mudra kya hai in hindi

Mudra kya hai in hindi : मुद्रा का इतिहास, कार्य, परिभाषा

Mudra kya hai in hindi : आज के इस रोचक लेख में आपका स्वागत है. मुद्रा मुद्रा क्या है और इसके कार्य क्या‌ है? क्या है- इस प्रश्न से हम सभी परिचित हैं क्योंकि प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से हम सभी मुद्रा का प्रयोग प्रतिदिन करते हैं.

इसके बिना हमारा काम नहीं चल सकता है. हम अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतू विनिमय (exchange) करते हैं जो मुद्रा के माध्यम से ही किया जाता है.

दुनिया में जितने भी देश हैं उन देशों की सरकारी व्यव्स्थाओं द्वारा मुद्रा बनाई जाती है. हमारा देश भारत की मुद्रा रुपया व पैसा के नाम से जाना जाता है. मुद्रा की परिभाषा क्या है?

इसकी चर्चा हम आगे करेंगे किन्तु एक बात मैं यहाँ निश्चित कर देना चाहता हूँ की इसकी कोई एक निश्चित परिभाषा नहीं है. विभिन्न अर्थशास्त्रियों द्वारा भिन्न – भिन्न परिभाषाओं से मुद्रा को परिभाषित किया गया है.

Table of Contents

Mudra kya hai in hindi

प्रारंभ में जब सभ्यता इतनी विकसित नहीं थी, छोटे – छोटे राज्य हुआ करते थे तब विनिमय का माध्यम एक वस्तु के बदले दूसरा वस्तु हुआ करता था. किसी भी प्रकार का मुद्रा का उपयोग नहीं किया जाता था.

आप कोई एक वस्तु दीजिये और बदले में जरुरत की कोई दूसरी वस्तु ले लीजिये.

कालांतर में जब सभ्यताएं विकसित हुई, जरूरतें बढ़ने लगी तो वस्तु के बदले वस्तु वाला विनिमय प्रणाली के कारण मुश्किलें बढ़ने लगी. कहते हैं आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है फलस्वरूप इस मुश्किल के हल हेतू मुद्रा का जन्म हुआ.

इतिहासकारों को यह बता पाना कठिन है की प्रारंभ में मुद्रा का जन्म किसके द्वारा किया गया था. अनुमान यह लगाया जाता है की व्यापारियों के द्वारा सर्वप्रथम आदान – प्रदान की सुविधा हेतु सिक्कों का निर्माण किया गया था. धीरे – धीरे मुद्रा प्रचलन में आया और राज्यों के पूर्ण नियंत्रण में हो गया.

संभवतः परवर्ती काल में मुद्रा राज्यों के पूर्ण नियंत्रण में हो गया था. कौटिल्य के अर्थशास्त्र में भी मुद्रा के बारे में विवरण प्राप्त होता है जिसके अनुसार मुद्रा के निर्माण पर राज्य का पूर्ण अधिकार था.

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mudra kya मुद्रा क्या है और इसके कार्य क्या‌ है? hai in hindi

मुद्रा के बारे में रोचक तथ्य

  • मुद्रा (Currency) केंद्र सरकार के द्वारा नोटों और सिक्कों के रूप में छापा जाता है.
  • वर्तमान समय में मुद्रा को हटाकर किसी भी अर्थव्यवस्था की कल्पना आप नहीं कर सकते हैं.
  • भारतीय रुपया का कोड – INR है.
  • इसका जारीकर्ता भारतीय रिज़र्व बैंक है.
  • आईआईटी गुवाहाटी के प्रोफेसर डी उदय कुमार के द्वारा मुद्रा का प्रतिक चिन्ह ( ) डिजाईन किया गया था.
  • सर्वप्रथम रुपया शब्द का प्रयोग शेर शाह सूरी ने भारत में अपने शासन के दौरान किया था.
  • अब 1, 2, 3, 5, 10, 20 और 25 पैसे के सिक्के वैध नहीं हैं क्योंकि इन मूल्यवर्ग के सिक्कों को 30 june 2011 से संचलन से वापस ले लिए गये हैं.
  • भारतीय नोटों पर उसकी कीमत 15 भाषाओं पर लिखी जाती है और अंग्रेजी और हिंदी को मिलाकर यह भाषा 17 हो जाती है.

