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इन 5 तरीकों से आप अपने घर लेने के सपने को कर सकते हैं पूरा

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नई दिल्ली, ब्रांड डेस्क। पढ़ाई पूरी करने बाद हम सभी अपने प्रोफेशनल करियर की शुरुआत करते हैं और यहां से हमारा नौकरी ढूंढने का सिलसिला शुरू हो जाता है। कुछ इंटरव्यू के बाद नौकरी मिल जाती है, लेकिन जैसे-जैसे जिंदगी आगे बढ़ती है, हमारे साथ कई फाइनेंशियल गोल जुड़ते चले जाते हैं। खुद की शादी, बच्चे की शिक्षा व स्वास्थ्य पर ध्यान देना, परिवार में भाई-बहन के खर्चों को पूरा करने के लिए सहयोग करना, साथ ही परिवार के दूसरे खर्चों में हम इतने व्यस्त हो जाते हैं कि अपने लिए नया घर लेना एक सपना बन जाता अपने पैसे का सही जगह निवेश करने में है समझदारी है। इसके अलावा जैसे-जैसे प्रोपर्टी के दाम बढ़ रहे हैं, ऐसे में नए घर का मालिक बनना एक नौकरी करने वाले व्यक्ति के लिए और भी मुश्किल हो जाता है।

बच्चों का सेविंग अकाउंट खुलवाना कितना जरूरी? किस उम्र में खोल सकते हैं खाता और क्या हैं इसके फायदे?

बच्चों का सेविंग अकाउंट खुलवाना कितना जरूरी? किस उम्र में खोल सकते हैं खाता और क्या हैं इसके फायदे?

बच्चे के नाम से माइनर सेविंग अकाउंट खुलवाने से पहले उन्हें सुरक्षित बैंकिंग सिस्टम के बारे में बताना चाहिए.

वित्तीय सफर के शुरूआत दौर में सेविंग अकाउंट पहला कदम है. आमतौर पर जब कोई शख्स कमाना शुरू करता है, तो वह बैंक में अपना सेविंग अकाउंट ओपन करवाता है. मगर मौजूदा वक्त में कई पैरेंट्स अपने नाबालिग बच्चे के नाम से बैंक में सेविंग अकाउंट खुलवा रहे हैं ताकि उनके बच्चे भी पैसों का रखरखाव करना सीख जाएं.

मनी मैनेजमेंट के बारे में हर किसी को सीखना चाहिए और ऐसा करके वह फायदे में हो सकता है, सेविंग अकाउंट मनी मैनेजमेंट की समझ विकसित करने के लिए एक शानदार विकल्प हो सकता है. फिलहाल बैंक में बच्चों के लिए कई तरह के अकाउंट हैं, अपने बच्चों के मौजूदा और भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए पैरेंट्स बैंक द्वारा पेश किए गए कई खातों में से कोई एक चुन सकते हैं. सेविंग अकाउंट होने के कई फायदे हैं. आइए एक-एक करके उनके बारे में जानें.

वित्तीय सफर की शुरूआत

म्यूचुअल फंड या शेयर बाजार में निवेश करना हो या इंश्योरेंस और स्मॉल सेविंग स्कीम की खरीदारी या फिर ऑनलाइन शॉपिंग, डेबिट कार्ड या यूपीआई के जरिए पेमेंट करना हो इन सभी के ट्रांजेंक्शन में बैंक अकाउंट की जरूरत पड़ती है. ऐसे में कहा जा सकता है कि सेविंग अकाउंट वित्तीय सफर की शुरूआत करने का प्रवेश द्वार है. 18 से कम उम्र के बच्चे अपने माइनर सेविंग अकाउंट से लेनदेन करके इस तरह के बैंक अकाउंट की सुविधाओं को समझ सकते हैं और बड़े होकर अपने बैंक अकाउंट का अच्छी तरीके से इस्तेमाल कर सकते हैं.

