यह है आरडीएस के फायदे
विशेषज्ञ कहते हैं कि आरडीएस में निवेशकों को बेहतर तरलता हासिल हो जाएगी. निवेश सलाहकार हरिगोपाल पाटीदार कहते हैं कि इस योजना का इस्तेमाल करने से रिटेल इन्वेस्टर के लिए खरीदी गई गवर्नमेंट सिक्युरिटी बेचना आसान हो जाएगा. पहले ब्रोकर और एक्सचेंज की प्रणाली में सेकेंडरी मार्कट (secondary market) की तरलता काफी कम थी. सीए वीरेंद्र खटीक कहते हैं कि जब आप एक्सचेंज और ब्रोकर के जरिये बॉन्ड खरीदते हैं तो आपको ब्रोकरेज शुल्क (Brokerage Fee) देना पड़ता है. गिल्ट म्युचुअल फंड (Gilt Mutual Fund) में भी एक्सपेंस रेश्यो की शक्ल में हर साल कुछ शुल्क भरना पड़ता है. मगर सीधे निवेश की योजना आरडीएस में कुछ भी नहीं देना पड़ता.
क्या क्या दस्तावेज चाहिए
जब आप और आपके ब्रोकर की योग्यता मिल जाती हैं तो आपको कुछ दस्तावेज जुटाना होगा। इनमें पैन कार्ड, आधार कार्ड और एजुकेशन प्रूफ (जैसे कुछ ब्रोकर 10 + 2 की शैक्षिक योग्यता को अनिवार्य करते हैं) जैसे कुछ आईडी और दस्तावेज देने होंगे। इसके अलावा, आपके निवास और आपके कार्यालय के पते का प्रमाण तस्वीरों के साथ और सीए के रेफरेंस लेटर की आवश्यकता होगी। जांच लें कि क्या इसके अलावा भी कुछ आवश्यक है।
बुद्धिमानी से ब्रोकरेज फर्म चुनें
आपको कभी भी ऐसा कुछ नहीं बेचना चाहिए, जिसे कोई खरीदने को राजी बुद्धिमानी से ब्रोकरेज फर्म चुनें न हो। इस वजह से ब्रोकरेज फर्मों के बारे में गहन रिसर्च करें। निवेशक किसे पसंद कर रहे हैं, जानने की कोशिश करें। आपके ब्रोकर के पास अच्छी ब्रांड इक्विटी और रिकॉल वैल्यू होनी चाहिए। नए ग्राहक हासिल करने में बुद्धिमानी से ब्रोकरेज फर्म चुनें मददगार होगा। आम तौर पर, ग्राहक उन फर्मों बुद्धिमानी से ब्रोकरेज फर्म चुनें को प्राथमिकता देते हैं जिनके पास फ्लैट फी स्ट्रक्चर, वैल्यू-एडेड सर्विसेस होती हैं, और स्पॉट-ऑन सिफारिशों भी देती हैं।
आवश्यकताओं को जांच लें
सब-ब्रोकर बनने की कुछ शर्तें होती हैं जिन्हें आपको पूरा करना होगा। एक सब-ब्रोकर या मास्टर फ्रैंचाइज़ी मालिक के रूप में आपको लगभग 200 वर्ग फुट के ऑफिस स्पेस की आवश्यकता होगी। यह स्पेस आमतौर पर ब्रोकरेज फर्म पर निर्भर करता है, जिसके साथ आप जा रहे हैं। आपको लगभग एक से दो लाख या उससे अधिक रुपए का रिफंडेबल शुल्क भी जमा करना होगा। अंत में अपने ब्रोकर की कमीशन स्ट्रक्चर जांच लें। हालांकि, वर्तमान परिस्थितियों के साथ और वर्क-फ्रॉम-होम विकल्प के साथ, व्यावसायिक स्पेस की आवश्यकता वैकल्पिक हो सकती है
बुनियादी जानकारी दें
शुरुआत में चुने गए ब्रोकिंग फर्म से कॉलबैक (Call back) का अनुरोध करें। फोन पर ही आपके बारे में, पढ़ाई-लिखाई (Education) के बारे में तथा पहले के कामकाज (बुद्धिमानी से ब्रोकरेज फर्म चुनें Job or Profession) के बारे में जानकारी ली जाएगी। इसके साथ ही कुछ बुनियदी सवाल (Basic Questions) भी पूछे जाएंगे। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि आप और आपका ब्रोकर (Broker) दोनों एक-सा सोच रहे हैं।
शेयर बाजार में टिप्स और स्ट्रैटजी के साथ कामयाबी के लिए चाहिए लंबी प्लानिंग
इंटरनेट के युग में सभी अच्छे ब्रोकरेज फर्म के ऐप उपलब्ध हैं और सभी डिस्काउंट ब्रोकर की तरह कम ब्रोकरेज का लाभ दे रहे हैं। ये मार्जिन फंडिंग की भी सुविधा देते हैं। लगभग 10-12 फीसद सालाना ब्याज पर चुनिंदा शेयर खरीदने का अवसर है।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। शेयर बाजार में पैसे कैसे लगाएं इस प्रश्न पर हर किसी की अपनी-अपनी राय होती है जो बहुत-से लोग अक्सर जोरदार दावे के साथ सामने रखते हैं। उनमें बहुत से सही भी होते हैं इसमें कोई शक नहीं है। लेकिन वे हर बार सही या फिर गलत होंगे यह समझना भूल है। इसकी बड़ी वजह शेयर बाजार का पल-प्रतिपल बदलना और अब तो देश-दुनिया के राजनीतिक-आर्थिक हालात भी बहुत तेजी से बदलते हैं लिहाजा हमंे यह समझना होगा कि शेयर बाजार में आगे रहने के लिए लंबी रेस का घोड़ा बनना है। यह बात इक्वीटी ही नहीं फ्यूचर-आप्शन पर भी लागू होता है। ऐसे में आपको टिप्स और स्ट्रैटेजी के साथ लंबी प्लानिंग करनी होगी।
Investment Tips: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI, आरबीआई) ने हाल ही में रिटेल डायरेक्ट स्कीम (RDS, आरडीएस) की शुरुआत की. इसके ज . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : November 29, 2021, 17:03 IST
नई दिल्ली. सरकार विकास कार्यों और अपने घाटे की बुद्धिमानी से ब्रोकरेज फर्म चुनें पूर्ति के लिए अक्सर बाजार से पैसा उठाती है. इसमें बड़े निवेशक या फंड हाउस ही निवेश करते हैं, लेकिन अब सरकार ने रिटेल यानी सभी के लिए अपने दरवाजे खोल दिए हैं. इससे गवर्नमेंट सिक्युरिटी (Government Decurity) यानी जीसेक (G-Sec) में पैसा लगाना आसान हो गया है.
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने हाल ही में रिटेल डायरेक्ट स्कीम (RDS, आरडीएस) की शुरुआत की. इसके जरियए रिटेल इन्वेस्टर को सरकारी प्रतिभूतियों (GSec) में निवेश करने के लिए सीधा रास्ता हासिल हो रहा है. इन प्रतिभूतियों (Securities) में केंद्र सरकार की प्रतिभूतियां, ट्रेजरी, राज्य विकास ऋण (एसडीएल) और सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड शामिल हैं. इनमें पैसा लगाकर 40 साल तक एक जैसा ब्याज पा सकते हैं.
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