मुद्रा की परिभाषा क्या है?

मुद्रा की सर्वव्यापक परिभाषा यह है की – “मुद्रा वो है जो मुद्रा का कार्य करे” . इस परिभाषा को पढ़कर यदि आप सोंच में पड़ गए हैं तो मैं आपको एक सुन्दर सा आसान शब्दों में समझाने का प्रयास करता हूँ. आपको मोदी सरकार के द्वारा किये गए नोटबंदी तो याद होगा.

उस समय जिन नोटों को बंद किया गया था वो भी एक मुद्रा था क्योंकि केंद्र सरकार के द्वारा जारी किया गया था लेकिन मुद्रा का कार्य नहीं कर रहा था. अब आपको समझ आ ही गया होगा की मुद्रा वो है जो मुद्रा का कार्य करे.

मुद्रा के कार्य

मुद्रा धन का वह रूप होता है जिससे हम अपने दैनिक जीवन में क्रय – विक्रय करते हैं, जो कागज और सिक्के दोनों रूपों में आते हैं. मुद्रा के कार्यों में यह विनियमन का माध्यम है जिसके द्वारा विनिमय (exchange) किया जाता है.

भविष्य के लिए धन का संचय करना जरुरी है जो हम सभी मुद्रा के रूप में संचय आसानी से करते हैं. अर्थात मुद्रा क्या है और इसके कार्य क्या‌ है? हम कह सकते हैं की मुद्रा धन संचय का कार्य करता है.

इसका उपयोग मूल्य के मापक के रूप में भी किया जाता है. ऋणों का भुगतान करने के लिए भी मुद्रा का उपयोग किया जाता है. अतः हम कह सकते हैं की कोई भी ऐसी वस्तु जो विनिमय का माध्यम, धन संचय, मूल्य का मापक तथा मुद्रा क्या है और इसके कार्य क्या‌ है? ऋणों के भूगतान के रूप में स्वीकार किये जाते हों मुद्रा कहलाता है.

भारतीय सिक्के/नोट कहाँ छापे जाते हैं?

कागज़ के नोट निम्नलिखित प्रिंटिंग प्रेस में छापे जाते हैं –

सिक्के निंम्नलिखित टकसालों में ढाले जाते हैं –

भारतीय नोटों को कैसे बनाया जाता है?

भारतीय नोटों को बनाने के लिए जिस कागज का उपयोग किया जाता है वह कॉटन का बना होता है. कॉटन के बने होने के कारण यह बहुत ही मजबूत होता है. भारतीय नोटों के बारे में एक रोचक तथ्य यह भी है की महात्मा गाँधी के फोटो से पहले इसपर अशोक स्तम्भ छापा जाता था.

बाज़ार में कितनी करेंसी है इस बात को जानने के लिए नोटों पर सीरियल नंबर डाला जाता है. नोटों को ऐसे ही नहीं छापा जाता है बल्कि इस बात का निर्धारण रिज़र्व बैंक के स्टॉक, जीडीपी ग्रोथ, मुद्रा स्फीति तथा बैंक नोट के रिप्लेसमेंट के आधार पर किया जाता है.

मैं इस हिंदी ब्लॉग का संस्थापक हूँ जहाँ मैं नियमित रूप से अपने पाठकों के लिए उपयोगी जानकारी प्रस्तुत करता हूँ. मैं अपनी शिक्षा की बात करूँ तो मैंने Accounts Hons. (B.Com) किया हुआ है और मैं पेशे से एक Accountant भी रहा हूँ.

मुद्रा क्या है और इसके कार्य क्या‌ है?

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था है, जो अपने सदस्य देशों की वैश्विक आर्थिक स्थिति पर नज़र रखने का काम करती है। यह अपने सदस्य देशों को आर्थिक और तकनीकी सहायता प्रदान करती है। यह संगठन अंतर्राष्ट्रीय विनिमय दरों को स्थिर रखने के साथ-साथ विकास को सुगम करने में सहायता करता है। इसका मुख्यालय वॉशिंगटन डी॰ सी॰, संयुक्त राज्य में है।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष: उद्देश्य