बैंकबाजार डॉट कॉम के सीईओ आदिल शेट्टी बताते हैं कि ज्यादातर लोग सेविंग अकाउंट से वित्तीय सफर की शुरूआत करते हैं. ये अकाउंट बच्चों को सेविंग और मनी मैनेजमेंट की अहमियत व बारिकियों की समझ विकसित करने के लिए एक बेहद शानदार तरीका है. सेविंग और अच्छे तरीके से मनी मैनेजमेंट करना लाइफ के लिए जरूरी स्किल है. ये स्किल उन्हें अपने पैसे को समझदारी से खर्च करने और बचाने में काम आएंगे. सेविंग अकाउंट नाबालिग खाताधारकों को पैसे का सही तरीके से मनी मैनेजमेंट के बारे सिखा सकता है. दरअसल बैंक अकाउंट अपने पैसे का सही जगह निवेश करने में है समझदारी के साथ किए गए सभी लेन-देन रिकॉर्ड किए जाते हैं. अकाउंटहोल्डर जब चाहे अपने रिकार्ड देख जा सकता है. नाबालिग अकाउंटहोल्डर अपने रोजमर्रा की जरूरतों पर होने वाले खर्चों का बजट कैसे तय करें, इसे बेहतर ढंग से समझने के लिए वे भी चाहें तो अपने बैंक अकाउंट डिटेल को देख सकते हैं.

सेविंग की आदत डालें

सेविंग अकाउंट न सिर्फ पैसा जमा करने का एक बेहतरीन विकल्प हैं, बल्कि सेविंग पर बैंक द्वारा अकाउंटहोल्डर को आकर्षक ब्याज भी अपने पैसे का सही जगह निवेश करने में है समझदारी मिलता हैं. अकाउंटहोल्डर अपने बैंक खाते से अतिरिक्त फंड को एफडी में भी डाल सकते हैं और उस पर ज्यादा रिटर्न हासिल कर सकते हैं. जब नाबालिग अकाउंटहोल्डर अपने सेविंग अकाउंट से लेनदेन करते हैं, तो वे अपनी सेविंग को बढ़ते हुए देख सकते हैं और इस तरह अधिक धन बचाने के लिए प्रेरित हो सकते हैं.

18 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति को नाबालिग की कैटेगरी में रखा गया है. बैंक नाबालिग बच्चों के लिए सेविंग अकाउंट की 2 कैटेगरी बना रखें हैं. जिनमें एक 10 वर्ष से कम आयु और बैंक के दूसरे कैटेगरी में 10 से 18 वर्ष के बच्चे आते हैं. 10 साल या उससे कम आयु के बच्चों के माइनर अपने पैसे का सही जगह निवेश करने में है समझदारी अपने पैसे का सही जगह निवेश करने में है समझदारी सेविंग अकाउंट की निगरानी संयुक्त रूप से पैरेंट कर करते हैं. ऐसे में पैरेंट्स माइनर सेविंग अकाउंट के माध्यम से अपने 10 साल से कम उम्र के बच्चे के खर्च पर रोक लगा सकते हैं और उन्हें समझाने के लिए लेनदेन से जुड़े बैंक डिटेल को दिखा सकते हैं ताकि वे अपने लिए मनी मैनेजमेंट का हुनर सीख सकें. अपने बच्चे के सेविंग अकाउंट से हुई लेनदेन से अपडेट रहने के लिए पैरेंट बैंक अकाउंट से अपना मोबाइल नंबर लिंक करवा सकते हैं ताकि उन्हें सभी ओटीपी और टांजेक्सन अलर्ट का मैसेज मिलता रहे.

वित्तीय अनुशासन स्थापित करने में करता है मदद

आमतौर पर सेविंग अकाउंट के साथ चेकबुक, डेबिट कार्ड और ऑनलाइन बैंकिंग की सुविधा मिलती है. इन सेवाओं के लिए बैंक अकाउंटहोल्डर से कुछ चार्ज भी ले सकते हैं. माइनर सेविंग अकाउंट से लेनदेन करके, अपने पैसे का सही जगह निवेश करने में है समझदारी नाबालिग बच्चे खाते से संबंधित अहम बातों जैसे मिनिमस अकाउंट बैलेंस, चेकबुक चार्ज से परिचित हो सकते हैं. बैंक से जुड़ी अहम जानकारियों से उन्हें अपने अकाउंट को पूरी कुशलता से मैनेज करने और पैसे बचाने में मदद मिल सकती है.

पैरेंट्स अपने बच्चे के नाम पर माइनर सेविंग अकाउंट में निवेश कर सकते हैं. बच्चे के भविष्य को ध्यान में रखकर उसकी जरूरतों को पूरा करने के लिए पैरेंट माइनर सेविंग अकाउंट में निवेश करने का विचार कर सकते हैं. पैरेंट खुद के टार्गेट को पूरा करने के लिए किए गए फाइनेंशियल प्लान के बावजूद अलग से ऐसा कर सकते हैं.

