

विदेश में बच्चों की पढ़ाई होगी महंगी-

विशेषज्ञ कयास लगा रहे हैं कि रुपए में अभी और गिरावट देखने को मिलेगी और यह गिरावट रुपए को डॉलर के मुकाबले 66 से 67 के स्तर तक पहुंचा सकती है। ऐसे कमजोर मुद्रा से कौन आहत होता है कमजोर मुद्रा से कौन आहत होता है में अगर आप अपने बच्चे को पढ़ाई के लिए विदेश भेजना चाहते हैं तो आपको इसके लिए अब पहले से ज्यादा पैसे खर्च करने होंगे। साथ ही जो बच्चे पहले से विदेश में पढ़ रहे हैं उनका मासिक खर्च अब भारत में रहने वाले माता-पिता पर भारी पड़ेगा।

महंगी हो सकती है आपकी कार और घर की EMI-

रिजर्व बैंक ब्याज कमजोर मुद्रा से कौन आहत होता है कमजोर मुद्रा से कौन आहत होता है कमजोर मुद्रा से कौन आहत होता है दरों में कटौती करेगा या नहीं यह महंगाई की दर पर निर्भर करता है। महंगाई बढ़ने की संभावना से रिजर्व बैंक रेपो रेट में बढ़ोतरी कर सकती है। जिससे आपके घर और गाड़ी की ईएमआई बढ़ने की संभावना बनती है।

इंपोर्टेड चीजें होंगी महंगी-

रुपए की कमजोरी इलेक्ट्रानिक्स उत्पादों की कीमत में भी इजाफा होने का खतरा रहा है। रुपए की हालत पतली होने से रसोई गैस और खाद्य तेल भी महंगा हो सकता है।

रुपए की कमजोरी सरकार का भी सिरदर्द-

अगर रुपया कमजोर होता है तो भारत का आयात शुल्क बढ़ जाएगा जो देश के ट्रेड डेफिसिट में इजाफा कर देगा। इससे भी सरकार की सिरदर्दी बढ़ सकती है।

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Yoga Pose: खुल जाएंगी शरीर की सभी ब्‍लॉक नसें, खून का फ्लो बढ़ाने के लिए करें ये 5 योगासन

अगर आपको अपना ब्लड सकुर्लेशन ठीक करना है, तो योगा करना बेहतर विकल्प है। इन्हें करने से विशेष प्रकार की मसल्स को स्ट्रांग और स्ट्रेच करने में मदद मिलती है।

top 5 yoga for poor blood circulation

Yoga Pose: खुल जाएंगी शरीर की सभी ब्‍लॉक नसें, खून का फ्लो बढ़ाने के लिए करें ये 5 योगासन

​अधोमुख श्वानासन योग (Downward-Facing Dog)

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अधोमुख श्वानासन ब्लड सकुर्लेशन के लिए बहुत कमजोर मुद्रा से कौन आहत होता है अच्छा है। इसमें आपके कूल्हे दिल पर और दिल आपके सिर के ऊपर होता है। जिसका मतलब है गुरूत्वाकर्षण आपके सिर में ब्लड सुकर्लेशन को बेहतर बनाने में मदद करता है। इससे आपके पैर मजबूत होते हैं और इसमें सकुर्लेशन अच्छा हो जाता है। इस योगा पोज को करने से हैमस्ट्रिंग, लैटिसिमस डोर्सी , डेल्टॉइड, ग्लूट्स, और क्वाड्रिसेप्स जैसी मसल्स स्ट्रांग होती हैं और इन्हें स्‍ट्रेच मिलता है।

​त्रिकोणासन- Triangle

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त्रिकोणासन एक स्टैंडिंग पोज है। यह मसल्स की टोनिंग और पैर के सुकर्लेशन के लिए बहुत अच्छा है। इस पोज को करने से छाती को खोलने और फेफड़ों के विस्तार में बहुत मदद मिलती है। अगर आपका ब्लड सकुर्लेशन खराब है, तो नियमित रूप से इसे करने से धड़ में सकुर्लेशन में सुधार होगा। इस पोज को करने से सारटोरियस, पिरिफॉर्मिस, ग्लूट्स रेडियस , आब्लिक और ट्राइसेप्स जैसी मसल्स की स्ट्रेचिंग में बहुत हेल्प मिलती है।

​वीरभद्रासन- Warrior II

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इसे योद्धाओं का आसन और वॉरियर-2 भी कहा जाता है। यह आसन हाथों, कंधों , जांघों और कमर की मांसपेशियों को मजूबती प्रदान करता है। आपके पैरों की मांसपेशियों की टोन में सुधार के लिए वॉरियर 2 अच्छी है।

