Data Analysis in Hindi,डाटा एनालिसिस क्या है।

Data Analysis शब्द का अर्थ है,डाटा का विश्लेषण करना यानि डाटा को परखना। यह डाटा किसी भी प्रकार का और किसी भी क्षेत्र से हो सकता आधारभूत विश्लेषण क्या है है,जैसे की मेडिकल का डाटा ,कंस्ट्रक्शन का डाटा या फिर किसी बड़ी संस्था या रिटेल का डाटा। लेकिन अब सवाल उठता है,की डाटा का विशेलषण आंखिर क्यों किया जाता है,और इसकी क्या प्रक्रिया है,तो आइये समझते हैं।

डाटा एनालिसिस क्या है। Data Analysis in Hindi.

डाटा एनालिसिस एक ऐसी प्रक्रिया है,जिसके द्वारा Raw और Unstructured डाटा में से उपयोगी जानकारियाँ निकाली जाती हैं, ताकि निकाली गई इन जानकारियों के आधार पर प्रभावी निर्णय लिए जा सकें।

Data Analysis प्रक्रिया में डाटा का निरीक्षण उसकी प्रोसेसिंग,क्लीनिंग,ट्रांसफॉर्मिंग और मॉडलिंग शामिल होती है,और इन सभी प्रक्रियाओं का इस्तेमाल कर Raw डाटा में से अपने काम की जानकारी निकाल ली जाती है,ताकि इस जानकारी के आधार पर बेहतर निर्णय लिए जा सकें।

इसका उदाहरण आप ठीक उसी तरह से लें सकते हैं,जैसे अपने जीवन में भी हम किसी महत्वपूर्ण कार्य को करने से पहले उसके बारे में विचार करते हैं, यदि अतीत में भी वह कार्य हमने किया है,तो उसका विश्लेषण करते हैं,उससे कुछ सीख लेते हैं,और फिर उसी के आधार पर आगे के कार्य के लिए कोई निर्णय लेते हैं,यही Analysis कहलाता है।

डाटा एनालिसिस क्यों किया जाता है।

डाटा एनालिसिस करने के पीछे का कारण सीधे तोर पर उपयोगी जानकारियाँ जुटाना है,ताकि आधारभूत विश्लेषण क्या है जुटाई गई जानकारी के अनुसार आगे की प्रभावी रणनीति तैयार की जा सके और उपयुक्त कदम उठाए जा सके।

data एनालिसिस आज किसी भी बिज़नेस का एक प्रमुख हिस्सा है,जहाँ पर बिज़नेस के पिछले सारे डाटा का डाटा साइंटिस्ट या डाटा एनालिस्ट के द्वारा विश्लेषण किया जाता है,और एनालिसिस की एक तय प्रक्रिया के द्वारा डाटा को प्रोसेस किया जाता है,जिसके बाद बिज़नेस से जुड़ी उपयोगी जानकारियाँ प्राप्त होती है,जिन्हे Processed Data भी कहा जाता है।

इन उपयोगी जानकारियों से बिज़नेस की पिछली पूरी रिपोर्ट मिल जाती है,उदाहरण के तोर पर जैसे बिज़नेस को डेवलप करने के लिए क्या कदम उठाए गए थे,उनसे बिज़नेस को क्या फायदा या नुकसान हुवा इत्यादि और फिर इन्ही आंकड़ों के अनुसार आगे के लिए उचित निर्णय लिए जाते हैं।

डाटा एनालिसिस की प्रक्रिया। Method of Data Analysis in Hindi.

