Published on: July 21, 2022 17:56 IST
डीमैट अकाउंट क्या है ?
डीमैट अकाउंट एक बैंक अकाउंट की तरह है, जिसमें आप शेयर सर्टिफिकेट और अन्य सिक्योरिटीज को इलेक्ट्रॉनिक फार्म में रख सकते हैं। डीमैट अकाउंट का मतलब डिमैटेरियलाइजेशन अकाउंट होता है। इसमें शेयर, बॉन्ड्स, गवर्नमेंट सिक्योरिटीज , म्यूचुअल फंड, इंश्योरेंस और ईटीएफ जैसे इन्वेस्टमेंट को रखने की प्रक्रिया आसान हो जाती है। इस अकाउंट के माध्यम से शेयरों और संबंधित डॉक्युमेंट्स एक डीमैट खाता क्या है के रखरखाव की परेशानियों दूर हो जाती हैं।
डीमैट अकाउंट का अर्थ हम एक उदाहरण के माध्यम से समझ सकते हैं। मान लीजिए आप कंपनी X का शेयर खरीदना चाहते है, शेयर खरीदने के साथ का वह आपके नाम पर ट्रांसफर भी होंगे। पहले आपको अपने नाम के साथ शेयर सर्टिफिकेट भी मिलते थे। जिसमें पेपर वर्क की कार्रवाई भी शामिल है। जितनी बार कोई शेयर खरीदा या बेचा जाता था तो उतनी बार सर्टिफिकेट बनाने पड़ते थे। इस कागजी कार्रवाई की प्रक्रिया को सरल और सुगम बनाने के लिए भारत ने एनएसई पर व्यापार के लिए 1996 में डीमैट अकाउंट प्रणाली की शुरुआत की।
आज के समय में कोई पेपर वर्क नहीं होती है और न ही कोई भैतिक प्रमाण पत्र जारी किया जाता है। इसलिए जब आप कंपनी X के शेयर खरीदते हैं, तो आपको जो भी मिलता है, वह आपके डीमैट अकाउंट में इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में एंटर हो जाता है। डीमैट एकाउंट को ऐसे ही आसान शब्दों में आप समझ गए होंगे।
यदि आप आज शेयर बाजार (एनएसई और बीएसई) या किसी अन्य सिक्योरिटीज में इन्वेस्ट करना चाहते हैं, तो डीमैट अकाउंट अनिवार्य है. आपके द्वारा किए जाने वाले ट्रेड और लेनदेन के इलेक्ट्रॉनिक सेटेलमेंट के लिए डीमैट अकाउंट नंबर अनिवार्य है.
डीमैट अकाउंट कैसे प्राप्त करें?
जब आप डीमैट अकाउंट के बारे में जान गए हैं, तो आइए जानते है डीमैट अकाउंट कैसे खोला जा सकता है। आप डीमैट अकाउंट नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (NSDL ) या सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज लिमिटेड (CSDL) के साथ खोल सकते हैं। ये डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट्स (DP) एजेंट नियुक्त करती हैं, जो स्वंय और इन्वेस्टर्स के बीच मध्यस्थ के रूप में काम करती है। उदाहरण के रूप में एचडीएफसी बैंक एक डीपी है, जिसके साथ आप डीमैट अकाउंट खोल सकते हैं। स्टॉकब्रोकर और फाइनेंसियल इंस्टीटूशन भी डीपी है। आप उनके साथ भी डीमैट अकाउंट खोल सकते हैं।
जिस तरह से एक बैंक अकाउंट में पैसा होता है, उसी तरह से एक डीमैट अकाउंट आपके इन्वेस्टमेंट को इलेक्ट्रॉनिक फार्म में रखता है, जो लैपटॉप या स्मार्ट डिवाइस और इंटरनेट के साथ आसानी से एक्सेस हो सकता है। जिसको एक्सेस करने के लिए आपके पास एक यूनिक लॉगिन आईडी और पासवर्ड होना चाहिए। हालांकि, बैंक अकाउंट के विपरीत, आपके डीमैट अकाउंट में किसी भी प्रकार का 'न्यूनतम बैलेंस' होना आवश्यक नहीं है।
आप किसी भी डिपॉजिटर्स की वेबसाइट पर जाकर उनकी डीपी की सूची प्राप्त कर सकते है। जिसके साथ आप डीमैट एकाउंट खोलना चाहते है। डीपी का चुनाव उनके वार्षिक शुल्क पर निर्भर होना चाहिए।
