Published on: July 30, 2022 17:52 IST
Face Value kya hai? शेयर बाजार में अंकित मूल्य का क्या महत्व है?
Face Value kya hai? शेयर बाजार में अंकित मूल्य का क्या महत्व है? – Hi, Friends आज के लेख में हम जानेंगे कि face value क्या है? Share Market में इसका क्या महत्व है? शेयर बाजार में face value क्या है? शेयरों के face value और market value के बीच अंतर है?
यदि आप share market में रूचि रखते हैं, इसके हर पहलुओं को समझना चाहते हैं तो इसके सन्दर्भ में आपको ये भी जानना आवश्यक है कि – Face Value क्या है? क्या Stock Split और Face value के बीच कोई सम्बन्ध है या नहीं ये भी आपको समझना चाहिए.
आज के इस लेख में आप उपरोक्त तमाम प्रश्नों का उत्तर बिल्कुल सरल भाषा में समझ पायेंगे. चलिए शुरू करते हैं, सबसे पहले हम जानेंगे कि Face Value क्या होता है?
Table of Contents
Face Value kya hai?
Face Value जिसे हिंदी भाषा में अंकित मूल्य कहा जाता है. इसके अन्य नाम Nominal value और Par value भी है. यह वह मूल्य है जो share certificates (शेयर प्रमाणपत्र) पर अंकित रहती है. वास्तव में यह किसी शेयर की वास्तविक मूल्य होती है.
Face Value कंपनी द्वारा shares जारी करते समय तय किया जाता है. प्रत्येक कंपनी एक निश्चित मूल्य पर शेयर जारी करती है और शेयरधारकों को कंपनी द्वारा शेयरों का विवरण युक्त एक शेयर प्रमाणपत्र जारी शेयर का मूल्य बढ़ता या घटता क्यों है? किया जाता है. इसी प्रमाणपत्र पर स्पस्ट रूप से shares का Face value इंगित रहता है.
हम सभी जानते हैं कि stock market में listed सभी शेयरों का एक अपना value होता है जिसका मूल्य रोजाना घटता बढ़ता रहता है. यहाँ पर एक महत्वपूर्ण सवाल हमारे पास आता है कि क्या – Face Value भी रोजाना घटता – बढ़ता रहता है?
इसका सीधा सा जवाब है कि Face Value का price प्रायः fixed ही रहते हैं जो रोजाना घटते – बढ़ते नहीं हैं. यह वह मूल्य है जिसके आधार पर ही कोई कंपनी आपनी शेयर्स बाज़ार में जारी करते हैं.
क्या कोई कंपनी अपने शेयर की Face Value बदल सकती है?
जैसा की मैं आपको बता चुका हूँ कि Face Value का price प्रायः fixed ही रहते हैं जो रोजाना परिवर्तित नहीं होते हैं. मान लीजिये की किसी कंपनी के शेयर की face value 10 रूपये हैं और future में यदि इस एक शेयर की कीमत 200 रूपये हो जाए तो इसकी face value 10 रूपये ही रहेगा.
किन्तु कोई कंपनी चाहे तो अपने shares की face value बदल सकती है किन्तु यह कैसे बदलता है? यह तब बदलता है जब stock split किया जाता है. Stock split का अर्थ होता है शेयर विभाजन. यह तब किया जाता है कि जब किसी कंपनी की shares की बाज़ार कीमत बहुत अधिक बढ़ जाती है. Share split इसलिए किया जाता है ताकि महंगे shares को विभाजित करके छोटे शेयर्स में बाँट दिया जाए जिससे छोटे – छोटे निवेशक भी शेयर खरीद सकें.
Face Value और Market Value में क्या अंतर है?
जैसा कि हम समझ चुके हैं कि face value किसी शेयर का वास्तविक मूल्य होता है. इसे आसानी शेयर का मूल्य बढ़ता या घटता क्यों है? से एक छोटे से उदहारण द्वारा समझा जा सकता है. मान लिया जाये कि किसी कंपनी की शुरूआती पूँजी एक लाख (100000) रूपये है और इसे दस हज़ार (10000) शेयर्स में विभाजित किया जाता है तो ऐसी स्तिथि में कंपनी शेयर्स की initial value दस (10) रूपये होगी. इसी initial value को शेयर्स का face value कहा जायेगा.