किसी Raw डाटा में से उपयोगी जानकारी निकालने के लिए Data Analysis Process का इस्तेमाल किया जाता है। यह एक प्रक्रिया है जिसका पालन करने के बाद ही एनालिसिस पूरी हो पाती है और उपयोगी जानकारी सामने निकल कर आती है।


डाटा एनालिसिस प्रोसेस के अंतर्गत निम्नलिखित चरण शामिल हैं।

यह डाटा एनालिसि का सबसे पहला और मुख्य चरण है,जिसमे आपको अपनी जरुरत को समझना होता है,यानि किस प्रकार का डाटा एनालिसिस आप चाहते हैं,और उससे क्या परिणाम की इच्छा रखते हैं। इस चरण का उद्देश्य आपकी डाटा एनालिसिस की जरुरत को समझना होता है,जैसे क्या,कैसे और क्यों ताकि स्पष्टता रहे।


Data Collection:-

पहले चरण के बाद आपके सामने स्पष्टता आ जाएगी और इसका अगला चरण है डाटा कलेक्शन का। यह एक महत्वपूर्ण चरण होता है क्योंकि इसमें सही डाटा श्रोतों के चुनाव पर ही एनालिसिस का परिणाम निर्भर करता है।डाटा कलेक्शन में सबसे पहले Internal Sources से डाटा जुटाया जाता है,

जैसे की CRM Software ERP system,Marketing tools इत्यादि से जिनमे कस्टमर की जानकारी,वित्त की जानकारी और सेल्स इत्यादि की जानकारी रहती है।

अब आते हैं दूसरे श्रोत यानि External Sources इनमे Structured और Unstructured दोनों प्रकार का डाटा शामिल होता है,जिन्हे कई बाहरी श्रोतों से इखट्टा किया जाता है,जो आपके ब्रांड से किसी आधारभूत विश्लेषण क्या है भी रूप में जुड़े हों जैसे Review sites,Social Sites इत्यादि।

Data Cleaning :-

डाटा क्लीनिंग के इस चरण में डाटा की सफाई की जाती है,यानि जो भी डाटा Collect किया गया है,वह पूरी तरह से उपयोग लायक नहीं होता या कह सकते हैं की समझा नहीं जा सकता। तो इसके लिए Data Team द्वारा इस डाटा की Cleaning और Sorting की जाती है,यह data Analysis का एक बहुत आधारभूत विश्लेषण क्या है ही महत्वपूर्ण चरण है।

इसकी Cleaning में सही परिणाम प्राप्त करने के लिए डुप्लीकेट,असंगत डाटा को हटा दिया जाता है,यानि किसी भी प्रकार का Error इस डाटा में से हटा दिया जाता है। डाटा क्लीनिंग की इस प्रक्रिया के लिए विभिन्न Tools का उपयोग किया जाता है।

Data Analysis :-

जब एक बार डाटा Collect,Processed और Clean हो जाए,तो वह analysis के लिए तैयार हो जाता है। डाटा एनालिसिस की विभिन्न तकनीक उपलब्ध हैं जिनमे से आप कौन सी तकनीक का उपयोग करते हैं वो आपकी जरुरत पर निर्भर करता है।

इस चरण में Analyst उन सभी तत्वों को ढूंढ़ता है जो आपके टारगेट से सम्बंधित हो। यानि इस चरण में डाटा में काफी छेड़-छाड़ व बदलाव किया जाता है,ताकि data Variables में समानता ढुंडी जा सके और इसके लिए सॉफ्टवेयर टूल्स का इस्तेमाल किया जाता है,ताकि अंत में आपकी जरुरत अनुसार जानकारियाँ निकाली जा सके।

Communication:-

ऊपर के सभी चरणों से गुजरने के बाद अंतिम चरण कम्युनिकेशन का है,यानि जो भी जानकारी एनालिसिस में निकल कर आई है,उसे यूजर की जरुरत अनुसार किस रूप में प्रस्तुत किया जाए जैसे की Table या Charts के रूप में जिससे यूजर को साफ़-साफ़ एनालिसिस का परिणाम या जानकारी दिखाई दे और समझ में आ जाए। या इसमें यह भी आधारभूत विश्लेषण क्या है हो सकता है की यूजर अतिरिक्त एनालिसिस चाहता हो।

