पाठ्य वस्तु विश्लेषण का अर्थ, उदाहरण व स्त्रोत
pathya vastu vishleshan की अनेकों विधियाँ है। इनका विकास उद्देश्यों को व्यावहारिक रूप से लिखने की विधि के साथ हुआ है। मेगर तथा मिलर ने ( 1962) में उद्देश्यो को व्यावहारिक रूप में लिखने की विधियों का विकास किया। साथ ही ( 1962) मे होमे ने pathya vastu vishleshan की विधि का विकास किया। इसके बाद ' ग्लेसर ' ने ( 1963) तथा ' मेकसर ' ने ( 1965) में pathya vastu vishleshan की विधियों का विकास किया। ' डेवीज ' की अविधा अधिक उपयोगी मानी जाती हैं। pathya vastu vishleshan के लिये निम्नांकित बातों का बोध होना चाहिये। पाठ्य वस्तु विश्लेषण , pathya vastu vishleshan , आधारभूत विश्लेषण क्या है विषय वस्तु क्या होता है , विषय वस्तु की रोचकता , व्याख्या और विश्लेषण , विषय वस्तु के प्रकार , विषय वस्तु का ज्ञान , विषय वस्तु का मतलब इंग्लिश में
1. pathya vastu vishleshan का स्रोत
2. प्रकरण के तत्वों की विशेषतायें
3. तत्त्वों की क्रम-बद्ध व्यवस्था
पाठ्य-वस्तु के विश्लेषण में उसके स्रोत , तत्त्वों की विशेषताओं तथा तत्त्वों की तार्किक क्रम ने व्यवस्था के ज्ञान तथा कौशल के आधार पर अभिक्रमिक पाठ्य-वस्तु पाठ्य वस्तु विश्लेषण विश्लेषण करने में समर्थ हो जाता है। पाठ्य वस्तु विश्लेषण , pathya vastu vishleshan , विषय वस्तु क्या होता है , विषय वस्तु की रोचकता , व्याख्या और विश्लेषण , विषय वस्तु के प्रकार , विषय वस्तु का ज्ञान , विषय वस्तु का मतलब इंग्लिश में
पाठ्य-वस्तु विश्लेषण का उदाहरण
1. पाठ्य-वस्तु विश्लेषण के स्त्रोत :
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अभिक्रमिक पाठ्य-वस्तु-विश्लेषण के लिये अनेकों स्रोतों का उपयोग करता है। यह सर्जनात्मक कार्य माना जाता है। पाठ्य-वस्तु के प्रकरण में निहित तत्त्वों तथा अनुक्रियाओं की पहचान वह तभी कर सकता है , जब कि उसे pathya vastu vishleshan के स्रोत का उपयोग करना आता हो। अभिक्रमिक का पाठ्य-वस्तु के प्रकरण का स्वामित्त्व होना आवश्यक होता है। पाठ्य-वस्तु-विश्लेषण में निम्नांकित स्त्रोतों का उपयोग किया जाता है। पाठ्य वस्तु विश्लेषण , pathya vastu vishleshan , विषय वस्तु क्या होता है , विषय वस्तु की रोचकता , व्याख्या और विश्लेषण , विषय वस्तु के प्रकार , विषय वस्तु का ज्ञान , विषय वस्तु का मतलब इंग्लिश में
(2) प्रमाणिक पाठ्य-पुस्तकों का अध्ययन -
जिस प्रकरण पर अभिक्रमित अनुदेशन सामग्री को तैयार करना होता है उस पाठ्य-वस्तु की शुद्धता को जानने के लिये अभिक्रमित को उससे सम्बन्धित प्रमाणिक पुस्तकों का अध्ययन करना चाहिये। पाठ्य वस्तु विश्लेषण , pathya vastu vishleshan , विषय वस्तु क्या होता है , विषय वस्तु की रोचकता , व्याख्या और विश्लेषण , विषय वस्तु के प्रकार , विषय वस्तु का ज्ञान , विषय वस्तु का मतलब इंग्लिश में
(3) छात्रों की आवश्यकता -
किसी प्रकरण का स्वरूप निश्चित नहीं होता अपितु अधिक व्यापक होता है। अधिकाँश विषयों के प्रकरण को माध्यमिक स्तर से विश्वविद्यालय स्तर तक पढ़ाया जाता है। इसलिये यह मालूम होना आवश्यक है कि प्रकरण का कितना स्वरूप प्रस्तुत किया जाय। इसके लिये अभिक्रमित को छात्रों के पूर्व व्यवहार तथा छात्रों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखना चाहिये। पाठ्य वस्तु विश्लेषण , pathya vastu vishleshan , विषय वस्तु क्या होता है , विषय वस्तु की रोचकता , व्याख्या और विश्लेषण , विषय वस्तु के प्रकार , विषय वस्तु का ज्ञान , विषय वस्तु का मतलब इंग्लिश में