क्या होता है म्यूचुअल फंड (What is Mutual Funds)

म्यूचुअल फंड जैसा कि इसके अपने पैसे का सही जगह निवेश करने में है समझदारी नाम से पता चल रहा है कि एक फंड में कई लोगों का पैसा लगाया जाता है। मान लीजिए आप म्यूचुअल फंड में पैसा लगाते हैं तो फंड कंपनी आपके पैसे से अलग अलग कंपनियों के शेयर खरीदती हैं। जब इन कंपनियों के शेयर बढ़ते या घटते हैं तो आपको उसी के हिसाब से नफा या नुकसान होता है। यहां आप सीधे पैसे नहीं लगाते हैं। आपकी ओर से अनुभवी फंड मैनेजर कंपनी की बैलेंस शीट और अन्य आंकड़े देखकर मजबूत शेयरों में पैसा लगाते हैं।

आप जो पैसा निवेश करते हैं उससे म्यूचुअल फंड कंपनियां शेयर, बॉन्ड अपने पैसे का सही जगह निवेश करने में है समझदारी और कई अन्य वित्तीय उपकरण खरीदती हैं। परिणामस्वरूप, व्यक्ति म्यूचुअल फंड स्कीम में निवेश करके, विभिन्न उपकरणों में निवेश अपने पैसे का सही जगह निवेश करने में है समझदारी कर सकते हैं। इसका फायदा यह होता है कि आपका पैसा एक जगह नहीं लगाया जाता। मान लीजिए कि आपको शेयरों में नुकसान हुआ और बॉण्ड में फायदा तो आपका नुकसान की संभावना बहुत कम होगी।

कैसे खुलवाएं खाता

म्यूचुअल फंड्स में निवेश करना इतना आसान और सरल हो गया है कि कोई व्यक्ति निवेश करने के बारे में सोच सकता है। म्यूचुअल फंड में पहली बार निवेश करने वाले निवेशकों को अपना केवाईसी पूरा करना होगा जो एक बार की प्रक्रिया है। केवाईसी का मतलब है कि आपको अपनी जानकारी देनी होगी, आपका आधार और पैनकार्ड इसमें मदद करते हैं। केवाईसी सत्यापन पूरा करने में आपकी मदद करने के लिए आप किसी डिस्ट्रिब्यूटर या निवेश सलाहकार के पास जा सकते हैं या आप ऑनलाइन ई.केवाईसी कर सकते हैं।

केवाईसी सत्यापन के बाद निवेश करने के लिए तैयार होने पर, आप किसी म्यूचुअल फंड डिस्ट्रिब्यूटर, रजिस्टर्ड निवेश सलाहकार, स्टॉक मार्केट ब्रोकर या बैंक जाकर भी म्युचुअल फंड खरीद सकते हैं। ऑनलाइन के जमाने में आप सीधे कंपनी की वेबसाइट पर जाकर फंड चुन सकते हैं।

सलाहकार के साथ शुरुआत करना बेहतर

सीधे निवेश करने या किसी डिस्ट्रिब्यूटर के माध्यम से निवेश करने के बीच चुनाव आपका फैसला है। अगर आपको खुद अपने निवेश करना पसंद है, तो आप बेशक फंड की वेबसाइट या किसी ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से ऑनलाइन निवेश कर सकते हैं। लेकिन अगर आप सलाह लेना चाहते हैं या आपको निवेश करने में मदद की ज़रूरत है, तो आप किसी प्रतिनिधि के माध्यम से निवेश कर सकते हैं, जैसे डिस्ट्रिब्यूटर, निवेश सलाहकार या बैंक आदि।

म्यूचुअल फंड तीन प्रकार होते हैं- इक्विटी म्यूचुअल फंड, डेट म्यूचुअल फंड, हाइब्रिड म्यूचुअल फंड।इक्विटी फंड सीधे शेयर बाजार में पैसा लगाते हैं। वहीं डेट फंड आपका पैसा कंपनियों द्वारा जारी ऋणपत्रों में पैसा लगाते हैं। यह इक्विटी के मुकाबले कम जोखिम भरा होता है। वहीं तीसरे हाइब्रिड फंड में इक्विटी और डेट दोनों का समावेश होता है। इसके अलावा ओपन एंडेड फंड, क्लोज एंडेड फंड, सक्रिय रूप से प्रबंधित फंड, पैसिवली मैनेज्ड फंड।