अंतिम शब्द

तो दोस्तों हमें विश्वास है,अब आपको जानकरी हो गई होगी की डाटा एनालिसिस क्या है , Data Analysis in Hindi और Data Analyzing Process क्या है। यदि अभी भी इस से सम्बंधित आपके कोई सवाल हैं,तो आप कमेंट कर के हमसे पूछ सकते हैं।

Google Forms का इस्तेमाल करके अहम जानकारी तुरंत पाएं

ऑनलाइन फ़ॉर्म के साथ ही ऑनलाइन सर्वे भी आसानी आधारभूत विश्लेषण क्या है से बनाएं, शेयर करें, और उनके जवाबों का विश्लेषण रीयल टाइम में करें.

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दस्तावेज़ की तरह ही ऑनलाइन फ़ॉर्म भी आसानी से बनाएं

सवाल जोड़ने के लिए उपलब्ध कई तरह के फ़ॉर्मैट में से अपनी पसंद का फ़ॉर्मैट चुनें, सवालों का क्रम बदलने के लिए, 'खींचें और छोड़ें' का इस्तेमाल करें, और अपने हिसाब से वैल्यू जोड़ें. ये काम करना उतना ही आसान है जितना एक लिस्ट चिपकाना.

बेहतर तरीके से डिज़ाइन किए गए सर्वे और फ़ॉर्म भेजें

फ़ॉर्म का लुक अपने या अपने संगठन की ब्रैंडिंग के हिसाब से बदलने के लिए, रंग, फ़ॉन्ट, और इमेज बदलें. साथ ही, ऐसे कस्टम लॉजिक जोड़ें जिनका इस्तेमाल करके, जवाब के आधार पर अगला सवाल दिखे. इससे, अपना काम बेहतर तरीके से करने में आपको मदद मिलती है.

अपने-आप मिलने वाली खास जानकारी की मदद से जवाबों का विश्लेषण करें

ऐसे चार्ट देखें जिनमें जवाब के तौर पर मिला डेटा, रीयल टाइम में अपडेट होता हो. इसके अलावा, अगर आपको डेटा का विस्तार से विश्लेषण करना है या इसके लिए, अपने-आप अपडेट होने की सुविधा सेट करनी है, तो Google Sheets की मदद से रॉ डेटा का इस्तेमाल करें.

कहीं से भी सर्वे बनाएं और उनके जवाब दें

किसी भी डिवाइस से कभी भी, कहीं भी फ़ॉर्म बनाएं, ऐक्सेस करें, और उनमें बदलाव करें. सर्वे का जवाब देने के लिए, मोबाइल डिवाइस, टैबलेट या कंप्यूटर में से किसी का भी इस्तेमाल किया जा सकता है. ये काम कहीं से भी करना संभव है.

साथ मिलकर फ़ॉर्म बनाएं और नतीजों का विश्लेषण करें

Google Docs, Sheets, और Slides की तरह ही इसमें भी सहयोगी जोड़ें और रीयल टाइम में साथ मिलकर सवाल तैयार करें. इसके बाद, साथ मिलकर नतीजों का विश्लेषण करें. इसके लिए, आपको एक ही फ़ाइल के कई वर्शन शेयर करने की ज़रूरत नहीं होगी.

जवाब के तौर पर मिलने वाले डेटा के लिए नियम तय करें

पहले से मौजूद इंटेलिजेंस सुविधाओं का इस्तेमाल करके, जवाब की पुष्टि करने के लिए नियम सेट करें. जैसे, यह पक्का करने के लिए कि ईमेल पते के लिए सही फ़ॉर्मैट का इस्तेमाल किया जाए या नंबर बताई गई रेंज में ही डाले जाएं.