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय वित्तीय एवं मौद्रिक स्थिरता को बनाये रखने के उपाय करना तथा अंतरराष्ट्रीय व्यापार के विस्तार एवं पुनरुत्थान हेतु वित्तीय आधार उपलब्ध कराना, आर्थिक प्रगति को बढ़ावा देना, गरीबी कम करना, रोजगार को बढ़ावा देना और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार सुविधाजनक बनाना है।

इसके अतिरिक्त अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के उद्देश्यों में एक स्थायी संस्था (जो अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक समस्याओं पर सहयोग व परामर्श हेतु एक तंत्र उपलब्ध कराती है) के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक सहयोग को बढ़ावा देना, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के विस्तार एवं संतुलित विकास को प्रोत्साहित करना तथा इस प्रकार से सभी सदस्यों के उत्पादक संसाधनों के विकास और रोजगार व वास्तविक आय के उच्च स्तरों को कायम रखना; विनिमय स्थिरता को प्रोत्साहित करना तथा सदस्यों के बीच व्यवस्थित विनिमय प्रबंधन को बनाये रखना; सदस्यों के मध्य चालू लेन-देन के संदर्भ में भुगतानों की एक बहुपक्षीय व्यवस्था की स्थापना मुद्रा क्या है और इसके कार्य क्या‌ है? में सहायता देना; सदस्यों को अस्थायी कोष उपलब्ध कराकर उन्हें अपने भुगतान संतुलनों के कुप्रबंधन से निबटने का अवसर एवं क्षमता प्रदान करना तथा सदस्यों के अंतरराष्ट्रीय भुगतान संतुलनों में व्याप्त असंतुलन की मात्रा व अवधि को घटाना इत्यादि सम्मिलित हैं।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष: संक्षिप्त इतिहास
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की स्थापना जुलाई 1944 में सम्पन्न हुए संयुक्त राष्ट्र मौद्रिक एवं वित्तीय सम्मेलन में हस्ताक्षरित समझौते के अंतर्गत की गई, जो 27 दिसंबर, 1948 से प्रभावी हुआ। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा 1 मार्च, 1947 को औपचारिक रूप से कार्य करना शुरू कर दिंया गया। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष आर्थिक व सामाजिक परिषद के साथ किये गये एक समझौते (जिसे 15 नवंबर, 1947 को महासभा की मंजूरी प्राप्त हुई) के उपरांत संयुक्त राष्ट्र का विशिष्ट अभिकरण बन गया।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष: संरचना

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष एवं विश्व बैंक का एक संगठनात्मक ढांचा एक समान है।अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष एक बोर्ड ऑफ़ गवर्नर्स, बोर्ड ऑफ एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर्स, अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक प्रणाली पर एक अंतरिम समिति तथा एक प्रबंध निदेशक व कर्मचारी वर्ग के द्वारा अपना कार्य करता है।
बोर्ड ऑफ़ गवर्नर्स: अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की सभी शक्तियां बोर्ड ऑफ गवर्नर्स में निहित होती हैं। इस बोर्ड में प्रत्येक सदस्य देश का एक गवर्नर एवं एक वैकल्पिक प्रतिनिधि शामिल रहता है। इसकी बैठक वर्ष में एक बार होती है।