(4) शैक्षिक आवश्यकता -
सामाजिक तथा राष्ट्र की आवश्यकताओं के लिये शिक्षा की व्यवस्था की आधारभूत विश्लेषण क्या है आधारभूत विश्लेषण क्या है जाती है। विभिन्न शिक्षा के विषयों को विभिन्न शैक्षिकआवश्यकताओं के लिये प्रयुक्त किया जाता है। पाठ्य वस्तु विश्लेषण , pathya vastu vishleshan , विषय वस्तु क्या होता है , विषय वस्तु की रोचकता , व्याख्या और विश्लेषण , विषय वस्तु के प्रकार , विषय वस्तु का ज्ञान , विषय वस्तु का मतलब इंग्लिश में
किसी प्रकरण का क्यों प्रस्तुतीकरण करना है ? इसका उत्तर शैक्षिक आवश्यकताओं की पूर्ति करना है। अतः यह अभिक्रमक को प्रकरण की शैक्षिक उपयोगिता का बोध होना चाहिये। पाठ्य वस्तु विश्लेषण , pathya vastu vishleshan , विषय वस्तु क्या होता है , विषय वस्तु की रोचकता , व्याख्या और विश्लेषण , विषय वस्तु के प्रकार , विषय वस्तु का ज्ञान , विषय वस्तु का मतलब इंग्लिश में
(5) परीक्षा प्रणाली का स्वरूप -
अनुदेशन के नियोजन में परीक्षा प्रणाली का स्वरूप एक आधार प्रदान करता है। निबन्धात्मक परीक्षा के लिये महत्वपूर्ण प्रकरणों तथा तत्वों को अनुदेशन की व्यवस्था में महत्त्व दिया जाता है परन्तु वस्तुनिष्ठ के परीक्षा में सूक्ष्म तत्वों के लिये अनुदेशन की व्यवस्था की जाती है। इस प्रकार पाठ्य-विश्लेषण के स्वरूप को परीक्षण प्रणाली निर्धारित करती है। पाठ्य वस्तु विश्लेषण , pathya vastu vishleshan , विषय वस्तु क्या होता है , विषय वस्तु की रोचकता , व्याख्या और विश्लेषण , विषय वस्तु के प्रकार , विषय वस्तु का ज्ञान , विषय वस्तु का मतलब इंग्लिश में
(6) अनुदेशन सहायक सामग्री -
अनुदेशन के प्रस्तुतीकरण के लिए सहायक सामग्री की व्यवस्था की जाती है | शिक्षण सामग्री की उपादेयता शिक्षक के कौशल पर निरभर करती है | इसलिए शिक्षक को अपने कौशल को ध्यान में रखते हुए पाठ्य वास्तु का विश्लेषण करना चाहिए | पाठ्य वस्तु विश्लेषण , pathya vastu vishleshan , विषय वस्तु क्या होता है , विषय वस्तु की रोचकता , व्याख्या और विश्लेषण , विषय वस्तु के प्रकार , विषय वस्तु का ज्ञान , विषय वस्तु का मतलब इंग्लिश में
Basic Terminology used in Network Analysis
Basic Terminology used in Network Analysis आधारभूत विश्लेषण क्या है आधारभूत विश्लेषण क्या है – Network analysis is the general name given to certain specific techniques which can be used for the planning, management and control of projects. A fundamental method in both PERT and CPM is the use of network systems as a means of graphically depicting the current problems or proposed projects in a network diagram.
A network diagram is the first thing to sketch an arrow diagram that shows inter-dependencies and the precedence relationship among activities of the project. Before illustrating the network representation of a project, let us define some basic definitions: Network, Project, Project Management Process, Activity, Event etc.
♦ Network:
It is a graphical आधारभूत विश्लेषण क्या है representation of logical and sequentially connected activities and events of a project. The network is also called an arrow diagram. PERT (Programme Evolution Review Technique) and (Critical Path Method) are the two most widely applied techniques.