यह ध्यान देना चाहिए कि आप एक से अधिक डीमैट एकाउंट को एक डीपी के साथ न जोड़े। क्योंकि एक पैन कार्ड को कई डीमैट अकाउंट के साथ जोड़ा जा सकता है।
डीमैट अकाउंट का विवरण
आपका डीमैट अकाउंट खुलने के बाद सुनिश्चित करें, कि आपको अपने डीपी से निम्न विवरण प्राप्त किया :
डीमैट अकाउंट नंबर : सीडीएलएस के तहत यह बेनिफिशियरी आईडी' के रूप में जाना जाता है। यह मुख्यत 16 कैरेक्टर का मिश्रण है।
डीपी आईडी : यह आईडी डिपॉजिटर प्रतिभागी को एक डीमैट खाता क्या है दी जाती है। जो आपके डीमैट अकाउंट नंबर का हिस्सा है।
पीओए नंबर : यह पावर ऑफ अटॉर्नी एग्रीमेंट का हिस्सा है, जहां एक इन्वेस्टर दिए गए निर्देशों के अनुसार स्टॉक ब्रोकर को अपने अकाउंट को संचालित करने की अनुमति देता है।
ऑनलाइन एक्सेस के लिए आपको अपने डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट्स पर एक यूनिक लॉगिन आईडी और पासवर्ड भी मिलेगा।
डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट
डीमैट अकाउंट एक ट्रेडिंग अकाउंट के साथ होता है. जो शेयर बाजार में शेयर खरीदने औऱ बेचने के लिए जरूरी है. उदाहरण के रूप में एचडीएफसी बैक का एक डीमैट अकाउंट 3 इन 1 होता है, जिसमें सेविंग, डीमैट और ट्रेडिंग एक डीमैट खाता क्या है तीनों को जोड़ा जाता है.
लोग कभी-कभी डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट के बीच कंफ्यूज होते हैं कि वे एक जैसे नहीं हैं। एक डीमैट एकाउंट में आपके नाम के शेयरों और अन्य सिक्योरिटीज का विवरण होता है। शेयर खरीदने और बेचने के लिए, आपको एक ट्रेडिंग एकाउंट खोलना होगा। कई बैंक और ब्रोकर ऑनलाइन ट्रेडिंग सुविधाओं के साथ ट्रेडिंग एकाउंट की पेशकश करते हैं, जिससे आम इन्वेस्टर्स के लिए शेयर मार्केट में भाग लेना आसान हो जाता है।
डीमैट अकाउंट के प्रकार
अब हम डीमैट अकाउंट की परिभाषा समझ गए हैं। तो आइए डीमैट अकाउंट के प्रकारों को देखें। यह मुख्य रूप से तीन प्रकार हैं:
रेगुलर डीमैट अकाउंट: यह उन भारतीय नागरिकों के लिए है जो, देश में रहते हैं।
रिपेट्रिएबल डीमैट अकाउंट: इस तरह का डीमैट अकाउंट प्रवासी एक डीमैट खाता क्या है भारतीयों (NRI) के लिए है, जो विदेशों में फंड ट्रांसफर करने सक्षम बनाता है। हालांकि, इस तरह के डीमैट अकाउंट को एनआरई बैंक अकाउंट से लिंक करने की जरूरत है।
नॉन-रिपेट्रिएबल डीमैट अकाउंट: यह भी एनआरआई के लिए है, लेकिन इस प्रकार के डीमैट अकाउंट के साथ, विदेशों में फंड ट्रांसफर करना संभव नहीं है। साथ ही इसे एनआरओ बैंक अकाउंट से भी लिंक कराना होगा।
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* इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य है और यह केवल सूचना के प्रयोजनों के लिए है। यह आपकी अपनी परिस्थितियों में विशिष्ट सलाह का विकल्प नहीं है।
शेयर खरीदने के लिए जरूरी है डीमैट खाता, जानिए कितनी तरह के होते हैं Demat Account
Demat Account: शेयर बाजार में ट्रेडिंग के लिए 3 तरह के डीमैट अकाउंट होते हैं. निवेशकों की प्रोफाइल के हिसाब से इन्हें तैयार किया जाता है. इसकी पूरी देख आपकी ब्रोकिंग फर्म करती है.
शेयर बाजार में एंट्री करने वाले निवेशकों के लिए रेगुलर डीमैट अकाउंट किया जाता है.