बोर्ड ऑफ एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर्स: बोर्ड ऑफ गवर्नर्स द्वारा अपनी अधिकांश शक्तियां 24 सदस्यीय कार्यकारी निदेशक बोर्ड को हस्तांतरित कर दी गयी हैं। इस कार्यकारी निदेशक बोर्ड की नियुक्तियां निर्वाचन सदस्य देशों या देशों के समूहों द्वारा किया जाता है। प्रत्येक नियुक्त निदेशक को अपनी सरकार के निर्धारित कोटे के अनुपात में मत शक्ति प्राप्त होती है। जबकि प्रत्येक निर्वाचित निदेशक अपने देश समूह से सम्बद्ध सभी वोट डाल सकता है।
प्रबंध निदेशक: कार्यकारी निदेशकों द्वारा अपने प्रबंध निदेशक का चयन किया जाता है, जो कार्यकारी बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में कार्य करता है। प्रबंध निदेशक अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के दिन-प्रतिदिन के कार्यों को सम्पन्न करता है। एक संधि समझौते के अनुसार अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का प्रबंध निदेशक यूरोपीय होता है जबकि विश्व बैंक का अध्यक्ष अमेरिकी नागरिक होता है।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष: कार्य
अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष के कार्य इस प्रकार है:
1 आईएमएफ की स्थापना के समय, इसके तीन प्राथमिक कार्य होते थे: देशों के बीच निश्चित विनिमय दर की व्यवस्था की निगरानी करना, इस प्रकार राष्ट्रीय सरकारों ने अपने विनिमय दरों का प्रबंधन करने और इन सरकारों को आर्थिक विकास को प्राथमिकता देने की अनुमति दी, अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संकटों को फैलाने से रोकने के लिए सहायता करना था । महामंदी और द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के टुकड़ों को सुधारने में आईएमएफ का भी इरादा था। साथ ही, आर्थिक विकास और बुनियादी ढांचे जैसे परियोजनाओं के लिए पूंजी निवेश प्रदान करना।
2 अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष वैश्विक विकास और आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए काम करता है, जिससे वे विकासशील देशों के साथ काम कर, नीतिगत, सलाह और सदस्यों को वित्तपोषण करके व्यापक आर्थिक स्थिरता हासिल करने और गरीबी को कम करने में मदद करते हैं।
3 अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष वित्तपोषण के वैकल्पिक स्रोत प्रदान करता है।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष एवं भारत
भारत का अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष से घनिष्ठ संबंध रहा है और उसके नीति-निर्माण एवं कार्य संचालन में भारत निरंतर योगदान देता रहा है। समय-समय पर आर्थिक सहायता और परामर्श द्वारा भारत मुद्रा कोष से लाभान्वित हुआ है।भारत, जो अभी तक अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से समय-समय पर अपनी आवश्यकतानुसार ऋण लेता रहा है, अब इसके वित्त पोषक राष्ट्रों में शामिल हो गया है। अब भारत इस बहुपक्षीय संस्था को ऋण उपलब्ध कराने लगा है।

मुद्रा क्या है और इसके कार्य क्या‌ है?

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था है, जो अपने सदस्य देशों की वैश्विक आर्थिक स्थिति पर नज़र रखने का काम करती है। यह अपने सदस्य देशों को आर्थिक और तकनीकी सहायता प्रदान करती है। यह संगठन अंतर्राष्ट्रीय विनिमय दरों को स्थिर रखने के साथ-साथ विकास को सुगम करने में सहायता करता है। इसका मुख्यालय वॉशिंगटन डी॰ सी॰, संयुक्त राज्य में है।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष: उद्देश्य

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय वित्तीय एवं मौद्रिक स्थिरता को बनाये रखने के उपाय करना तथा अंतरराष्ट्रीय व्यापार के विस्तार एवं पुनरुत्थान हेतु वित्तीय आधार उपलब्ध कराना, आर्थिक प्रगति को बढ़ावा देना, गरीबी कम करना, रोजगार को बढ़ावा देना और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार सुविधाजनक बनाना है।

इसके अतिरिक्त अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के उद्देश्यों में एक स्थायी संस्था (जो अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक समस्याओं पर सहयोग व परामर्श हेतु एक तंत्र उपलब्ध कराती है) के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक सहयोग को बढ़ावा देना, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के विस्तार एवं संतुलित विकास को प्रोत्साहित करना तथा इस प्रकार से सभी सदस्यों के उत्पादक संसाधनों के विकास और रोजगार व वास्तविक आय मुद्रा क्या है और इसके कार्य क्या‌ है? के उच्च स्तरों को कायम रखना; विनिमय स्थिरता को प्रोत्साहित करना तथा सदस्यों के बीच व्यवस्थित विनिमय प्रबंधन को बनाये रखना; सदस्यों के मध्य चालू लेन-देन के संदर्भ में भुगतानों की एक बहुपक्षीय व्यवस्था की स्थापना में सहायता देना; सदस्यों को अस्थायी कोष उपलब्ध कराकर उन्हें अपने भुगतान संतुलनों के कुप्रबंधन से निबटने का अवसर एवं क्षमता प्रदान करना तथा सदस्यों के अंतरराष्ट्रीय भुगतान संतुलनों में व्याप्त असंतुलन की मात्रा व अवधि को घटाना इत्यादि सम्मिलित हैं।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष: संक्षिप्त इतिहास
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की स्थापना जुलाई 1944 में सम्पन्न हुए संयुक्त राष्ट्र मौद्रिक एवं वित्तीय सम्मेलन में हस्ताक्षरित समझौते के अंतर्गत की गई, जो 27 दिसंबर, 1948 से प्रभावी हुआ। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा 1 मार्च, 1947 को औपचारिक रूप से कार्य करना शुरू कर दिंया गया। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष आर्थिक व सामाजिक परिषद के साथ किये गये एक समझौते (जिसे 15 नवंबर, 1947 को महासभा की मंजूरी प्राप्त हुई) के उपरांत संयुक्त राष्ट्र का विशिष्ट अभिकरण बन गया।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष: संरचना