फ़ॉर्म को ईमेल, लिंक या वेबसाइट पर शेयर करें

फ़ॉर्म को शेयर करना काफ़ी आसान है. आप चाहें, तो इन्हें कुछ चुनिंदा लोगों के साथ शेयर करें या जितने चाहें, उतने लोगों के साथ शेयर करें. फ़ॉर्म शेयर करने के लिए, आप चाहें, तो फ़ॉर्म अपनी वेबसाइट पर जोड़ें या उनके लिंक सोशल मीडिया पर शेयर करें.

सुरक्षा, नियमों का पालन, और निजता

डिफ़ॉल्ट रूप से सुरक्षित

हम आपके डेटा को सुरक्षित रखने के लिए बेहतरीन सुरक्षा सुविधाओं का इस्तेमाल करते हैं. इनमें, मैलवेयर से सुरक्षा के लिए बनी ऐडवांस सुविधाएं भी शामिल हैं. Forms एक क्लाउड-नेटिव ऐप्लिकेशन है, जो फ़ाइलों को लोकल लेवल पर स्टोर करने की ज़रूरत को खत्म करता है. इससे, आपके डिवाइसों को किसी भी तरह का नुकसान पहुंचने का खतरा बेहद कम हो जाता है.

डेटा एक जगह से दूसरी जगह ट्रांसफ़र होने के दौरान, एन्क्रिप्ट (सुरक्षित) हो जाता है. साथ ही, जो डेटा इस्तेमाल नहीं हो रहा है वह भी एन्क्रिप्ट रहता है

Google Drive पर अपलोड की गई या Forms में बनाई गई सभी फ़ाइलें, एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के दौरान, एन्क्रिप्ट (सुरक्षित) की गई होती हैं. साथ ही, इस्तेमाल न किए जाने पर भी ये सभी फ़ाइलें, एन्क्रिप्ट (सुरक्षित) की गई होती हैं.

ज़रूरी नियमों, कानूनों, और शर्तों का पालन

Forms के साथ ही हम अपने सभी प्रॉडक्ट का ऑडिट, स्वतंत्र रूप से काम करने वाले तीसरे पक्ष के संगठनों से कराते हैं. इसका मकसद, इस बात की पुष्टि करना होता है कि हमारे प्रॉडक्ट, निजता के साथ ही डेटा की सुरक्षा से जुड़ी ज़रूरी शर्तों और नियम-कानूनों का पालन करते हैं या नहीं.

निजता को ध्यान में रखकर बनाया गया

Google Cloud की एंटरप्राइज़ सेवाओं में शामिल बाकी सेवाओं की तरह ही Forms भी निजता के साथ ही डेटा की सुरक्षा के कड़े नियम-कानूनों और निर्देशों का पालन करता है.

अर्थशास्त्र विश्लेषण / क्या कहते हैं भारत के आर्थिक संकेत.

निश्चित रूप से ऐसे समय में जब देश आर्थिक चुनौतियों और मुश्किलों का सामना कर रहा है तब देश के आर्थिक परिदृश्य पर दो अच्छे आर्थिक संकेत दिखाई दिए हैं।

अर्थशास्त्र विश्लेषण / क्या कहते हैं भारत के आर्थिक संकेत.

निश्चित रूप से ऐसे समय में जब देश आर्थिक चुनौतियों और मुश्किलों का सामना कर रहा है तब देश के आर्थिक परिदृश्य पर दो अच्छे आर्थिक संकेत दिखाई दिए हैं। एक, 22 अक्टूबर को केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने करदाताओं की संख्या बढ़ने और प्रत्यक्ष कर संग्रह बढ़ने के आंकड़े प्रकाशित किए हैं। दो, 17 अक्टूबर को विश्व आर्थिक मंच ने प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्था के रूप में भारत की रैंकिंग में सुधार किया है।

केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड की रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले चार वर्षों में देश में आयकरदाताओं की संख्या में 80 फीसदी की वृद्धि हुई है तथा देश में करोड़पतियों की संख्या 60 फीसदी बढ़ी है। देश में वर्ष 2013-14 में 3.79 करोड़ लोगों ने आयकर रिटर्न दाखिल किया था जबकि वर्ष 2017-18 में यह आंकड़ा 6.85 करोड़ पहुंच गया है।

इतना ही नहीं देश में एक करोड़ रुपये सालाना से ज्यादा की कमाई करने वाले करदाता लोगों की संख्या 1.40 लाख हो गई है। सरकार ने पिछले चार वर्षों में कड़े कानून बनाकर कालेधन पर जो लगाम लगाई है, बेनाम संपत्तियों के खिलाफ कानून बनाया है, बाजार में मौजूद बड़ी मात्रा में नकदी को बैंक सिस्टम में लाया गया है और जीएसटी लागू होने के कारण आर्थिक सुधारों को दिशा तथा अर्थव्यवस्था को मजबूती भी मिली है।

विगत 17 अक्टूबर को विश्व आर्थिक मंच द्वारा दुनिया के 140 देशों की अर्थव्यवस्थाओं की प्रतिस्पर्धा क्षमता के आधार पर तैयार की गई सूची में भारत को 62 अंक के साथ 58वीं पायदान पर रखा गया है। पिछले साल भारत इस सूची में 62वें स्थान पर था। इस सूची में अमेरिका पहले, सिंगापुर दूसरे और जर्मनी तीसरे नंबर पर हैं। खास बात यह है कि जी-20 देशों में सबसे अधिक सुधार भारत की रैंकिंग में हुआ है।

वैश्विक प्रतिस्पर्धी सूचकांक किसी भी देश की अर्थव्यवस्था की उत्पादकता और अन्य विकास के स्तर को तय करने के लिए 12 मानदंडों को ध्यान में रखकर तैयार किया जाता है। इनमें आधारभूत ढांचा, तकनीकी विकास, स्वास्थ्य, शिक्षा, कौशल, उत्पाद, श्रम बाजार, वित्तीय प्रणाली, नवाचार आदि शामिल हैं।

निश्चित रूप से अर्थव्यवस्था के तहत प्रतिस्पर्धा के मापदंडों पर आगे बढ़ने के कारण ही कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और डॉलर की तुलना में रुपये में भारी गिरावट के बाद भी भारत विकास दर के मामले में दुनिया में सबसे आगे है। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष ने अपनी नई रिपोर्ट में कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे तेज रफ्तार से आगे बढ़ रही है। वर्ष 2018-19 में भारत की विकास दर 7.3 फीसदी रहेगी।

आईएमएफ ने रिपोर्ट में कहा है कि हाल ही के वर्षों में भारत ने अच्छे आर्थिक सुधार किए हैं। कुछ आर्थिक सुधारों का भारत को विशेष रूप से फायदा हुआ है। जीएसटी के कारण दीर्घावधि में लाभ पहुंचेगा। वहीं रिजर्व बैंक के तहत 2016 से शुरू किए गए सक्रिय मुद्रास्फीति अनुमान नेटवर्क की भी प्रशंसा की है। आईएमएफ ने व्यापार में सुधार और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को और अधिक उदार बनाने के लिए भी भारत की प्रशंसा की है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अगले कुछ दशकों तक वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था वृद्धि का प्रमुख स्रोत बनी रहेगी। दुनिया के लिए भारत का वही योगदान होगा, जो कि अब तक चीन का रहा है। चूंकि भारतीय कार्यबल जनसंख्या में गिरावट आने में अभी कोई तीन दशक का समय है, ऐसे में भारत की नई पीढ़ी को कौशल विकास से प्रशिक्षित करके दुनिया की नई आर्थिक ताकत बनाया जा सकता है।