In other words, Network analysis is the certain specific techniques that can be used for the planning, आधारभूत विश्लेषण क्या है management and control of projects. Projects are divided into individual tasks or activities that are organized in a logical order. It is also decided which tasks will be completed simultaneously and which will be completed sequentially.
♦ Project:
A project is defined as a combination of interrelated activities which must be executed in a certain order in for its completion.
A Project such as setting up of a new plant, research and development in an organization, development of a new product, marketing of a product etc. is a combination of interrelated activities (tasks) which must be executed in a certain order before the entire task आधारभूत विश्लेषण क्या है can be completed.
♦ Project Management Process:
Network analysis is the general name given to certain specific techniques which can be used for the planning, management and control of projects.
♦ Activity:
Any individual operation, which utilizes resources and has a beginning and an end, is called an activity. It is represented by an arrow to depict an activity with its head indicating the direction of progress in the project. The activities are interrelated in a logical sequence in such a way that the same activities can not start until some others are completed. An activity in a project is usually viewed as a job requiring resources for its completion. It is of four types:
- Predecessor activity
- Successor activity
- Concurrent activity
- Dummy activity
♦ Event:
The beginning and endpoints of an activity are called events or nodes or connectors. This is usually represented by a circle in a network. The events can be further classified आधारभूत विश्लेषण क्या है into three categories:
Balance Sheet
Balance Sheet ऐसा वित्तीय विवरण है जो कंपनी की संपत्ति, उसकी देनदारियों और शेयरधारकों द्वारा निवेश की गई राशि की झलक दिखाता है।
कौन तैयार करता है बैलेंस शीट
कंपनी के आकार के हिसाब से विभिन्न पार्टियां बैलेंस शीट तैयार करने के लिए जिम्मेदार होती हैं। छोटे निजी व्यवसायों के लिए बैलेंस शीट मालिक या कंपनी के बुककीपर द्वारा तैयार किया जा सकता है। मिड साइज की निजी कंपनियों के लिए बैलेंस शीट आंतरिक रूप से बनवाया और बाद में बाहरी अकाउंटैंट को दिखलाया जा सकता है। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के लिए पब्लिक अकाउंटैंट द्वारा बाहरी ऑडिट कराये जाने की आवश्यकता पड़ती है और यह भी सुनिश्चित करना पड़ता है कि बही खाते का मानक काफी ऊंचा रखा जाए। सार्वजनिक कंपनियों की बैलेंस शीट और अन्य फाइनेंशियल स्टेटमेंट को अनिवार्य रूप से जीएएपी के अनुरूप तैयार करना तथा इसे नियमित रूप से सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (एसईसी) के पास फाइल करना पड़ता है।
ट्रेंड लाइन के आधार पर कैसे समझें निवेश का पैटर्न?
ट्रेंड लाइन एक प्रकार का तकनीकी संकेत है, जो दर्शाता है कि शेयर का भाव किस दिशा में जा रहा है.
तुलनात्मक रूप में सपाट ट्रेंड लाइन दर्शाती है कि शेयर का बर्ताव सामान्य है और वह समान रुझान लंबे समय तक जारी रख सकता है.
जब बाजार में तेजी हावी होती है और यह अगली गिरावट का आधार तय करती है, तो ऐसी स्थिति में ट्रेड लाइन ऊपर बढ़ने के साथ-साथ हमेशा सपोर्ट स्तर प्रदान करती है, जो समय के साथ बदलता रहता है. इस स्थिति में ऐसी ट्रेंड लाइन के करीब की कीमतों पर खरीदारी करना फायदेमंद रहता है.
हालांकि, यदि सपोर्ट स्तर पार हो जाता है तो गिरावट दर्ज की जा सकती है. ऐसे में कारोबारियों को इसी ट्रेंड लाइन पर अपनी स्टॉप लॉस कीमत निर्धारित करनी चाहिए. इसी प्रकार गिरावट के हावी रहने पर सपोर्ट स्तर की जगह रेसिस्टेंस दर्ज किया जाता है. निवेशकों को इस दौरान बिक्री करनी चाहिए.
एक खास बात है कि कारोबारियों को वॉल्यूम को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. ट्रेंड लाइन पर किस कीमत पर क्या वॉल्यूम रहता है, यह आंकलन आपको कई बातें समझा सकता है. अमूमन अधिक वॉल्यूम का अर्थ होता है कि शेयर का मौजूदा दौर (तेजी या कमजोरी) जारी रहने वाला है.