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष एवं विश्व बैंक का एक संगठनात्मक ढांचा एक समान है।अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष एक बोर्ड ऑफ़ गवर्नर्स, बोर्ड ऑफ एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर्स, अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक प्रणाली पर एक अंतरिम समिति तथा एक प्रबंध निदेशक व कर्मचारी वर्ग के द्वारा अपना मुद्रा क्या है और इसके कार्य क्या‌ है? कार्य करता है।
बोर्ड ऑफ़ गवर्नर्स: अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की सभी शक्तियां बोर्ड ऑफ गवर्नर्स में निहित होती हैं। इस बोर्ड में प्रत्येक सदस्य देश का एक गवर्नर एवं एक वैकल्पिक प्रतिनिधि शामिल रहता है। इसकी बैठक वर्ष में एक बार होती है।

बोर्ड ऑफ एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर्स: बोर्ड ऑफ गवर्नर्स द्वारा अपनी अधिकांश शक्तियां 24 सदस्यीय कार्यकारी निदेशक बोर्ड को हस्तांतरित कर दी गयी हैं। इस कार्यकारी निदेशक बोर्ड की नियुक्तियां निर्वाचन सदस्य देशों या देशों के समूहों द्वारा किया जाता है। प्रत्येक नियुक्त निदेशक को अपनी सरकार के निर्धारित कोटे के अनुपात में मत शक्ति प्राप्त होती है। जबकि प्रत्येक निर्वाचित निदेशक अपने देश समूह से सम्बद्ध सभी वोट डाल सकता है।
प्रबंध निदेशक: कार्यकारी निदेशकों द्वारा अपने प्रबंध निदेशक का चयन किया जाता है, जो कार्यकारी बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में कार्य करता है। प्रबंध निदेशक अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के दिन-प्रतिदिन के कार्यों को सम्पन्न करता है। एक संधि समझौते के अनुसार अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का प्रबंध निदेशक यूरोपीय होता है जबकि विश्व बैंक का अध्यक्ष अमेरिकी नागरिक होता है।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष: कार्य
अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष के कार्य इस प्रकार है:
1 आईएमएफ की स्थापना के समय, इसके तीन प्राथमिक कार्य होते थे: देशों के बीच निश्चित मुद्रा क्या है और इसके कार्य क्या‌ है? विनिमय दर की व्यवस्था की निगरानी करना, इस प्रकार राष्ट्रीय सरकारों ने अपने विनिमय दरों का प्रबंधन करने और इन सरकारों को आर्थिक विकास को प्राथमिकता देने की अनुमति दी, अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संकटों को फैलाने से रोकने के लिए सहायता करना था । महामंदी और द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के टुकड़ों को सुधारने में आईएमएफ का भी इरादा था। साथ ही, आर्थिक विकास और बुनियादी ढांचे जैसे परियोजनाओं के लिए पूंजी निवेश प्रदान करना।
2 अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष वैश्विक विकास और आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए काम करता है, जिससे वे विकासशील देशों के साथ काम कर, नीतिगत, सलाह और सदस्यों को वित्तपोषण करके व्यापक आर्थिक स्थिरता हासिल करने और गरीबी को कम करने में मदद करते हैं।
3 अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष वित्तपोषण के वैकल्पिक स्रोत प्रदान करता है।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष एवं भारत
भारत का अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष से घनिष्ठ संबंध रहा है और उसके नीति-निर्माण एवं कार्य संचालन में भारत निरंतर योगदान देता रहा है। समय-समय पर आर्थिक सहायता और परामर्श द्वारा भारत मुद्रा कोष से लाभान्वित हुआ है।भारत, जो अभी तक अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से समय-समय पर अपनी आवश्यकतानुसार ऋण लेता रहा है, अब इसके वित्त पोषक राष्ट्रों में शामिल हो गया है। अब भारत इस बहुपक्षीय संस्था को ऋण उपलब्ध कराने लगा है।

मुद्रा का प्रमुख कार्य क्या है?