अक्सर नए निवेशक पहली बार स्टॉक के अंकित मूल्य और स्टॉक के बाजार मूल्य के बीच अंतर कर पाने में भ्रमित हो जाते हैं. लेकिन असल में दोनों एक दुसरे से भिन्न हैं. Face value अक्सर निश्चित रहता है वहीँ दूसरी ओर बाजार मूल्य जो बाजार की स्थिति के अनुसार बदलता रहता है. बाज़ार मूल्य निर्भर करता है कि shares की मौजूदा बाज़ार में मांग कितनी है.
Face Value क्यों चेक करना जरुरी है?
मान लीजिये XYZ कंपनी के share का Face Value 5 रुपया है जो 100 रूपये में बेंचा जा रहा है वहीँ एक दूसरी कंपनी ABC भी है जिसके share का Face Value 10 रुपया है और यह भी 100 रूपये में ही बेंचा जा रहा है. अब यहाँ पर देखना यह है कि XYZ कंपनी का शेयर अपनी Face Value से 20 गुणा अधिक कीमत पर बिक्री हो रहा है और दूसरी ओर ABC कंपनी का share 10 गुणा अधिक कीमत पर बीक रहा है.
इसतरह से आप Face Value देखकर स्वयं आकलन कर सकते हैं कि किस कंपनी का शेयर्स अधिक प्रीमियम पर बेंचा जा रहा है.
अन्य महत्वपूर्ण बात :
मान लीजिये किसी कंपनी की share का मूल्य 10 रूपये है तो :
- यदि मांग बढ़ने के कारण इसकी कीमत 12 रूपये हो जाए तो इसे Above Par कहेंगे
- यदि शेयर की कीमत घटकर 8 रूपये हो जाए तो इसे Below Par कहेंगे
- और यदि इस 10 रूपये वाले शेयर की कीमत 10 रूपये ही रहे तो इसे At Par कहेंगे
मैं इस हिंदी ब्लॉग का संस्थापक हूँ जहाँ मैं नियमित रूप से अपने पाठकों के लिए उपयोगी जानकारी प्रस्तुत करता हूँ. मैं अपनी शिक्षा की बात करूँ तो मैंने Accounts Hons. (B.Com) किया हुआ है और मैं पेशे से एक Accountant भी रहा हूँ.
क्या है सेंसेक्स और कैसे घटता-बढ़ता है शेयर बाजार?
(Economy) और इससे जुड़े तथ्यों को आम जीवन से जोड़कर नहीं देख पाते. यही कारण है कि इन तथ्यों को बिजनेस की बातें समझकर हम ज्यादातर ध्यान नहीं देते हैं. हां, पर जब कोई न्यूज ब्रेकिंग न्यूज बनकर अखबारों, न्यूज चैनलों की सुर्खियों में होती है तो हम समझना जरूर चाहते हैं कि आखिर यह है क्या और इतना महत्वपूर्ण क्यों है? ऐसी ही खबरों में आजकल सेंसेक्स (Sensex) की खबर है. सेंसेक्स (Sensex) की खबरें यूं तो हर दिन होती हैं, किंतु आजकल लगभग हर अखबार और न्यूज चैनल पर इसकी खबरें प्रमुखता से आ रही हैं. रुपया गिरा तो सेंसेक्स गिरा, नारायण मूर्ति(Narayan Murthy) ने इंफोसिस (Infosys) दुबारा ज्वाइन किया तो सेंसेक्स उठा आदि. आखिर क्या है यह सेंसेक्स (Sensex) और इसके गिरने-उठने के कारण क्या हैं?
सेंसेक्स (Sensex) या संवेदी सूचकांक भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) का एक महत्वपूर्ण कारक है. सेंसेक्स (Sensex) का सामान्य अर्थ है सेंसिटिव इंडेक्स (sensitive index) या संवेदी सूचकांक. भारत में इसके अंतर्गत दो प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज मुंबई शेयर बाजार (Bombay Stock Exchange या BSE) तथा एनएसई (National Stock Exchange या NSE) आते हैं. सामान्यतया यह बीएसई (BSE) के लिए जाना जाता है. बीएसई (BSE) के अंतर्गत 30 प्रमुख भारतीय कंपनियां आती हैं. ये कंपनियां एक प्रकार से भारतीय बाजार का ट्रेंड सेट करने का काम करती हैं. सरल शब्दों में भारत की बड़ी कंपनियों के शेयरों की कीमतों (Shares Price) को आंकने के लिए एक सूचकांक बनाया गया है जो बाजार में इन कंपनियों के शेयरों की बढ़ती-घटती कीमतों पर नजर रखता है. यही सूचकांक सेंसेक्स (Sensex) कहलाता है.