भारत की अर्थव्यवस्था वित्तीय प्रणाली और उत्पादों की ताकत और बढ़ती हुई क्रय शक्ति के आधार पर पहले से अब मजबूत बनती जा रही है। परिणामस्वरूप भारत का सकल घरेलू उत्पाद लगातार बढ़ता जा रहा है। विश्व बैंक की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2017 के अंत में भारत का सकल घरेलू उत्पाद 178.59 खरब का हो गया।

ऐसे में जीडीपी के आंकड़ों के आधार पर भारत फ्रांस को पछाड़कर दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया। यदि भारत आर्थिक और कारोबार सुधारों की प्रक्रिया को वर्तमान की तरह निरंतर जारी रखता है तो वह वर्ष 2018 में ब्रिटेन को पीछे करते हुए दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है।

भारत के वित्त मंत्रालय द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में कहा गया है कि 2025 तक भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार 5,000 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा, जो कि अभी 2500 अरब डॉलर के करीब है। लेकिन अभी दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं में भारत के लिए प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्था की चमकीली पहचान बनाने के लिए कई बाधाओं को पार करना होगा।

निश्चित रूप से देश के आर्थिक विकास और दुनिया में आर्थिक अहमियत बढ़ाने के लिए डब्ल्यूईएफ द्वारा दुनिया के विभिन्न देशों की प्रतिस्पर्धा रैंकिंग के तहत निर्धारित अर्थव्यवस्था के विकास, सरकारी क्षमता, कारोबारी क्षमता और बुनियादी ढांचा के पैमाने पर भारत को आगे बढ़ने के लिए प्रयास करने होंगे। निश्चित रूप से अब मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की अहम भूमिका बनाई जानी होगी।

मेक इन इंडिया योजना को गतिशील करना होगा। उन ढांचागत सुधारों पर भी जोर दिया जाना होगा, जिसमें निर्यातोन्मुखी विनिर्माण क्षेत्र को गति मिल सके। ऐसा किए जाने से भारत में आर्थिक एवं औद्योगिक विकास की नई संभावनाएं आकार ले सकती हैं। न केवल मेक इन इंडिया की सफलता के लिए कौशल प्रशिक्षित युवाओं की कमी को पूरा करना होगा,

वरन दुनिया के बाजार में भारत के कौशल प्रशिक्षित युवाओं की मांग को पूरा करने के लिए भी कौशल प्रशिक्षण के प्रयास जरूरी होंगे। देश के उद्योग-व्यवसाय में कौशल प्रशिक्षित लोगों की मांग और आपूर्ति में लगातार बढ़ता अंतर दूर करना होगा। यह जरूरी होगा कि देश को प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्था में ऊंचाई देनेे के लिए सरकार द्वारा कौशल प्रशिक्षण को दी जा रही प्राथमिकता के नतीजे धरातल पर दिखाई दें।

इस परिप्रेक्ष्य में पिछले दिनों इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिक मंत्रालय ने तकनीकी क्षेत्र की कंपनियों के संगठन नैस्काम के साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, वर्चुअल रियल्टी, रोबोटिक प्रोसेस ऑटोमेशन, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, बिग डाटा एनालिसिस, क्लाउड कम्प्यूटिंग, सोशल मीडिया-मोबाइल जैसे आठ नए तकनीकी क्षेत्रों में 55 नई भूमिकाओं में युवाओं को अगले तीन साल में प्रशिक्षित करने का जो अनुबंध किया है,

उसे कारगर तरीके से कार्यान्वित किया जाए। निसंदेह प्रतिस्पर्धा के पैमाने पर आगे बढ़ने के लिए सरकारी क्षमताओं का अधिक उपयोग किया जाना होगा। उद्योग-कारोबार के सामने आ रही उलझनों को दूर करने के साथ-साथ अन्य प्रोत्साहन से उद्योग-कारोबार को गतिशील करके भी उत्पादकता बढ़ाई जानी होगी।