इसमें मांसपेशियां आपके पैरों की नसों को संकुचित करेंगी , इस प्रकार सकुर्लेशन को बढ़ाने में मदद मिलती है। रनिंग करने वाले एथलीट्स के लिए यह योगा पोज बहुत फायदेमंद साबित होता है। इस अभ्यास को करने से हिप लिगामेंट्स, पिरिफॉर्मेस , स्केलेंसेस, पेक्टोरलिस माइनर और क्वाड्रिसेप्स को मजबूती मिलती है।

​विपरीत करणी- Legs up the wall

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इस पोज में अपने पैरों को दीवार पर रखना होता है। यह आपके पैरों को आपके दिल से ऊपर रखता है। इसे करने से ब्लड सकुर्लेशन ठीक रहता है और ज्यादातर बीमारियां अपने आप ही ठीक हो जाती हैं। साथ ही अगर आप इस पोज का अभ्यास जवानी से करते हैं, तो बुढ़ापे में हाथ -पैर में लाल या तरल पदार्थ जमा होने की समस्या से राहत मिलती है। विशेषज्ञ कहते हैं कि किसी भी ऐसे पोज से जहां हम ग्रेविटी के विपरीत जाते हैं, उससे ब्लड सकुर्लेशन में सुधार होगा ही। इसे करने से हैमस्ट्रिंग और गर्दन की अच्छे से स्ट्रेचिंग हो जाती है।

बता दें कि ब्लड सकुर्लेशन से जुड़ी समस्याएं कुछ स्वास्थ्य समयाओं की वजह से होती हैं। लेकिन यहां बताई गई एक्सरसाइज की मदद से मांसपेशियों को संकुचन और फैलने से पैरों की नसों में ब्लड सकुर्लेशन इंप्रूव होता है। दरअसल, ग्रेविटी से विपरीत आप कोई भी पोज करेंगे, तो खून का संचार उलट जाता है और ये सुकर्लेशन से जुड़ी समस्याओं को ठीक करने का रामबाण नुस्खा है।

Sandhi Mudra : जोड़ों के दर्द को दूर करती है संधि मुद्रा, आजमा कर देखें

जोड़ों के दर्द से आपका हाल बेहाल रहता है, तो परेशान होने की जरूरत नहीं है, आप प्रतिदिन 15-15 मिनट संधि मुद्रा (Sandhi Mudra benefits) करें, इससे आपको जरूर लाभ होगा।

Written by Anshumala | Updated : November 16, 2019 6:59 PM IST

जोड़ों के दर्द (Joint pain) और अर्थराइटिस (Arthritis) से परेशान हैं, तो संधि मुद्रा (Sandhi Mudra) करने से लाभ होगा। योगाचार्य डॉ. रमेश पुरी कहते हैं कि संधि का मतलब होता है एक कमजोर मुद्रा से कौन आहत होता है से अधिक का योग है। ऐसे में दाएं हाथ में पृथ्वी मुद्रा और बाएं हाथ में आकाश मुद्रा लगानी होती है। तभी दोनों संयुक्त रूप से संधि मुद्रा (Sandhi Mudra) कहलाती है। हालांकि, किसी भी योग, आसन और मुद्रा लगाने से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लेनी चाहिए।

  • जब अंगूठे को अनामिका (ring finger) से मिलाते हैं तो पृथ्वी मुद्रा बनती है।
  • अंगूठे को मध्यमा (middle finger) से मिलाने से आकाश मुद्रा बनती है।

Prathvi Mudra

जोड़ों के दर्द में करें संधि मुद्रा

जोड़ों का दर्द किसी प्रकार की चोट, जोड़ पर ज्यादा दबाव पड़ने, ज्यादा प्रोटीनयुक्त पदार्थों के सेवन या आर्थराइटिस के कारण हो सकती है। यह खराब जीवनशैली से उपजा रोग है। यह समस्या पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में ज्यादा पाई जाती है। जिनका वजन अधिक होता है, उनमें जोड़ों में दर्द होने की संभावना अधिक होती है। शरीर में जहां कहीं भी जोड़ों में दर्द हो, तो संधि मुद्रा करने से लाभ होगा। एक ही स्थिति में लगातार बैठे रहने या सारा दिन खड़े रहने से कलाइयों, टखने, कंधे आदि में होने वाले दर्द में भी नियमित अभ्यास से यह मुद्रा लाभ देती है। दाएं हाथ के अंगूठे के अग्रभाग को अनामिका के अग्रभाग से मिलाएं। बाएं हाथ के अंगूठे के अग्रभाग को मध्यमा के अग्रभाग से मिलाएं। इसे प्रतिदिन 15 मिनट तक चार बार करें।

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Aakash Mudra

अर्थराइटिस में भी लाभदायक

अर्थराइटिस के रोगियों को आसन से बचना चाहिए। वे केवल सूक्ष्म व्यायाम कर सकते हैं। ऐसे रोगियों को घुटने के चारों ओर सरसों तेल की मालिश करनी चाहिए, लेकिन घुटने के ऊपर नहीं। अर्थराइटिस में संधि मुद्रा बहुत उपयोगी है। इसके लिए, दाएं हाथ के अंगूठे और अनामिका के शीर्ष को मिलाएं और बाएं हाथ के अंगूठे और मध्यमा के शीर्ष को मिलाएं। शेष उंगलियां सीधी रखें। इसे 15-15 मिनट चार बार करें। लाभ होगा।