कैसे बढ़ते-घटते हैं शेयरों के मूल्य?
(Shares Price) गिर रहे हैं, तो सेंसेक्स (Sensex) गिर जाता है.
शेयरों की कीमतों के गिरने-उठने का महत्वपूर्ण कारण होता है कंपनी का प्रदर्शन. अगर कंपनी ने बाजार में कोई नया, बड़ा, हिट प्रोजेक्ट लांच किया, तो कंपनी के शेयरों के दाम (Shares Price) बढ़ जाते हैं. इसी प्रकार कंपनी अगर किसी क्राइसिस या मुश्किल से गुजर रही हो, तो इसके शेयर के दाम (Shares Price) घट जाते हैं. अभी कुछ दिनों पहले इंफोसिस (Infosys) के भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनियों में दूसरे पायदान पर आने से उसके शेयरों के दाम (Shares Price) लगातार गिर रहे थे. इसी दबाव में इसके फाउंडर नारायण मूर्ति (Narayan Murthy) ने दुबारा कंपनी ज्वाइन की. लेकिन उनके ज्वाइन करते ही इंफोसिस (Infosys) के शेयर मूल्य (Shares Price) बढ़ गए. शेयरों के दाम घटना ‘सेंसेक्स में गिरावट’ कहलाता है और शेयरों के दाम (Shares Price) बढ़ना ‘सेंसेक्स में उछाल’ कहलाता है.
सेंसेक्स मापने का तरीका
(Free Float Market Capitalisation) विधि के द्वारा सेंसेक्स (Sensex) मापा जाता है.
सेंसेक्स का महत्व
शेयर बाजार किसी भी देश की अर्थव्यवस्था (Economy) के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है. यह बाजार में आवश्यक मनी फ्लो को बनाए रखता है. दूसरे शब्दों में बाजार तथा अर्थव्यवस्था (Economy) की तरलता को बनाए रखने में शेयर बाजार का अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान है.
काम की खबर: नजारा का IPO तो खुला, लेकिन जानिए कैसे करें IPO में निवेश, डीमैट अकाउंट है जरूरी
हमारे देश में बचत के पैसे लगाने यानी निवेश करने के कई तरीके हैं। इन्ही में से एक है 'इनीशियल पब्लिक ऑफर' यानि IPO। निवेश का ये तरीका आज कल ट्रेंड में है। अगर आप भी IPO में निवेश करने का प्लान बना रहे हैं या करना चाहते हैं तो सबसे पहले ये समझ लीजिए कि IPO क्या होता है? दरअसल, जब कोई कंपनी अपने स्टॉक या शेयर्स छोटे-बड़े निवेशकों के लिए जारी करती है तो उसका जरिया IPO होता है। इसके बाद कंपनी शेयर बाजार में लिस्ट होती है।
IPO होता क्या है?
जब कोई कंपनी पहली बार अपनी कंपनी के शेयर्स को लोगों को ऑफर करती है तो इसे IPO कहते हैं। कंपनियों द्वारा ये IPO इसलिए जारी किया जाता है जिससे वह शेयर बाजार में आ सके। शेयर बाजार में उतरने के बाद कंपनी के शेयरों की खरीदारी और बिकवाली शेयर बाजार में हो सकेगी। यदि एक बार कंपनी के शेयरों की ट्रेडिंग की इजाजत मिल जाए तो फिर इन्हें खरीदा और बेचा जा सकता है। इसके बाद शेयर को खरीदने और बेचने से होने वाले फायदे और नुकसान में भागीदारी निवेशकों की होती है।
कंपनी IPO क्यों जारी करती है?