यदि ट्रेंड लाइन टूट जाए तो
यदि किसी शेयर की ट्रेंड लाइन टूट जाती है या खंडित हो जाती है, तो माना जाता है कि उस शेयर से निवेशकों की उम्मीद बदल गई है. गिरावट दर्शा रही ट्रेंड लाइन का टूटने का अर्थ है कि शेयर खरीदारी के संकेत दे रहा है और तेजी दिखाने वाले ट्रेंड लाइन आधारभूत विश्लेषण क्या है टूटने का अर्थ है कि शेयर को बेचना बेहतर होगा.
दोनों ही मामलों में स्टॉप लॉस रखना चाहिए. इस तरह के मामलों में भी वॉल्यूम काफी महत्वपूर्ण हो जाती है और हलचल तब अधिक होगी जब ट्रेंड लाइन टूटने के साथ वॉल्यूम में भी इजाफा हो.
ट्रेंड लाइन से जुड़े एंगल
यदि किसी शेयर की ट्रेड लाइन में एकाएक तेजी देखने को मिलती है, तो इसका अर्थ है कि वह शेयर ऊफान पर है. यह भी संभव है कि शेयर की तेजी ज्यादा समय तक जारी न रहे. इसे एक उदाहरण के साथ समझते हैं.
दिए गए चार्ट में रिलायंस इंडस्ट्रीज की ट्रेंड लाइन है. लाल निशान वाली ट्रेंड लाइन दिखा रही है कि शेयर में एकाएक तेजी आई है, मगर कुछ ही समय बाद यह फिसल गया, मगर शेयर की थोड़ी-बहुत तेजी जारी रहे.
दूसरी तरफ, तुलनात्मक रूप में सपाट ट्रेंड लाइन दर्शाती है कि शेयर का बर्ताव सामान्य है और वह समान रुझान लंबे समय तक जारी रख सकता है. इसके लिए रिलायंस इंडस्ट्रीज के चार्ट में हरी रेखा पर गौर करें.
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मेरा बुनियादी लक्ष्य: धर्म से जिम्मेदारी की ओर
हमें यह समझने की जरूरत है कि हमारी सारी समस्याओं का स्रोत हमारे भीतर ही है और अगर हम समाधान चाहते हैं तो वो भी हमारे अंदर ही हैं, कहीं बाहर नहीं हैं. यह बहुत महत्वपूर्ण है- आप कौन हैं, आप क्या हैं, और आप क्या नहीं हैं, इसकी जिम्मेदारी आपके पास आनी चाहिए.
सद्गुरु
- नई दिल्ली ,
- 08 जून 2021,
- (अपडेटेड 11 फरवरी 2022, 4:50 PM IST)
समस्या यह है कि आपके जीवन में अगर कोई छोटी सी चीज गड़बड़ हो आधारभूत विश्लेषण क्या है जाती है तो आप सोचते हैं कि कोई दूसरा आपकी तकलीफ का जिम्मेदार है. अगर आपके जीवन में कोई बड़ी चीज गड़बड़ हो जाती है तो आप सोचते हैं कि भगवान उसके लिए जिम्मेदार है. आप खुद को किसी चीज के लिए जिम्मेदार नहीं मानते. इसे बदलने का यही समय है. हमें यह समझने की जरूरत है कि हमारी सारी समस्याओं का स्रोत हमारे भीतर ही है और अगर हम समाधान चाहते हैं तो वो भी हमारे अंदर ही हैं, कहीं बाहर नहीं हैं. यह बहुत महत्वपूर्ण है - आप कौन हैं, आप क्या हैं, और आप क्या नहीं हैं, इसकी जिम्मेदारी आपके पास आनी चाहिए. मेरा यह बुनियादी लक्ष्य है: आपको धर्म से जिम्मेदारी की ओर ले जाना.