इसे सुनेंरोकेंमुद्रा के चार प्रमुख कार्य विनिमय का माध्यम, मूल्य का मापक, मूल्य संचय और भावी भुगतान का आधार है। Explanation: मुद्रा के चार प्रमुख कार्य विनिमय का माध्यम, मूल्य का मापक, मूल्य संचय और भावी भुगतान का आधार है। विनिमय का माध्यम: मुद्रा विनिमय का एक उचित माध्यम है ।

मुद्रा का आकस्मिक कार्य कौन सा है?

इसे सुनेंरोकेंमुद्रा के आकस्मिक कार्य बैंकों द्वारा उत्पन्न साख मुद्रा की सहायता से अर्थव्यवस्था की उन्नति संभव हो पायी है। 2. आय के वितरण में सहायक – मुद्रा का दूसरा आकस्मिक कार्य आय के वितरण में सहायक का कार्य करना है। मुद्रा समाज में राष्ट्रीय आय को उत्पादन के विभिन्न साधनों के बीच वितरण करने में सुविधा प्रदान करती है।

निम्न में कौन सा मुद्रा का प्राथमिक कार्य है?

इसे सुनेंरोकें1. साख का आधार (Basis of Credit)- मुद्रा का प्रथम आकस्मिक कार्य साख (Credit) का आधार है। वर्तमान युग में व्यवसाय का कार्य साख (उधार) पर होता है। जबकि जिस व्यापारी के पास नकद मुद्रा की मात्रा जितनी अधिक होगी, उसकी व्यापारिक साख पर उतना ही अधिक माल मिल सकेगा।

मुद्रा कितने प्रकार के होते है?

मुद्रा के प्रकार (मुद्रा का वर्गीकरण) निम्न रुप में है:

  • वास्तविक मुद्रा एवं लेखे की मुद्रा
  • पूर्ण एवं प्रतिनिधि मुद्रा
  • विधि-ग्राह्य मुद्रा एवं ऐच्छिक मुद्रा
  • धातु मुद्रा एवं पत्र-मुद्रा

मुद्रा वह है जो मुद्रा का कार्य करें यह किसकी परिभाषा है?

इसे सुनेंरोकेंहार्टले विदर्स के अनुसार-“मुद्रा वह है जो मुद्रा का कार्य करें।” ग. प्रो० थॉमस के शब्दों में-“मुद्रा किसी आर्थिक लक्ष्य की प्राप्ति का साधन है, अर्थात जो दूसरी वस्तुओं और सेवाओं को प्राप्त करने के लिए दी जाती है।” 2.

वस्तु विनिमय प्रणाली से क्या कठिनाइयां होती थी?

इसे सुनेंरोकेंअधिकांश वस्तुएं शीघ्र नष्ट हो जाती है वस्तु विनिमय में ऐसी वस्तुओं का संचय करके अधिक दिन तक नहीं रखा जा सकता इसके मुख्य कारण है कुछ वस्तुएं न स्वान होती हैं कुछ वस्तुएं अधिक स्थान गिरती हैं वस्तुओं के मूल्य में निरंतर परिवर्तन होता है तथा वस्तुओं में तरलता का अभाव पाया जाता है।

मुद्रा के दो रूप कौन से हैं?

इसे सुनेंरोकेंमुद्रा (currency, करन्सी) पैसे या धन के उस रूप को कहते हैं जिस से दैनिक जीवन में क्रय और विक्रय होती है। इसमें सिक्के और काग़ज़ के नोट दोनों आते हैं। आमतौर से किसी देश में प्रयोग की जाने वाली मुद्रा उस देश की सरकारी व्यवस्था द्वारा बनाई जाती है। मसलन भारत में रुपया व पैसा मुद्रा है।

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