हम आशा करें कि सरकार अर्थव्यवस्था को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए वित्तीय और औद्योगिक संस्थाओं को मजबूती देगी। वित्तीय प्रणाली को सरल बनाएगी। हमें उद्योग-व्यापार में नवाचार को प्रोत्साहन देना होगा। अर्थव्यवस्था में नौकरशाही का हस्तक्षेप कम करना होगा। ऐसा किए जाने पर ही इस समय वैश्विक आर्थिक कारणों से जो मुश्किलें उत्पन्न हो रही हैं उनका मुकाबला भी किया जा सकेगा तथा प्रतिस्पर्धा के पैमाने पर देश की अर्थव्यवस्था की चमकीली संभावनाओं को साकार किया जा सकेगा।

लेखांकन का अर्थ एवं परिभाषाएँ (Meaning and Definitions of Accounting)

लेखांकन का अर्थ एवं परिभाषाएँ (Meaning and Definitions of Accounting)

लेखांकन का अर्थ एवं परिभाषाएँ (Meaning and Definitions of Accounting) : आधुनिक युग में व्यवसाय के आकार में वृद्धि के साथ-साथ व्यवसाय की जटिलताओं में भी वृद्धि हुई है। व्यवसाय का सम्बन्ध अनेक ग्राहकों, आपूर्तिकर्ताओं तथा कर्मचारियों से रहता है और इसलिए व्यावसायिक जगत में सैकड़ों, हजारों या लाखों लेन-देन हुआ करते हैं। सभी लेन-देनों को मौखिक रूप से याद रखना कठिन व असम्भव है।

हम व्यवसाय का लाभ जानना चाहते हैं और यह भी जानना चाहते हैं कि उसकी सम्पत्तियाँ कितनी हैं, उसकी देनदारियाँ या देयताएँ (Liabilities) कितनी हैं, उसकी पूँजी कितनी है, आदि-आदि। इन समस्त बातों की जानकारी के लिए लेखांकन (Accounting) की आवश्यकता पड़ती है।

लेखांकन का अर्थ

अर्थ (Meaning) – सरल शब्दों में, लेखांकन का आशय वित्तीय स्वभाव के सौदों (या लेन-देनों) को क्रमबद्ध रूप में लेखाबद्ध करने, उनका वर्गीकरण करने, सारांश तैयार करने एवं उनको इस प्रकार प्रस्तुत करने से है जिससे उनका विश्लेषण (Analysis) व निर्वचन (Interpretation) हो सके। लेखांकन में सारांश का अर्थ तलपट (Trial Balance) बनाने से है और विश्लेषण व निर्वचन का आधार अन्तिम खाते (Final Accounts) होते हैं जिनके अन्तर्गत व्यापार खाता, लाभ-हानि खाता तथा चिट्ठा/स्थिति-विवरण या तुलन-पत्र (Balance Sheet) तैयार किए जाते हैं।

लेखांकन की परिभाषाएँ आधारभूत विश्लेषण क्या है

परिभाषाएँ (Definitions) – अमेरिकन इंस्टीट्यूट ऑफ सर्टिफाइड पब्लिक एकाउंटेंट्स (AICPA) ने 1961 में लेखांकन की परिभाषा निम्न प्रकार दी थी:

“लेखांकन सौदों एवं घटनाओं को, जो आंशिक रूप में अथवा कम-से-कम वित्तीय प्रवृत्ति के होते हैं, प्रभावपूर्ण विधि से एवं मौद्रिक रूप में लिखने, वर्गीकृत करने और सारांश में व्यक्त करने तथा उनके परिणामों की व्याख्या करने की कला है।”

“Accounting is the art of recording, classifying and summarizing in a significant manner and in terms of money transactions and events which are, in part or at least of a financial character and interpreting the results thereof.” -AICPA

इस परिभाषा में लेखांकन के कार्य-क्षेत्र पर पूर्ण प्रकाश डाला गया है, इसमें केवल लेखे तैयार करना ही लेखांकन का कार्य नहीं माना गया वरन् लेखों का श्रेणीयन, विश्लेषण एवं व्याख्या पर भी बल दिया गया है। इस परिभाषा में लेखांकन से प्राप्त होने वाले सभी लाभों की स्पष्ट झलक मिलती है।