जब किसी कंपनी को अपना काम बढ़ाने के लिए पैसों की जरूरत होती है तो वह IPO जारी करती है। ये IPO कंपनी उस वक्त भी जारी कर सकती है जब उसके पास धन की कमी हो वह बाजार से कर्ज लेने के बजाय IPO से पैसा जुटाना चाहती हैं। शेयर बाजार में लिस्टेड होने के बाद कंपनी अपने शेयरों को बेचकर पैसा जुटाती है। बदले में IPO खरीदने वाले लोगों को कंपनी में हिस्सेदारी मिल जाती है। मतलब जब आप किसी कंपनी के शेयर खरीदते हैं तो आप उस कंपनी के खरीदे गए हिस्से के मालिक होते हैं।
क्या इसमें निवेश करने में रिस्क हो सकता है?
इसमें कंपनी के शेयरों की परफॉर्मेंस के बारे में कोई आंकड़े या जानकारी लोगों के पास नहीं होती है, इसलिए इसे थोड़ा रिस्की तो माना ही जाता है। लेकिन जो व्यक्ति पहली बार शेयर बाजार में निवेश करता है उसके लिए IPO बेहतर विकल्प है।
IPO में निवेश कैसे करें?
अगर आप IPO में इन्वेस्ट करना चाहते है तो उसके लिए आपको डीमैट या ट्रेडिंग अकाउंट खोलना होता है। ये अकाउंट एचडीएफसी सिक्योरिटीज, आईसीआईसीआई डायरेक्ट और एक्सिस डायरेक्ट जैसे किसी भी ब्रोकरेज के पास जाकर खोला जा सकता है। इसके बाद आपको जिस कंपनी में निवेश करना है उसमें आवेदन करें। निवेश के लिए जरूरी रकम आपके डीमैड एकाउंट से लिंक्ड एकाउंट में होनी चाहिए। निवेश की रकम तब तक आपके एकाउंट से नहीं कटती जब तक आपको शेयर अलॉट नहीं हो जाता।
जब भी कोई कंपनी IPO निकालती है उससे पहले इसका एक समय किया जाता है जो 3-5 दिन का होता है। उसी समय में उस कंपनी का IPO ओपन रहता है। जैसे शेयर मार्केट से हम एक, दो या अपने चुनाव से शेयर खरीदते है यहां ऐसा नहीं होता। यहां आपको कंपनी द्वारा तय किए गए लॉट में शेयर खरीदना होता है। ये शेयर की कीमत के हिसाब से 10, 20, 50, 100, 150, 200 या अधिक भी हो सकता है। वहां आपको 1 शेयर की कीमत भी दिखाई देती है।
IPO की कीमत कैसे तय होती है?
IPO की कीमत दो तरह से तय होती है। इसमें पहला होता है प्राइस बैंड और दूसरा फिक्स्ड प्राइस इश्यू ।
प्राइस बैंड कैसे?
शेयर की कीमत को फेस वैल्यू कहा जाता है। जिन कंपनियों को आईपीओ लाने की इजाजत होती है वे अपने शेयर्स की कीमत तय कर सकती हैं। लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर और अन्य क्षेत्रों की कंपनियों को सेबी और बैंकों को रिजर्व बैंक से अनुमति लेनी होती है। कंपनी का बोर्ड ऑफ डायरेक्टर बुक-रनर के साथ मिलकर प्राइस बैंड तय करता है। भारत में 20% प्राइस बैंड की इजाजत है। इसका मतलब है कि बैंड की अधिकतम सीमा फ्लोर प्राइस से 20% से ज्यादा नहीं हो सकती है। फ्लोर प्राइस वह न्यूनतम कीमत है, जिस पर बोली लगाई जा सकती है। प्राइस बैंड उस दायरे को कहते हैं जिसके अंदर शेयर जारी किए शेयर का मूल्य बढ़ता या घटता क्यों है? जाते हैं। मान लीजिए प्राइस बैंड 100 से 105 का है और इश्यू बंद होने पर शेयर की कीमत 105 तय होती है तो 105 रुपए को कट ऑफ प्राइस कहा जाता है। अमूमन प्राइस बैंड की ऊपरी कीमत ही कट ऑफ होती है।
आखिरी कीमत
स्टॉक मार्केट एक्सपर्ट अविनाश गोरक्षकर के अनुसार बैंड प्राइस तय होने के बाद निवेशक किसी भी कीमत के लिए बोली लगा सकता है। बोली लगाने वाला कटऑफ बोली भी लगा सकता है। इसका मतलब है कि अंतिम रूप से कोई भी कीमत तय हो, वह उस पर इतने शेयर खरीदेगा। बोली के बाद कंपनी ऐसी कीमत तय करती है, जहां उसे लगता है कि उसके सारे शेयर बिक जाएंगे।
अगर IPO में कंपनी के शेयर नहीं बिकते हैं तो क्या होगा?