Demat Account: शेयर ट्रेडिंग (Share trading) के लिए डीमैट अकाउंट (Demat account) भी होगा. निवेश के लिए डीमैट खाता सबसे आम और अनिवार्य बात है. बिल्कुल बैंक अकाउंट की तरह (जहां पैसे सेफ रखे जाते हैं) डीमैट अकाउंट में भी आपके शेयर इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में रखे जाते हैं. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि भारतीय शेयर बाजारों में निवेश के लिए कुल कितने तरह के Demat account होते हैं?
शेयर बाजार में ट्रेडिंग के लिए 3 तरह के डीमैट अकाउंट होते हैं. निवेशकों की प्रोफाइल के हिसाब से इन्हें तैयार किया जाता है. इसकी पूरी देख आपकी ब्रोकिंग फर्म करती है.
रेगुलर डीमैट खाता (Regular Demat account)
शेयर बाजार में एंट्री करने वाले निवेशकों के लिए रेगुलर डीमैट अकाउंट किया जाता है. भारतीय निवेशक और ट्रेडर्स देश में ही रहते हैं और यहीं के शेयर बाजार में निवेश करते हैं. आप ये रेगुलर डीमैट खाता (Demat एक डीमैट खाता क्या है Account) किसी भी डिपॉजिट्री-CDSL या NSDL पर रजिस्टर्ड ब्रोकर के पास खुलवा सकते हैं. खाते से इलेक्ट्रॉनिकली शेयरों में निवेश और ट्रेड किया जाता है.
रिपाट्राइबल डीमैट अकाउंट (Repatriable Demat account)
रिपाट्राइबल डीमैट अकाउंट्स नॉन-रेजिडेंट इंडियन्स (NRIs) के लिए होते हैं. इसके जरिए NRIs भारतीय शेयर बाजार में निवेश करते हैं. ट्रेडर्स और निवेशक इस अकाउंट के जरिए विदेश में फंड ट्रांसफर भी कर सकते हैं. लेकिन, फंड ट्रांसफर के लिए निवेशकों के पास NRE बैंक खाता भी होना चाहिए. इस खाते में ज्वाइंट होल्डर भी शामिल कर सकते हैं, जिन्हें भारतीय नागरिक होना चाहिए. हालांकि, वे कहां रह रहे हैं उस पर कोई पाबंदी नहीं है. इस डीमैट खाते में भी नॉमिनेशन सुविधा होती है.
रिपाट्राइबल डीमैट खाता (Repatriable Demat Account) खुलवाने के लिए NRIs को पासपोर्ट की एक कॉपी, PAN कार्ड, वीजा, विदेश में अपना पता, पासपोर्ट साइज फोटो और साथ ही में FEMA डिक्लेरशन और NRE या NRO खाते का कैंसल्ड चेक भी देना होगा.
नॉन-रिपाट्रिएबल डीमैट अकाउंट
ये खाता भी NRIs के लिए ही होता है लेकिन इस खाते से विदेश में फंड ट्रांसफर नहीं किए एक डीमैट खाता क्या है जा सकते. इस खाते के लिए NRO बैंक अकाउंट की जरूरत होती है. ये खाता उनके लिए है जिनकी आय भारत और विदेश दोनों में है. देश के अंदर और विदेश की कमाई को एक साथ मैनेज करने के लिए NRO खाते का इस्तेमाल किया जाता है.
Demat vs Trading Account: एक डीमैट खाता क्या है डीमैट व ट्रेडिंग अकाउंट में क्या अंतर होता है? दोनों के क्या इस्तेमाल हैं?
Demat vs Trading Account: इक्विटी मार्केट में निवेश के लिए किसी भी व्यक्ति के पास डीमैट अकाउंट का होना सबसे पहली शर्त है। डीमैट अकाउंट के साथ एक और खाता अटैच होता है जिसे ट्रेडिंग अकाउंट कहते हैं। जरूरत के आधार पर दोनों निवेशक दोनों का अलग-अलग इस्तेमाल करते हैं।
शेयर बाजार में निवेश करने वालों ने डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट के बारे में बहुत सुनते हैं, पर अधिकांश लोगों को इन दोनों खातों के बीच का अंतर नहीं पता होता है। आइए आसान भाषा में जानते हैं डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट के बीच क्या-क्या अंतर होता है?