अमेरिकन एकाउंटिंग प्रिन्सिपल्स बोर्ड (AAPB) ने लेखांकन की परिभाषा निम्न शब्दों में दी है:

“Accounting is a service activity. Its function is to provide quantitative information, primarily financial in nature, about economic entities that is useful in making economic decisions, in making reasoned choices among alternative course of action.” -AAPB

इस परिभाषा के अनुसार लेखांकन एक सेवा क्रियाकलाप है। इसका कार्य आर्थिक इकाइयों के सम्बन्ध में परिमाणात्मक सूचनाएँ, मुख्यत: वित्तीय प्रकृति की, जो आर्थिक निर्णयों व वैकल्पिक उपायों में से सुविचारित चयन के लिए उपयोगी हैं, प्रदान करना है।

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स्मिथ एवं एशबर्न के अनुसार, “लेखांकन मुख्यतः वित्तीय स्वभाव वाले व्यावसायिक व्यवहारों और घटनाओं के लिखने एवं वर्गीकरण करने का विज्ञान है और इन व्यवहारों व घटनाओं का महत्वपूर्ण सारांश बनाने, विश्लेषण करने, उनकी व्याख्या और परिणामों को उन व्यक्तियों को प्रेरित करने की कला है जिन्हें उनके आधार पर निर्णय लेने हैं।”

“Accounting is the science of recording and classifying business transactions and events, primarily of a financial character and the art of making significant summaries, analysis and interpretation of these transactions and events and communicating the results to persons who must make decisions or form judgements.” – Smith & Ashburne

इस परिभाषा में लेखांकन को विज्ञान और कला दोनों ही माना गया है। इसमें लेखांकन के क्षेत्र को, लेखों के आधार पर परिणाम निकालकर इनका विश्लेषण एवं व्याख्या करके व्यक्तियों तक पहुँचाना शामिल करके विस्तृत कर दिया गया है।

लेखांकन का अर्थ एवं परिभाषाएँ (Meaning and Definitions of Accounting) : Fast Revision

  • वित्तीय स्वभाव के सौदों (या लेन-देनों) को क्रमबद्ध रूप में लेखाबद्ध करने, उनका वर्गीकरण करने, सारांश तैयार करने एवं आधारभूत विश्लेषण क्या है उनको इस प्रकार प्रस्तुत करने से है जिससे उनका विश्लेषण (Analysis) व निर्वचन (Interpretation) हो सके।
  • लेखांकन में सारांश का अर्थ तलपट (Trial Balance) बनाने से है और विश्लेषण व निर्वचन का आधार अन्तिम खाते (Final Accounts) होते हैं जिनके अन्तर्गत व्यापार खाता, लाभ-हानि खाता तथा चिट्ठा/स्थिति-विवरण या तुलन-पत्र (Balance Sheet) तैयार किए जाते हैं।
  • लेखांकन को विज्ञान और कला दोनों ही माना गया है।
  • लेखांकन मुख्यतः वित्तीय स्वभाव वाले व्यावसायिक व्यवहारों और घटनाओं के लिखने एवं वर्गीकरण करने का विज्ञान है और इन व्यवहारों व घटनाओं का महत्वपूर्ण सारांश बनाने, विश्लेषण करने, उनकी व्याख्या और परिणामों को उन व्यक्तियों को प्रेरित करने की कला है जिन्हें उनके आधार पर निर्णय लेने हैं।

हमे आशा है की आपको यह लेख ( लेखांकन का अर्थ एवं परिभाषाएँ (Meaning and Definitions of Accounting) ) पसंद आया होगा तथा आपको अपने पढाई में कुछ सहायता अवश्य मिली होगी।

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