अगर कोई कंपनी अपना IPO लाती है और निवेशक शेयर नहीं खरीदता है तो कंपनी अपना IPO वापस ले सकती है। हालांकि कितने प्रतिशत शेयर बिकने चाहिए इसको लेकर कोई अलग नियम नहीं है।
ज्यादा मांग आने पर क्या होगा?
मान लीजिए कोई कंपनी IPO में अपने 100 शेयर लेकर आई है लेकिन 200 शेयरों की मांग आ जाती है तो कंपनी सेबी द्वारा तय फॉर्मूले के हिसाब से शेयर अलॉट होते हैं। कंप्यूटराइज्ड लॉटरी के जरिए आई हुई अर्जियों का चयन होता है। इसके अनुसार जैसे किसी निवेशक ने 10 शेयर मांगे हैं तो उस 5 शेयर भी मिल सकते हैं या किसी निवेशक को शेयर नहीं मिलना भी संभव होता है।
कैसे शेयर बाज़ार (stock market) में निवेश करें
यह आर्टिकल लिखा गया सहयोगी लेखक द्वारा Ara Oghoorian, CPA. आरा ओघूरियन एक सर्टिफाइड फिनेंसिअल अकाउंटेंट (CFA), सर्टिफाइड फिनेंसिअल प्लानर (CFP), एक सर्टिफाइड पब्लिक अकाउंटेंट (CPA), और ACap Advisors & Accountants, जो एक बुटीक वेल्थ मैनेजमेंट और लॉस एंजिल्स, कैलिफोर्निया में फुल सर्विस एकाउंटिंग फर्म के संस्थापक हैं। वित्तीय उद्योग में 26 से अधिक वर्षों के अनुभव के साथ, आरा ने 2009 में ACap Asset Management की स्थापना की। उन्होंने पहले फेडरल रिजर्व बैंक ऑफ सैन फ्रांसिस्को, यूएस डिपार्टमेंट ऑफ ट्रेजरी, और रिपब्लिक ऑफ़ आर्मेनिया में वित्त और अर्थव्यवस्था मंत्रालय के साथ काम किया है। सैन फ्रांसिस्को स्टेट यूनिवर्सिटी से आरा ने एकाउंटिंग और फाइनेंस में BS की डिग्री प्राप्त की है, फेडरल रिजर्व बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के माध्यम से एक कमीशन बैंक परीक्षक है, चार्टर्ड फाइनेंसियल एनालिस्ट डेसिग्नेशन पर कार्यरत है, एक प्रमाणित वित्तीय नियोजक™ प्रैक्टिशनर है, और एक सर्टिफाइड पब्लिक अकाउंटेंट लाइसेंस रखती है, एक नामांकित एजेंट, और 65 लाइसेंस की सीरीज़ रखते हैं।
यहाँ पर 36 रेफरेन्स दिए गए हैं जिन्हे आप आर्टिकल में नीचे देख सकते हैं।
यह आर्टिकल १३,९६७ बार देखा गया है।
यह कोई संयोग नहीं है कि ज्यादातर अमीर लोग शेयर बाज़ार (stock market) में निवेश करते हैं। इसमें तकदीरें बनती और बिगड़ती भी है, लेकिन स्टॉक में निवेश आर्थिक सुरक्षा, स्वतंत्रता, तथा पीढ़ियों के लिए घर एकत्रित करने का सबसे बढ़िया तरीका है। चाहे आपने अभी-अभी बचत करना शुरू किया है या अपने रिटायरमेंट (retirement) के लिए पूंजी बचा कर रखी है, तो आपकी बचत, आपका पैसा आपके लिए बिलकुल वैसे ही कार्य करेगा जैसा आपने कार्य करके उसे कमाया है। इसमें कामयाबी के लिए, यह जरूरी है, कि आपकी स्टॉक मार्केट मतलब शेयर बाज़ार के बारे में जानकारी या समझ एकदम पक्की हो। यह लेख आपको निवेश संबंधी निर्णय की प्रक्रिया के बारे में बताएगा एवं कामयाब निवेशक बनने में मदद करेगा। यह लेख विशेष रूप से शेयरों में निवेश पर चर्चा करता है। शेयर में व्यापार के लिए, पढ़े कैसे शेयर बाज़ार में व्यापार करें। म्यूच्यूअल फंड्स के लिए, पढ़े कैसे निर्णय लें कि स्टॉक या म्यूच्यूअल फंड्स (mutual funds) खरीदें या नहीं।