बता दें कि इक्विटी मार्केट में निवेश के लिए किसी भी व्यक्ति के पास डीमैट अकाउंट का होना सबसे पहली शर्त है। डीमैट अकाउंट के साथ एक और खाता अटैच होता है जिसे ट्रेडिंग अकाउंट कहते हैं। जरूरत के आधार पर दोनों निवेशक दोनों का अलग-अलग इस्तेमाल करते हैं। डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट दोनों अलग-अलग तरह के खाते होते हैं। डीमैट अकाउंट वह अकाउंट होता है जिसमें आप अपने असेट या इक्विटी शेयर रख सकते हैं। वहीं दूसरी ओर ट्रेडिंग अकाउंट वह खाता होता है जिसका इस्तेमाल करतेह हुए आप इक्विटी शेयरों में लेनदेन करते हैं।
डीमैट अकाउंट वह खाता होता है जिसके माध्यम से आप अपनी इक्विटी हिस्सेदारी इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट में होल्ड करके रखते हैं। डीमैट अकाउंट फिजिकल शेयर को इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में बदल देता है। डीमैट अकाउंट खोलने पर आपको एक डीमैट अकाउंट नंबर दिया जाता है जहां आप अपने इक्विटी शेयरों एक डीमैट खाता क्या है को सहेज कर रखते हैं। डीमैट अकाउंट बहुत हद तक बैंक अकाउंट की तरह कार्य करता है। यहां से इक्विटी बाजार में किए गए अपने निवेश की जमा और निकासी कर सकते हैं। डीमैट अकाउंट खोलने के लिए यह जरूरी नहीं कि आपके पास कोई शेयर हो। आपके अकाउंट में जीरो बैलेंस हो तो भी आप डीमैट खाता खोल सकते हैं।
इक्विटी शेयरों को खाते में सहेजकर रखने की बजाय अगर आप इनकी ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो आपको ट्रेडिंग अकाउंट की जरूरत पड़ती है। अगर आप शेयर बाजार में लिस्टेड किसी कंपनी के शेयरों की खरीद-बिक्री करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको ट्रेडिंग अकाउंट की जरूरत पड़ती है।
जहां डीमैट अकाउंट आपके शेयर या को डिमैटिरियलाइज्ड तरीके से सुरक्षित रखने वाला खाता होता है, वहीं दूसरी ओर, ट्रेडिंग अकाउंट आपके बैंक खाते और डीमैट खाते के बीच की कड़ी होती है। डीमैट अकाउंट में शेयरों को सुरक्षित रखा जाता है। इसमें कोई लेन-देन नहीं किया जाता है। ट्रेडिंग अकाउंट शेयरों की खरीद-फरोख्त के लिए इस्तेमाल होता है। डीमैट अकाउंट पर निवेशकों को सालाना कुछ चार्ज देना होता है। पर ट्रेडिंग अकाउंट आमतौर पर फ्री होता है, हालांकि यह इस बात पर निर्भर करता है कि सेवा प्रदाता कंपनी आपसे चार्ज वसूलेगी या नहीं।
आमतौर पर डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट एक साथ ही खोले जाते हैं। शेयरों में निवेश के लिए दोनों ही तरह के खाते जरूरी हैं। जब आप शेयरो को खरीदते हैं और उसे लंबे समय तक अपने पास रखना चाहते हैं तो आपको डीमैट अकाउंट की जरूरत पड़ती है। वहीं अगर आप बस शेयरों की ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो आपको ट्रेडिंग अकाउंट की जरूरत पड़ती है। अगर आप सिर्फ इंट्राडे शेयर ट्रेडिंग, फ्यूचर ट्रेडिंग, ऑप्शंस ट्रेडिंग और करेंसी ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो आपको सिर्फ डीमैट अकाउंट की जरूरत पड़ती है। आप चाहते तो दोनों तरह के खातों को एक दूसरे के बिना भी रख सकते हैं।
विस्तार
शेयर बाजार में निवेश करने वालों ने डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट के बारे में बहुत सुनते हैं, पर अधिकांश लोगों को इन दोनों खातों के बीच का अंतर नहीं पता होता है। आइए आसान भाषा में जानते हैं डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट के बीच क्या-क्या अंतर होता है?
Demat account meaning in Hindi | डीमैट खाता क्या है ?
तो जल्दी करिए और यहा से जानिए free मे कैसे खुलवाए अपना Demat और Trading Account.