Important मनी मैनेजमेंट टिप्स, Money management tips in Hindi

मनी मैनेजमेंट टिप्स

Salaried Class हो या professionals मनी मैनेजमेंट हमेशा से एक बड़ा task रहा है। Salaried Class taxpayers या professionals हमेशा इस बात पर confuse रहते हैं कि वे हर महीने कितनी saving और investment कर सकते हैं।

सबसे पहले यह ध्यान में रखें कि आपको अपने खर्चे, उधार और निवेश तीनों में balance बनाकर रखना है। एक middle class person अपनी पूरी जिंदगी पैसा कमाता है फिर भी उसकी 90% problem पैसों पर आकर अटक जाती है। और उसे लगता है की शायद वह पर्याप्त पैसा नहीं कमा पा रहा है जिससे उसकी सभी जरूरतें पूरी हो सकें , मगर यहाँ problem यह नहीं की वह पर्याप्त पैसा नहीं कमा रहा बल्कि इसकी असल वजह मनी मैनेजमेंट का ना होना है। दरअसल मनी मैनेजमेंट हमारे खर्चे और बचत का एक combination है जो इसे समझ जाता है वह अपनी ज्यादातर जरूरतों को पूरा कर लेता है और जो नहीं समझ पाता वह पूरी life अपनी income को या किस्मत को जिम्मेदार ठहराता रहता है। अगर आपको मनी मैनेजमेंट टिप्स के बारे में पता हैं तो आप अपने धन का सही management कर पाएंगे।

मनी मैनेजमेंट क्या है? Money management in Hindi

मनी मैनेजमेंट का मतलब है अपने पैसों को future planning के लिए manage करना। यह एक प्रकार कि financial planning होती है जिसके तहत आप अपने कमाए हुए या पहले से मौजूद धन को सही जगह invest करते हैं जिससे भविष्य में जरुरत पड़ने पर वह आपको अधिक से अधिक रिटर्न दे सके साथ ही जिसकी सहायता से धन की वृद्धि में मदद मिल सके। मनी मैनेजमेंट या फाइनेंस मैनेजमेंट में आप अपनी आमदनी के अनुसार अपने expenses, saving और investment को कुछ इस प्रकार manage करते है ताकि वर्तमान समय के साथ साथ भविष्य में भी आपको पैसों की समस्या न आये।

दरअसल हम सभी की income का स्रोत अलग -अलग होता है जिसके कारण हमारी income भी अलग अलग होना स्वाभाविक है। साथ ही हमारे खर्चे भी हमारी lifestyle , परिवार में मौजूद सदस्यों की संख्या , तथा जरूरतों में हमारी पसंद और प्राथमिकता सब कुछ अलग -अलग होते है जिससे हमारे मनी मैनजमेंट करने के लिए उठाये जाने वाले कदम भी अलग अलग हो जाते है।

विस्तार

केआर चौकसी के प्रबंध निदेशक देवेन चौकसी कहते हैं कि हमें निकट समय में बाजार की वापसी के बारे में बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं लग रही है। जिस तरह से पूरी दुनिया में ब्याज दरों के बढ़ने और महंगाई की वजह से बाजारों में गिरावट है, ऐसे में सुरक्षित निवेश ही समझदारी हो सकती है। निवेशक चाहें तो इस समय अगर शेयर बाजार में मुनाफे में हैं तो उसमें से निकासी कर लें। इसे फिर ऐसी जगह निवेश करें जहां डेट और इक्विटी दोनों का मिला-जुला साधन हो।

यानी डेट में ज्यादा हिस्सा हो और इक्विटी में कम हो। इसके लिए आप अगले कुछ समय तक के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) कर सकते हैं या फिर चाहें तो शॉर्ट टर्म ड्यूरेशन फंड को चुन सकते हैं। इस तरह के कोई भी निवेश आप 6 महीने से ज्यादा के लिए न चुनें क्योंकि जब भी बाजार गिरता है तो वह अपने पैसे का सही जगह निवेश करने में है समझदारी वापसी जरूर करता है। इस समय काफी सारे अच्छी क्वालिटी वाले ऐसे शेयर हैं, जो 50 फीसदी सस्ते भाव पर हैं।

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