खाद्य पदार्थ जो आपकी हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए खराब हैं

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  • जब हड्डी के स्वास्थ्य की बात आती है, तो सबसे पहली और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आप अपने दैनिक कैल्शियम का सेवन बढ़ाएं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि केवल आपकी दैनिक कैल्शियम की जरूरतों को पूरा करने से ही आपकी हड्डियां मजबूत होती हैं। यद्यपि अधिकांश हड्डियों का विकास बचपन और किशोरावस्था में होता है, हड्डियों के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए ध्यान रखना महत्वपूर्ण है, क्योंकि हड्डियों का नुकसान आपके मध्य-तीसवें दशक में शुरू होता है।
  • स्वस्थ हड्डियाँ आपके द्वारा दिन भर में किए जाने वाले छोटे-छोटे आहार निर्णयों से बनती हैं। हम क्या खाते हैं और क्या नहीं, इससे हड्डियों के स्वास्थ्य पर बहुत फर्क पड़ता है। इसलिए, आहार हड्डियों को बेहतर या खराब बना सकता है। चूंकि कैल्शियम और विटामिन डी से भरपूर खाद्य पदार्थ हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करते हैं, ऐसे में कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ भी हैं जो हड्डियों को कमजोर कर सकते हैं।

खाद्य पदार्थ जो हड्डियों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचाते हैं

नमकीन खाद्य पदार्थ

आयरन से भरपूर खाद्य पदार्थ

कार्बोनेटेड ड्रिंक्स

मीठे स्नैक्स

प्रोटीन से भरपूर खाद्य पदार्थ

पूछे जाने वाले प्रश्न:

कुछ आदतें आपकी हड्डियों को प्रभावित कर सकती हैं। शराब पीना। ज्यादा शराब आपकी हड्डियों को नुकसान पहुंचा सकती है। यदि आप गिर जाते हैं तो इससे आपकी हड्डी टूटने का खतरा भी हो सकता है। सिगरेट पीना। धूम्रपान करने वालों की हड्डियां धूम्रपान न करने वालों की तुलना में कमजोर होती हैं। रजोनिवृत्ति के बाद धूम्रपान करने वाली महिलाओं में फ्रैक्चर होने की संभावना और भी अधिक होती है

इसलिए आपको इस सूची में शामिल सभी चीजों को करने से बचना चाहिए। एक गतिहीन जीवन शैली जीएं। व्यायाम कई चीजों के लिए अच्छा है, और मजबूत हड्डियों का निर्माण निश्चित रूप से उनमें से एक है। कैल्शियम और विटामिन डी की अपर्याप्त मात्रा प्राप्त करना, अत्यधिक मात्रा में शराब पीना, खराब आहार निर्णय लेना, सिगरेट पीना।

लेकिन एक बार जब आपकी हड्डियाँ ऑस्टियोपोरोसिस से कमजोर हो जाती हैं, तो आपके लक्षण और लक्षण हो सकते हैं जिनमें शामिल हैं: पीठ दर्द, एक खंडित या ढह गई कशेरुका के कारण। समय के साथ ऊंचाई का कम होना। एक झुकी हुई मुद्रा।

क्रिप्टो और डिजिटल रुपया में क्या है अंतर जाने इसके फायदे

क्रिप्टो रुपया पूरी तरह से गैर सरकारी है। इस पर सरकार या सेंट्रल बैंक का कोई नियंत्रण नहीं होता। यह रुपया गैरकानूनी होता है। लेकिन रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की डिजिटल ई- रुपया पूरी तरह से सरकार के नियंत्रण में होती है। क्रिप्टो रुपया का भाव घटता बढ़ता रहता है। लेकिन डिजिटल में ऐसा नहीं होता है।

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भारतीय रिजर्व बैंक ने एक नवंबर को अपनी डिजिटल रुपया लॉन्च किया है। डिजिटल मुद्रा में लेनदेन की कोई सीमा नहीं होती है। डिजिटल ई रुपया में नोट वाली रूपया के सारे फीचर होंगे, डिजिटल मुद्रा को नोट की मुद्रा में बदला जा सकता है। अर्थव्यवस्था के जानकार बताते हैं कि भारत में मुद्रा का डिजिटलीकरण मौद्रिक इतिहास में बहुत ही बेहतर होगा। इस मुद्रा पर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का नियंत्रण होने के कारण काले धन को वैध बनाने तथा आतंकवादी गतिविधि के लिए धन प्रदान करने पर काफी हद तक अंकुश लगेगा।

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