Yes Bank के शेयर में अभी और तेजी आना बाकी, इतने रुपये तक जाएगा शेयर का भाव
Yes Bank: शुक्रवार को बैंक का स्टॉक 3 प्रतिशत चढ़कर बंद हुआ, जबकि पिछले एक सप्ताह में यह 5 प्रतिशत से अधिक बढ़ा है।
Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published on: July 30, 2022 17:52 IST
Photo:FILE Yes Bank
Highlights
- निवेशकों में शेयर खरीदने की होड़
- जल्द 19 रुपये पर जाएगा भाव
- शेयरधारकों को 18% से अधिक का रिटर्न एक महीने में
Yes Bank के शेयरों में पिछले कुछ सत्रों से तेजी बनी हुई है। शुक्रवार को बैंक का स्टॉक 3 प्रतिशत चढ़कर बंद हुआ, जबकि पिछले एक सप्ताह में यह 5 प्रतिशत से अधिक बढ़ा है। इसी तरह, पिछले एक महीने में यस बैंक के शेयर की कीमत 12.65 रुपये से बढ़कर 15 रुपये के स्तर पर पहुंच गई है। इस दौरान यस बैंक में निवेश करने वाले शेयरधारकों को 18 प्रतिशत से अधिक का रिटर्न मिला है। हालांकि, यह तो बस शुरुआत है। मार्केट एक्सपर्ट का कहना है कि अभी यस बैंक के शेयर में बड़ी तेजी आएगी और शेयर 20 रुपये के पार निकल जाएगा।
16 रुपया पर बड़ा रजिस्टेंस
मार्केट एक्सपर्ट का कहना है कि बीते कुछ दिनों में यस बैंक के शेयर में अच्छी तेजी आई है। हालांकि, 16 रुपये पर बड़ा रजिस्टेंस है। शेयर 16 रुपये पर पहुंचने पर बंपर मुनाफावसूली देखने को मिल सकती है। शेयर गिरकर 13.20 रुपये से 13.60 रुपये के स्तर पर पहुंच सकता है। हालांकि, अगर 16 रुपये का रजिस्टेंस टूटता है तो शेयर में 25% से 40 फीसदी की और तेजी देखने को मिलेगी। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर त्रअब यह शेयर 13.20 रुपये से लेकर 13.60 रुपये के बीच फिर खरीदने का मौका मिले तो यह खरीदारी का अवसर होगा। यहां से यह शेयर 20 रुपये तक जा सकता है।
क्यों आएगी शेयर में तेजी
शेयर बाजार के विशेषज्ञों के अनुसार, बैंक द्वारा निटी इक्विटी से फंड जुटाने और मजबूत तिमाही परिणाम के कारण यस बैंक के शेयर बढ़ रहे हैं। वर्तमान में यह बैंक का स्टॉक 12.50 रुपये से ₹16.20 रुपये के दायरे में कारोबार कर रहा है और इस सीमा पर ऊपरी बाधा के टूटने पर यह 19 रुपये तक जा सकता है। निजी क्षेत्र के यस बैंक ने शुक्रवार को कहा कि उसने वैश्विक निजी इक्विटी निवेशकों कार्लाइल और एडवेंट समूह को 8,898 करोड़ रुपये की प्रतिभूतियां जारी करने की मंजूरी दी है। यह फैसला पिछले महीने ‘यस बैंक लिमिटेड पुनर्निर्माण योजना, 2020’ से ऋणदाता के बाहर निकलने के बाद आया है। बैंक के बोर्ड ने शुक्रवार को हुई बैठक में 369.61 करोड़ इक्विटी शेयर और 256.75 करोड़ वारंट जारी करने का फैसला किया। शेयर बाजार को दी जानकारी के मुताबिक इन प्रतिभूतियों को तरजीही आधार पर जारी किया जाएगा, जिनकी कुल राशि 8,898.47 करोड़ रुपये है।
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 322