जब दुनिया धर्म से जिम्मेदारी की ओर बढ़ेगी, सिर्फ तभी मानव क्षमता पूरी तरह से उजागर होगी; वरना हर किसी के पास अपनी की हुई बकवास के लिए बहाना होता है, और आम तौर पर, उनके पास उनकी की हुई हर बेवकूफी की चीज के लिए ईश्वरीय मंजूरी होती है. मानव बुद्धिमत्ता की प्रकृति ऐसी है कि अगर आप आज कोई बेवकूफी का काम करते हैं तो आज रात आपकी बुद्धिमत्ता आपको परेशान करेगी - ‘मैंने ऐसा क्यों किया?’ लेकिन आप, किसी धर्मग्रंथ से या स्वर्ग से इस पर अनुमोदन पाकर, इससे बड़ी आसानी से पार हो सकते हैं. आप बड़े आत्मविश्वास के साथ मूर्खतापूर्ण चीजें कर सकते हैं - आपको पीछे मुड़कर देखने की जरूरत नहीं होती. ऐसा हमेशा से होता रहा है.
लेकिन अब, मानव बुद्धि पहले से कही ज्यादा प्रखर हो गई है. मानवता के इतिहास में, पहले से कहीं अधिक लोग खुद के लिए सोच रहे हैं. अभी हम जिस तरह से हैं, अगर भगवान खुद आकर आपसे बात करता है, अगर वह तर्कसंगत नहीं है, तो आप उसे स्वीकार नहीं करेंगे. तो, कई तरह से, स्वर्ग ढह रहे हैं. अभी हो सकता है कि ऐसा व्यक्तिगत स्तर पर हो रहा हो, लेकिन धीरे-धीरे यह एक विस्तृत चीज हो जाएगी.
मेरा अनुमान है कि अगले 80-100 साल में, संगठित धर्म का वर्तमान रूप हल्का पड़ जाएगा. अतीत में, जब लोग दयनीय दशा में रह रहे थे, तब स्वर्ग के मायने थे. आज हम स्वर्ग से बेहतर तरीके से रह रहे हैं, तो लोग आपसे कहेंगे, ‘मैं स्वर्ग नहीं जाना चाहता. यहीं बहुत अच्छा है.’ लेकिन कुछ अधिक अनुभव करने की मनुष्य की आकांक्षा खत्म नहीं होगी.
लोग, इस बुनियादी आकांक्षा को स्वर्ग की ओर, या बाहर की ओर देखकर तृप्त करना चाह रहे हैं, लेकिन भीतर की ओर नहीं. बस 150 साल पहले ही, दुनिया में मानवता का एक बड़ा हिस्सा ऊपर की ओर देखता था, जबकि एक छोटा हिस्सा बाहर की ओर देखता था. यह वो छोटा हिस्सा था जिसने दौलत इकट्ठी की, महल खड़े किए और दुनिया में कई चीजें कीं. लेकिन आज, मानवता का एक बड़ा हिस्सा, ऊपर की ओर देखने के बजाय बाहर की ओर देख रहा है. अगर आप मानव खुशहाली के लिए बाहर की ओर देखते हैं, तो हम धरती को छिन्न-भिन्न कर देंगे और अपने अस्तित्व के आधार को ही नष्ट कर देंगे - आज हम यही कर रहे हैं. हम इसे अलग-अलग नामों से बुलाना चाहते हैं, जैसे पर्यावरण की समस्याएं, ग्लोबल वार्मिंग या जलवायु परिवर्तन. पूरा बस यही हो रहा है कि इंसान मानव खुशहाली की खोज में बाहर की ओर देख रहा है.
खुशहाली की हमारी सोच को भीतर की ओर मुड़ना होगा. इंसानी खुशहाली आधारभूत विश्लेषण क्या है तब तक नहीं आएगी जब तक इंसान भीतर की ओर न मुड़े, क्योंकि मानव अनुभव भीतर से ही पैदा होता है. एक बार जब आपको इसका एहसास होता है, तो योग बहुत प्रासंगिक हो जाता है क्योंकि यह आत्म-रूपांतरण के लिए आंतरिक खुशहाली की तकनीकों और साधनों का इस्तेमाल करता है. जैसे-जैसे मानव बुद्धिमत्ता और अधिक प्रखर होती है, आप देखेंगे कि अगले 25-30 सालों में, योग धरती पर सामान्य तरीका बन जाएगा, न कि एक अपवाद.
(एक योगी और दिव्यदर्शी सद्गुरु, एक आधुनिक गुरु हैं. विश्व शांति और खुशहाली की दिशा में निरंतर काम कर रहे सद्गुरु के रूपांतरणकारी कार्यक्रमों से दुनिया के करोड़ों लोगों को एक नई दिशा मिली है. 2017 में भारत सरकार ने सद्गुरु को उनके अनूठे और विशिष्ट कार्यों के लिए पद्मविभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया है.)
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