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By Gaurav
Gaurav Popat एक निवेशक, ट्रेडर और ब्लॉगर है, जो की शेयर बाज़ार एक डीमैट खाता क्या है मे बहुत रुचि रखता है। वह साल 2015 से शेयर बाज़ार मे है। पिछले 7 साल मे खुद अलग अलग जगह से सीख कर और अनुभव के आधार पर शेयर बाज़ार और निवेश के विषय मे यहा पर जानकारी देता है।
Demat Account: आप भी हैं एक से अधिक डीमैट खातों से परेशान, ये है सभी शेयरों को एक अकाउंट में ट्रांसफर करने का तरीका
Demat Account: आप डीमैट खाते में शेयर ट्रांसफर करना चाहते हैं तो आपके पास दो विकल्प हैं। आप ऑनलाइन या फिर ऑफलाइन मोड से शेयरों को एक अकाउंट से दूसरे डीमैट अकाउंट में ट्रांसफर कर सकते हैं।
Written By: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Published on: July 21, 2022 17:56 IST
Photo:PTI Dmat Account
Highlights
- आप ऑनलाइन या ऑफलाइन मोड से एक अकाउंट से दूसरे डीमैट अकाउंट में ट्रांसफर कर सकते हैं
- देश में डिपॉजिटरीज डीमैट खातों की देखरेख करते हैं, ये हैं NSDL और CDSL
- CDSL के साथ डीमैट खाता होने पर आप ऑनलाइन शेयर ट्रांसफर कर सकते हैं
Demat account: शेयर बाजार में निवेश के लिए सबसे पहली जरूरत होती है कि आपके पास अपना एक डीमैट अकाउंट हो। इसी डीमैट खाते से आप किसी आईपीओ में निवेश करने के अलावा शेयरों की खरीद बिक्री कर सकते हैं। देश में फिलहाल प्रति माह 8 लास से अधिक डीमैट खाते खोले जा रहे हैं। अक्सर लोग आईपीओ में अधिक लॉट खरीदने के चक्कर में एक से अधिक डीमैट खाते खोल लेते हैं। इसके अलावा कई बार ऐजेंट के कहने पर भी हम दूसरा अकाउंट खोल ही देते हैं।
यदि आप एक्टिव ट्रेडर हैं तो एक से अधिक अकाउंट होने में कोई गुरेज नहीं है, लेकिन यदि आप शौकिया मार्केट में निवेश करते हैं या फिर ज्यादा एक्टिव नहीं हैं तो यह आपके लिए मुसीबत का कारण भी बन सकता है। एक तो आपको डीमैट अकाउंट का वार्षिक चार्ज देना पड़ता है, इसके अलावा डीमैट खातों पर हैकिंग का खतरा भी होता है। हैकर्स आपके अकाउंट से शेयर खरीद में फर्जी वाड़ा कर सकते हैं और आपको पता भी नहीं चलेगा। ऐसे में अगर आपके पास भी एक से अधिक डीमैट खाते हैं तो बेहतर होगा कि आप अपने शेयर्स को तुरन्त दूसरे अकाउंट में ट्रांसफर कर लें। आइए जानते हैं इसका क्या तरीका है:
आपके पास हैं दो विकल्प
आज डीमैट खाता पूरी तरह से डिजिटल हो चुका है। शेयर खरीद से लेकर पैसा ट्रांसफर तक सब कुछ डिजिटल है। लेकिन यदि आप डीमैट खाते में शेयर ट्रांसफर करना चाहते हैं तो आपके पास दो विकल्प हैं। आप ऑनलाइन या फिर ऑफलाइन मोड से शेयरों को एक अकाउंट से दूसरे डीमैट अकाउंट में ट्रांसफर कर सकते हैं।
ऑफलाइन मोड
देश में डिपॉजिटरीज डीमैट खातों की देखरेख करते हैं, ये हैं NSDL और CDSL, इनकी मदद से आप ऑफलाइन मोड में शेयर ट्रांसफर कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए डिलीवरी इंस्ट्रक्शन स्लिप (DIS) की जरूरत पड़ेगी। इस फॉर्म में ट्रांसफर किए जाने वाले शेयरों का ISIN नंबर, कंपनी का नाम और जहां इन्हें ट्रांसफर किया जा रहा है उस डीमैट अकाउंट और उसका DP Id दर्ज करना होगा। यहां पुराने वाले ब्रोकर के ऑफिस में आगे के प्रोसेस के लिए फॉर्म जमा कराना होगा।
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